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भारतीय अर्थव्यवस्था

भू-तापीय ऊर्जा पर भारत की प्रथम राष्ट्रीय नीति

  • 27 Oct 2025
  • 60 min read

प्रिलिम्स: नवीकरणीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, 500-गीगावाट गैर-जीवाश्म, सौर ऊर्जा, लघु जल विद्युत, बायोमास ऊर्जा, ग्रिड अवसंरचना, हरित हाइड्रोजन, ट्रांसमिशन लाइनें

मेन्स: नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने का महत्त्व, भारत के लिये भूतापीय ऊर्जा का महत्त्व

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स

चर्चा में क्यों?

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने भारत की पहली राष्ट्रीय भूतापीय ऊर्जा नीति 2025 प्रारंभ की है, जिसका उद्देश्य भारत की विशाल लेकिन कम उपयोग की गई भूतापीय क्षमता का दोहन करके देश की शुद्ध शून्य लक्ष्य 2070 की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाना, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और अपने नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाना है।

राष्ट्रीय भूतापीय ऊर्जा नीति 2025 की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • अनुप्रयोग का व्यापक दायरा: यह नीति भूतापीय ऊर्जा विकास के सभी प्रमुख पहलुओं को शामिल करती है, जिनमें शामिल हैं:
    • भूतापीय संसाधन मूल्यांकन
    • विद्युत उत्पादन प्रणालियाँ
    • प्रत्यक्ष-उपयोग 
    • भू (भूतापीय) स्रोत ऊष्मा पंप (GSHP)
    • भूतापीय ऊर्जा निष्कर्षण हेतु परित्यक्त तेल और गैस कूपों के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
    • सिलिका, बोरेक्स, सीज़ियम और लिथियम जैसे मूल्यवान खनिज उप-उत्पादों के उत्खनन को खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम (MMDR अधिनियम), 1957 के अंतर्गत लागू रॉयल्टी दरों सहित विनियमित किया जाएगा।
  • उभरती प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा: यह निम्नलिखित जैसी उभरती और नवाचारपूर्ण प्रौद्योगिकियों को भी प्रोत्साहित करता है:
    • उन्नत भू-तापीय प्रणालियाँ (EGS)
    • आधुनिक भू-तापीय प्रणालियाँ (AGS)
    • भू-तापीय ऊर्जा भंडारण
    • अपतटीय भू-तापीय कुएँ
  • भू-तापीय संसाधन डेटा भंडार: खनन मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) तथा राष्ट्रीय डेटा भंडार (NDR) जैसी संस्थाओं के साथ अंतर-मंत्रालयी सहयोग के माध्यम से एक समग्र भू-तापीय संसाधन डेटा भंडार की स्थापना।
    • संसाधन आकलन सर्वेक्षणों के लिये डेवलपर्स को अनुसंधान एवं विकास (R&D) तथा व्यवहार्यता अध्ययन हेतु अनुमति प्रदान की जाएगी।
  • राजकोषीय एवं वित्तीय सहायता: नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम (RE-RTD) के अंतर्गत:
    • सरकारी एवं गैर-लाभकारी अनुसंधान संस्थानों को 100% तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
    • स्टार्ट-अप और विनिर्माण इकाइयों सहित निजी क्षेत्र की संस्थाओं के लिए 70% तक सहायता प्रदान की जाएगी।
    • अतिरिक्त सहायता तंत्र:
      • भारतीय कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम के अंतर्गत शामिल किया जाएगा।
      • ओपन एक्सेस शुल्क में छूट प्रदान की जाएगी।
      • नवीकरणीय खरीद दायित्व (RPO) के अंतर्गत पात्रता प्रदान की जाएगी।
  • राज्य-स्तरीय दिशा-निर्देश: राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों को निम्नलिखित जारी करने का अधिकार होगा:
    • अन्वेषण पट्टे (3–5 वर्षों के लिये वैध)
    • विद्युत उत्पादन या प्रत्यक्ष उपयोग हेतु विकास पट्टे (अधिकतम 30 वर्षों के लिये वैध)
    • साथ ही, नामित राज्य नोडल एजेंसियों के माध्यम से एकल-खिड़की निकासी तंत्र स्थापित किया जाएगा।

भूतापीय ऊर्जा क्या है?

