राजस्थान Switch to English
राजेश्वर सिंह राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर 2025 को, राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने राजेश्वर सिंह को राजस्थान के नए मुख्य राज्य निर्वाचन आयुक्त (SEC) के रूप में नियुक्त किया, जो मधुकर गुप्ता का स्थान लेंगे।
- 35 वर्ष के प्रतिष्ठित करियर वाले सेवानिवृत्त IAS अधिकारी राजेश्वर सिंह अब शासन और चुनाव प्रबंधन में अपने व्यापक अनुभव का लाभ उठाते हुए, स्वतंत्र तथा निष्पक्ष पंचायत एवं नगरपालिका चुनाव सुनिश्चित करने में राज्य चुनाव आयोग की भूमिका की देखरेख करेंगे।
मुख्य बिंदु
राज्य चुनाव आयोग के बारे में:
- परिचय:
- राजस्थान का राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) जुलाई 1994 में भारत के संविधान के अनुच्छेद 243K के अंतर्गत गठित किया गया।
- 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992, के साथ अनुच्छेद 243K तथा 243ZA प्रत्येक राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश में पंचायत व स्थानीय शहरी निकायों के चुनावों के संचालन के लिये राज्य निर्वाचन आयोगों (SECs) के गठन का आदेश देते हैं।
- उत्तरदायित्व:
- मतदाता सूची: अद्यतन मतदाता सूची तैयार करना और उसका रखरखाव करना।
- चुनाव संचालन: पंचायती राज संस्थाओं तथा नगर निकायों के लिये स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव कराना।
- पर्यवेक्षण: राजस्थान में स्थानीय निकायों के चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना।
- भूमिका:
- राज्य चुनाव आयुक्त (SEC) को राज्य निर्वाचन आयोग के प्रत्यक्ष अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के तहत चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि स्थानीय स्तर पर स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।
- कर्त्तव्य:.
- राज्य सरकारों को कानून के तहत चुनावों के प्रभावी संचालन के लिये SEC को आवश्यक धनराशि, कर्मचारी और सहायता प्रदान करना आवश्यक है, जैसा कि SEC द्वारा अनुरोध किया गया हो।
- नियुक्ति:
- राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। सेवा की शर्तें और कार्यकाल राज्यपाल द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।
- यह पद स्वायत्तता और अधिकार के साथ धारण किया जाता है।
- शक्तियाँ:
- अनुच्छेद 243K(1) के अंतर्गत, SEC के पास चुनावी सूची तैयार करने और पंचायतों ( अनुच्छेद 243ZA के अंतर्गत नगरपालिकाओं) के चुनाव कराने की विशेष शक्ति होती है।
- कार्यकाल:
- अनुच्छेद 243K(2) यह सुनिश्चित करता है कि राज्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल और नियुक्ति प्रक्रिया राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधियों द्वारा शासित होगी, जो इसकी भूमिका के लिये एक स्पष्ट वैधानिक ढाँचा प्रदान करती है।
- पदच्युति:
- राज्य चुनाव आयुक्त का दर्जा, वेतन और भत्ते उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान होते हैं। उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान प्रक्रिया तथा आधारों का पालन करके ही पद से हटाया जा सकता है, जिससे उनकी स्वतंत्रता तथा कार्यकाल की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
राजस्थान में चुनावों का इतिहास:
- प्रथम चुनाव: राजस्थान में प्रथम पंचायत चुनाव वर्ष 1960 में पंचायत विभाग द्वारा आयोजित किये गये, तत्पश्चात वर्ष 1963 में प्रथम नगरपालिका चुनाव हुए, जिनका आयोजन निर्वाचन विभाग द्वारा किया गया।
- SEC की भूमिका: SEC ने वर्ष 1995 के छठे आम चुनाव से PRI चुनावों के संचालन की ज़िम्मेदारी संभाली और वर्ष 1994 से नगर निकायों के आम चुनाव आयोजित कर रहा है।
- पंचायती राज की संरचना: राजस्थान में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था है:
- ज़िला परिषद (ज़िला स्तर): 33 ज़िला परिषद, 1014 निर्वाचन क्षेत्र।
- पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर): 352 पंचायत समितियाँ, 6995 निर्वाचन क्षेत्र।
- पंचायत (ग्राम स्तर): 11,307 पंचायतें, 108,924 वार्ड।
- नगरपालिका चुनावों की संरचना:
- राजस्थान में शहरी स्थानीय निकायों में नगरपालिका, नगर परिषद और नगर निगम शामिल हैं।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर वकील
चर्चा में क्यों?
