रैपिड फायर
ट्रैक्टर उत्सर्जन मानक (TREM)
किसानों संगठनों ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव का विरोध किया है जिसमें 1 अक्तूबर 2026 से ट्रैक्टरों के लिये ट्रैक्टर उत्सर्जन मानक (TREM) स्टेज V को लागू करने की बात की गई है। उन्होंने यह तर्क दिया है कि ये नियम किसानों को नए ट्रैक्टर खरीदने के लिये मजबूर करेंगे, जिससे उनका ऋण और आर्थिक कठिनाइयाँ बढ़ेंगी।
- TREM: ये सरकार द्वारा निर्धारित प्रदूषण-नियंत्रण मानक हैं, जिनका उद्देश्य कृषि ट्रैक्टरों और कृषि मशीनरी से निकलने वाले हानिकारक उत्सर्जनों को नियंत्रित तथा कम करना है।
- ये अन्य वाहनों के लिये लागू भारत स्टेज (BS) मानको के समान हैं, लेकिन विशेष रूप से कृषि उपकरणों के लिये बनाए गए हैं ताकि नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), पार्टिकुलेट मैटर (PM), हाइड्रोकार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों को सीमित किया जा सके।
- TREM के स्टेज: भारत में ट्रैक्टर उत्सर्जन मानक पहली बार वर्ष 1999 में लागू किये गए थे। इसके बाद भारत (TREM) स्टेज II वर्ष 2003 में ऑटो फ्यूल नीति पर विशेषज्ञ समिति (माशेलकर समिति, 2002) की सिफारिशों के आधार पर लागू किया गया और भारत (TREM) स्टेज III वर्ष 2005 में आया।
- TREM-IIIA (2010–11) में हॉर्सपावर (HP)-आधारित सीमाएँ जोड़ी गईं और TREM-IV वर्ष 2023 में 50 HP से अधिक ट्रैक्टरों के लिये लागू किया गया ताकि उत्सर्जन को और कम किया जा सके।
- प्रभाव: 50 HP से अधिक ट्रैक्टरों के लिये TREM-IV और V मानको के लागू होने से ट्रैक्टरों की कीमत में 20–25% तक की वृद्धि हो सकती है, जिससे छोटे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
- किसानों का आग्रह है कि TREM-V केवल 70 HP से अधिक वाले ट्रैक्टरों पर लागू किया जाएँ, जो मुख्यतः गैर-कृषि कार्यों में उपयोग होते हैं।
रैपिड फायर
त्रि-सेवा अभ्यास (TSE-2025) "त्रिशूल"
भारत ने त्रि-सेवा अभ्यास “त्रिशूल-2025” की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य भूमि, वायु और समुद्र—तीनों क्षेत्रों में संयुक्त संचालन क्षमता को और मज़बूत करना है। यह अभ्यास राजस्थान–गुजरात के सर क्रीक और रेगिस्तानी क्षेत्रों से लेकर उत्तरी अरब सागर तक आयोजित किया जा रहा है।
- समन्वय और प्रतिभागी: यह थल, वायु, समुद्र, साइबर और अंतरिक्ष में संयुक्त क्षमताओं का परीक्षण करने के लिये एक प्रमुख त्रि-सेवा अभ्यास है, जिसका उद्देश्य संयुक्त प्रक्रियाओं का सत्यापन, नेटवर्क एकीकरण को मज़बूत करना और अंतर-सेवा अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाना है।
- पश्चिमी नौसेना कमान (मुंबई) मुख्यालय द्वारा समन्वित इस अभ्यास में दक्षिणी कमान (थल सेना), पश्चिमी नौसेना कमान (नौसेना) और दक्षिण पश्चिमी वायु कमान (आईएएफ) शामिल है तथा तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल और अन्य एजेंसियों का सहयोग प्राप्त है, जो मज़बूत अंतर-एजेंसी और बहु-डोमेन एकीकरण को उजागर करता है।
- उप-अभ्यास: "त्रिनेत्र" और "महागुजरात" बड़े वार्षिक त्रि-सेवा अभ्यास त्रिशूल 2025 के अंतर्गत उप-अभ्यास हैं।
- संचालन: इस अभ्यास में संयुक्त खुफिया, निगरानी और टोही (ISR), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) और साइबर युद्ध योजनाओं की प्रभावशीलता का भी परीक्षण किया जाएगा।
- स्वदेशीकरण: यह अभ्यास स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के प्रभावी उपयोग और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सिद्धांतों को संचालन में आत्मसात् करने को भी उजागर करेगा।
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और पढ़ें: अंतर-सेवा संगठन नियम 2025 |
प्रारंभिक परीक्षा
अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में “उभरता विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (ESTIC) 2025” का उद्घाटन किया तथा अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (RDI) योजना की शुरुआत की।
अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (RDI) योजना क्या है?
