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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 20 Mar, 2024
  • 23 min read
प्रारंभिक परीक्षा

खगोलीय महाचक्र

स्रोत: डाउन टू अर्थ

नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में खगोलीय महाचक्रों और पृथ्वी तथा मंगल की कक्षाओं, ग्लोबल वार्मिंग अथवा शीतलन के साथ गहरे महासागर (deep water) में कटाव के बीच संबंध के प्रमाण मिले हैं।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • खगोलीय महाचक्र:
    • गहरे महासागर में भूवैज्ञानिक तलछटी साक्ष्यों से एक नए खोजे गए 2.4 मिलियन वर्ष के चक्र का पता चला है, जिसे "खगोलीय महाचक्र" के रूप में जाना जाता है, जो पृथ्वी और मंगल की कक्षाओं से जुड़ा हुआ है।
    • यह चक्र ग्लोबल वार्मिंग या शीतलन प्रवृत्तियों को प्रभावित करता है और गहरे महासागर तलछटी डेटा में क्षरण पैटर्न के माध्यम से इसका पता लगाया गया है।
  • मंगल की कक्षा और पृथ्वी की जलवायु के बीच संबंध:
    • सौर मंडल में ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र एक-दूसरे के साथ हस्तक्षेप करते हैं, जिससे उनकी कक्षीय विलक्षणता (उनकी कक्षाएँ कितनी गोलाकार हैं) में परिवर्तन होता है।
      • पृथ्वी और मंगल की कक्षाओं के बीच परस्पर क्रिया के कारण पृथ्वी द्वारा प्राप्त सौर विकिरण की मात्रा में भिन्नता होती है, जिसके परिणामस्वरूप 2.4 मिलियन वर्षों में उष्मीय तथा शीतलन होने का चक्र होता है।
  • जलवायु एवं महासागरीय परिसंचरण पर प्रभाव:
    • अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन के धीमा होने की स्थिति में, ऊष्म चरणों के दौरान भँवरों (जल की एक वृत्ताकार धारा) के कारण गहरे समुद्र में होने वाला परिसंचरण संभावित रूप से महासागर के निश्चलता को बाधित कर सकता है।
      • AMOC महासागरी धाराओं की एक बड़ी प्रणाली है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से गर्म जल को उत्तर की ओर उत्तरी अटलांटिक में ले जाती है।
    • गहरे महासागर के भँवर गहरे महासागर में ऑक्सीजन प्रदान करने के साथ विश्व के गर्म वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को महासागर में खींचने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
      • तीव्र गहरे महासागर के भँवर, जिन्हें विशाल भँवर के रूप में वर्णित किया गया है, महासागरीय परिसंचरण गतिशीलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ये 3,000 से 6,500 मीटर की गहराई पर स्थित होते हैं जहाँ सूर्य का प्रकाश प्रवेश नहीं करता है।
      • ये भँवर महासागरीय तल के क्षरण एवं बड़े तलछट संचय के निर्माण में योगदान करते हैं, जिन्हें कंटूराइट्स के रूप में जाना जाता है, जो उनकी संरचना में स्नोड्रिफ्ट के समान होती हैं।
  • भविष्य के अनुसंधान निर्देश:
    • अनुसंधान टीम की योजना पृथ्वी-मंगल संपर्क द्वारा संचालित अधिक डेटा शोकेसिंग चक्र को एकत्रित करने की है, जिससे लाखों वर्षों में पृथ्वी की जलवायु में उतार-चढ़ाव की गतिशीलता का पता लगाया जा सके।

खगोलीय चक्र क्या हैं?

