ध्यान दें:





डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य

  • 28 Jul 2025
  • 75 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, मुद्रास्फीति, चालू खाता घाटा, सकल राजकोषीय घाटा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और समष्टि आर्थिक संकेतक, मुद्रास्फीति और राजकोषीय अनुशासन, राज्य वित्त

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक के "स्टेट ऑफ द इकॉनॉमी" शीर्षक वाले लेख में वैश्विक और व्यापार से जुड़ी अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति एक सावधानीपूर्ण आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है।

भारत की वर्तमान आर्थिक स्थिति क्या है? 

  • मुद्रास्फीति: खुदरा मुद्रास्फीति (जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) से मापा जाता है) वर्ष 2023–24 में 5.4% से घटकर जून 2025 में 2.1% पर आ गई, जो जनवरी 2019 के बाद सबसे निम्न स्तर है।
    • जून 2025 में, कोर मुद्रास्फीति 4.4% तक बढ़ गई, जिसका कारण व्यक्तिगत देखभाल, शिक्षा और मनोरंजन सेवाओं की बढ़ती लागत रही, जबकि समग्र मुद्रास्फीति ग्रामीण क्षेत्रों (1.7%) में शहरी क्षेत्रों (2.6%) की तुलना में अधिक तेज़ी से घटी।
  • भुगतान संतुलन: भारत ने वर्ष 2024–25 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 1.3% चालू खाता अधिशेष दर्ज किया।
  • राजकोषीय विकास: सकल राजकोषीय घाटा (GFD) वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान का 0.8% रहा, जो 2024-25 के 3.1% की तुलना में एक उल्लेखनीय सुधार है।
    • मई 2025 तक, केंद्र सरकार को वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान (BE) का 21% कुल प्राप्तियों के रूप में प्राप्त हुआ। कुल व्यय वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान का 14.7% रहा, जिसमें पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) पर विशेष ध्यान दिया गया।
  • व्यापार प्रदर्शन (Trade Performance): मई 2025 में भारत का कुल व्यापार घाटा लगभग 30% घट गया, जिसका मुख्य कारण तेल की कीमतों में गिरावट और सेवाओं के निर्यात में मज़बूती रही।
    • मई 2024 की तुलना में मई 2025 में कुल निर्यात में 2.8% की वृद्धि हुई, जिसमें सेवाओं के निर्यात में 9.4% की वृद्धि ने प्रमुख भूमिका निभाई, जबकि कुल आयात में 1% की गिरावट दर्ज की गई।
    • वित्त वर्ष 2024–25 में भारत के निर्यात प्रदर्शन को कॉफी, तंबाकू, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ, चावल और औषधि एवं फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में मज़बूत वृद्धि ने बढ़ावा दिया।
      • टेक्सटाइल के रेडीमेड गारमेंट्स (RMG), प्लास्टिक व लिनोलियम, इंजीनियरिंग वस्तुएँ और फल एवं सब्ज़ियाँ जैसे अन्य क्षेत्रों में भी सकारात्मक वृद्धि देखी गई।
    • इस वर्ष अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, संयुक्त अरब अमीरात और फ्राँस शीर्ष निर्यात गंतव्य के रूप में उभरे।
    • वहीं आयात के मामले में भारत के प्रमुख स्रोत देशों में यूएई, चीन, थाईलैंड, अमेरिका और रूस शामिल रहे।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): वित्त वर्ष 2024-2025 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में पिछले वर्ष (FY24) की तुलना में 14% की वृद्धि दर्ज की गई, जो कि वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में 125% अधिक है।
    • सेवा क्षेत्र ने 19% इक्विटी निवेश के साथ अग्रणी स्थान प्राप्त किया, उसके बाद सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (16%) तथा व्यापार (8%) का स्थान रहा।
    • निर्माण क्षेत्र में FDI में वित्त वर्ष 2024-2025 की तुलना में वित्त वर्ष 2023-2024 के मुकाबले 18% की वृद्धि हुई। राज्यों में महाराष्ट्र ने 39% निवेश आकर्षित करके शीर्ष स्थान प्राप्त किया, जबकि देशों में सिंगापुर 30% निवेश के साथ सबसे बड़ा स्रोत रहा, उसके बाद मॉरीशस और अमेरिका का स्थान रहा।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI): भारत ने वित्त वर्ष 2023–24 (FY24) में 44.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सकारात्मक निवल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) प्रवाह का अनुभव किया।
  • बाह्य ऋण: भारत का बाह्य ऋण वर्ष 2025 में वर्ष 2024 की तुलना में 10% बढ़ा और ऋण-से-जीडीपी (Debt-to-GDP) अनुपात वित्त वर्ष 2023–24 के 18.5% से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-2025 में लगभग 19.1% हो गया।
  • विदेशी मुद्रा भंडार: जुलाई 2025 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 696 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 11 महीनों से अधिक के वस्तु आयात और 95% बाह्य ऋण को शामिल करने में सक्षम है।

वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?

  • वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियाँ (Global Headwinds):
    • भूराजनीतिक और व्यापारिक तनाव: ईरान-इज़राइल के बीच जारी संघर्ष और अमेरिका की टैरिफ नीतियों को लेकर अनिश्चितता के चलते वैश्विक माहौल अस्थिर बना हुआ है।
      • वैश्विक टैरिफ दरें 1930 के दशक के स्तर तक पहुँच सकती हैं, जिससे भारत के आयात लागत में वृद्धि और मुद्रास्फीति में और तेज़ी आ सकती है।
    • कमज़ोर वैश्विक विश्वास: उपभोक्ताओं और व्यवसायों का विश्वास पूरे विश्व में कमज़ोर बना हुआ है, जिससे वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार की गति धीमी हो रही है।  
      • इसका सीधा असर भारत के निर्यात पर पड़ता है, विशेष रूप से विनिर्माण और IT सेवाओं जैसे क्षेत्रों में।
    • दीर्घकालिक वैश्विक मुद्रास्फीति: विकसित देशों में मुद्रास्फीति बढ़ी है और ब्राज़ील व रूस जैसे उभरते बाज़ारों में यह उच्च स्तर पर बनी हुई है।
      • इससे वैश्विक मौद्रिक नीति और कड़ी हो सकती है, जो भारत में विदेशी पूंजी प्रवाह को सीमित कर सकती है और उधार लेने की लागत को बढ़ा सकती है।
  • घरेलू गतिविधियाँ:
    • औद्योगिक मंदी: मई 2025 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) की वृद्धि दर घटकर 1.2% रह गई, जो अगस्त 2024 के बाद सबसे निचला स्तर है।
      • यह रोज़गार सृजन में बाधा उत्पन्न करता है और औद्योगिक एवं विनिर्माण क्षेत्रों की गति को कमज़ोर करता है।
    • ऋण वृद्धि में गिरावट: बैंकों द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और उद्योग को दिये गए ऋण में गिरावट दर्ज की गई।
      • सितंबर 2024 तिमाही में NBFC द्वारा ऋण वितरण में वर्ष-दर-वर्ष 13% की गिरावट आई। शहरी ऋण स्वीकृतियों में 23% की गिरावट और दीर्घकालिक ऋणों में 50% की गिरावट हुई।
      • प्रतिभूतियों के विरुद्ध ऋण और शिक्षा ऋण में भी तीव्र गिरावट देखी गई। यह व्यवसायिक निवेश को सीमित करता है और आर्थिक विकास की गति को धीमा करता है।
    • धीमी GST राजस्व वृद्धि: जून 2025 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह में केवल लगभग 6% की वृद्धि हुई, जो पिछले चार वर्षों में सबसे धीमी रही।
      • यह घटती मांग, सतर्क व्यापारिक दृष्टिकोण और सरकारी वित्त पर बढ़ते दबाव को दर्शाता है।
    • श्रम बाज़ार में दबाव: जून 2025 में बेरोज़गारी दर 5.6% पर स्थिर रही, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के अवकर्ष (Lean) मौसम और अत्यधिक गर्मी के कारण श्रम भागीदारी घट गई।
      • यह ग्रामीण रोज़गार में तनाव का संकेत देता है, जो ग्रामीण खपत और समग्र मांग को प्रभावित कर सकता है।
    • राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति: ऋण माफी और निशुल्क सेवाओं के कारण राज्यों पर सब्सिडी का बोझ बढ़ रहा है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ता है तथा बुनियादी अवसरंचना के लिये धन आवंटन में कटौती होती है।

