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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश ने 50 नदियों का पुनरुद्धार किया

  • 18 Jul 2025
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य स्तरीय पहलों और स्थानीय सहभागिता के समन्वित प्रयासों के माध्यम से 3,363 किमी लंबाई वाली 50 नदियों का सफलतापूर्वक पुनरुद्धार किया है।

मुख्य बिंदु

  • परियोजना के बारे में: 
  • प्रभाव:
    • नदियों के पुनरुद्धार और ग्रामीण क्षेत्रों में 3,388 तालाबों के निर्माण से भूजल स्तर तथा जल भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई।
    • इससे जल की कमी दूर होगी तथा स्थानीय किसानों की कृषि एवं पशुधन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा।
  • स्थायित्व और मृदा संरक्षण: 
    • सरकार ने कटाव को रोकने और तटबंधों को मज़बूत करने के लिये नदी के किनारों पर पौधे लगाए, तथा नदी पुनरुद्धार एवं जलग्रहण विकास के लिये नई परियोजनाओं की पहचान की।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक और रोज़गार लाभ: 
    • नदी पुनरुद्धार प्रयासों से सांस्कृतिक स्थलों का जीर्णोद्धार हुआ है, जल संरक्षण जागरूकता बढ़ी है, सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहन मिला है तथा मनरेगा के माध्यम से ग्रामीण रोज़गार सृजित हुए हैं, जिससे स्थानीय विकास को सहायता मिली है।

नमामि गंगे कार्यक्रम

  • लॉन्च: इसे भारत सरकार द्वारा एक प्रमुख एकीकृत संरक्षण मिशन के रूप में वर्ष 2014-15 में लॉन्च किया गया था।
  • उद्देश्य: गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण उन्मूलन तथा पुनर्जीवन के दोहरे लक्ष्य। "निर्मल धारा" (अप्रदूषित प्रवाह) एवं "अविरल धारा" (निरंतर प्रवाह) को बहाल करने पर विशेष ध्यान।
  • कवरेज: गंगा बेसिन 11 राज्यों में फैला हुआ है, जो भारत के 27% भूमि क्षेत्र को कवर करता है और 47% जनसंख्या को पोषण प्रदान करता है।
  • मुख्य घटक:
    • निर्मल गंगा: सीवेज उपचार और अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण।
    • अविरल गंगा: पारिस्थितिकी प्रवाह बहाली और वनीकरण।
    • जन गंगा: सामुदायिक जागरूकता और सहभागिता।
    • ज्ञान गंगा: अनुसंधान, नीति समर्थन और नदी बेसिन योजना।
  • नवीनतम पहलें:
    • वाराणसी और भदोही में नए एसटीपी एवं नाला अवरोधन (400 करोड़ रुपए से अधिक निवेश)।
    • उत्तर प्रदेश सहित 3 राज्यों के 7 ज़िलों में जैवविविधता पार्क और प्राथमिकता वाली आर्द्रभूमियों का विकास।
    • उपचारित जल के सुरक्षित पुनः उपयोग के लिये राष्ट्रीय ढाँचे का शुभारंभ।

    महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)

    • इसे वर्ष 2005 में पारित किया गया था और यह एक अधिकार-आधारित रोज़गार गारंटी योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
    • मुख्य उद्देश्य: प्रत्येक ग्रामीण परिवार, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिये इच्छुक हों, को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का मज़दूरी युक्त गारंटीकृत रोज़गार प्रदान करना।
    • प्रमुख विशेषताएँ:
      • पात्रता: आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिये, जिसकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक हो, वह ग्रामीण परिवार का हिस्सा हो और अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिये इच्छुक हो।
      • विकेंद्रीकृत योजना: योजना निर्माण और क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी ग्रामसभाओं तथा पंचायती राज संस्थाओं को सौंपी गई है, जिससे नीचे से ऊपर तक भागीदारी सुनिश्चित होती है।
      • बेरोज़गारी भत्ता: यदि आवेदन के 15 दिनों के भीतर कार्य उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो मुआवज़े के रूप में पहले 30 दिनों तक चौथाई मज़दूरी, तत्पश्चात् आधी मज़दूरी दी जाती है।
      • कार्यस्थल मानक: रोज़गार 5 किमी के दायरे में ही उपलब्ध कराया जाना चाहिये; पीने का पानी, छाया और प्राथमिक चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिये।
      • समयबद्ध भुगतान: मज़दूरी साप्ताहिक रूप से और अधिकतम 15 दिनों के भीतर दी जानी चाहिये, अन्यथा मुआवज़ा देय होगा।

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