उत्तर प्रदेश Switch to English
समर्थ पोर्टल
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 तक 'समर्थ' पोर्टल को पूर्ण रूप से लागू करने जा रही है।
- यह पहल उच्च शिक्षा को अधिक पारदर्शी, कुशल और प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली में बदलने के सरकार के मिशन का हिस्सा है।
मुख्य बिंदु
- समर्थ पोर्टल की विशेषताएँ:
- समर्थ प्लेटफॉर्म को उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिये विकसित किया गया है।
- सभी प्रशासनिक कार्य अब इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संचालित होंगे, जिससे प्रशासनिक भार में कमी आएगी और कार्यप्रवाह अधिक कुशल बनेगा।
- राज्य के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तुत रोडमैप के अनुसार, वर्ष 2025 के अंत तक सभी निजी ERP सिस्टम को चरणबद्ध रूप से हटाकर केवल समर्थ प्रणाली को ही लागू किया जाएगा।
- यह नई प्रणाली शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुगम बनाएगी।
- कैरियर उन्नयन योजना के तहत शिक्षक सरलता से पदोन्नति के लिये आवेदन कर सकेंगे और चयन प्रक्रिया सभी के लिये दृश्यमान होगी।
- वर्तमान स्थिति:
- उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेज पहले ही समर्थ पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं।
- कई संस्थान अब इस पोर्टल का उपयोग वेतन प्रक्रिया, व्यय प्रबंधन, अवकाश ट्रैकिंग, प्रवेश और परीक्षाओं जैसे कार्यों के लिये कर रहे हैं।
- ऑनलाइन छात्र पंजीकरण भी प्रगति पर है, जिससे प्रवेश प्रक्रिया सरल हो रही है।
- केंद्रीकृत प्रवेश प्रणाली:
- पारदर्शिता को और बढ़ाने के लिये राज्य सरकार ने जुलाई 2025 से एक एकीकृत प्रवेश प्रणाली शुरू की है।
- अब सभी छात्र प्रवेश एक एकल पोर्टल के माध्यम से किये जाएंगे, जिससे एकरूपता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
- इस एकीकृत प्रणाली का पायलट चरण पहले ही सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुका है।
- भविष्य में विकास:
- समर्थ पोर्टल के अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश सरकार एक अलग ऑनलाइन पोर्टल विकसित कर रही है, जो सेमिनार, अनुसंधान परियोजनाओं, अकादमिक पुरस्कारों और अनुसंधान अनुदानों का प्रबंधन करेगा।
- इससे शिक्षाविदों और शोधकर्त्ताओं के लिये अधिक पारदर्शी तथा सरल प्रक्रिया उपलब्ध होगी।
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अमृत सरोवर निर्माण में उत्तर प्रदेश प्रथम
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक अमृत सरोवरों वाला राज्य बनकर उभरा है, जिसने वर्ष 2022 में कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद से 16,630 सरोवरों का निर्माण और पुनरुद्धार किया है, जो 5,550 के मूल लक्ष्य से तीन गुना अधिक है।
मुख्य बिंदु
- मिशन अमृत सरोवर के बारे में:
- इसे 24 अप्रैल 2022 को भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के लिये "आज़ादी का अमृत महोत्सव" समारोह के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था।
- इस मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को दूर करने के लिये भारत के प्रत्येक ज़िले में कम-से-कम 75 अमृत सरोवरों का निर्माण/पुनरुद्धार करना है।
- इन जल निकायों के लिये लक्ष्य स्थानीय स्तर पर जल स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- ग्रामीण विकास विभाग, भूमि संसाधन विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जल संसाधन विभाग, पंचायती राज मंत्रालय, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, रेल मंत्रालय, सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सहित आठ केंद्रीय मंत्रालय/विभाग इस मिशन के क्रियान्वयन में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं।
- भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N) को इस मिशन के लिये तकनीकी साझेदार के रूप में नियुक्त किया गया है।
- BISAG-N एक स्वायत्त वैज्ञानिक सोसायटी है, जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत है। यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आती है।
- अमृत सरोवर के निर्माण और पुनरुद्धार की पहचान करने तथा उसे क्रियान्वित करने में भू-स्थानिक डाटा तथा प्रौद्योगिकी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- राज्यवार रैंकिंग - अमृत सरोवर निर्माण (2022-2025):
रैंक |
राज्य |
सरोवरों की संख्या |
1 |
उत्तर प्रदेश |
16,630 |
2 |
मध्य प्रदेश |
5,839 |
3 |
छत्तीसगढ |
2,902 |
4 |
बिहार |
2,613 |
5 |
हरियाणा |
2,088 |
6 |
झारखंड |
2,048 |
7 |
पंजाब |
1,450 |
उत्तर प्रदेश में जल संरक्षण के लिये अन्य पहलें
- भूजल सप्ताह समारोह:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में भूजल सप्ताह (16 जुलाई–22 जुलाई) मनाया, जिससे राज्य में चल रही जल संरक्षण परियोजनाओं और भूजल चुनौतियों से निपटने के प्रयासों को नई गति मिली।
- खेत तालाब योजना:
