उत्तर प्रदेश Switch to English
ULBs को राज्य क्षेत्रक योजना से वित्तीय अनुदान मिलेगा
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों सहित शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को शहरी विकास विभाग से अनुमोदन प्राप्त किये बिना 10 करोड़ रुपए तक की बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को सीधे निष्पादित करने का अधिकार दिया है।
- इस कदम का उद्देश्य वित्तीय बाधाओं को दूर करना तथा ULBs को अपने समुदायों की बुनियादी ढाँचे संबंधी आवश्यकताओं को, विशेष रूप से सार्वजनिक हित परियोजनाओं के लिये, पूरा करने में सक्षम बनाना है।
मुख्य बिंदु
- बुनियादी ढाँचे के कार्यों का विस्तारित क्षेत्र:
- प्रारंभ में शहरी विकास विभाग ने ULBs को जल निकासी कार्यों के लिये अधिक व्यय सीमा के साथ कार्य करने की अनुमति दी थी। अब इस लचीलेपन को विस्तारित करते हुए विभिन्न प्रकार के नागरिक निर्माण कार्यों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है।
- इस योजना के अंतर्गत अब निम्नलिखित प्रकार के कार्यों की अनुमति दी गई है:
- सीवरेज लाइनों, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, पंपिंग स्टेशन तथा जल आपूर्ति प्रणालियों का निर्माण तथा विस्तार।
- जल मीटर, ट्यूबवेल, ओवरहेड टैंक तथा वर्षा जल संचयन प्रणाली की स्थापना।
- जल पुनर्चक्रण तथा जल शोधन ढाँचा।
- अतिरिक्त अनुमेय कार्य: ULBs को निम्नलिखित परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिये भी अधिकृत किया गया है:
- जल निकायों से गाद निकालना।
- रिटेनिंग वॉल का निर्माण।
- वृक्षारोपण अभियान।
- सौर ऊर्जा आधारित प्रकाश व्यवस्था की स्थापना।
- वित्तीय प्रावधान:
- इन परियोजनाओं का वित्तपोषण ULBs को उपलब्ध बढ़ी हुई बजटीय आवंटन तथा राज्य क्षेत्रक योजना के अंतर्गत कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु उपलब्ध प्रावधानों के माध्यम से किया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बुनियादी ढाँचे के काम को पूरा करने के लिये धन आसानी से उपलब्ध हो ।


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उत्तर प्रदेश सरकार ने मक्का खेती की ओर बढ़ते रुझान को रेखांकित किया
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रगतिशील किसानों के बीच मक्का की खेती की ओर बढ़ती प्रवृत्ति को रेखांकित किया है, जिसका प्रमुख कारण इस फसल के आर्थिक लाभ, कम जल आवश्यकता तथा उच्च पोषणीय मूल्य को माना गया है।
मुख्य बिंदु
- मक्का के बारे में मुख्य तथ्य:
- मक्का को पानी की कम आवश्यकता होती है और यह महत्त्वपूर्ण पोषणीय लाभ प्रदान करता है, जिससे यह अनेक किसानों के लिये एक स्थायी विकल्प बन गया है।
- मक्का की बुवाई के लिये आदर्श समय 15 जून से 15 जुलाई तक है। यदि सिंचाई उपलब्ध है, तो मई के अंत में बुवाई शुरू की जा सकती है , जिससे भारी बारिश शुरू होने से पहले जल्दी विकास हो सके।
- आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने से मक्का की उपज 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच सकती है।
- वर्तमान में तमिलनाडु 59.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज के साथ अग्रणी है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह औसत 21.63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो वृद्धि की पर्याप्त संभावनाओं को दर्शाता है।
- परंपरागत रूप से मेंथा उत्पादन के लिये प्रसिद्ध बाराबंकी ज़िले में अब मक्का की खेती की ओर तीव्र रूप से झुकाव देखा जा रहा है।
- मक्का को इसके प्रचुर पोषक तत्त्वों, जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज के कारण "अनाज की रानी" माना जाता है।
- मक्का को स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, जैव ईंधन (biofuels) तथा बायोप्लास्टिक उत्पादन सहित अनेक उपयोगों के लिये उपयुक्त माना जाता है।
- सरकारी समर्थन:
- राज्य सरकार ने किसानों के लिये क्विक मक्का विकास कार्यक्रम शुरू किया है तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की भी घोषणा की है।
- वर्ष 2024-25 के लिये मक्का का MSP 2,225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
- मक्का की खरीद 15 जून से 31 जुलाई तक विभिन्न ज़िलों में की जाएगी।
- राज्य सरकार ने वर्ष 2027 तक मक्का उत्पादन को दुगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

