दृष्टि के NCERT कोर्स के साथ करें UPSC की तैयारी और जानें

स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Nov 2025
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मध्य प्रदेश Switch to English

जनजातीय पर्यटन परियोजना

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड की प्रमुख जनजातीय पर्यटन परियोजना को धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत केंद्रीय स्वीकृति मिल गई है।

मुख्य बिंदु

  • परियोजना के बारे में:
    • इस परियोजना के अंतर्गत अनूपपुर, मंडला और डिंडोरी ज़िलों में नर्मदा परिक्रमा मार्ग पर स्थित 14 गाँवों में 86 जनजातीय आवास स्थापित किये जाएंगे।
    • इसकी कुल अनुमानित लागत 10.5 करोड़ रुपये है, जिसका वित्तपोषण पर्यटन मंत्रालय तथा राज्य पर्यटन बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
    • इससे 400 से अधिक जनजातीय परिवारों को प्रत्यक्ष आय प्राप्त होने की संभावना है, साथ ही हस्तशिल्प, परिवहन और स्थानीय खाद्य उत्पादों में अतिरिक्त आजीविका के अवसर भी सृजित होंगे।
    • इसका उद्देश्य उत्तरदायी जनजातीय पर्यटन को प्रोत्साहित करना, स्थानीय संस्कृति को संरक्षित करना और दूरस्थ गाँवों को मुख्यधारा के पर्यटन सर्किट में एकीकृत करना है।
  • धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान:
    • यह जनजातीय कार्य मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, जो जनजातीय बहुल गाँवों में विकास परिणामों में सुधार लाने पर केंद्रित है।
    • यह योजना आजीविका संवर्द्धन, आधारभूत सुविधाओं, सामाजिक सेवाओं तथा ग्रामीण उद्यम विकास जैसे क्षेत्रों में बहु-मंत्रालयी समन्वय के माध्यम से कार्य करती है।
    • परियोजना के अंतर्गत पर्यटन आधारित आय-सृजन, विशेषकर समुदाय-आधारित आवासों का विकास, आजीविका और आर्थिक सशक्तीकरण घटक का एक केंद्रीय तत्त्व है।

उत्तर प्रदेश Switch to English

मिशन शक्ति

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण को सुदृढ़ करने हेतु राज्य की मिशन शक्ति पहल के अंतर्गत सोनभद्र ज़िले में 25 महिला पुलिसकर्मियों को स्कूटर प्रदान किये।

मुख्य बिंदु 

  • उत्तर प्रदेश सरकार ने मिशन शक्ति पहल को 17 अक्तूबर, 2020 को व्यापक राष्ट्रीय मिशन शक्ति योजना के साथ जोड़ते हुए लॉन्च किया। 
  • इस कार्यक्रम का संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग (DWCD) द्वारा नोडल विभाग के रूप में किया जाता है तथा इसे अंतर-विभागीय अभिसरण के माध्यम से क्रियान्वित किया जाता है, जिसमें गृह विभाग और उत्तर प्रदेश पुलिस जैसी प्रमुख एजेंसियाँ, विशेष रूप से महिला सम्मान प्रकोष्ठ शामिल हैं।
  • यह पहल त्रि-आयामी दृष्टिकोण पर आधारित है:
    • सुरक्षा और संरक्षा (जैसे महिलाओं के विरुद्ध अपराधों पर नियंत्रण)।
    • सम्मान और गरिमा (जैसे व्यवहार परिवर्तन संचार तथा जन-जागरूकता)।
    • आत्मनिर्भरता/सशक्तीकरण (जैसे महिलाओं को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं तथा आर्थिक अवसरों से जोड़ना)।

मिशन शक्ति (केंद्र सरकार)

