बिहार Switch to English
बिहार में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का समापन
चर्चा में क्यों?
4 से 15 मई 2025 तक सरकार की खेलो इंडिया पहल के तहत, खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का 7वाँ संस्करण बिहार में आयोजित किया गया।
मुख्य बिंदु
- खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 के बारे में:
- खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का आयोजन बिहार के पाँच ज़िलों ( पटना, राजगीर, बेगूसराय, गया और भागलपुर) में किया गया।
- जबकि तीन प्रमुख स्पर्द्धाएँ- जिमनास्टिक, शूटिंग और साइकिलिंग, नई दिल्ली में आयोजित की गईं थी।
- गजसिम्हा इस बार के खेलों का शुभंकर था।
- 12 दिवसीय यह आयोजन 27 खेलों में संपन्न हुआ, जिसमें कुल 285 स्वर्ण पदक प्रदान किये गये।
- शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य:
- महाराष्ट्र ने कुल 158 पदक (58 स्वर्ण, 47 रजत, 53 कांस्य) जीतकर पदक तालिका में पहला स्थान प्राप्त किया।
- यह राज्य अब तक 5 बार (2019, 2020, 2023, 2024, 2025) कुल पदकों में अग्रणी रहा है।
- हरियाणा 117 पदकों (39 स्वर्ण) के साथ दूसरे और राजस्थान 60 पदकों (24 स्वर्ण) के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
- बिहार का प्रदर्शन:
- मेज़बान बिहार ने कुल 36 पदक (7 स्वर्ण, 11 रजत, 18 कांस्य) जीते। खेलों के छठे संस्करण में 21वें स्थान पर रहने वाले बिहार ने इस वर्ष 6 स्थानों की छलांग लगाते हुए 15वाँ स्थान प्राप्त किया।
- यह पहली बार है जब बिहार ने इतने अधिक पदक जीते।
- महाराष्ट्र ने कुल 158 पदक (58 स्वर्ण, 47 रजत, 53 कांस्य) जीतकर पदक तालिका में पहला स्थान प्राप्त किया।
शीर्ष 10 राज्य / केंद्र शासित प्रदेश:
स्थान |
राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश |
स्वर्ण |
रजत |
कांस्य |
कुल पदक |
1 |
महाराष्ट्र |
58 |
47 |
53 |
158 |
2 |
हरियाणा |
39 |
27 |
51 |
117 |
3 |
राजस्थान |
24 |
12 |
24 |
60 |
4 |
कर्नाटक |
17 |
26 |
15 |
58 |
5 |
दिल्ली |
16 |
20 |
32 |
68 |
6 |
तमिलनाडु |
15 |
21 |
29 |
65 |
7 |
उत्तर प्रदेश |
14 |
20 |
18 |
52 |
8 |
केरल |
12 |
5 |
8 |
25 |
9 |
मणिपुर |
11 |
8 |
11 |
30 |
10 |
मध्य प्रदेश |
10 |
9 |
13 |
32 |
खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG)
- KIYG भारत में स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिये एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-विषयक खेल प्रतियोगिता है।
- प्रधानमंत्री ने वर्ष 2018 में नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एरिना में खेलो इंडिया स्कूल गेम्स के पहले संस्करण की शुरुआत की।
- वर्ष 2019 में इनका नाम बदलकर खेलो इंडिया यूथ गेम्स कर दिया गयाI
- ये भारत सरकार की खेलो इंडिया पहल का हिस्सा हैं।
- इसका उद्देश्य खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और ज़मीनी स्तर पर खेल प्रतिभाओं को पहचान दिलाना है।
- ये गेम्स दो श्रेणियों में आयोजित किये जाते हैं:
- 17 वर्ष से कम उम्र के स्कूली छात्र
- 21 वर्ष से कम उम्र के कॉलेज के छात्र।
- खेलो इंडिया ऐप
- वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री ने खेल और फिटनेस को बढ़ावा देने के लिये खेलो इंडिया ऐप लॉन्च किया था।
- यह ऐप लोगों को खेल आयोजनों के बारे में अपडेट रहने में मदद करता है और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में हरित शहरों का विकास
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के प्रमुख ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यटन शहरों को “ग्रीन सिटी” के रूप में विकसित करने हेतु योजना शुरू की है।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे मे:
- यह योजना नवीकरणीय ऊर्जा नीति 2025 के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत लाई गई है।
- नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, राज्य शासन और संबंधित नगर निकाय इसके क्रियान्वयन के लिये ज़िम्मेदार होंगे।