  • खगोलीय चक्र पृथ्वी की कक्षा तथा सूर्य की ओर अभिविन्यास में आवधिक बदलाव को संदर्भित करते हैं जो लंबे समय तक हमारे ग्रह द्वारा प्राप्त सौर विकिरण की मात्रा को प्रभावित करते हैं।
    •  ये चक्र पृथ्वी, सूर्य और सौर मंडल के अन्य ग्रहों के बीच गुरुत्वाकर्षण बलों के कारण होते हैं।
  • इन चक्रों का सिद्धांत पहली बार 1920 के दशक में सर्बियाई वैज्ञानिक मिलुटिन मिलनकोविच द्वारा पृथ्वी पर हिमयुग के चक्रीय पैटर्न को समझाने के लिये दिया गया था, जिसे मिलनकोविच चक्र या मिलनकोविच दोलन भी कहा जाता है।
    • कुछ प्रमुख खगोलीय चक्रों में शामिल हैं:
      • विलक्षणता/उत्केंद्रता (Eccentricity) (100,000 वर्ष) - सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा का दीर्घवृत्ताकार में परिवर्तन।
      • तिर्यकता/तिरछापन (Obliquity) (41,000 वर्ष) - इसके कक्षीय तल के सापेक्ष पृथ्वी की धुरी के झुकाव में भिन्नता।
      • प्रक्रमण/अयन (Precession) (23,000 वर्ष) - समय के साथ पृथ्वी की धुरी का बदलता अभिविन्यास।

पृथ्वी की जलवायु पर अन्य खगोलीय प्रभाव क्या हैं?

  •  सनस्पॉट गतिविधि:
    • सनस्पॉट अर्थात् सौर-कलंक सूर्य की सतह का ऐसा क्षेत्र होता है जिसकी सतह आस-पास के हिस्सों की तुलना अपेक्षाकृत काली (DARK) होती है तथा तापमान कम होता है। इनका व्यास लगभग 50,000 किमी. होता है। ये काले और ठंडे धब्बे चक्रीय तरीके से बढ़ते और घटते हैं।
      • सौर धब्बों की संख्या और तीव्रता चक्रीय पैटर्न में आमतौर पर 11 वर्ष के सौर चक्र में बढ़ती और घटती है।
    • कुछ मौसम विज्ञानियों के अनुसार, उच्च सनस्पॉट गतिविधि और संख्याएँ इससे जुड़ी हैं:
      • पृथ्वी पर ठंडे और आर्द्र मौसम के पैटर्न तथा तूफान व बादलों का आवरण बढ़ गया।
      • इसके विपरीत, कम सनस्पॉट वाली अवधि विश्व स्तर पर गर्म और शुष्क स्थितियों से जुड़ी होती है।
    • हालाँकि सनस्पॉट गतिविधि और विशिष्ट मौसम पैटर्न के बीच ये सह-संबंध लगातार सांख्यिकीय रूप से महत्त्वपूर्ण साक्ष्य द्वारा समर्थित नहीं हैं।
  • गैलेक्टिक/मंदाकिनीय कॉस्मिक किरणें:
    • किये गए अध्ययनों के अनुसार मंदाकिनी से कॉस्मिक किरण प्रवाह के बढ़ने से पृथ्वी पर मेघों का निर्माण प्रभावित हो सकता है जिससे संभावित रूप से शीतलन प्रभाव हो सकता है।
      • हालाँकि इस प्रभाव की व्यापकता और इसमें शामिल प्रक्रिया के संबंध में वर्तमान में शोध किये जा रहे हैं
  • क्षुद्रग्रह/धूमकेतु प्रभाव:
    • हालाँकि पृथ्वी पर प्रमुख क्षुद्रग्रह अथवा धूमकेतु का प्रभाव अत्यंत दुर्लभ है किंतु ये वायुमंडल में भारी मात्रा में धूल और गैस निर्मुक्त कर सकते हैं जिससे अस्थायी रूप से शीतलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • ऐसा माना जाता है कि लगभग 66 मिलियन वर्ष पूर्व क्रेटेशियस-पैलियोजीन विलुप्ति (डायनासोर के विलुप्त होने के कारण) आंशिक रूप से क्षुद्रग्रह प्रभाव और संबंधित जलवायु परिवर्तनों के कारण हुई थी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. अलग-अलग ऋतुओं में दिन-समय और रात्रि-समय के विस्तार में भिन्नता किस कारण से होती है? (2013)

(a) पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन।
(b) पृथ्वी का, सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्तीय रीति से परिक्रमण।
(c) स्थान की अक्षांशीय स्थिति।
(d) पृथ्वी का नत अक्ष पर परिक्रमण।