  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित मिशन शक्ति का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा एवं सशक्तीकरण के लिये संस्थागत हस्तक्षेपों को सुदृढ़ करना है। 
  • यह योजना महिला-नेतृत्व वाले विकास के सिद्धांत पर आधारित है और महिलाओं के जीवन-चक्र के विभिन्न चरणों में आवश्यक सेवाओं के अभिसरण को सुनिश्चित करती है।
  • यह योजना दो उप-योजनाओं के माध्यम से संचालित होती है
  • संबल (सुरक्षा और संरक्षण): इस उप-योजना के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा और त्वरित सहायता सुनिश्चित करने हेतु वन स्टॉप सेंटर (OSC), महिला हेल्पलाइन (WHL), बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) तथा समुदाय आधारित विवाद समाधान व्यवस्था के रूप में नारी अदालतें स्थापित की जाती हैं।
  • सामर्थ्य (सशक्तीरण): इसके अंतर्गत ICDS रूपरेखा में संशोधित उज्ज्वला, स्वाधार गृह, कामकाज़ी महिला छात्रावास योजना, साथ ही राष्ट्रीय क्रेच योजना तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) जैसी पहलों का समावेश किया गया है।

राजस्थान Switch to English

आना सागर झील

चर्चा में क्यों?

अजमेर में आना सागर झील के निकट आर्द्रभूमि सीमा-चिह्नांकन को लेकर स्थानीय स्तर पर विरोध-प्रदर्शन हुए हैं, स्थानीय लोगों ने मत है कि सीमांकन पक्षपातपूर्ण है तथा समुचित वैज्ञानिक मूल्यांकन के बिना किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • आना सागर अजमेर में स्थित 12वीं शताब्दी की एक कृत्रिम झील है, जिसका निर्माण पृथ्वीराज चौहान के दादा आणाजी चौहान द्वारा कराया गया था।
  • बाद में मुगल काल में जहाँगीर ने झील परिसर में दौलत बाग का निर्माण कराया, जिसे आज सुभाष उद्यान के रूप में भी जाना जाता है।
  • शाहजहाँ ने वर्ष 1637 में झील के चारों ओर संगमरमर की बारादरी (मंडप) का निर्माण करवाया, जिसने इसकी सौंदर्यात्मक महत्ता को और बढ़ा दिया।
  • यह झील एक महत्त्वपूर्ण शहरी आर्द्रभूमि के रूप में कार्य करती है और भूजल पुनर्भरण, बाढ़ नियंत्रण तथा स्थानीय सूक्ष्म जलवायु विनियमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


उत्तराखंड Switch to English

पानी बोओ, पानी उगाओ अभियान

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के रसायन विज्ञान शिक्षक मोहन चंद्र कांडपाल राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्राप्त करने वाले राज्य के पहले व्यक्ति बन गए हैं। उन्होंने “जल क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति (उत्तरी क्षेत्र)” श्रेणी में यह पुरस्कार प्राप्त किया।

मुख्य बिंदु

  • पानी बोआओ, पानी उगाओ पहल ने बागेश्वर और अल्मोड़ा ज़िलों में सामुदायिक भागीदारी, विशेष रूप से महिलाओं तथा बच्चों को संगठित किया। 
  • यह पहल हिमालयी ज़िलों में वसंत ऋतु के दौरान झरनों के सूखने, जल-संकट और संकटपूर्ण प्रवासन जैसी गंभीर समस्याओं को संबोधित करती है, जो जलवायु परिवर्तन तथा वनों की कटाई के प्रति संवेदनशील हैं।
  • इसके अंतर्गत 5,000 से अधिक पारंपरिक जल-संग्रहण संरचनाएँ (khals और chaals) निर्मित की गई हैं तथा पहले सूख चुके 27 जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया गया है।

राष्ट्रीय जल पुरस्कार

  • राष्ट्रीय जल पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2018 में जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा की गई थी। 
  • इसका उद्देश्य संपूर्ण भारत में जल संरक्षण, कुशल जल प्रबंधन और सतत् जल संसाधन प्रथाओं में अनुकरणीय कार्य को प्रोत्साहित करना है।
  • पुरस्कार के 6वें संस्करण में, सर्वोत्तम राज्य श्रेणी में महाराष्ट्र को पहला पुरस्कार मिला, उसके बाद गुजरात को दूसरा और हरियाणा को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ।
  • सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय (ULB) श्रेणी में नवी मुंबई नगर निगम (महाराष्ट्र) ने जल प्रबंधन में अपने अनुकरणीय कार्य के लिये प्रथम स्थान प्राप्त किया।