- योजना का उद्देश्य अगले दो वर्षों में मध्य प्रदेश के 10 प्रमुख शहरों को पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छ ऊर्जा के लिये मॉडल ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करना है।
- महेश्वर, चंदेरी, मांडू, ओरछा, अमरकंटक, भीमबेटका, ओंकारेश्वर और चित्रकूट जैसे ऐतिहासिक व धार्मिक शहर योजना में शामिल होंगे।
- सरकार ने इस पहल की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में साँची और खजुराहो से की है।
- हरित ऊर्जा का उपयोग
- इन शहरों में 75% बिजली की आपूर्ति सौर एवं अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से की जाएगी।
- धार्मिक स्थलों, स्कूलों, आंगनवाड़ियों, स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी संस्थानों में पूरी तरह हरित ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा।
- मुख्य विशेषताएँ:
- सभी स्ट्रीट लाइट्स सोलर से संचालित होंगी।
- हॉकर्स और वेंडर्स को सोलर लैंटर्न उपलब्ध कराए जाएंगे।
- बड़े उपभोक्ताओं (6 किलोवाट से अधिक) को सौर ऊर्जा अपनाने के लिये प्रोत्साहन और सहायता।
- बहुमंज़िला इमारतों में सोलर रूफटॉप अनिवार्य होगा।
- इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा और उनके चार्जिंग स्टेशनों में 50% ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से ली जाएगी।
- बायोगैस प्लांट और सामुदायिक सौर खेती को बढ़ावा।
- महत्त्व
- इस योजना से प्रदूषण में कमी आएगी और हरित ऊर्जा के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन घटेगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से राज्य की ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत होगी।
- ये स्थल स्वच्छ और ऊर्जा कुशल बनेंगे, जिससे पर्यटकों का आकर्षण बढ़ेगा।
- यह योजना मध्य प्रदेश के सतत विकास व स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य को मज़बूत करेगी।
नवीकरणीय ऊर्जा
- यह ऐसी ऊर्जा है, जो प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है। इसमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन, ज्वार, जल और बायोमास के विभिन्न प्रकारों को शामिल किया जाता है।
- उल्लेखनीय है कि यह कभी भी समाप्त नहीं हो सकती है और इसे लगातार नवीनीकृत किया जाता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों (जो कि दुनिया के काफी सीमित क्षेत्र में मौजूद हैं) की अपेक्षा काफी विस्तृत भू-भाग में फैले हुए हैं और ये सभी देशों को काफी आसानी हो उपलब्ध हो सकते हैं।
- ये न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इनके साथ कई प्रकार के आर्थिक लाभ भी जुड़े होते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs):
- परिचय: इलेक्ट्रिक वाहन ऐसे वाहन हैं जो पेट्रोल या डीजल से चलने वाले पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (ICE) के बजाय प्रणोदन के लिये एक या एक से अधिक इलेक्ट्रिक मोटरों का उपयोग करते हैं।
- यद्यपि इलेक्ट्रिक वाहनों की अवधारणा लंबे समय से चली आ रही है, ईंधन आधारित वाहनों के बढ़ते कार्बन उत्सर्जन और अन्य पर्यावरणीय प्रभावों के कारण पिछले दशक में इसमें व्यापक रूप से रुचि बढ़ी है।
- प्रकार:
- बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEVs): ये प्रणोदन के लिये पूरी तरह बैटरी शक्ति पर निर्भर होते हैं तथा शून्य टेलपाइप उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं।
- प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (PHEV): इनमें इलेक्ट्रिक मोटर के साथ ही गैसोलीन इंजन मौजूद होता है। इन्हें बाह्य रूप से चार्ज किया जा सकता है और सीमित दूरी तक बैटरी पावर पर चलाया जा सकता है, जबकि लंबी यात्राओं के लिये गैसोलीन इंजन का उपयोग किया जा सकता है।
- हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (HEVs): इनमें इलेक्ट्रिक मोटर और गैसोलीन इंजन दोनों का उपयोग होता है, लेकिन बैटरी को सीधे प्लग-इन कर चार्ज नहीं किया जा सकता।
- बैटरी को गैसोलीन इंजन या पुनर्योजी ब्रेकिंग (regenerative braking) के माध्यम से चार्ज किया जाता है।
हरियाणा Switch to English
पराली जलाने से निपटने के लिये CAQM की कार्य योजना
चर्चा में क्यों?