रवीना सिंह राजस्थान बार काउंसिल में महिला के रूप में पंजीकरण कराने वाली पहली ट्रांसजेंडर वकील बन गईं।
मुख्य बिंदु
- राजस्थान के पाली ज़िले के एक रूढ़िवादी परिवार में जन्मी रवीना सिंह का नाम पहले रवींद्र सिंह था, जिन्होंने सामाजिक मानदंडों और पारिवारिक अपेक्षाओं को चुनौती देते हुए अपनी वास्तविक लैंगिक पहचान को अपनाया।
- उनकी उपलब्धि ने न केवल व्यक्तिगत जीत को चिह्नित किया, बल्कि व्यावसायिक क्षेत्रों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शामिल करने के लिये एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया है।
- कानूनी पहल: रवीना ने ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिये राजस्थान उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका भी दायर की थी, ताकि शिक्षा और रोज़गार प्रणाली में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की व्यापक पहचान तथा प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
ट्रांसजेंडर व्यक्ति
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुसार, ट्रांसजेंडर अथवा उभयलिंगी व्यक्ति वह होता है जिसकी लैंगिक पहचान जन्म के समय निर्धारित लिंग से सुमेलित नहीं होती है।
- जनसंख्या: वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में ट्रांसजेंडर की जनसंख्या लगभग 4.88 लाख है।
- सबसे अधिक ट्रांसजेंडर जनसंख्या वाले शीर्ष 3 राज्य उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र हैं।
- इसमें इंटरसेक्स भिन्नता वाले ट्रांस-व्यक्ति, जेंडर-क्वीर और सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता वाले व्यक्ति जैसे किन्नर, हिजड़ा, आरावानी तथा जोगता शामिल हैं।
- LGBTQIA+ का हिस्सा: ट्रांसजेंडर व्यक्ति LGBTQIA+ समुदाय का हिस्सा हैं, जिन्हें संक्षिप्त नाम में "T" द्वारा दर्शाया गया है।
- LGBTQIA+ एक संक्षिप्ति (शब्दों के प्रथम अक्षरों से बना शब्द) है जो लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स और एसेक्सुअल का प्रतिनिधित्व करता है।
- "+" उन अनेक अन्य अस्मिताओं को दर्शाता है जिनकी पहचान प्रकिया और अवबोधन वर्तमान में जारी है।
- इस संक्षिप्ति में निरंतर परिवर्तन जारी है और इसमें नॉन-बाइनरी तथा पैनसेक्सुअल जैसे अन्य पद भी शामिल किये जा सकते हैं।
- ट्रांसजेंडर अधिकार सुधार में प्रमुख उपलब्धियाँ
- निर्वाचन आयोग का निर्देश (वर्ष 2009): पंजीकरण फॉर्म को अद्यतन कर उसमें "अन्य" विकल्प शामिल किया गया, जिससे ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पुरुष या महिला पहचान से बचने में मदद मिली।
- सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय (वर्ष 2014): राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले, 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को "थर्ड जेंडर" के रूप में मान्यता दी, तथा इसे मानवाधिकार मुद्दा माना।
- विधायी प्रयास (वर्ष 2019): ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिये उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 लागू किया गया।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
भारत-AI इंपैक्ट समिट 2026
चर्चा में क्यों?