  • परिचय: भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के आंतरिक भाग से प्राप्त ऊष्मा को संदर्भित करती है, जिसका उपयोग भवनों को तप्त करने और विद्युत् उत्पन्न करने के लिये किया जा सकता है।
    • इसे एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना जाता है क्योंकि पृथ्वी अपने केंद्र में निरंतर ऊष्मा उत्पन्न करती है।
  • भारत की भूतापीय क्षमता:
    • भारत की भूतापीय क्षमता 381 उष्ण स्रोतों/चश्मों और लद्दाख (पुगा घाटी), हिमाचल प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और छत्तीसगढ़ सहित 10 भूतापीय प्रांतों में विस्तारित है।
    • देश की अनुमानित रूप से लगभग 10,600 मेगावाट भूतापीय ऊर्जा की क्षमता है।
    • वैश्विक स्तर पर, भूतापीय ऊर्जा का योगदान 15.4 गीगावाट (2019) है, जिसमें अमेरिका, इंडोनेशिया और फिलीपींस सबसे आगे हैं।
  • स्रोत:
    • गहरे जलाशय: पृथ्वी की गहराई में पाए जाने वाले कोष्ण जल या भाप तक ड्रिलिंग के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
    • सतही जलाशय: सतह के समीप स्थित भू-तापीय जलाशय, विशेष रूप से पश्चिमी अमेरिका, अलास्का और हवाई में, अधिक आसानी से सुलभ हैं।
    • उथली भूमि: पृथ्वी की उथली परतें एक स्थिर तापमान (50-60°F) बनाए रखती हैं, जिसका उपयोग प्रत्यक्ष तापन और शीतलन अनुप्रयोगों के लिये किया जा सकता है।
  • लाभ:
    • नवीकरणीय स्रोत: उचित प्रबंधन के साथ, ऊर्जा निष्कर्षण की दर को जलाशय की प्राकृतिक ऊष्मा पुनर्भरण दर के साथ संतुलित किया जा सकता है।
    • निरंतर आपूर्ति: भू-तापीय विद्युत संयंत्र 24×7 संचालित हो सकते हैं, जिससे मौसम की स्थिति से अप्रभावित एक निरंतर ऊर्जा आपूर्ति मिलती है।
    • क्षेत्र की आवश्यकता: भू-तापीय सयंत्रों को कोयला, सौर या पवन ऊर्जा संस्थापनों की तुलना में प्रति GWh कम भू-क्षेत्र की आवश्यकता होती है।
    • जल खपत: इसके अतिरिक्त, भू-तापीय प्रणालियाँ अधिकांश परंपरागत ऊर्जा स्रोतों की तुलना में कम जल की खपत करती हैं।
  • भू-तापीय ऊर्जा से संबंधित हानियाँ एवं मुद्दे:
    • यदि भू-तापीय परियोजनाओं का अनुचित उपयोग किया जाए, तो वे प्रदूषक उत्पन्न कर सकती हैं।
    • गलत ड्रिलिंग से पृथ्वी की गहराई से खतरनाक गैसें एवं खनिज निष्काषित हो सकते हैं।
    • दूरस्थ स्थान के कारण उच्च पूंजीगत लागत, तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता संबंधी समस्याएँ।

राष्ट्रीय भू-तापीय ऊर्जा नीति 2025 का महत्त्व क्या है?

  • बेसलोड नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को सुगम बनाता है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है।
  • यह नीति दीर्घकालिक रियायती ऋण, सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड तथा व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) के साथ-साथ GST/आयात शुल्क छूट और कर अवकाश जैसे राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करके भूतापीय ऊर्जा अपनाने को विशेष रूप से बढ़ावा देती है, जिससे परियोजना की व्यवहार्यता बढ़ती है और निजी निवेश आकर्षित होता है।
  • सुदूर हिमालयी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों को स्वच्छ तापन और बिजली प्रदान करके सहायता प्रदान करती है।
  • मौजूदा तेल अवसंरचना का पुन: उपयोग करके औद्योगिक डी-कार्बोनाइजेशन को प्रोत्साहित करती है।
  • जर्मनी और आइसलैंड जैसे देशों के साथ वैश्विक नवीकरणीय नवाचार में भारत की स्थिति को मज़बूत करती है।
  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन तथा नवीकरणीय अनुसंधान एवं विकास के लिये RE-RTD कार्यक्रम जैसी राष्ट्रीय पहलों का पूरक है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न 

प्रश्न. भारत की राष्ट्रीय भू-तापीय ऊर्जा नीति (2025) की देश के नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में क्या महत्त्व है, इस पर चर्चा कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. प्रश्न. भारत की राष्ट्रीय भू-तापीय ऊर्जा नीति (2025) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस नीति का उद्देश्य नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य प्राप्त करने के लिये भू-तापीय क्षमता का दोहन करना, ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करना और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाना है।

2. प्रश्न. किन क्षेत्रों को भू-तापीय नीति से लाभ मिलेगा?

यह नीति विद्युत् उत्पादन, भवनों के हीटिंग/कूलिंग, औद्योगिक उपयोग, कृषि, जलीय कृषि और पर्यटन जैसे क्षेत्रों को शामिल करती है, जिससे यह एक बहु-क्षेत्रीय नवीकरणीय पहल बनती है।

3. प्रश्न. भारत के ऊर्जा भविष्य के लिये भू-तापीय ऊर्जा क्यों महत्त्वपूर्ण है?

भू-तापीय ऊर्जा 24×7 आधारभूत (Baseload) नवीकरणीय विद्युत् प्रदान करती है, जिसमें CO₂ उत्सर्जन कम होता है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2013)

  1. विद्युत्-चुम्बकीय विकिरण
  2. भूतापीय ऊर्जा
  3. गुरुत्वीय बल
  4. प्लेट संचलन
  5. पृथ्वी का घूर्णन
  6. पृथ्वी का परिक्रमण

उपर्युक्त में से कौन-से पृथ्वी के पृष्ठ पर गतिक परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेवार हैं?

(a) केवल 1, 2, 3 और 4
(b) केवल 1, 3, 5 और 6
(c) केवल 2, 4, 5 और 6
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न. उपयुक्त उदाहरणों के साथ, भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के पारिस्थितिक और आर्थिक लाभों की संक्षेप में व्याख्या कीजिये। (2025)

प्रश्न. भारत. वर्ष 2047 तक स्वच्छ प्रौद्योगिकी के माध्यम से ऊर्जा स्वतंत्रता कैसे प्राप्त कर सकता है? जैव-प्रौद्योगिकी इस प्रयास में किस प्रकार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है? (2025)

प्रश्न. भारत में पवन ऊर्जा की संभावना का परीक्षण कीजिये एवं उनके सीमित क्षेत्रीय विस्तार के कारणों को समझाइये। (2022)

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