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पराली जलाने से निपटने के लिये CAQM की कार्य योजना
चर्चा में क्यों?
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को ज़िला और ब्लॉक स्तर पर 'पराली संरक्षण बल' स्थापित करने का निर्देश दिया है।
मुख्य बिंदु
- पराली सुरक्षा बल के बारे में:
- इसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ज़िला/ब्लॉक स्तर पर स्थापित किया जाएगा।
- इसमें पुलिस अधिकारी, कृषि अधिकारी और स्थानीय अधिकारी शामिल होंगे।
- इसे धान की पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम का कार्य सौंपा गया।
- उन्नत निगरानी उपाय:
- प्रभावी निगरानी और सहायता के लिये 50 किसानों के प्रत्येक समूह को समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।
- उल्लंघन करने वाले किसानों के भूमि अभिलेखों में लाल प्रविष्टियाँ दर्ज की जाएंगी।
- पराली जलाने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति जुर्माना लगाया जाएगा।
- प्रौद्योगिकी और फार्म मानचित्रण:
- गाँवों के सभी खेतों का मानचित्रण किया जाएगा ताकि पराली प्रबंधन, फसल विविधीकरण और चारे के रूप में उपयोग जैसी उपयुक्त विधियों का आकलन किया जा सके।
- धान के अवशेषों के उत्पादन, भंडारण और उपयोग पर नज़र रखने के लिये एक वास्तविक समय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा।
- मशीनरी समीक्षा और समर्थन:
- राज्य मौजूदा फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनों की समीक्षा करेंगे।
- अगस्त 2025 तक गैर-कार्यात्मक मशीनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा और वर्तमान उपकरणों की कमी का विश्लेषण किया जाएगा तथा नई मशीनें खरीदी जाएंगी।
- छोटे और सीमांत किसानों के लिये कस्टम हायरिंग केंद्रों के माध्यम से मशीनों का निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
- राज्य मौजूदा फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनों की समीक्षा करेंगे।
- भूसा भंडारण के लिये बुनियादी ढाँचा:
- राज्यों को पंचायत या सरकारी भूमि का उपयोग करके भंडारण सुविधाएँ बनानी होंगी।
- जैव ऊर्जा और खाद बनाने में धान की पराली के संग्रहण, भंडारण और उपयोग के लिये ज़िला स्तरीय आपूर्ति शृंखला विकसित करना।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग
- परिचय
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) एक वैधानिक निकाय है, जिसे वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के अंतर्गत गठित किया गया है।
- इसका गठन विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) एवं इससे लगे राज्यों – पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में वायु प्रदूषण से निपटने के उद्देश्य से किया गया।
- यह वायु गुणवत्ता सूचकांक से जुड़ी समस्याओं की पहचान, अनुसंधान, समन्वय और समाधान सुनिश्चित करता है तथा NCR और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के कारणों एवं प्रभावों का समग्र प्रबंधन करता है।
- संरचना: आयोग की संरचना में निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं:
- एक अध्यक्ष
- केंद्र सरकार के दो संयुक्त सचिव
- वायु प्रदूषण के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले तीन स्वतंत्र तकनीकी सदस्य
- तीन गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि
- कार्य:
- दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों द्वारा की गई कार्रवाइयों का समन्वय करना।
- वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये योजनाएँ बनाना और लागू करना।
- वायु प्रदूषकों की पहचान हेतु रूपरेखा तैयार करना।
- तकनीकी संस्थानों के साथ अनुसंधान और विकास में सहयोग करना।
- वायु प्रदूषण प्रबंधन हेतु विशेष कार्यबल का गठन और प्रशिक्षण।
- वृक्षारोपण बढ़ाने और पराली जलाने की समस्या के समाधान हेतु कार्य योजनाएँ तैयार करना।
पराली जलाना
- पराली जलाना धान की फसल के अवशेषों को खेत से हटाने की एक विधि है, जिसका उपयोग सितंबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर तक गेहूँ की बुवाई के लिये किया जाता है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के साथ ही होता है।
- पराली जलाना धान, गेहूँ आदि जैसे अनाज की कटाई के बाद बचे पुआल के ठूंठ को आग लगाने की एक प्रक्रिया है। आमतौर पर इसकी आवश्यकता उन क्षेत्रों में होती है जहाँ संयुक्त कटाई पद्धति का उपयोग किया जाता है, जिससे फसल अवशेष बच जाते हैं।