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

नाबार्ड द्वारा कृषि-स्टार्टअप के लिये वित्तपोषण

स्रोत: लाइव मिंट

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) प्रौद्योगिकी-संचालित कृषि स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों को बढ़ावा देने हेतु 1,000 करोड़ रुपए का एक कोष स्थापित किया है। इसके अलावा 750 करोड़ रुपए अतिरिक्त नवोन्मेषी समाधानों को बढ़ावा देने हेतु आरंभिक निवेश के लिये अलग रखे गए हैं।

  • इसका उद्देश्य कृषि वित्त पोषण को पारंपरिक किसानों से नवीन प्रौद्योगिकियों वाले नए अभिकर्त्ताओं तक पुनर्निर्देशित करना है, जिसका लक्ष्य उत्पादन ऋण से निवेश ऋण पर ध्यान केंद्रित करना है।                       

कृषि स्टार्टअप एवं संबद्ध चुनौतियाँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • कृषि स्टार्टअप, एक नवीन कंपनी अथवा व्यावसायिक उद्यम है जो कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने एवं दक्षता में सुधार करने हेतु नवीन समाधान, प्रौद्योगिकी अथवा व्यवसाय मॉडल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • एग्रीटेक स्टार्टअप्स द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ:
    • स्मार्ट कृषि संवर्धन: फसल की पैदावार, वर्षा पैटर्न, कीट संक्रमण एवं मृदा के पोषण पर जानकारी प्रदान करना।
    • एक सेवा के रूप में खेती: उदाहरण के लिये, EM3 एग्री सर्विसेज़ किसानों को उपयोग के लिये भुगतान के आधार पर कृषि सेवाएँ और मशीनरी किराये पर प्रदान करती है।
    • बिग डेटा एनालिटिक्स: मृदा और फसल के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिये कृषि- विशेष, डेटा-संचालित निदान विकसित करना, जिससे उत्पादकता तथा किसान आय में वृद्धि होगी। इसमें अक्सर अन्य तकनीकों के अलावा कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग शामिल होता है।
  • चुनौतियाँ:
    • बिज़नेस मॉडल: कृषि-स्टार्टअप अक्सर स्वतंत्र उत्पादन और विपणन को प्राथमिकता देते हैं, व्यापक मूल्य शृंखला चुनौतियों की उपेक्षा करते हैं तथा प्रारंभिक सफलता से आगे बढ़ने में बाधा डालते हैं।
    • सीड फंड की कमी: मामूली शुरुआत से कृषि-स्टार्टअप को विचारों को मान्य करने, न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (MVP) विकसित करने और व्यवहार्य व्यावसायिक योजनाएँ बनाने के लिये फंडिंग तथा सलाह की आवश्यकता होती है, जिससे छोटे अनुदान के अवसर अपर्याप्त हो जाते हैं।
    • इन्क्यूबेटरों की क्षमता: कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में स्थित कृषि व्यवसाय इन्क्यूबेटर प्रारंभिक चरण में हैं तथा उन्हें विविध विशेषज्ञता वाले पेशेवरों के नेटवर्क की आवश्यकता है।
    • उपलब्ध प्रौद्योगिकी का सीमित ज्ञान: उभरते उद्यमियों में अनुसंधान संगठनों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली डिजिटल तकनीकों सहित व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य कृषि प्रौद्योगिकियों के प्रति जागरूकता या जुड़ाव की कमी है।
  • सरकार द्वारा अन्य पहल:

