रैपिड फायर
रेड-क्राउन्ड रूफ्ड टर्टल
स्रोत: पी.आई.बी.
30 वर्षों के बाद गंगा नदी में पुनः रेड-क्राउन्ड रूफ्ड टर्टल (Batagur kachuga) छोड़े गए हैं, जो नमामि गंगे मिशन और टर्टल सर्वाइवल अलायंस इंडिया (TSAFI) परियोजना के तहत एक बड़ी सफलता है।
- कछुओं को उत्तर प्रदेश के हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य के अंदर बिजनौर गंगा बैराज के समीप स्थित रामसर साइट हैदरपुर वेटलैंड में छोड़ा गया।
रेड-क्राउन्ड रूफ्ड टर्टल:
- परिचय: यह अलवणीय जल का कछुआ है जो जियोमाइडीडे कुल से संबंधित है। इसे बंगाल रूफ टर्टल के नाम से भी जाना जाता है, यह भारत में पाई जाने वाली 24 स्थानिक प्रजातियों में से एक है।
- मुख्य विशेषताएँ: मादा कछुओं की लंबाई 56 सेमी. और वज़न 25 किलोग्राम तक होता है, जबकि नर कछुए आकार में छोटे होते हैं एवं इनके मुख और गर्दन पर चमकीले लाल, पीले, सफेद तथा नीले रंग के निशान होते हैं।
- विशेष रूप से जुवेनाइल कछुओं में, कवच (ऊपरी कवच) घुमावदार होता है और यंग कछुओं में प्लास्ट्रॉन (निचला कवच) पार्श्व कोणीय होता है।
- यह शाकाहारी प्रजाति जलीय पौधों पर निर्भर रहती है और मार्च-अप्रैल के दौरान 11-30 अंडे देती है ।
- अधिवास और वितरण: यह ऐतिहासिक रूप से भारत , नेपाल और बांग्लादेश की नदी प्रणालियों में पाया जाता था।
- आवास क्षरण , रेत खनन और प्रदूषण के कारण यह गंगा की मुख्य धारा से विलुप्त हो गया।
- अब इसे भारत के उत्तर प्रदेश में हैदरपुर वेटलैंड में पुनः शामिल किया गया है जहाँ इसके पुनरुद्धार के लिये उपयुक्त वातावरण मिलता है।
- प्रमुख खतरे: प्रदूषण, बाँध निर्माण और जल निकासी के कारण आवास का नुकसान। रेत खनन और मौसमी कृषि से इसकी नेस्टिंग के लिये उपयुक्त रेत के टीले नष्ट हो जाते हैं, मत्स्यन के अवैध जाल से इसके अवैध शिकार तथा व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972: अनुसूची I
- CITES: परिशिष्ट II
टर्टल सर्वाइवल एलायंस इंडिया (TSAFI)।
- TSAFI वैश्विक टर्टल सर्वाइवल एलायंस (TSA) का भारतीय इकाई का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे IUCN के तहत वर्ष 2001 में स्वच्छ जल के कछुओं और कछुओं को निवास स्थान के नुकसान, अवैध व्यापार और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों से बचाने के लिये बनाया गया था, जिसका मिशन "21वीं सदी में कछुआ विलुप्ति को ज़ीरो" करना है।
और पढ़ें: भारत में रेड-क्राउन्ड रूफ्ड टर्टल, ओलिव रिडले कछुए
रैपिड फायर
ED का 69वाँ स्थापना दिवस
स्रोत: पी.आई.बी
नई दिल्ली में आयोजित प्रवर्तन निदेशालय (ED) के 69वें स्थापना दिवस पर आर्थिक अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका को पुनः पुष्ट किया। यह प्रयास भारत के 'विकसित भारत 2047' के विजन की दिशा में एक सशक्त कदम है।
- ED: विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA), 1947 के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग के तहत 'प्रवर्तन इकाई' के रूप में 1 मई 1956 को स्थापित किया गया था और वर्ष 1957 में इसका नाम परिवर्तित करके प्रवर्तन निदेशालय कर दिया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- वर्ष 1960 में राजस्व विभाग को हस्तांतरित, ED अब केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन कार्य करता है, जो धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) और भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA) के आपराधिक प्रावधानों एवं विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के नागरिक प्रावधानों को लागू करता है।
- ED का नेतृत्व एक निदेशक (भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे नहीं) करता है।
- ED के मुख्य कार्यों में धन शोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण और संगठित अपराध पर अंकुश लगाना तथा आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है।