आगे की राह

  • व्यापार समझौतों में शीघ्रता: अमेरिका जैसे प्रमुख साझेदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) को शीघ्रता से अंतिम रूप दें, ताकि शुल्क वृद्धि के प्रभाव को कम किया जा सके और नए बाज़ार खोले जा सकें।
    • निर्यात अवसंरचना, बंदरगाह दक्षता और गुणवत्ता प्रमाणन में निवेश करें ताकि भारतीय उत्पाद वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा कर सकें।
  • ग्रामीण मांग और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देना: कृषि के अवकर्ष मौसम और हीटवेव के दौरान ग्रामीण रोज़गार कार्यक्रमों का विस्तार करना।
    • केवल नकद हस्तांतरणों से आगे बढ़ते हुए, ग्रामीण युवाओं एवं महिलाओं के लिये  कौशल विकास और गैर-कृषि आजीविका सहायता पर ध्यान केंद्रित करना। कृषि को अधिक अनुकूल बनाने के लिये सिंचाई, कोल्ड स्टोरेज और बाज़ार से जुड़ाव को बेहतर बनाना।
  • विकास का समर्थन करते हुए मैक्रो स्थिरता बनाए रखना: मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिये आपूर्ति-संबंधी उपायों को अपनाना और राजकोषीय अनुशासन की निर्धारित दिशा बनाए रखना।
    • नीतियों को स्थिर और निवेशकों के अनुकूल बनाए रखें ताकि पूंजी प्रवाह सुनिश्चित हो सके। ऊर्जा और प्रौद्योगिकी जैसे आवश्यक आयातों को समर्थन देने के लिये विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करना।

निष्कर्ष

भारत को अनुशासित, स्थिर और राज्य-प्रेरित क्रियान्वयन की आवश्यकता है। कल्याण और पूंजी निवेश के साथ-साथ निर्यात एवं घरेलू मांग के बीच संतुलन स्थापित करना, मौजूदा चुनौतियों को दीर्घकालिक विकास के अवसरों में रूपांतरित करने की महत्त्वपूर्ण रणनीति होगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. 'आठ मूल उद्योगों के सूचकांक (इंडेक्स ऑफ एट कोर इंडस्ट्रीज़)' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है? (2015)

(a) कोयला उत्पादन
(b) विद्युत् उत्पादन
(c) उर्वरक उत्पादन
(d) इस्पात उत्पादन

उत्तर: (b)


प्रश्न. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP में वृद्धि आर्थिक विकास की ऊँची स्तर का संकेत नहीं करती, यदि: (2018)

(a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(b) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(c) निर्धनता और बेरोज़गारी में वृद्धि होती है।
(d) निर्यात की अपेक्षा आयात तेज़ी से बढ़ता है।

उत्तर: (c)


प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत के कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं क्योंकि: (2019)

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
(b) कीमत- स्तर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणवत्ता अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।

उत्तर: (b)


मेन्स 

प्रश्न. क्या आप सहमत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाल ही में V-आकार के पुनरुत्थान का अनुभव किया है ? कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये। (2021)

प्रश्न. क्या आप इस मत से सहमत हैं कि स्थिर सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न  मुद्रास्फीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (2019)

प्रश्न. "सुधार के बाद की अवधि में औद्योगिक विकास दर सकल-घरेलू-उत्पाद (जीडीपी) की समग्र वृद्धि से पीछे रह गई है" कारण बताइये। औद्योगिक नीति में हालिया बदलाव औद्योगिक विकास दर को बढ़ाने में कहाँ तक ​​सक्षम हैं? (2017)

close
Share Page
images-2
images-2