रैपिड फायर
त्रि-सेवा अभ्यास (TSE-2025) "त्रिशूल"
- 05 Nov 2025
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भारत ने त्रि-सेवा अभ्यास “त्रिशूल-2025” की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य भूमि, वायु और समुद्र—तीनों क्षेत्रों में संयुक्त संचालन क्षमता को और मज़बूत करना है। यह अभ्यास राजस्थान–गुजरात के सर क्रीक और रेगिस्तानी क्षेत्रों से लेकर उत्तरी अरब सागर तक आयोजित किया जा रहा है।
- समन्वय और प्रतिभागी: यह थल, वायु, समुद्र, साइबर और अंतरिक्ष में संयुक्त क्षमताओं का परीक्षण करने के लिये एक प्रमुख त्रि-सेवा अभ्यास है, जिसका उद्देश्य संयुक्त प्रक्रियाओं का सत्यापन, नेटवर्क एकीकरण को मज़बूत करना और अंतर-सेवा अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाना है।
- पश्चिमी नौसेना कमान (मुंबई) मुख्यालय द्वारा समन्वित इस अभ्यास में दक्षिणी कमान (थल सेना), पश्चिमी नौसेना कमान (नौसेना) और दक्षिण पश्चिमी वायु कमान (आईएएफ) शामिल है तथा तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल और अन्य एजेंसियों का सहयोग प्राप्त है, जो मज़बूत अंतर-एजेंसी और बहु-डोमेन एकीकरण को उजागर करता है।
- उप-अभ्यास: "त्रिनेत्र" और "महागुजरात" बड़े वार्षिक त्रि-सेवा अभ्यास त्रिशूल 2025 के अंतर्गत उप-अभ्यास हैं।
- संचालन: इस अभ्यास में संयुक्त खुफिया, निगरानी और टोही (ISR), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) और साइबर युद्ध योजनाओं की प्रभावशीलता का भी परीक्षण किया जाएगा।
- स्वदेशीकरण: यह अभ्यास स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के प्रभावी उपयोग और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सिद्धांतों को संचालन में आत्मसात् करने को भी उजागर करेगा।
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