लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन धूमकेतु

  • 16 Apr 2022
  • 11 min read

प्रीलिम्स के लिये:

बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन धूमकेतु, धूमकेतु, नासा, हबल स्पेस टेलीस्कोप, सी/2014 यूएन271, प्लूटो, जुपिटर, कुइपर बेल्ट, हैली धूमकेतु, ऊर्ट क्लाउड। 

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक नवाचार और खोजें। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (National Aeronautics and Space Administration’s- NASA) के हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है कि विशाल बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन धूमकेतु वास्तव में खगोलविदों द्वारा देखा गया अब तक का सबसे बड़ा बर्फीला धूमकेतु है।  

  • नाभिक को C/2014 UN271 कहा जाता है जिसका अनुमानित व्यास लगभग 129 किलोमीटर है। 
  • नाभिक अधिकांश ज्ञात धूमकेतुओं की तुलना में लगभग 50 गुना बड़ा है और इसका द्रव्यमान लगभग 500 ट्रिलियन टन होने का अनुमान है। 

हबल स्पेस टेलीस्कोप: 

  • इसे 1990 में नासा द्वारा लॉन्च किया गया था और इसका नाम एडविन हबल के सम्मान में रखा गया था, जो 20वीं शताब्दी की शुरुआत में एक प्रतिष्ठित अमेरिकी खगोलशास्त्री थे। 
  • यह टेलीस्कोप एक अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है, इसने प्लूटो के चारों ओर चंद्रमा तथा बृहस्पति में दुर्घटनाग्रस्त होने वाले धूमकेतु सहित अंतर-तारकीय वस्तुओं से संबंधित महत्त्वपूर्ण अवलोकन किये हैं। 
  • वर्तमान में यह टेलीस्कोप 30 वषों से अधिक समय से परिचालन में है। 
  • दिसंबर 2021 में नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप,जो एक क्रांतिकारी उपकरण है, को लॉन्च किया गया, यह ब्रह्मांड में सबसे अधिक दूरी तक देखने के लिये बनाया गया था। 
    • इसे हबल टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी भी माना जाता है तथा यह अपनी खोजों का विस्तार और बड़े स्तर पर करेगा।

बर्नार्डिनेली-बरस्टीन धूमकेतु:

  • धूमकेतु की खोज खगोलविदों- पेड्रो बर्नार्डिनेली और गैरी बर्नस्टीन ने चिली में एक खगोलीय वेधशाला में डार्क एनर्जी सर्वे से प्राप्त अभिलेखीय छवियों के आधार पर की थी।  
    • इसे नवंबर 2010 में खोजा गया था और तब से इसका गहन अध्ययन किया जा रहा है।
  • यह धूमकेतु एक लाख से अधिक वर्षों से सूर्य की ओर गतिशील है और माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति ऊर्ट क्लाउड (धूमकेतुओं का बादल) में हुई थी। 
    • ऊर्ट क्लाउड सौरमंडल का एक दूरस्थ क्षेत्र है और अनुमान है कि यह अधिकांश धूमकेतुओं का स्रोत है।
    • ऊर्ट क्लाउड अभी भी केवल एक सैद्धांतिक अवधारणा है, धूमकेतुओं को सीधे देखा जाना मुश्किल है क्योंकि ये बहुत धुंधले और दूरी पर स्थित हैं। वर्ष 1950 में पहली बार इसकी परिकल्पना डच खगोलशास्त्री जान और्ट द्वारा की गई थी।
  • बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन धूमकेतु 3 मिलियन वर्ष तथा लंबी अंडाकार कक्षा का अनुसरण करता है तथा इसका अनुमानित तापमान माइनस 348 डिग्री फारेनहाइट है।
    • यह इतना गर्म है कि अपनी सतह से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) को उर्ध्वपातित कर देता है जिससे धूलयुक्त कोमा (Dusty Coma) उत्पन्न होता है। 

‘कार्बन मोनोआक्साइड’ के विषय में:  

  • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और अत्यधिक ज़हरीली गैस है, जो हवा से थोड़ी कम सघन होती है।  
  • यह वातावरण में अल्पकालिक (केवल कुछ महीनों तक) अवधि के लिये रहती है। 
  • यह आंतरिक दहन इंजनों के निकास एवं विभिन्न अन्य ईंधनों के अधूरे दहन से उत्पन्न होती है। 

धूमकेतु क्या है?

