उत्तराखंड
पुष्कर कुंभ 2025
- 17 May 2025
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चर्चा में क्यों?
पुष्कर कुंभ 12 वर्षों के बाद माणा गाँव (चमोली ज़िला) के केशव प्रयाग में शुरू हुआ है, जिसमें बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आ रहे हैं।
मुख्य बिंदु
पुष्कर कुंभ के बारे में:
- यह आयोजन भारत-चीन सीमा पर उत्तराखंड के अंतिम गाँव माणा गाँव में अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम केशव प्रयाग में आयोजित किया जाता है।
- पुष्कर कुंभ, जो बृहस्पति के मिथुन राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है, हिंदू परंपरा में एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है, जो विशेष रूप से दक्षिण भारत से वैष्णव भक्तों को आकर्षित करता है।
- हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने केशव प्रयाग में तपस्या करते हुए महाकाव्य महाभारत की रचना की थी।
- यह भी माना जाता है कि रामानुजाचार्य और माधवाचार्य को इस पवित्र स्थल पर देवी सरस्वती से दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था।
महत्त्व:
- हालांकि, प्रयागराज और हरिद्वार जैसे शहरों में होने वाले पारंपरिक कुंभ मेलों की तुलना में माणा में होने वाला पुष्कर कुंभ छोटा होता है, लेकिन यह उत्तरी और दक्षिणी भारत के बीच एक सार्थक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित करता है।
- यह राष्ट्र की आध्यात्मिक एकता को मज़बूत करने के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के महत्त्व पर भी प्रकाश डालता है।