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने भारत-AI इम्पैक्ट समिट 2026 की पहल और लोगो का अनावरण किया है, जिसका आयोजन भारत में किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- समिट के बारे में:
- यह समिट 19 से 20 फरवरी 2026 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा और इसमें वैश्विक नेता, नीति-निर्माता, शोधकर्त्ता तथा नवप्रवर्तक शामिल होंगे।
- यह समिट, जो किसी ग्लोबल साउथ देश द्वारा आयोजित किया जाने वाला पहला समिट है, मानव, ग्रह और प्रगति पर केंद्रित होगा।
- AI की परिवर्तनकारी क्षमता पर ध्यान देते हुए, समिट में सात विषयगत चक्रों के माध्यम से वैश्विक AI चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की जाएगी।
- आधिकारिक लोगो और मुख्य प्रतीक:
- समिट का आधिकारिक लोगो अशोक चक्र से प्रेरित है, जो भारत के नैतिक शासन और संवैधानिक मूल्यों का प्रतीक है।
- इस मुख्य प्रतीक से न्यूरल नेटवर्क की किरणें बाहर की ओर फैलती हैं, जो उद्योगों, भाषाओं और क्षेत्रों में AI के परिवर्तनकारी प्रभाव का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो विभाजन को पाटने तथा समावेशी प्रगति को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।
- प्रमुख पहलें:
- AI पिच फेस्ट (UDAAN):
- यह वैश्विक AI स्टार्टअप्स को प्रदर्शित करने के लिये एक मंच है, जिसमें भारत के टियर 2 और टियर 3 शहरों के उद्यमों पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा, जिनमें महिलाओं तथा दिव्यांग परिवर्तनकर्त्ताओं द्वारा संचालित उद्यम भी शामिल होंगे।
- IndiaAI डेटा और AI लैब्स:
- 30 IndiaAI डेटा और AI लैब्स लॉन्च की जा चुकी हैं, जो 570-लैब नेटवर्क के प्रारंभिक चरण का प्रतीक हैं।
- ये लैब्स फ्यूचर स्किल्स पहल के अंतर्गत आधारभूत AI और डेटा प्रशिक्षण प्रदान करेंगी, विशेष रूप से टियर 2 तथा टियर 3 शहरों में AI एवं डेटा एनोटेशन में कौशल विकास पर केंद्रित होंगी।
- IndiaAI फेलोशिप प्रोग्राम:
- इस प्रोग्राम का विस्तार कर 13,500 विद्यार्थियों को समर्थन देने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून, वाणिज्य और लिबरल आर्ट्स जैसे विविध विषयों के छात्रों पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
- AI पिच फेस्ट (UDAAN):
उत्तर प्रदेश Switch to English
बांसवाड़ा में परमाणु ऊर्जा संयंत्र
चर्चा में क्यों?
25 सितंबर, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के माही-बांसवाड़ा में नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र की आधारशिला रखेंगे, जिससे राज्य के ऊर्जा क्षेत्र को मज़बूत बनाने में मदद मिलेगी।
- इसके साथ ही, वे 1.21 लाख करोड़ रुपये से अधिक की अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे।
मुख्य बिंदु
- प्रस्तावित माही-बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण 1,366 एकड़ क्षेत्र में किया जाएगा, जिसकी स्थापित क्षमता 2,800 मेगावाट होगी और इसे वर्ष 2036 तक पूरा करने की उम्मीद है।
- लगभग 50,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में चार स्वदेशी 700 मेगावाट क्षमता वाले दाबयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR) लगाए जाएंगे।
- यह परियोजना भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के व्यापक रणनीतिक प्रयास का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
- वर्तमान स्थिति: वर्तमान में भारत में 220 मेगावाट क्षमता के 15 PHWR, 540 मेगावाट क्षमता के 2 PHWR तथा राजस्थान के रावतभाटा में 700 मेगावाट क्षमता का एक रिएक्टर संचालित है।
- PHWR एक प्रकार का परमाणु रिएक्टर है, जो भारी पानी (ड्यूटेरियम ऑक्साइड, D₂O) को शीतलक और मंदक दोनों के रूप में उपयोग करता है, जबकि प्राकृतिक या थोड़ा समृद्ध यूरेनियम ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- नियामक: परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) भारत का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण है, जो देश में परमाणु ऊर्जा और विकिरण प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु उत्तरदायी है।
- परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के तहत वर्ष 1983 में स्थापित यह बोर्ड, परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के अंतर्गत स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करता है।
- कुल क्षमता: भारत की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता 8.18 गीगावाट (2024) है, जिसे वर्ष 2031-32 तक 22.48 गीगावाट और 2047 तक 100 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।