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को ज़िला और ब्लॉक स्तर पर 'पराली संरक्षण बल' स्थापित करने का निर्देश दिया है।
मुख्य बिंदु
- पराली सुरक्षा बल के बारे में:
- इसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ज़िला/ब्लॉक स्तर पर स्थापित किया जाएगा।
- इसमें पुलिस अधिकारी, कृषि अधिकारी और स्थानीय अधिकारी शामिल होंगे।
- इसे धान की पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम का कार्य सौंपा गया।
- उन्नत निगरानी उपाय:
- प्रभावी निगरानी और सहायता के लिये 50 किसानों के प्रत्येक समूह को समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।
- उल्लंघन करने वाले किसानों के भूमि अभिलेखों में लाल प्रविष्टियाँ दर्ज की जाएंगी।
- पराली जलाने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति जुर्माना लगाया जाएगा।
- प्रौद्योगिकी और फार्म मानचित्रण:
- गाँवों के सभी खेतों का मानचित्रण किया जाएगा ताकि पराली प्रबंधन, फसल विविधीकरण और चारे के रूप में उपयोग जैसी उपयुक्त विधियों का आकलन किया जा सके।
- धान के अवशेषों के उत्पादन, भंडारण और उपयोग पर नज़र रखने के लिये एक वास्तविक समय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा।
- मशीनरी समीक्षा और समर्थन:
- राज्य मौजूदा फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनों की समीक्षा करेंगे।
- अगस्त 2025 तक गैर-कार्यात्मक मशीनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा और वर्तमान उपकरणों की कमी का विश्लेषण किया जाएगा तथा नई मशीनें खरीदी जाएंगी।
- छोटे और सीमांत किसानों के लिये कस्टम हायरिंग केंद्रों के माध्यम से मशीनों का निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
- राज्य मौजूदा फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनों की समीक्षा करेंगे।
- भूसा भंडारण के लिये बुनियादी ढाँचा:
- राज्यों को पंचायत या सरकारी भूमि का उपयोग करके भंडारण सुविधाएँ बनानी होंगी।
- जैव ऊर्जा और खाद बनाने में धान की पराली के संग्रहण, भंडारण और उपयोग के लिये ज़िला स्तरीय आपूर्ति शृंखला विकसित करना।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग
- परिचय
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) एक वैधानिक निकाय है, जिसे वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के अंतर्गत गठित किया गया है।
- इसका गठन विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) एवं इससे लगे राज्यों – पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में वायु प्रदूषण से निपटने के उद्देश्य से किया गया।
- यह वायु गुणवत्ता सूचकांक से जुड़ी समस्याओं की पहचान, अनुसंधान, समन्वय और समाधान सुनिश्चित करता है तथा NCR और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के कारणों एवं प्रभावों का समग्र प्रबंधन करता है।
- संरचना: आयोग की संरचना में निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं:
- एक अध्यक्ष
- केंद्र सरकार के दो संयुक्त सचिव
- वायु प्रदूषण के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले तीन स्वतंत्र तकनीकी सदस्य
- तीन गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि
- कार्य:
- दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों द्वारा की गई कार्रवाइयों का समन्वय करना।
- वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये योजनाएँ बनाना और लागू करना।
- वायु प्रदूषकों की पहचान हेतु रूपरेखा तैयार करना।
- तकनीकी संस्थानों के साथ अनुसंधान और विकास में सहयोग करना।
- वायु प्रदूषण प्रबंधन हेतु विशेष कार्यबल का गठन और प्रशिक्षण।
- वृक्षारोपण बढ़ाने और पराली जलाने की समस्या के समाधान हेतु कार्य योजनाएँ तैयार करना।
पराली जलाना
- पराली जलाना धान की फसल के अवशेषों को खेत से हटाने की एक विधि है, जिसका उपयोग सितंबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर तक गेहूँ की बुवाई के लिये किया जाता है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के साथ ही होता है।
- पराली जलाना धान, गेहूँ आदि जैसे अनाज की कटाई के बाद बचे पुआल के ठूंठ को आग लगाने की एक प्रक्रिया है। आमतौर पर इसकी आवश्यकता उन क्षेत्रों में होती है जहाँ संयुक्त कटाई पद्धति का उपयोग किया जाता है, जिससे फसल अवशेष बच जाते हैं।
झारखंड Switch to English
उच्च न्यायालय ने पॉलिसी विवरण के बिना तीसरे पक्ष के दावों की अनुमति दी
चर्चा में क्यों?
