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ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

रौमारी-डोंडुवा वेटलैंड कॉम्प्लेक्स

स्रोत: TOI

चर्चा में क्यों?

असम में रौमारी-डोंडुवा वेटलैंड कॉम्प्लेक्स को इसकी उल्लेखनीय जैवविविधता और पारिस्थितिक महत्त्व को मान्यता देते हुए रामसर स्थल के रूप में शामिल करने की मांग की जा रही है। 

रौमारी-डोंडुवा वेटलैंड कॉम्प्लेक्स क्या है?

  • स्थान: यह असम के काज़ीरंगा बाघ अभयारण्य के एक भाग, लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य (WLS) में स्थित है। यह लगभग 2.5 से 3 वर्ग किलोमीटर में फैला एक बाढ़-मैदान-दलदल क्षेत्र है।
  • जैवविविधता: पूर्वोत्तर भारत के दो मौजूदा रामसर स्थलों - दीपोर बील (असम) और लोकटक झील (मणिपुर) की तुलना में यहाँ पक्षी प्रजातियों की विविधता अधिक है।
    • वर्ष 2025 की काज़ीरंगा आर्द्रभूमि पक्षी जनगणना में 75-88 प्रजातियों के 47,000 से अधिक पक्षी दर्ज किये गए, जिनमें नॉब-बिल्ड डक, ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क और फेरुजिनस पोचार्ड शामिल हैं।
  • रामसर स्थल नामांकन: समृद्ध पक्षी जीवन, विविध आवासों और मज़बूत पारिस्थितिक संबंधों वाला रौमारी–डोंडुवा आर्द्रभूमि परिसर रामसर स्थल के रूप में नामांकन के लिये एक आदर्श उम्मीदवार है।

रामसर कन्वेंशन क्या है?

  • रामसर कन्वेंशन: वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में हस्ताक्षरित रामसर कन्वेंशन, आर्द्रभूमि के संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय और वैश्विक सहयोग के माध्यम से आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा करना है।
  • भारत और रामसर: वर्ष 1982 से सदस्य भारत के पास 94 रामसर स्थल हैं (नवंबर 2025 तक), जो एशिया में सबसे अधिक है, जो जैवविविधता और आजीविका को बढ़ावा देते हैं।
    • भारत में पहला रामसर स्थल के रूप में वर्ष 1981 में ओडिशा की चिल्का झील को नामित किया गया था।
    • वर्तमान में, तमिलनाडु सबसे अधिक रामसर स्थलों के साथ शीर्ष पर है, उसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है।
    • भारत के कुल आर्द्रभूमि क्षेत्र का लगभग 10% वर्तमान में रामसर स्थल के अंतर्गत नामित है।
  • रामसर स्थल निर्धारण के मानदंड: रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों की पहचान के लिये 9 मानदंड हैं। इनमें से महतत्त्वपूर्ण मानदंड ये हैं:
    • पारिस्थितिक विशिष्टता और जैवविविधता: एक दुर्लभ आर्द्रभूमि प्रकार का प्रतिनिधित्व करता है और प्रमुख या संकटग्रस्त प्रजातियों का पोषण करता है।
    • जीवन चक्र सहायता और आश्रय: महत्त्वपूर्ण चरणों के दौरान आवास प्रदान करता है या प्रतिकूल परिस्थितियों में आश्रय प्रदान करता है।
    • पक्षी महत्त्व: 20,000 से अधिक जलपक्षियों या कुल जलपक्षी आबादी के 1% का आवास प्रदान करता है।
    • जलीय महत्त्व: विविध मछली प्रजातियों को पोषण प्रदान करता है, प्रजनन, नर्सरी या प्रवास स्थल के रूप में कार्य करता है।
    • पारिस्थितिक विशिष्टता और जैवविविधता: यह एक दुर्लभ आर्द्रभूमि प्रकार का प्रतिनिधित्व करता है और महत्त्वपूर्ण तथा संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण में सहायक है।
    • जीवन चक्र समर्थन और आश्रय: यह विभिन्न प्रजातियों को उनके जीवन चक्र के महत्त्वपूर्ण चरणों में आवास उपलब्ध कराता है और प्रतिकूल परिस्थितियों में सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है।
    • पक्षी महत्त्व: यह 20,000 से अधिक जलपक्षियों या किसी प्रजाति की वैश्विक आबादी के लगभग 1% को आश्रय प्रदान करना है।
    • जलीय महत्त्व: यह विविध मत्स्य प्रजातियों के लिये प्रजनन, नर्सरी और प्रवास स्थल के रूप में कार्य करते हुए उन्हें पोषण एवं पारिस्थितिक सहयोग प्रदान करता है।