  • धूमकेतु धूल और बर्फ से बनी बड़ी वस्तुएँ हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करती हैं। 
    • धूमकेतु शब्द लैटिन शब्द 'कोमेटा' से आया है जिसका अर्थ है 'लंबे बालों वाला'। 
  • धूमकेतु देखे जाने का सबसे पहला ज्ञात रिकॉर्ड 1059 ईसा पूर्व एक ज्योतिषी द्वारा बनाया गया था। 
  • धूमकेतु या 'डर्टी स्नोबॉल' ज्यादातर धूल, चट्टानों और बर्फ से बने होते हैं तथा उनकी चौड़ाई कुछ मील से लेकर 10 मील तक हो सकती है। 
  • जब वे सूर्य के करीब परिक्रमा करते हैं, तो गर्म हो जाते हैं और धूल एवं गैसों का मलबा छोड़ते हैं। 
    • धूमकेतु के ठोस भाग जिनमें अधिकतर पानी, बर्फ और धूल के कण होते हैं, सूर्य से दूर होने पर निष्क्रिय हो जाते हैं। 
    • जब सूर्य के पास बर्फीली धूमकेतु सतहें वाष्पीकृत हो जाती हैं और बड़ी मात्रा में गैस व धूल फेंकती हैं, तो धूमकेतु के आसपास विशाल वातावरण का निर्माण होता है।  
    • इसके कारण एक चमकते आवरण का निर्माण होता है, जो अक्सर एक ग्रह से बड़ा हो सकता है और मलबा एक पूँछ जैसी आकृति का निर्माण करता है, जो लाखों मील तक फैली हो सकती है।  
    • हर बार जब कोई धूमकेतु सूर्य के पास से गुज़रता है, तो वह अपनी कुछ सामग्री खो देता है और अंततः यह पूरी तरह से गायब हो जाता है।  
    • गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धूमकेतु कभी-कभी सूर्य एवं पृथ्वी के आस-पास की कक्षाओं में आ जाते हैं। 

धूमकेतु कहाँ से आते हैं? 

  • नासा के अनुसार, लाखों धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, वहीं अब तक 3,650 से अधिक ज्ञात धूमकेतु हैं। 
    • पूर्वानुमेय धूमकेतु: 
      • पूर्वानुमेय धूमकेतु लघु अवधि के धूमकेतु होते हैं, जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने में 200 वर्ष से कम समय लेते हैं। 
        • ये प्रायः 'कुइपर बेल्ट’ में पाए जा सकते हैं, जहाँ कई धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा करते हैं। 
        • सबसे प्रसिद्ध लघु-अवधि के धूमकेतुओं में से एक ‘हैली’ धूमकेतु है, जो प्रत्येक 76 वर्षों में फिर से प्रकट होता है। हैली को अगली बार वर्ष 2062 में देखा जाएगा। 
    • कम पूर्वानुमेय धूमकेतु: 
      • कम-अनुमानित धूमकेतु ऊर्ट क्लाउड में पाए जा सकते हैं जो सूर्य से लगभग 100,000 AU (खगोलीय इकाई जो पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी है तथा लगभग 150 मिलियन किमी. है) या पृथ्वी व सूर्य के बीच की दूरी से 100,000 गुना अधिक दूरी पर स्थित है।
      • इस क्लाउड में धूमकेतु सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 30 मिलियन वर्ष तक का समय ले सकते हैं।  

Kuiper-Belt

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. क्षुदग्रहों तथा धूमकेतु के बीच क्या अंतर होता है? (2011) 

1- क्षुदग्रह लघु चट्टानी ग्रहिकाएँ (प्लेनेटॉयड) हैं, जबकि धूमकेतु हिमशीतित गैसों से निर्मित होते हैं जिन्हें चट्टानी और धातु पदार्थ आपस में बाँधे रखता है। 
2- क्षुद्रग्रह अधिकांशतः वृहस्पति और मंगल के परिक्रमा-पथों के बीच पाए जाते हैं, जबकि धूमकेतु अधिकांशतः शुक्र और बुध के बीच पाए जाते हैं। 
3- धूमकेतु गोचर दीप्तिमान पुच्छ दर्शाते हैं, जबकि क्षुदग्रह यह नहीं दर्शाते। 

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 1 और 3 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (b)

  • क्षुद्रग्रह छोटे और चट्टानी पिंड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। हालाँकि क्षुद्रग्रह ग्रहों की तरह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, लेकिन वे ग्रहों की तुलना में बहुत छोटे होते हैं। 
  • हमारे सौरमंडल में बहुत सारे क्षुद्रग्रह हैं। उनमें से अधिकांश मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट (मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच का क्षेत्र) में पाए जाते हैं। 
  • धूमकेतु जमी हुई गैसों, चट्टान और धूल के ब्रह्मांडीय स्नोबॉल (Snowballs) हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। जब धूमकेतु की कक्षा इसे सूर्य के करीब लाती है, तो यह गर्म हो जाता है तथा अधिकांश ग्रहों की तुलना में बड़े चमकदार धूल और गैस निकलती है जो एक पूँछ बनाती है तथा सूर्य से लाखों मील दूर तक फैली होती हैं। अत: कथन 1 और 3 सही हैं। 
  • कुइपर बेल्ट और उससे भी अधिक दूर ऊर्ट क्लाउड में सूर्य की परिक्रमा करने वाले अरबों धूमकेतुओं के होने की संभावना है। अतः कथन 2 सही नहीं है। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2