- परिचय: RDI योजना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की एक पहल है, जिसके अंतर्गत 1 लाख करोड़ रुपए का कोष बनाया गया है। इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी को अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण में प्रोत्साहित करना है।
- उद्देश्य: निजी क्षेत्र को अनुसंधान एवं नवाचार में निवेश बढ़ाने हेतु दीर्घकालिक वित्तपोषण या पुनर्वित्तपोषण कम या शून्य ब्याज दर पर उपलब्ध कराना।
- मुख्य लक्ष्य: उभरते क्षेत्रों, रणनीतिक उद्योगों और आर्थिक सुरक्षा एवं आत्मनिर्भरता के लिये आवश्यक क्षेत्रों को सहयोग देना।
- उच्च प्रौद्योगिकी तत्परता स्तरों (TRL) पर परिवर्तनकारी परियोजनाओं को वित्तपोषित करना।
- राष्ट्रीय महत्त्व की महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण में सहायता करना।
- हाई-टेक स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिये डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना करना।
- शासन संरचना:
- अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF): प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला ANRF गवर्निंग बोर्ड RDI योजना की रणनीतिक दिशा निर्धारित करेगा। इसकी कार्यकारी परिषद दिशानिर्देश तैयार करेगी, फंड मैनेजरों की नियुक्ति करेगी और उभरते क्षेत्रों में परियोजनाओं की रूपरेखा तय करेगी।
- सचिवों का सशक्त समूह (EGoS): कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में यह समूह स्वीकृतियों, क्षेत्रीय फोकस और कार्य प्रदर्शन समीक्षा की निगरानी करेगा।
- नोडल विभाग: इस योजना को लागू करने की ज़िम्मेदारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की होगी।
- वित्त पोषण तंत्र: RDI योजना दो-स्तरीय वित्तीय मॉडल का पालन करेगी, जिसमें ANRF के तहत एक विशेष प्रयोजन कोष (SPF) कोष अभिरक्षक के रूप में कार्य करेगा तथा वह संसाधनों को द्वितीय स्तर के फंड प्रबंधकों (जैसे NBFCs) तक प्रेषित करेगा।
- वित्तपोषण मुख्य रूप से निम्न या शून्य ब्याज पर दीर्घकालिक रियायती ऋणों के माध्यम से होगा, जिसमें स्टार्टअप्स के लिये इक्विटी समर्थन और डीप-टेक या अन्य RDI-केंद्रित फंड्स ऑफ फंड्स (FOP) में संभावित योगदान शामिल होगा।
उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (ESTIC) 2025
- परिचय: ESTIC भारत का प्रमुख विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (STI) मंच है, जो मंत्रालयों, नवप्रवर्तकों और वैश्विक नेताओं को एक साथ लाकर अत्याधुनिक शोध को प्रदर्शित करता है तथा वैज्ञानिक नेतृत्व के एक नए युग को आगे बढ़ाता है।
- यह विकसित भारत 2047 की दृष्टि से प्रेरित है और इस दृष्टि को ठोस रणनीतियों में बदलने का लक्ष्य रखता है।
- नोडल विभाग: यह भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय के मार्गदर्शन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है।
- विज़न: राष्ट्रीय विकास के लिये ज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी का उपयोग करना तथा भारत को वैश्विक वैज्ञानिक प्रगति के प्रमुख चालक के रूप में स्थापित करना।
- उद्देश्य:
- उभरते विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नई प्रगति को आगे बढ़ाना।
- भविष्य के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नेतृत्व को तैयार करना और उन्हें मंच प्रदान करना।
- उच्च-प्रौद्योगिकी नवाचारों और समाधान विकास में व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये डीप-टेक स्टार्टअप, उद्योग, वित्त पोषण संस्थान और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग को सुदृढ़ करना।
- 11 प्रमुख विषयगत क्षेत्र: उन्नत सामग्री और विनिर्माण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), जैव-विनिर्माण, ब्लू इकोनॉमी, डिजिटल संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और अर्द्ध-चालक विनिर्माण, उभरती कृषि प्रौद्योगिकियाँ, ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु, स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रौद्योगिकियाँ, क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियाँ, आदि
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. ESTIC 2025 क्या है?