लाओखोवा और बुरहाचापोरी WLS

  • स्थान: काज़ीरंगा (पूर्व), ओरंग (पश्चिम) और पोबितोरा (पश्चिम) के बीच स्थित, यह परिसर काज़ीरंगा एवं ओरंग राष्ट्रीय उद्यानों के बीच एक महत्त्वपूर्ण प्रवास गलियारा बनाता है।
    • यह काज़ीरंगा बाघ अभयारण्य के एक बफर ज़ोन के रूप में कार्य करता है, जहाँ ब्रह्मपुत्र नदी इसकी उत्तरी सीमा बनाती है तथा विविध नदी द्वीपों (चार) का निर्माण करती है।
  • जैवविविधता: भारत का एक-सींग वाला गैंडा, रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी और एशियाई जल भैंस जैसे लुप्तप्राय स्तनधारियों के साथ-साथ ऊदबिलाव तथा पैंगोलिन का निवास स्थान है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र: इसमें घास के मैदान, वनभूमि, आर्द्रभूमि और नदी द्वीप समूह का विविध मिश्रण है।

काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

  • परिचय: वर्ष 1908 में स्थापित यह उद्यान असम के गोलाघाट और नागाँव ज़िलों में स्थित है। इसे वर्ष 1974 में राष्ट्रीय उद्यान, 1985 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और वर्ष 2006 में बाघ अभयारण्य (टाइगर रिज़र्व) के रूप में घोषित किया गया।
  • जीव-जंतु: यह उद्यान भारतीय एक-सींग वाले गैंडों की 2,200 से अधिक आबादी का निवास स्थान है, जो विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई है। इसके अलावा यहाँ बाघ, हाथी, जंगली जल भैंसे (Wild Water Buffalo) और भालू जैसी कई अन्य प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
    • यह लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फिन सहित समृद्ध जलीय जीवन का आश्रय है तथा स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण शरणस्थली के रूप में कार्य करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. रौमारी-डोंडुवा आर्द्रभूमि परिसर क्या है?

रौमारी-डोंडुवा परिसर, काज़ीरंगा परिदृश्य के एक भाग, लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य के भीतर 2.5-3 वर्ग किमी. का बाढ़ का मैदान-दलदल है, यह 120 से अधिक पक्षी प्रजातियों और उच्च पक्षी संख्या का आश्रय प्रदान करता है, जो इसे पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण बनाता है तथा रामसर नामाकन के लिये एक प्रबल दावेदार बनाता है।

2. लाओखोवा-बुरहाचापोरी असम में वन्यजीव संरक्षण में कैसे योगदान देता है?

लाओखोवा-बुरहाचापोरी काज़ीरंगा को आस-पास के संरक्षित क्षेत्रों से जोड़ने वाले एक बफर और गलियारे के रूप में कार्य करता है, जो बड़े स्तनधारियों (गैंडा, हाथी, बाघ), प्रवासी पक्षियों के लिये आर्द्रभूमि तथा गंगा डॉल्फिन जैसी नदी प्रजातियों का आश्रय प्रदान करता है।

3. काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की वैश्विक संरक्षण स्थिति को क्या अलग बनाता है?

यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और बाघ अभयारण्य है, जिसमें लुप्तप्राय भारतीय एक सींग वाले गैंडों की विश्व की सबसे बड़ी आबादी निवास करती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स

प्रश्न1. निम्नलिखित जोड़ियों पर विचार कीजिये: (2013)

राष्ट्रीय उद्यान उद्यान से होकर बहने वाली नदी
1. कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान गंगा काज़ीरंगा 
2. राष्ट्रीय उद्यान मानस साइलेंट
3. वैली राष्ट्रीय उद्यान कावेरी

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1 और 3
(d) इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: (d)


प्रश्न.2 निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्रों में "क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)" के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020)

(a) कॉर्बेट
(b) रणथंभौर
(c) नागार्जुनसागर-श्रीसैलम
(d) सुंदरबन

उत्तर: C


प्रारंभिक परीक्षा

जीवन प्रमाण सेवाओं के लिये IPPB–EPFO समझौता ज्ञापन

स्रोत: PIB

चर्चा में क्यों

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के अंतर्गत पेंशनभोगियों को उनके घर तक डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (जीवन प्रमाण) सेवाएँ प्रदान करने के लिये EPFO के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं, जिससे तकनीक-सक्षम, समावेशी पेंशन वितरण सुनिश्चित होगा।

जीवन प्रमाण 

  • परिचय: जीवन प्रमाण एक आधार-आधारित, बायोमेट्रिक-सक्षम डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (Digital Life Certificate – DLC) है, जो पेंशनभोगियों की पहचान एवं अस्तित्व की पुष्टि करता है ताकि पेंशन का नियमित भुगतान उनके बैंक खाते में होता रहे।
  • पात्रता: यह सुविधा केंद्र, राज्य अथवा अन्य सरकारी संस्थानों के पेंशनभोगियों के लिये उपलब्ध है। इसे प्रतिवर्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है; यह एकमात्र बार की प्रक्रिया नहीं है।
  • क्रियान्वयन: जीवन प्रमाण का संचालन कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) द्वारा किया जाता है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) क्या है?

  • वर्ष 2018 में शुरू किया गया, यह संचार मंत्रालय के अधीन संचालित है।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • यह केवल बचत और चालू खातों में मांग जमा स्वीकार कर सकता है, सावधि जमा नहीं।
    • प्रत्येक ग्राहक पेमेंट्स बैंक खाते में अधिकतम 2,00,000 रुपए की शेष राशि रख सकता है।
    • पेमेंट्स बैंक अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indian-NRI) जमा स्वीकार नहीं कर सकते।
    • पेमेंट्स बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा गतिविधियाँ शुरू करने के लिये सहायक कंपनियाँ स्थापित नहीं कर सकते हैं।

India Post Payments Bank

  • नवाचार और साझेदारी:

    • फिनक्लूवेशन पहल: वित्तीय समावेशन के लिये फिनटेक के साथ नवाचार मंच।
    • व्हाट्सएप बैंकिंग सेवाएँ: व्हाट्सएप के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच।
    • रिया मनी ट्रांसफर साझेदारी: अंतर्राष्ट्रीय आवक धन हस्तांतरण सेवाएँ प्रदान करती है।
  • भारतीय डाकघर और IPPB ऑनलाइन के साथ भारत की डाक प्रणाली दुनिया का सबसे बड़ा डोरस्टेप बैंकिंग नेटवर्क है।
  • महत्त्व:  इसका ध्यान डिजिटल वित्तीय सेवाओं पर केंद्रित है, जो डिजिटल इंडिया मिशन को सशक्त बनाता है तथा नकदरहित एवं समावेशी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. जीवन प्रमाण क्या है?
जीवन प्रमाण एक आधार-आधारित डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (DLC) प्लेटफ़ॉर्म है, जिसे पेंशनभोगियों को वार्षिक जीवन प्रमाणपत्र ऑनलाइन जमा करने की सुविधा देने के लिये शुरू किया गया है। इससे पेंशनधारकों को अपने पेंशन जारी रखने के लिये न निरंतर जारी रह सकता है।

2. घर-घर जाकर DLC का प्रमाणीकरण किस प्रकार किया जाएगा?
प्रमाणीकरण के लिये आधार-लिंक्ड बायोमेट्रिक सत्यापन (फिंगरप्रिंट) या चेहरे का प्रमाणीकरण किया जाता है, जो IPPB के डाकियों द्वारा कोर बैंकिंग सॉल्यूशन-एकीकृत उपकरणों के माध्यम से किया जाता है।

3. इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) क्या है?
IPPB, 2018 में शुरू किया गया, यह संचार मंत्रालय के डाक विभाग के अधीन कार्य करता है। इसका उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में किफायती और सुलभ बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करना है।

 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)

  1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण 
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन 
  3. बैंक शाखाओं द्वारा गाँवों को गोद लेना

भारत में "वित्तीय समावेशन" के लिये उपरोक्त में से कौन-सा/से कदम उठाया/उठाए जाना/जाने चाहिये?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. भारत में लघु वित्त बैंकों (एस.एफ.बी.) की स्थापना का उद्देश्य क्या है? (2017) 

  1. लघु व्यवसाय इकाइयों को ऋण प्रदान करना।   
  2. लघु एवं सीमांत किसानों को ऋण उपलब्ध कराना।  
  3. युवा उद्यमियों को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसाय स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करना। 

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (a)


रैपिड फायर

भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट लॉन्च

स्रोत: लाइवमिंट

भारत का पहला प्राइवेट कमर्शियल सैटेलाइट का लॉन्च/प्रक्षेपण हैदराबाद की स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा जनवरी 2026 में किया जाएगा।

  • यह प्रक्षेपण स्काईरूट को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बाद ऐसा करने वाली एकमात्र भारतीय संस्था बन जाएगी, जिसने सैटेलाइट ले जाने वाले रॉकेट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में लॉन्च किया है।
    • स्काईरूट एयरोस्पेस नवंबर 2022 में विक्रम-एस सबऑर्बिटल मिशन के साथ रॉकेट प्रक्षेपण करने वाली भारत की पहली निजी कंपनी बनी, जिसने भारत के अंतरिक्ष निजीकरण प्रयासों में एक ऐतिहासिक मोड़ दर्ज किया।
  • स्काईरूट का मिशन भारत सरकार के वर्ष 2020 के उस निर्णय के बाद आया है, जिसमें अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिये खोला गया था।
    • भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe), जो जून 2020 में स्थापित किया गया था, ISRO के अंतर्गत एक स्वतंत्र नोडल संस्था के रूप में कार्य करता है। इसका उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना, मार्गदर्शन देना और अनुमति प्रदान करना है।
    • भारत के प्राइवेट स्पेस सेक्टर में 200 से ज़्यादा स्टार्टअप हैं और अनुमान है कि वर्ष 2033 तक यह $44 बिलियन तक पहुँच जाएगा।
  • स्काईरूट का वैश्विक छोटे उपग्रह प्रक्षेपण की मांग को पूरा करने की दिशा में किया गया प्रयास सुलभ अंतरिक्ष पहुँच और भारत के वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र के नए चरण की ओर एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
और पढ़ें: भारत का पहला प्राइवेट लॉन्च व्हीकल


रैपिड फायर

विदेशी देनदारियाँ और परिसंपत्तियों (FLA) पर सेंसस 2024-25

स्रोत: TH

भारतीय रिज़र्व बैंक की 2024-25 विदेशी देनदारियों और परिसंपत्तियों (FLA) पर सेंसस के अनुसार, अमेरिका एवं सिंगापुर ने मिलकर भारत के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में एक तिहाई से अधिक का योगदान दिया, जिससे भारत के शीर्ष निवेश साझेदार के रूप में उनकी स्थिति की पुष्टि होती है।

