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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में सरकार द्वारा गठित आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने कृषकों के हितों को देखते हुए FPOs के गठन को स्वीकृति प्रदान की है। FPOs से होने वाले लाभों की चर्चा करते हुए इसके समक्ष आने वाले चुनौतियों को रेखांकित करें।

    04 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • FPO की स्थापना से लाभ

    • चुनौतियाँ

    • निष्कर्ष

    प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने किसानों के लिये अर्थव्यवस्था के व्यापक लाभ सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2021-2022 से 2023-24 की पाँच वर्ष की अवधि के दौरान 10,000 नए FPOs के गठन को अपनी स्वीकृति के दी है। अशोक दलवई की अध्यक्षता में किसानों की आय की दोगुना करने हेतु गठित समिति की रिपोर्ट में वर्ष 2022 तक 7,000 FPOs के गठन की सिफारिश की गई।

    FPOs या कृषक उत्पादक संगठन, सहकारी समितियों तथा निखी लिमिटेड कंपनियों का मिश्रित रूप हैं, जिसमें सदस्यों के बीच लाभ की साझेदारी होती हैं। इसका गठन उत्पादकों के समूह द्वारा कृषि या गैर-कृषि क्रियाकलापों के लिये किया जाता है। इसमें कृषि से संबंधित अनेक चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान करने के लिये उत्पादकों, विशेष रूप से छोटे तथा सीमांत किसानाें का समूह बनाया जाता है। वर्तमान में लगभग 5000 FPOs अस्तित्व में है, जो भारत सरकार, राज्य सरकार, नाबार्ड तथा अन्य संगठनों की विभिन्न पहलों के अंतर्गत गठित किये गए। 

    FPOs की स्थापना से लाभ

    • सामूहीकरण से थोक दरों पर कृषि के लिये सभी आवश्यक आदानों को खरीद से उत्पादन लागत में कमी आयेगी।
    • परिवहन एकत्रीकरण से विपणन लागत में कमी से उत्पादकों की शुद्ध आय में वृद्धि।
    • आधुनिक प्रौद्योगिकियों, क्षमता निर्माण तथा प्रशिक्षण से किसानों का विकास।
    • मूल्य संवर्द्धन और मूल्य श्रृंखला के कुशल प्रबंधन से उपज की हानि में कमी।
    • अनुबंध कृषि से मूल्य में उतार-चढ़ाव को प्रबंधित करना।
    • मूल्यों तथा अन्य जानकारियों के प्रसार के लिये संचार में आसानी।
    • बिना संपत्ति गिरवी रखे वित्तीय संसाधनों तक पहुंच और सामाजिक पूंजी निर्माण।

    चुनौतियाँ: 

    • पेशेवर प्रबंधन का अभाव।
    • सामान्यतया छोटे और सीमांत किसानों द्वारा संचालित होने के कारण इनकी वित्तीय स्थिति कमज़ोर होती है।
    • ऋण सुविधाओं तक अपर्याप्त पहुँच।
    • कृषक उत्पादक संगठनों के व्यावसायिक जोखिमों को कम करने का कोई प्रावधान नहीं है। केवल उत्पादन से संबंधित जोखिम फसल, पशु और अन्य बीमा के अंतर्गत आंशिक रूप से सुरक्षित है।
    • बज़ारों तक अपर्याप्त पहुँच के कारण कमज़ोर विपणन से किसानों की आय में वृद्धि नहीं हो पाती।
    • कमज़ोर तथा अपर्याप्त आधारभूत संरचना।

    उपरोक्त से स्पष्ट है कि APMC अधिनियम में संशोधन किये जाने की आवश्यकता है ताकि सम्पूर्ण देश को एकल तथा एकीकृत  बाज़ार के रूप में परिवर्तित किया था सके, जिससे FPOs उपभोक्ताओं तथा थोक खरीदारों को सीधे उत्पाद का विक्रय कर सकें।

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