ESTIC 2025 भारत का प्रमुख विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (STI) सम्मेलन है, जिसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) के कार्यालय द्वारा आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य 11 विषयगत क्षेत्रों में अकादमिक संस्थानों, उद्योग, नीति-निर्माताओं और वैश्विक विशेषज्ञों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
2. RDI स्कीम और इसका कॉर्पस क्या है?
DST द्वारा लॉन्च की गई RDI स्कीम एक 1 लाख करोड़ रुपये का फंड है, जिसका उद्देश्य निजी क्षेत्र द्वारा संचालित R&D को बढ़ावा देना है। इसके तहत किफायती लंबी अवधि के वित्तपोषण, इक्विटी सहायता और दो-स्तरीय फंडिंग मॉडल के माध्यम से प्रोजेक्ट्स को वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिसे ANRF के विशेष प्रयोजन निधि के माध्यम से प्रबंधित किया जाएगा।
3. RDI योजना का संचालन/प्रबंधन कैसे किया जाएगा?
RDI योजना का संचालन ANRF के संचालन बोर्ड (जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं) और रणनीतिक दिशा के लिये एक कार्यकारी परिषद के संयोजन से किया जाएगा, जबकि अनुमोदन तथा प्रदर्शन निगरानी के लिये सचिवों के सशक्त समूह की भूमिका होगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
- औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना
- सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
- रोगों का निदान
- टेक्स्ट से स्पीच (Text- to- Speech) में परिवर्तन
- विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर: (b)
प्रश्न . ‘‘ब्लॉकचेन तकनीकी’’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
- यह एक सार्वजनिक खाता है, जिसका हर कोई निरीक्षक कर सकता है, परंतु जिसे कोई भी एक उपभोक्ता नियंत्रित नहीं करता।
- ब्लॉकचेन की संरचना और डिज़ाइन ऐसा है कि इसका समूचा डेटा केवल क्रिप्टोकरेंसी के विषय में है।
- ब्लॉकचेन के आधारभूत वैशिष्ट्यों पर आधारित अनुप्रयोगों को बिना किसी व्यक्ति की अनुमति के विकसित किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 1 और 3
उत्तर : (d)
रैपिड फायर
अमूल GDP प्रति व्यक्ति के आधार पर विश्व का शीर्ष सहकारी संगठन बना
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (GCMMF), जो अमूल ब्रांड के तहत डेयरी उत्पादों का विपणन करता है, को अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 के अनुसार GDP प्रति व्यक्ति प्रदर्शन के आधार पर विश्व का नंबर 1 सहकारी संगठन चुना गया है।
- अमूल की सफलता इसके तीन-स्तरीय सहकारी ढाँचे से आती है, जो 18,600 गाँव के डेयरी सहकारियों के माध्यम से 36 लाख दूध उत्पादकों को सशक्त बनाता है और पूरे भारत में समावेशी विकास, सामाजिक समानता तथा ग्रामीण विकास को बढ़ावा देता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA)
- ब्रसेल्स में मुख्यालय वाला अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) एक वैश्विक संगठन है, जो विभिन्न क्षेत्रों के सहकारी संस्थानों का प्रतिनिधित्व करता है और सतत् व्यापार मॉडलों को बढ़ावा देता है।
- यह विश्वभर में सहकारी आंदोलनों में आत्म-निर्भरता, समानता और सामाजिक ज़िम्मेदारी के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिये कार्य करता है।
वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर
- वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर, जिसे अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) और EURICSE (यूरोपीय अनुसंधान संस्थान फॉर कोऑपरेटिव एंड सोशल एंटरप्राइजेज) के सहयोग से प्रतिवर्ष विकसित किया जाता है, निम्नलिखित का विश्लेषण करता है:
- विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्थाओं का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव।
- समावेशी विकास, रोज़गार सृजन और सामुदायिक कल्याण में उनका योगदान।
सहकारिताएँ क्या हैं?