- ED की उपलब्धियाँ: वित्त वर्ष 2024-25 में, ED ने 30,036 करोड़ रुपए के अनंतिम कुर्की आदेश जारी किये, जो 2023-24 की तुलना में संख्या में 44% और मूल्य में 141% की वृद्धि को दर्शाता है।
- वर्ष 2025 तक अनंतिम कुर्की के तहत संपत्तियों का कुल मूल्य 15.46 लाख करोड़ रुपए होगा।
- वर्ष 2014 और वर्ष 2024 के बीच, ED ने लगभग 5,000 नई PMLA जाँचें शुरू कीं, जो प्रवर्तन गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाती हैं।
और पढ़ें: प्रवर्तन निदेशालय
रैपिड फायर
रेड एडमिरल बटरफ्लाई
स्रोत: द हिंदू
रेड एडमिरल बटरफ्लाई/तितली (Vanessa atalanta) को पहली बार भारत के हिमाचल प्रदेश में धौलाधार पर्वत शृंखला में देखा गया है।
- आकार और कुल: रेड एडमिरल तितली निम्फालिडे कुल से संबंधित है और इसके पंखों का विस्तार 67-72 मिमी (नर से मादा) तक होता है।
- आकृति की दृष्टि से रेड एडमिरल इंडियन रेड एडमिरल (Vanessa indica) जैसी है लेकिन इसे इसकी संकरी, गहरी रेड रंग की डिस्कल पट्टी तथा ऊपरी अग्र पंख में धब्बे की उपस्थिति (यह विशेषता भारतीय प्रजातियों में अनुपस्थित होती है) द्वारा पहचाना जा सकता है।
- वैश्विक वितरण: रेड एडमिरल तितली उत्तर और दक्षिण अमेरिका, यूरोप तथा एशिया में मिलती है (चीन, मंगोलिया या अफगानिस्तान से कोई पुष्ट रिकॉर्ड नहीं)।
- अधिवास: यह शहरी और अशांत परिदृश्यों में सामान्य है लेकिन इसे आर्द्र वन क्षेत्रों और आर्द्रभूमि में भी देखा जाता है। इसे जीवित रहने के लिये जल, खनिज एवं शर्करा की आवश्यकता होती है।
- व्यवहार: नर रेड एडमिरल्स अत्यधिक प्रादेशिक होते हैं और अक्सर अपने बसेरा स्थलों से प्रतिद्वंद्वियों को भगा देते हैं।
- इसके लार्वा स्टिंगिंग नेटल (Urtica dioica) पर फीड करते हैं, जिसकी पश्चिमी हिमालय में प्रचुरता मात्रा है।
- जलवायु अनुकूलन: यह प्रजाति विविध पौधों पर फीड करने के कारण जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक अनुकूल है लेकिन इसे आवास की हानि एवं फीड वाले पौधों की आबादी को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय परिवर्तनों से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
रैपिड फायर
तेंदुओं के अवैध शिकार में वृद्धि
स्रोत: डाउन टू अर्थ
शिकारी अब तेंदुओं को अधिक निशाना बना रहे हैं, क्योंकि सख्त संरक्षण कानूनों के कारण बाघों का शिकार करना कठिन हो गया है, जबकि तेंदुओं को ढूँढना आसान है और वे कम संरक्षित हैं, इस कारण अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बाघों के अंगों के विकल्प के रूप में तेंदुओं की मांग बढ़ गई है।
- CITES के अनुसार, वर्ष 2020 से वर्ष 2023 के बीच विश्व भर में लगभग 12,000 तेंदुओं और उनके अंगों का व्यापार किया गया।
- अवैध शिकार और आवास स्थल के विनाश के कारण अफ्रीका, मध्य पूर्व एवं एशिया में तेंदुए अपने प्राकृतिक आवास क्षेत्र के 75% भाग से खत्म हो चुके हैं।
- पारंपरिक चिकित्सा, विलासिता की वस्तुओं और ट्राॅफियों के लिये, विशेष रूप से एशिया में, अवैध वन्यजीव व्यापार में तेंदुओं का शिकार किया जा रहा है तथा उन्हें बाघ के रूप में लेबल कर बेचा जा रहा है।
- दक्षिण अफ्रीका के कमज़ोर कानून और कैप्टिव ब्रीडिंग उद्योग से वैश्विक स्तर पर बड़ी बिल्लियों (बाघ, तेंदुआ आदि) के अवैध व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है।
- भारत में तेंदुए की संख्या (वर्ष 2024):
कुल: 13,874 (वर्ष 2018 से 1.08% की वार्षिक वृद्धि)।
- सर्वाधिक संख्या: मध्य प्रदेश, उसके बाद महाराष्ट्र , कर्नाटक और तमिलनाडु।
- संरक्षण स्थिति: IUCN रेड लिस्ट (सुभेद्य), CITES (परिशिष्ट-I) और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (अनुसूची-I)।
और पढ़ें: वर्ष 2022 में भारत में तेंदुओं की स्थिति