नैबवेंचर्स: ग्रामीण कृषि स्टार्टअप के लिये फंड

  • परिचय:
    • भारत सरकार ने कृषि स्टार्ट-अप्स और ग्रामीण उद्यमों को सहायता प्रदान करने के लिये 750 करोड़ रुपए के मिश्रित पूंजी कोष का शुभारंभ करने की योजना बनाई जिसका लक्ष्य संबद्ध क्षेत्र में निवेश तथा दक्षता बढ़ाना है।
      • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के अनुसार मिश्रित वित्त विकासशील देशों में सतत् विकास के लिये अतिरिक्त वित्त जुटाने के लिये विकास वित्त का रणनीतिक उपयोग है।
  • उद्देश्य:
    • इसका लक्ष्य अप्रमाणित विचारों अथवा अनिश्चित विकास क्षमता वाले प्री-सीड स्टार्टअप, विशेष रूप से स्केलिंग के लिये अपर्याप्त इक्विटी से बाधित स्टार्ट-अप्स का समर्थन करना है।
    • इसका लाभ एग्रीटेक, पशुपालन, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण और जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित स्टार्ट-अप्स को प्रदान किया जाएगा।
  • पर्यवेक्षण:
    • कृषि आधारित स्टार्ट-अप्स और ग्रामीण उद्यमों को वित्तपोषित करने के लिये यह मिश्रित पूंजी समर्थन कृषि मंत्रालय द्वारा शुरू किया जाएगा तथा नाबार्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी नैबवेंचर्स (Nabventures) द्वारा प्रबंधित किया जाएगा।

और पढ़ें: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), एग्री-टेक और एग्री स्टार्टअप्स

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

Q. ग्रामीण परिवारों को निम्नलिखित में से कौन सीधी ऋण सुविधा प्रदान करता है/करते हैं? (2013)

  1. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
  2. कृषि और ग्रामीण विकास के लिये राष्ट्रीय बैंक
  3. भूमि विकास बैंक

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

Q. "गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर, ऋण संगठन का कोई भी अन्य ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।"-अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षणा भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में, इस कथन की चर्चा कीजिये। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं को किन बाध्यताओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिये प्रौद्योगिकी का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है? (2014)


रैपिड फायर

नाटो का DIANA कार्यक्रम

स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस

हाल ही में डिफेंस इनोवेशन एक्सेलेरेटर फॉर द नॉर्थ अटलांटिक (DIANA) पहल बोर्ड ने नागरिक और रक्षा दोनों उद्देश्यों हेतु प्रौद्योगिकी, नवाचार तथा व्यवसाय विकास को बढ़ावा देने के मिशन के साथ फिनलैंड में एक एक्सेलरेटर एवं दो परीक्षण केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।

  • डायना एक उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन द्वारा स्थापित संगठन है, जिसका उद्देश्य संपूर्ण गठबंधन में दोहरे उपयोग वाली नवाचार क्षमता में तीव्रता लाना है। यह कंपनियों को महत्त्वपूर्ण सुरक्षा चुनौतियों के लिये गहन तकनीक विकसित करने हेतु संसाधन, नेटवर्क और मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • सभी नाटो देश डायना के सदस्य हैं। डायना निदेशक मंडल शासन के लिये ज़िम्मेदार है और इसमें प्रत्येक सहयोगी देश के प्रतिनिधि शामिल हैं। 

और पढ़ें: उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन


रैपिड फायर

भारत और ब्राज़ील की पहली '2+2' वार्ता

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारत तथा ब्राज़ील ने प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा करते हुए अपनी पहली '2+2' रक्षा और विदेश मंत्रिस्तरीय वार्ता आयोजित की।

  • यह वार्ता ऊर्जा, महत्त्वपूर्ण खनिज, प्रौद्योगिकी और आतंकवाद-रोध सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित थी।
  • '2+2' रक्षा और विदेश मंत्रिस्तरीय संवाद में रणनीतिक तथा सुरक्षा-संबंधित मुद्दों के साथ-साथ राजनयिक मामलों पर चर्चा करने के लिये दो देशों के रक्षा तथा विदेश मंत्रियों के साथ-साथ उनके संबंधित समकक्षों की भागीदारी शामिल होती है।
  • भारत प्रमुख रणनीतिक साझेदारों जैसे- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और रूस के साथ '2+2' संवाद वार्ता आयोजित करता है। भारत के सबसे प्रारंभिक और सबसे महत्त्वपूर्ण '2+2' वार्ता साझेदारी में अमेरिका का स्थान है।

और पढ़ें…भारत-ब्राज़ील संबंध, भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता, भारत-ऑस्ट्रेलिया 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता


रैपिड फायर

सखी: गगनयान मिशन हेतु अंतरिक्ष यात्री क्षमताओं को बढ़ाना

स्रोत: द हिंदू

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के तहत विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) ने गगनयान अंतरिक्ष उड़ान मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों का समर्थन करने के लिये स्पेस-बोर्न असिस्टेंट एंड नॉलेज हब फॉर क्रू इंटरेक्शन (SAKHI) नामक एक नवीन और बहुमुखी एप्लीकेशन विकसित की है।

  • SAKHI तकनीकी जानकारी तक पहुँच, संचार की सुविधा, स्वास्थ्य की निगरानी, पृथ्वी और ऑनबोर्ड सिस्टम के साथ कनेक्टिविटी तथा आहार कार्यक्रम का प्रबंधन करता है।
  • स्पेस-सूट से बंधी, SAKHI अंतरिक्ष यात्रियों को डेटा तक पहुँचने, लॉग बनाए रखने और उनकी भलाई के बारे में सूचित रहने, गगनयान मिशन के लिये सुरक्षा तथा दक्षता बढ़ाने एवं अंतरिक्ष अन्वेषण को आगे बढ़ाने के ISRO के लक्ष्य के साथ जुड़ने में मदद करती है।

और पढ़ें: गगनयान


रैपिड फायर

HbA1C जाँच

स्रोत: द हिंदू 

भारत मधुमेह के एक बहुत बड़े बोझ का सामना कर रहा है, जो वैश्विक मामलों का 17% है। हीमोग्लोबिन A1C (HbA1C) जाँच, जिसे ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन या ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन परीक्षण के रूप में भी जाना जाता है, प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

  • HbA1C परीक्षण शर्करा-आबद्ध लाल रक्त कोशिकाओं को का आकलन कर रक्त शर्करा स्तर का 2-3 महीने का औसत प्रदान करता है, जो व्यापक दीर्घकालिक नियंत्रण मूल्यांकन प्रदान करता है।
    • व्रत और भोजन के बाद के परीक्षणों के विपरीत, इस जाँच में थोड़ी देर पूर्व भोजन करने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जिससे विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है।
    • 5.7% से कम Hb1A1C को सामान्य माना जाता है; 5.7 और 6.4% के बीच यह संकेत हो सकता है कि व्यक्ति प्री-डायबिटिक है; तथा 6.5% या इससे अधिक मधुमेह का संकेत दे सकता है।
      • गुर्दे या यकृत की विफलता, एनीमिया, कुछ दवाएँ और गर्भावस्था जैसे कारक परीक्षण के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
  • भारत में 10.13 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक हैं। 35% से अधिक भारतीय उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और लगभग 40% पेट के मोटापे से पीड़ित हैं, दोनों मधुमेह के जोखिम कारक हैं।
  • परीक्षण एक स्टैंड-अलोन डायग्नोस्टिक टूल नहीं है और व्यापक मूल्यांकन के लिये अन्य परीक्षणों के साथ इसका प्रयोग किया जा सकता है।

और पढ़ें: प्री-डायबिटीज़ का पता लगाना, टाइप-1 डायबिटीज़ से निपटना


रैपिड फायर

टाइगर ट्रायम्फ

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में संयुक्त भारत-यू.एस. त्रि-सेवा मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) अभ्यास, टाइगर ट्रायम्फ, पूर्वी समुद्र तट पर शुरू हुआ।

    • अभ्यास का प्राथमिक उद्देश्य HADR संचालन के संचालन के लिये अंतर-संचालनीयता को बढ़ाना और दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच तेज़ एवं प्रभावी समन्वय की सुविधा हेतु मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) को परिष्कृत करना है।
    • इस अभ्यास में हेलीकॉप्टर और लैंडिंग क्राफ्ट वाले जहाज़, भारतीय नौसेना के विमान, भारतीय सेना के जवान तथा वाहन, भारतीय वायु सेना के विमान एवं हेलीकॉप्टर एव रैपिड एक्शन मेडिकल टीम (RAMT) शामिल हैं।
    • भारत और अमेरिका के बीच अन्य अभ्यास हैं–

    और पढ़ें: भारत-अमेरिका संबंध


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