- परिचय: सहकारी (Cooperative) एक स्वैच्छिक, लोकतांत्रिक संघ है जो “एक सदस्य, एक वोट” के सिद्धांत के आधार पर संयुक्त स्वामित्व वाले उद्यम के माध्यम से साझा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- भारत में सहकारी आंदोलन की शुरुआत 19वीं सदी के अंत में ग्रामीण ऋण और शोषण को रोकने के लिये हुई थी, जिसे वर्ष 1904 और 1912 के सहकारी अधिनियमों द्वारा चिह्नित किया गया।
- संवैधानिक ढाँचा: 97वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 ने सहकारी संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- इसमें अनुच्छेद 19(1)(c) जोड़ा गया, जिससे नागरिकों को सहकारी संस्थाएँ बनाने का अधिकार प्राप्त हुआ और अनुच्छेद 43B (राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत- DPSPs के तहत) शामिल किया गया, जो राज्य को उन्हें प्रोत्साहित करने का निर्देश देता है।
- खंड IXB (अनुच्छेद 243ZH–243ZT) सहकारी संस्थाओं के प्रबंधन और संचालन का ढाँचा निर्धारित करता है।
- कानूनी आधार: राज्य सहकारी संस्थाएँ राज्य सूची (State List) के अंतर्गत आती हैं, जबकि बहु-राज्यीय सहकारी संस्थाएँ (Multi-State Cooperatives) संघ सूची (Union List) के अंतर्गत आती हैं और इन्हें बहु-राज्यीय सहकारी समितियों (MSCS) अधिनियम, 2002 द्वारा विनियमित किया जाता है।
- केंद्रीय रजिस्ट्रार बहु-राज्यीय सहकारी संस्थाओं की निगरानी करता है, जबकि राज्य रजिस्ट्रार राज्य स्तर की सहकारी संस्थाओं का प्रबंधन करते हैं।
- MSCS (संशोधन) अधिनियम, 2023 ने सहकारी संस्थाओं के शासन तथा पारदर्शिता को मजबूत किया, और 2021 में स्थापित सहकारिता मंत्रालय ने पहले कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सहकारी संबंधित कार्यों को एकीकृत किया।
- सहकारी कवरेज: भारत में लगभग 8.42 लाख सहकारी संस्थाएँ हैं, जिनके लगभग 29 करोड़ सदस्य हैं, जो विश्व स्तर पर कुल सदस्यों का लगभग 27% है। IFFCO (भारतीय कृषक सहकारी उर्वरक लिमिटेड) और अमूल जैसी संस्थाएँ विश्व की शीर्ष 10 सहकारी संस्थाओं में शामिल हैं।
- केवल महाराष्ट्र में ही सभी सहकारी संस्थाओं का एक चौथाई से अधिक हिस्सा है,और शीर्ष पाँच राज्य—महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और कर्नाटक—कुल का 57% योगदान करते हैं।
- राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025: यह एक नीति दस्तावेज़ है जो सहकारिता मंत्रालय के “सहकार से समृद्धि” मांडेट का समर्थन करता है, 2002 की नीति की जगह लेता है और 2025–2045 के लिये सहकारी संस्थाओं के विकास का मार्गदर्शन करता है। इसका उद्देश्य है:
- 2 लाख नए बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (M-PACS) स्थापित करना।
- डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास निधि (DIDF), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) जैसी योजनाओं का लाभ उठाना, और
- त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के माध्यम से सहकारी शिक्षा को बढ़ावा देना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहकारी वर्ष (IYC) 2025: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारी वर्ष घोषित किया है, जिसका विषय है "सहकारिताएँ एक बेहतर विश्व का निर्माण करती हैं (Cooperatives Build a Better World)", जो सतत् विकास को बढ़ावा देने और संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को आगे बढ़ाने में सहकारी संस्थाओं की भूमिका को मान्यता देता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. 97वें संविधान संशोधन से भारत में सहकारिताओं को कैसे समर्थन मिला है?
इस संशोधन ने सहकारिताओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया है। इसने अनुच्छेद 19(1)(c) में सहकारी संस्थाएँ बनाने का अधिकार जोड़ा और राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतो (DPSP) के अंतर्गत अनुच्छेद 43B जोड़ा, जो राज्य को सहकारिता को बढ़ावा देने का निर्देश देता है। इससे सहकारिता आंदोलन को वैधानिक मान्यता और संस्थागत समर्थन मिला है।
2. राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
इस नीति का उद्देश्य 2 लाख M-PACS की स्थापना करना, DIDF और PMMSY जैसी योजनाओं का उपयोग बढ़ाना, सहकारी शिक्षा को सशक्त बनाना तथा वर्ष 2025 से 2045 तक सहकारी क्षेत्र के विकास के लिये मार्गदर्शन प्रदान करना है।
3. वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष क्यों घोषित किया गया है?
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2025 को सहकारिताओं की भूमिका को रेखांकित करने के लिये नामित किया है, ताकि सतत् विकास, आर्थिक समावेशन और संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में उनके योगदान को उजागर किया जा सके। इस वर्ष की थीम है — “सहकारिताएँ एक बेहतर विश्व का निर्माण करती हैं” (Cooperatives Build a Better World)।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. भारत में ‘शहरी सहकारी बैंकों’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
- राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थानीय मंडलों द्वारा उनका पर्यवेक्षण एवं विनियमन किया जाता है।
- वे इक्विटी शेयर और अधिमान शेयर जारी कर सकते हैं।
- उन्हें वर्ष 1966 में एक संशोधन द्वारा बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के कार्य-क्षेत्र में लाया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर:(b)
प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किस की कृषि तथा सहबद्ध गतिविधियों में ऋण के वितरण में सबसे अधिक हिस्सेदारी है? (2011)
(a) वाणिज्यिक बैंकों की
(b) सहकारी बैंकों की
(c) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की
(d) सूक्ष्म-वित्त (माइक्रोफाइनेंस) संस्थाओं की
उत्तर: (a)