भारत में FDI

  • शीर्ष निवेशक: अमेरिका (20%) और सिंगापुर (14.3%) ने मिलकर कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक-तिहाई से अधिक योगदान दिया, जिनके बाद मॉरीशस, ब्रिटेन एवं नीदरलैंड का स्थान रहा।
  • विदेशी प्रभुत्व: 75% से अधिक FDI-रिपोर्टिंग कंपनियाँ विदेशी सहायक कंपनियाँ थीं, जो मज़बूत विदेशी स्वामित्व और तकनीकी प्रवाह को दर्शाता है।
  • क्षेत्रीय फोकस: विनिर्माण क्षेत्र ने सबसे अधिक FDI (48.4% बाज़ार मूल्य) आकर्षित किया, इसके बाद सेवा क्षेत्र का स्थान रहा, जो भारत के औद्योगिकीकरण के लक्ष्यों के अनुरूप है।
  • बढ़ता प्रवाह: कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) स्टॉक FY25 में बढ़कर ₹68.75 लाख करोड़ पर पहुँच गया, जो FY24 के ₹61.88 लाख करोड़ की तुलना में 11.1% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। यह प्रवृत्ति भारत की अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों के निरंतर बढ़ते विश्वास को उजागर करती है। 
  • बाह्य विस्तार: बाह्य प्रत्यक्ष निवेश (ODI) यानी जब कोई भारतीय कंपनी अपने संचालन का विस्तार विदेशों में करती है — ₹11.66 लाख करोड़ दर्ज किया गया। इसके प्रमुख निवेश गंतव्य सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन और नीदरलैंड रहे।
    • ODI वृद्धि (17.9%) ने FDI वृद्धि (11.1%) को पीछे छोड़ दिया, जिससे आवक-जावक (Inward-to-Outward) DI अनुपात वर्ष-दर-वर्ष 6.3 गुना से घटकर 5.9 गुना हो गया।
  • औद्योगिक मज़बूती: गैर-वित्तीय कंपनियों के पास कुल FDI इक्विटी का 90% से अधिक हिस्सा था, जो मुख्य क्षेत्रों के प्रभुत्व को दर्शाता है।
और पढ़ें: RBI वार्षिक रिपोर्ट 2024-25


रैपिड फायर

पैट्रियट वायु रक्षा प्रणाली

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स

यूक्रेन को पश्चिमी सहयोगियों, विशेष रूप से जर्मनी से अतिरिक्त पैट्रियट वायु रक्षा प्रणाली प्राप्त हुए हैं, ताकि तेज़ हो रहे रूसी मिसाइल और ड्रोन हमलों का मुकाबला किया जा सके।

पैट्रियट वायु रक्षा प्रणाली

  • जानकारी: PATRIOT का पूरा नाम है Phased Array Tracking Radar for Intercept on Target, जिसे रेथियॉन टेक्नोलॉजीज़ (Raytheon Technologies) ने विकसित किया है।
    • पैट्रियट प्रणाली, जो अमेरिका में निर्मित है, वैश्विक स्तर पर सबसे उन्नत एंटी-मिसाइल प्लेटफॉर्म में से एक है और जर्मनी इसका यूक्रेन के लिये सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता है।
    • यह एक मोबाइल सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली है, जो 1980 के दशक से सेवा में है और इसका उपयोग विमानों, बैलिस्टिक मिसाइलों एवं क्रूज़ मिसाइलों को रोकने के लिये किया जाता है।
  • तकनीकी क्षमताएँ: यह प्रणाली 150 किमी. दूर लक्ष्यों का पता लगा सकती है और 20 किमी. ऊँचाई तक पहुँच सकती है तथा आने वाली मिसाइलों के खिलाफ 15–20 किमी. की रक्षा कवरेज प्रदान करती है।
  • वैश्विक उपयोगकर्त्ता: यह प्रणाली 16 देशों द्वारा उपयोग की जाती है, जिनमें जर्मनी, जापान, इज़रायल, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और पोलैंड शामिल हैं।

विश्व भर में वायु रक्षा प्रणालियाँ

देश

वायु रक्षा प्रणालियाँ

भारत

आकाश प्रणाली, पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD), QRSAM (सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित मिसाइल प्रणाली)

अमेरिका

गोल्डन डोम मिसाइल रक्षा परियोजना (प्रस्तावित), पैट्रियट, THAAD (टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस), NASAMS (नेशनल एडवांस्ड सतह-से-हवा मिसाइल सिस्टम), अवेंजर सिस्टम।

रूस

S-400 “ट्रायम्फ”, S-500 “प्रोमेतेय”, बुक और टोर सिस्टम।

चीन

HQ-9, HQ-16, HQ-22, HQ-19

इज़रायल

आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग, एरो 2 और एरो 3।

और पढ़ें: बैलिस्टिक और वायु रक्षा प्रणालियों में भारत की प्रगति


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