राजस्थान Switch to English

एशियाई कैराकल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में एक दुर्लभ एशियाई कैराकल देखा गया, जो भारत में इस प्रजाति के अस्तित्व के संरक्षण की संभावना को रेखांकित करता है।

मुख्य बिंदु

  • कैराकल के बारे में:
    • एशियाई कैराकल एक रात्रिचर और अत्यधिक मायावी जंगली बिल्ली है, जो आवागमन, आश्रय तथा शिकार के लिये झाड़ियों से ढके शुष्क भूमि पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर रहती है।

  • शिकार व्यवहार:
  • प्राकृतिक आवास:
    • यह अफ्रीका, मध्य पूर्व और मध्य एशिया में पाई जाती है तथा विरल वनस्पति वाले खुले, शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र में निवास करती है।
    • भारत में, यह राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से अर्द्ध-शुष्क झाड़ियों, खड्ड प्रणालियों, खुले घास के मैदानों तथा शुष्क पर्णपाती वन में पाई जाती है। 
    • थार रेगिस्तान क्षेत्र में इसकी उपस्थिति विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ इसका दिखना अत्यंत दुर्लभ है और इसकी आबादी बहुत ही विरल है।
  • संरक्षण की स्थिति:
    • वैश्विक दृष्टि से IUCN रेड लिस्ट के अनुसार यह प्रजाति सबसे कम चिंताजनक (Least Concern) श्रेणी में वर्गीकृत है।
    • भारत में पाई जाने वाली कैरकल सहित, कैराकल की संपूर्ण एशियाई आबादी को CITES परिशिष्ट I में सूचीबद्ध किया गया है। यह वर्गीकरण दर्शाता है कि यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है और इसके नमूनों का वाणिज्यिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आम तौर पर प्रतिबंधित है।
    • इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, अनुसूची I के तहत उच्चतम स्तर की कानूनी सुरक्षा प्राप्त है।


झारखंड Switch to English

धुर्वा बाँध

चर्चा में क्यों?

राँची के धुर्वा बाँध के पास रहने वाले निवासियों ने पुलिस से गश्त बढ़ाने और उस क्षेत्र में अक्सर आने वाले अनियंत्रित ड्राइवरों एवं समूहों द्वारा उत्पन्न उपद्रवकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया है।

मुख्य बिंदु

  • धुर्वा बाँध (जिसे हटिया बाँध के नाम से भी जाना जाता है) का निर्माण 1960 के दशक की शुरुआत में सुवर्णरेखा नदी पर किया गया था।
  • यह राँची शहर और आसपास के क्षेत्रों के लिये एक प्रमुख पेयजल स्रोत के रूप में कार्य करता है।
  • सुवर्णरेखा नदी:
    • यह नदी झारखंड के राँची ज़िले के नागरी गाँव के पास से निकलती है और लगभग 395 किमी की दूरी तय करने के बाद बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
    • इसका क्षेत्रफल झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में फैला हुआ है तथा यह छोटा नागपुर पठार (उत्तर-पश्चिम), बैतरणी बेसिन (दक्षिण), बंगाल की खाड़ी (दक्षिण-पूर्व) एवं कसाई घाटी (पूर्व) से घिरा हुआ है।
    • इसकी सहायक नदियों में खरकई (जमशेदपुर के पास सोनारी/दोमुहानी में मिलती है), कांची, करकरी, रोरो, हरमू, दमरा, सिंगडुबा, डुलुंगा हैं।
    • अपने मार्ग में यह हुंडरू जलप्रपात का निर्माण भी करती है।


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