उत्तर प्रदेश
पर्यटन के लिये बुनियादी ढाँचे का विकास
- 21 May 2025
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार महत्त्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को जोड़ने वाली सड़कों के उन्नयन के लिये वर्ष 2025-26 में 4,560 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
- इसमें 272 परियोजनाएँ शामिल हैं जिनका उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना, बुनियादी ढाँचे में सुधार करना और श्रद्धालुओं के लिये यात्रा को सरल बनाना है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना के बारे में:
- प्रमुख लक्षित क्षेत्रों में शामिल हैं: अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, चित्रकूट, प्रयागराज, नैमिषारण्य और मिर्ज़ापुर।
- इन स्थानों का धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक महत्त्व बहुत अधिक है।
- चयनित सड़कों पर प्रतिवर्ष औसतन 5 लाख श्रद्धालु आते हैं।
- कार्यान्वयन का प्रबंधन लोक निर्माण विभाग (PWD) और धार्मिक कार्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
- उन मार्गों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनके लिये न्यूनतम भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होती है ताकि त्वरित कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
- प्रमुख लक्षित क्षेत्रों में शामिल हैं: अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, चित्रकूट, प्रयागराज, नैमिषारण्य और मिर्ज़ापुर।
- परियोजना की प्रमुख विशेषताएँ:
- सड़क चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण
- पैदल पथ तथा कैरेजवे (Carriageway) का उन्नयन
- सौंदर्यीकरण एवं विस्तार
- यातायात प्रबंधन में सुधार
- सड़क सुरक्षा मानकों में वृद्धि
- महत्त्व:
- यात्रा समय में कमी और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा में वृद्धि
- पर्यटकों व श्रद्धालुओं के लिये अधिक सुव्यवस्थित व सुगम यात्रा
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा और स्थानीय आर्थिक विकास में योगदान
वाराणसी के पर्यटन स्थल
- सारनाथ: वाराणसी से 10 किमी. उत्तर-पूर्व में गंगा और वरुणा नदियों के संगम के पास स्थित सारनाथ एक महत्त्वपूर्ण बौद्ध स्थल है, जहाँ भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
- गंगा घाट: वाराणसी में गंगा किनारे पर स्थित प्रतिष्ठित नदी तट हैं। शहर में 88 घाट हैं, जिनमें से अधिकांश का उपयोग स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिये किया जाता है।
- श्री काशी विश्वनाथ मंदिर: भगवान शिव को समर्पित भारत के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। यह एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र और तीर्थ स्थल है।
- BHU(बनारस हिंदू विश्वविद्यालय): ऐतिहासिक नगर वाराणसी में स्थित, जिसे काशी या प्रकाश नगरी भी कहा जाता है, बीएचयू (BHU) एक प्रमुख शैक्षिक एवं आध्यात्मिक केंद्र है, जो अनेक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थलों से घिरा हुआ है।
मथुरा और वृंदावन क्षेत्र
- श्री कृष्ण जन्मभूमि (मथुरा): यह पवित्र स्थल भगवान कृष्ण की जन्मस्थली है, ऐसा माना जाता है कि यहीं पर वे जेल की कोठरी में प्रकट हुए थे।
- श्री द्वारकाधीश मंदिर (मथुरा): मथुरा के सबसे पुराने और सबसे बड़े मंदिरों में से एक, जो भगवान कृष्ण को उनके द्वारकाधीश (द्वारका के राजा) रूप में समर्पित है।
- रमन रेती, गोकुल: मथुरा के निकट स्थित रमन रेती (या रमन वन) को वह पवित्र भूमि माना जाता है जहाँ युवा कृष्ण रेत पर खेला करते थे।
- श्री बांके बिहारी मंदिर (वृंदावन): वृंदावन में स्थित एक प्रमुख कृष्ण मंदिर, जो अपनी अनूठी पूजा शैली और आध्यात्मिक वातावरण के लिये जाना जाता है।
- इस्कॉन मंदिर, वृंदावन: इसे श्री कृष्ण बलराम मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, यह अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) द्वारा निर्मित पहला मंदिर है और विश्व में कृष्ण भक्ति का केंद्र है।
- श्री राधा रानी मंदिर (बरसाना): बरसाना में स्थित यह मंदिर राधा रानी को समर्पित है और ब्रज क्षेत्र का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो होली जैसे त्योहारों के दौरान बड़ी भीड़ को आकर्षित करता है।
चित्रकूट
- रामघाट: मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित एक पवित्र घाट, जहाँ माना जाता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने स्नान किया था। यह विशेष रूप से त्योहारों के दौरान आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र है।
- कामदगिरि: एक जंगली पहाड़ी, जिसे मुख्य चित्रकूट माना जाता है। भक्त इस पहाड़ी के चारों ओर परिक्रमा करते हैं और इसे अत्यंत पवित्र मानते हैं।
- भरत मिलाप मंदिर: कामदगिरि परिक्रमा पथ पर स्थित, यह मंदिर उस स्थान को चिह्नित करता है जहाँ भरत ने भगवान राम से मुलाकात कर उन्हें अयोध्या लौटने के लिये मनाया था।
- हनुमान धारा: पहाड़ी की चोटी पर स्थित एक सुंदर स्थान जहाँ हनुमान की मूर्ति के ऊपर से एक जलधारा बहती है। ऐसा माना जाता है कि लंका दहन के बाद भगवान राम ने हनुमान का क्रोध यहीं शांत किया था।
- सती अनुसूया आश्रम: ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूया से जुड़ा एक प्राचीन आश्रम। यह शांत जंगलों और प्राकृतिक झरनों से घिरा हुआ है।