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम हेमलता सिन्हा मामले (2025) में, झारखंड उच्च न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि परिवार के कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के बाद, आश्रितों को अक्सर पॉलिसी विवरणों का अभाव होता है, लेकिन केवल यही तीसरे पक्ष के बीमा दावे को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता।
- यह निर्णय भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के उपभोक्ता संरक्षण ढाँचे और 2047 तक 'सभी के लिये बीमा' प्राप्त करने के उसके लक्ष्य के अनुरूप है।
मुख्य बिंदु
- IRDAI के बारे में:
- इसकी स्थापना वर्ष 1999 में IRDAI अधिनियम, 1999 के तहत की गई थी।
- यह एक नियामक संस्था है और इसका गठन बीमा ग्राहकों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से किया गया है।
- यह वित्त मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।
- यह बीमा से संबंधित गतिविधियों की निगरानी करते हुए बीमा उद्योग के विकास को नियंत्रित और देखता है।
- प्राधिकरण की शक्तियाँ और कार्य IRDAI अधिनियम, 1999 और बीमा अधिनियम, 1938 में निर्धारित हैं।
- वर्ष 2047 तक सभी के लिये बीमा
- IRDAI का लक्ष्य वर्ष 2047 तक 'सभी के लिये बीमा' प्राप्त करना है।
- 3 स्तंभ: बीमा ग्राहक (पॉलिसीधारक), बीमा प्रदाता (बीमाकर्त्ता) और बीमा वितरक (मध्यस्थ)
- तृतीय-पक्ष बीमा
- तृतीय-पक्ष बीमा एक प्रकार का देयता कवरेज है, जिसमें बीमाधारक (प्रथम पक्ष) किसी अन्य व्यक्ति (तृतीय पक्ष) द्वारा किये गए दावों के विरुद्ध बीमाकर्त्ता (द्वितीय पक्ष) से सुरक्षा खरीदता है।
- यह तीसरे पक्ष को हुई क्षति या हानि के लिये प्रथम पक्ष के कानूनी दायित्व को कवर करता है, भले ही प्रथम पक्ष की गलती हो।
- इसमें दुर्घटना पीड़ितों या उनके परिवारों को मुआवज़ा देने का प्रावधान है।
- मोटर वाहन अधिनियम, 2019 के तहत भारत में सभी मोटर वाहनों के लिये यह अनिवार्य है।
उत्तराखंड Switch to English
पुष्कर कुंभ 2025
चर्चा में क्यों?
पुष्कर कुंभ 12 वर्षों के बाद माणा गाँव (चमोली ज़िला) के केशव प्रयाग में शुरू हुआ है, जिसमें बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आ रहे हैं।
मुख्य बिंदु
पुष्कर कुंभ के बारे में:
- यह आयोजन भारत-चीन सीमा पर उत्तराखंड के अंतिम गाँव माणा गाँव में अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम केशव प्रयाग में आयोजित किया जाता है।
- पुष्कर कुंभ, जो बृहस्पति के मिथुन राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है, हिंदू परंपरा में एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है, जो विशेष रूप से दक्षिण भारत से वैष्णव भक्तों को आकर्षित करता है।
- हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने केशव प्रयाग में तपस्या करते हुए महाकाव्य महाभारत की रचना की थी।
- यह भी माना जाता है कि रामानुजाचार्य और माधवाचार्य को इस पवित्र स्थल पर देवी सरस्वती से दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था।
महत्त्व:
- हालांकि, प्रयागराज और हरिद्वार जैसे शहरों में होने वाले पारंपरिक कुंभ मेलों की तुलना में माणा में होने वाला पुष्कर कुंभ छोटा होता है, लेकिन यह उत्तरी और दक्षिणी भारत के बीच एक सार्थक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित करता है।
- यह राष्ट्र की आध्यात्मिक एकता को मज़बूत करने के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के महत्त्व पर भी प्रकाश डालता है।