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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. हिंद महासागर 21वीं सदी के रणनीतिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों की विवेचना कीजिये तथा अपने रणनीतिक हितों की रक्षा के लिये भारत की तैयारियों का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)

    22 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • हिंद महासागर के सामरिक महत्त्व का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • अपने सामरिक हितों की रक्षा के लिये भारत की तैयारियों का मूल्यांकन कीजिये।
    • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    अफ्रीका, मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाला हिंद महासागर 21वीं सदी की भू-राजनीति का केंद्र बन गया है। वैश्विक तेल व्यापार का लगभग 80% और समुद्री व्यापार का 60% इसके महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों से होकर गुज़रता है, जिनमें होर्मुज़, मलक्का एवं बाब-अल-मंदेब जलडमरूमध्य शामिल हैं। 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा के साथ इसके केंद्र में स्थित भारत के लिये यह क्षेत्र एक भू-रणनीतिक अवसर और एक सुरक्षा चुनौती दोनों है, जिसके लिये बहुआयामी तैयारियों की आवश्यकता है।

    मुख्य भाग:

    हिंद महासागर का सामरिक महत्त्व

    • ऊर्जा जीवनरेखा: वैश्विक तेल का 65% से अधिक और कंटेनर यातायात का 50% हिंद महासागर क्षेत्र से होकर गुज़रता है, जो इसे वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण बनाता है।
    • आर्थिक और संसाधन क्षमता: इस क्षेत्र में समृद्ध हाइड्रोकार्बन भंडार, मत्स्य भंडार और समुद्री खनिज हैं, जो लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत हैं।
    • भू-राजनीतिक रंगमंच: हिंद-प्रशांत क्षेत्र के उदय के साथ अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसी प्रमुख शक्तियाँ अपनी रणनीतिक भागीदारी बढ़ा रही हैं।
    • भारत की केंद्रीयता: भारत की भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक समुद्री संपर्क इसे हिंद महासागर क्षेत्र में स्वाभाविक रूप से सुरक्षा प्रदाता बनाते हैं।

    उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ

    • भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति के तहत चीन की बढ़ती उपस्थिति और जिबूती में उसका नौसैनिक अड्डा भारत के प्रभाव को चुनौती देते हैं।
      • QUAD और BRI कार्यढाँचों के बीच प्रतिस्पर्द्धा एक गहन होती शक्ति प्रतियोगिता को दर्शाती है।
    • समुद्री डकैती और समुद्री अपराध: वैश्विक गश्त के बावजूद, सोमालिया स्थित समुद्री डकैती, मानव तस्करी और हथियारों की तस्करी समुद्री मार्गों के लिये खतरा बनी हुई है।
    • आतंकवाद और गैर-पारंपरिक खतरे: वर्ष 2008 के मुंबई हमलों ने तटीय सुरक्षा की कमज़ोरियों को उजागर किया।
      • समुद्री मार्गों का प्रयोग मादक द्रव्यों के व्यापार और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिये तेज़ी से हो रहा है।
    • पर्यावरणीय और जलवायु जोखिम: अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित (IUU) मात्स्यिकी, तेल रिसाव एवं प्रवाल भित्तियों का विनाश समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को खतरे में डालता है।
      • समुद्र का बढ़ता स्तर छोटे द्वीपीय देशों के लिये अस्तित्व का खतरा उत्पन्न करता है।
    • तकनीकी और साइबर चुनौतियाँ: समुद्र के नीचे केबलों, स्वायत्त जहाज़ों और समुद्री AI प्रणालियों पर बढ़ती निर्भरता नई साइबर कमज़ोरियों को उजागर करती है।

    भारत की तैयारी और रणनीतिक पहल

    • नौसेना आधुनिकीकरण और क्षमता निर्माण: INS विक्रांत, अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों एवं उन्नत पनडुब्बियों के लिये प्रोजेक्ट 75(I) का शामिल होना।
      • मिशन SAGAR और भारतीय नौसेना के HADR अभियान एक ज़िम्मेदार समुद्री शक्ति के रूप में भारत की भूमिका को दर्शाते हैं।
    • समुद्री क्षेत्र जागरूकता (MDA): सूचना संलयन केंद्र– हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) और तटीय रडार शृंखलाओं की स्थापना से वास्तविक काल की निगरानी में वृद्धि होती है।
    • क्षेत्रीय सहयोग और कूटनीति: QUAD, IORA, BIMSTEC तथा हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) के माध्यम से सक्रिय भागीदारी।
    • संयुक्त गश्त एवं रसद सहायता के लिये सेशेल्स, मॉरीशस और श्रीलंका के साथ रक्षा सहयोग।
    • बुनियादी अवसंरचना और संपर्क: अंडमान और निकोबार कमान का त्रि-सेवा थिएटर के रूप में विकास।
      • सागरमाला और प्रोजेक्ट मौसम भारत की समुद्री संपर्क एवं सांस्कृतिक कूटनीति को सुदृढ़ करते हैं।
      • चाबहार बंदरगाह (ईरान) और दुकम (ओमान) तक रणनीतिक अभिगम्यता परिचालन क्षमता को बढ़ाती है।

    निष्कर्ष:

    हिंद महासागर अब केवल व्यापार का माध्यम नहीं रह गया है, बल्कि यह वैश्विक शक्ति-संतुलन को परिभाषित करने वाला एक सामरिक क्षेत्र बन गया है। भारत का केंद्रीय भौगोलिक स्थान, नौसैनिक शक्ति तथा लोकतांत्रिक विश्वसनीयता इसे इस क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण स्थिरकारी शक्ति के रूप में स्थापित करते हैं। अपने सामरिक हितों की रक्षा के लिये भारत को कठोर शक्ति के आधुनिकीकरण को सहयोगात्मक समुद्री कूटनीति के साथ संयोजित करने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हिंद महासागर शांति, समृद्धि एवं स्थिरता का क्षेत्र बना रहे।

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