इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

NGO का FCRA पंजीकरण रद्द करना

  • 25 Jan 2024
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, NGO, कंपनी अधिनियम, 2013, भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860, NGO-दर्पण प्लेटफॉर्म।

मेन्स के लिये:

भारत में गैर सरकारी संगठनों का विनियमन, FCRA के प्रमुख प्रावधान।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

दो प्रमुख गैर-सरकारी संगठनों (NGO)- सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) और वर्ल्ड विज़न इंडिया (WVI) के लिये विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 (FCRA) पंजीकरण रद्द किये जाने से भारत में विदेशी अंशदान को नियंत्रित करने वाले नियामक परिदृश्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। 

CPR और WVI के पंजीकरण रद्द करने का क्या कारण है?

  • गृह मंत्रालय के अनुसार CPR ने विकास परियोजनाओं के विरुद्ध कानूनी चुनौतियाँ प्रस्तुत करने तथा भारत में विरोध प्रदर्शनों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान कर भारत के आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचाने के लिये विदेशों से प्राप्त अंशदान का दुरुपयोग किया है।
    • उदाहरण के तौर पर वायु प्रदूषण पर CPR की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप में करेंट अफेयर्स कार्यक्रमों के उत्पादन के माध्यम से FCRA मानदंडों का उल्लंघन शामिल है।
      • गृह मंत्रालय का दावा है कि विदेशी फंड से ऐसे कार्यक्रम प्रकाशित करना FCRA की धारा 3 का उल्लंघन है।
  • इसके अतिरिक्त वर्ष 2012-13 से 2020-21 तक कथित FCRA उल्लंघन के लिये वर्ल्ड विज़न इंडिया का पंजीकरण रद्द कर दिया गया था।
    • वर्ष 1986 में अधिनियम के तहत पंजीकृत सभी गैर सरकारी संगठनों के बीच WVI सबसे अधिक विदेशी दान प्राप्तकर्त्ता है।

FCRA क्या है?

  • परिचय: 
    • विदेशी सरकारों द्वारा भारत के आंतरिक मामलों को प्रभावित करने के लिये स्वतंत्र संगठनों की सहायता से किये जाने वाले वित्तपोषण की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए FCRA को वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान अधिनियमित किया गया था।
    • इसे एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के सिद्धांतों के साथ संरेखित करते हुए आंतरिक सुरक्षा पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिये विदेशी अंशदान को विनियमित करने हेतु डिज़ाइन किया गया था।
  • FCRA का विकास:
    • 2010 संशोधन: विशिष्ट व्यक्तियों अथवा संघों द्वारा विदेशी अंशदान की स्वीकृति तथा उपयोग को नियंत्रित करने वाले नियमों को सुव्यवस्थित करने एवं राष्ट्रीय हितों के लिये हानिकारक गतिविधियों की रोकथाम हेतु संबद्ध योगदान को प्रतिबंधित करने के लिये इसे अधिनियमित किया गया था।
    • 2020 संशोधन:
      • संबद्ध गैर सरकारी संगठनों (NGO) के सभी प्रमुख पदाधिकारियों को पहचान के प्रमाण के रूप में आधार नंबर उपलब्‍ध कराना होगा तथा केवल भारतीय स्टेट बैंक के साथ नामित FCRA बैंक खातों के माध्यम से विदेशी अंशदान की प्राप्ति की जा सकेगी।
      • विदेशी अंशदान के घरेलू अंतरण पर पूर्ण प्रतिबंध।
      • प्रशासनिक व्यय सीमा को 50% से घटाकर 20% किया गया।
  • प्रयोज्यता: FCRA विदेशी अंशदान प्राप्त करने के इच्छुक सभी संघों, समूहों तथा गैर सरकारी संगठनों के लिये पंजीकरण अनिवार्य करता है।
    • निर्धारित मानदंडों के अनुपालन करने पर इसके नवीनीकरण की संभावना के साथ प्रारंभ में इसे 5 वर्षों के लिये वैध किया गया था।
  • विदेशी अंशदान के उद्देश्य: पंजीकृत संघ सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिये विदेशी अंशदान प्राप्त कर सकते हैं।
  • निगरानी/अनुश्रवण प्राधिकरण: गृह मंत्रालय
    • वर्ष 2015 में गृह मंत्रालय ने गैर सरकारी संगठनों को वास्तविक समय में सुरक्षा पहुँच के लिये कोर बैंकिंग सुविधाओं वाले बैंकों में खाते संचालित करने का आदेश दिया।
    • वर्ष 2023 में MHA ने FCRA-पंजीकृत NGO के लिये नियमों में संशोधन किया जिसके तहत अब उन्हें अपनी वार्षिक विवरणी/रिटर्न में विदेशी अंशदान के उपयोग से सृजित परिसंपत्ति का खुलासा करना आवश्यक हो गया है।

भारत में NGO को कैसे विनियमित किया जाता है? 

  • परिचय: 
    • जैसा कि विश्व बैंक द्वारा परिभाषित किया गया है, गैर-सरकारी संगठन उन गैर-लाभकारी संगठनों को संदर्भित करते हैं जो पीड़ा को दूर करने, गरीबों के हितों को बढ़ावा देने, पर्यावरण की रक्षा करने, बुनियादी सामाजिक सेवाएँ प्रदान करने या सामुदायिक विकास करने के लिये गतिविधियाँ करते हैं।
      • हालाँकि, भारत में NGO शब्द संगठनों के एक व्यापक स्पेक्ट्रम को दर्शाता है जो गैर-सरकारी, अर्ध या अर्ध सरकारी, स्वैच्छिक या गैर-स्वैच्छिक आदि हो सकते हैं।
  • पंजीकरण एवं विनियमन: मुख्यतः NGO कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत ट्रस्ट, सोसायटी या कंपनी के रूप में पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकरण और शासन के लिये प्रत्येक फॉर्म के अपने नियम और विनियम हैं।
    • ट्रस्ट: भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 या समकक्ष राज्य कानूनों द्वारा शासित, जिसके लिये चैरिटी आयुक्त के कार्यालय में पंजीकरण की आवश्यकता होती है।
    • सोसायटी: सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या इसके राज्य-विशिष्ट विविधताओं के तहत सोसायटी रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत।
    • धारा 8 कंपनियाँ: वाणिज्यिक कंपनियों के समान पंजीकृत लेकिन गैर-लाभकारी उद्देश्यों के साथ।
  • NGO-दर्पण प्लेटफॉर्म: यह गैर सरकारी संगठनों और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/सरकारी निकायों के बीच इंटरफेस के लिये स्थान प्रदान करता है।
    • यह सरकार और स्वैच्छिक क्षेत्र के बीच बेहतर साझेदारी लाने और बेहतर पारदर्शिता, दक्षता तथा जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग से नीति आयोग द्वारा दी जाने वाली एक निःशुल्क सुविधा है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. क्या सिविल सोसायटी और गैर-सरकारी संगठन आम नागरिक को लाभ प्रदान करने के लिये लोक सेवा प्रदायगी का वैकल्पिक प्रतिमान प्रस्तुत कर सकते हैं? इस वैकल्पिक प्रतिमान की चुनौतियों की विवेचना कीजिये। (2021)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2