- कृषि तालाबों के निर्माण पर केंद्रित इस योजना के तहत किसानों को तालाब निर्माण के लिये 50% तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। वर्ष 2017-18 में इसकी शुरुआत के बाद से सरकार ने इस योजना के तहत 37,403 कृषि सरोवरों के निर्माण में मदद की है।
- एक ज़िला–एक नदी योजना:
- इसका उद्देश्य प्रत्येक ज़िले को एक नदी पुनरुद्धार परियोजना सौंपकर विलुप्त नदियों को पुनर्जीवित करना है।
- जल-बचत सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देना:
- इसमें पानी की खपत को कम करने के लिये स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई प्रणालियों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता है।
- भूजल संचयन का समावेशन:
- भवन निर्माण में भूजल संचयन संरचनाओं के एकीकरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- बहुउद्देशीय तालाबों का विकास:
- इन तालाबों का विकास नदी के किनारे किया जा रहा है ताकि सतत् जल प्रबंधन को बढ़ावा मिल सके।
- 29 ज़िलों में भूजल सुधार:
- जिन क्षेत्रों में पिछले एक दशक से भूजल स्तर कम रहा है, वहाँ सरकार जल-बचत प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है तथा इन क्षेत्रों के कम-से-कम एक-चौथाई किसानों को ऐसी पद्धतियों को लागू करने के लिये प्रोत्साहित कर रही है।
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उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल द्वारा प्रमुख विकास परियोजनाओं को मंजूरी
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने महिलाओं के सशक्तीकरण, शिक्षा को बढ़ावा देने, बुनियादी ढाँचे के विकास तथा रक्षा पहल को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कई परिवर्तनकारी निर्णयों को मंज़ूरी दी।
मुख्य बिंदु
- महिलाओं के लिये स्टांप ड्यूटी में छूट:
- मंत्रिमंडल ने 1 करोड़ रुपए तक की संपत्ति खरीदने वाली महिलाओं के लिये 1% स्टांप ड्यूटी में छूट को मंज़ूरी दी, जो कि पहले 10 लाख रुपए तक सीमित थी।
- नई छूट से महिलाओं को संपत्ति पंजीकरण पर 1 लाख रुपए तक की छूट का दावा करने की अनुमति मिलेगी, जिससे मध्यम वर्ग की महिलाओं के बीच संपत्ति के स्वामित्व को बढ़ावा मिलेगा।
- पॉलिटेक्निक संस्थानों में टाटा टेक्नोलॉजी केंद्र:
- उत्तर प्रदेश सरकार और टाटा टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड (TTL) की साझेदारी से 121 सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थानों का उन्नयन किया जाएगा।
- TTL द्वारा 6,935.86 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा, जिसमें 87% लागत TTL वहन करेगा और शेष 1,063.96 करोड़ रुपए राज्य सरकार वहन करेगी।
- यह पहल उद्योग-समन्वित पाठ्यक्रम के एकीकरण से तकनीकी कौशल और रोज़गार क्षमता को बढ़ाएगी। पहले चरण में 45 संस्थानों को उन्नत किया जाएगा।
- युवा रोज़गार के लिये टैबलेट वितरण:
- स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना के तहत 25 लाख स्मार्टफोन की पूर्व योजना को रद्द कर दिया गया है।
- स्मार्टफोन के स्थान पर अब युवाओं को उन्नत सुविधाओं वाले टैबलेट वितरित किये जाएंगे, जिसके लिये वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये 2,000 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है।
- ये टैबलेट Word, Excel, PowerPoint और Google Sheets जैसे सॉफ्टवेयरों को सपोर्ट करके रोज़गार के अवसरों में सहायता करेंगे, जिससे डिजिटल साक्षरता तथा नौकरी की तत्परता बढ़ेगी।
- चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण:
- मंत्रिमंडल ने 939.67 करोड़ रुपए की चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे परियोजना को मंज़ूरी दे दी, जो 15.172 किमी लंबी होगी और चित्रकूट के भरतकूप को अहमदगंज गाँव से जोड़ेगी।
- यह परियोजना, जिसे शुरू में चार लेन वाले एक्सप्रेस-वे (छह लेन तक विस्तार योग्य) के रूप में डिज़ाइन किया गया था, वाराणसी–बाँदा राष्ट्रीय राजमार्ग तथा NH-135BG के बीच संपर्क में सुधार करेगी, जिससे क्षेत्र में यात्रा और व्यापार मार्ग बेहतर होंगे।
- निर्यात-उन्मुख निवेश के लिये प्रोत्साहन: मंत्रिमंडल ने दो कंपनियों के लिये प्रोत्साहन को मंज़ूरी दी—
- संयुक्त अरब अमीरात की एक्वाब्रिज, जो उन्नाव में एक मत्स्य पालन परियोजना स्थापित करेगी।
- कर्नाटक की इनोवा फूड पार्क, जो जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक कृषि निर्यात केंद्र स्थापित करेगी।
- ये निवेश निर्यात वृद्धि के साथ-साथ स्थानीय किसानों को भी लाभ पहुँचाएंगे और कृषि विकास को बढ़ावा देंगे।
- रक्षा व ड्रोन विनिर्माण विस्तार:
- मंत्रिमंडल ने RAPHE mPhibr प्राइवेट लिमिटेड को 4.67 करोड़ रुपए में एक भूमि पार्सल की बिक्री को मंजूरी दी।
- यह कंपनी पहले ही 800 करोड़ रुपए का निवेश कर चुकी है और अब डेयरी इकाई को स्थानांतरित कर 10 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि स्थानीय अर्थव्यवस्था में लगाएगी।
- साथ ही, मंत्रिमंडल ने यूपी डिफेंस कॉरिडोर में DRDO के उपकरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (IRDE) को 10 हेक्टेयर भूमि के लिये सांकेतिक पट्टे को भी मंज़ूरी दी है, जिससे 150 प्रत्यक्ष और 500 अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।