रैपिड फायर
अमूल GDP प्रति व्यक्ति के आधार पर विश्व का शीर्ष सहकारी संगठन बना
- 05 Nov 2025
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गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (GCMMF), जो अमूल ब्रांड के तहत डेयरी उत्पादों का विपणन करता है, को अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 के अनुसार GDP प्रति व्यक्ति प्रदर्शन के आधार पर विश्व का नंबर 1 सहकारी संगठन चुना गया है।
- अमूल की सफलता इसके तीन-स्तरीय सहकारी ढाँचे से आती है, जो 18,600 गाँव के डेयरी सहकारियों के माध्यम से 36 लाख दूध उत्पादकों को सशक्त बनाता है और पूरे भारत में समावेशी विकास, सामाजिक समानता तथा ग्रामीण विकास को बढ़ावा देता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA)
- ब्रसेल्स में मुख्यालय वाला अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) एक वैश्विक संगठन है, जो विभिन्न क्षेत्रों के सहकारी संस्थानों का प्रतिनिधित्व करता है और सतत् व्यापार मॉडलों को बढ़ावा देता है।
- यह विश्वभर में सहकारी आंदोलनों में आत्म-निर्भरता, समानता और सामाजिक ज़िम्मेदारी के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिये कार्य करता है।
वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर
- वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर, जिसे अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) और EURICSE (यूरोपीय अनुसंधान संस्थान फॉर कोऑपरेटिव एंड सोशल एंटरप्राइजेज) के सहयोग से प्रतिवर्ष विकसित किया जाता है, निम्नलिखित का विश्लेषण करता है:
- विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्थाओं का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव।
- समावेशी विकास, रोज़गार सृजन और सामुदायिक कल्याण में उनका योगदान।
सहकारिताएँ क्या हैं?
- परिचय: सहकारी (Cooperative) एक स्वैच्छिक, लोकतांत्रिक संघ है जो “एक सदस्य, एक वोट” के सिद्धांत के आधार पर संयुक्त स्वामित्व वाले उद्यम के माध्यम से साझा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- भारत में सहकारी आंदोलन की शुरुआत 19वीं सदी के अंत में ग्रामीण ऋण और शोषण को रोकने के लिये हुई थी, जिसे वर्ष 1904 और 1912 के सहकारी अधिनियमों द्वारा चिह्नित किया गया।
- संवैधानिक ढाँचा: 97वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 ने सहकारी संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- इसमें अनुच्छेद 19(1)(c) जोड़ा गया, जिससे नागरिकों को सहकारी संस्थाएँ बनाने का अधिकार प्राप्त हुआ और अनुच्छेद 43B (राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत- DPSPs के तहत) शामिल किया गया, जो राज्य को उन्हें प्रोत्साहित करने का निर्देश देता है।
- खंड IXB (अनुच्छेद 243ZH–243ZT) सहकारी संस्थाओं के प्रबंधन और संचालन का ढाँचा निर्धारित करता है।
- कानूनी आधार: राज्य सहकारी संस्थाएँ राज्य सूची (State List) के अंतर्गत आती हैं, जबकि बहु-राज्यीय सहकारी संस्थाएँ (Multi-State Cooperatives) संघ सूची (Union List) के अंतर्गत आती हैं और इन्हें बहु-राज्यीय सहकारी समितियों (MSCS) अधिनियम, 2002 द्वारा विनियमित किया जाता है।
- केंद्रीय रजिस्ट्रार बहु-राज्यीय सहकारी संस्थाओं की निगरानी करता है, जबकि राज्य रजिस्ट्रार राज्य स्तर की सहकारी संस्थाओं का प्रबंधन करते हैं।
- MSCS (संशोधन) अधिनियम, 2023 ने सहकारी संस्थाओं के शासन तथा पारदर्शिता को मजबूत किया, और 2021 में स्थापित सहकारिता मंत्रालय ने पहले कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सहकारी संबंधित कार्यों को एकीकृत किया।
- सहकारी कवरेज: भारत में लगभग 8.42 लाख सहकारी संस्थाएँ हैं, जिनके लगभग 29 करोड़ सदस्य हैं, जो विश्व स्तर पर कुल सदस्यों का लगभग 27% है। IFFCO (भारतीय कृषक सहकारी उर्वरक लिमिटेड) और अमूल जैसी संस्थाएँ विश्व की शीर्ष 10 सहकारी संस्थाओं में शामिल हैं।
- केवल महाराष्ट्र में ही सभी सहकारी संस्थाओं का एक चौथाई से अधिक हिस्सा है,और शीर्ष पाँच राज्य—महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और कर्नाटक—कुल का 57% योगदान करते हैं।
- राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025: यह एक नीति दस्तावेज़ है जो सहकारिता मंत्रालय के “सहकार से समृद्धि” मांडेट का समर्थन करता है, 2002 की नीति की जगह लेता है और 2025–2045 के लिये सहकारी संस्थाओं के विकास का मार्गदर्शन करता है। इसका उद्देश्य है:
- 2 लाख नए बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (M-PACS) स्थापित करना।
- डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास निधि (DIDF), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) जैसी योजनाओं का लाभ उठाना, और
- त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के माध्यम से सहकारी शिक्षा को बढ़ावा देना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहकारी वर्ष (IYC) 2025: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारी वर्ष घोषित किया है, जिसका विषय है "सहकारिताएँ एक बेहतर विश्व का निर्माण करती हैं (Cooperatives Build a Better World)", जो सतत् विकास को बढ़ावा देने और संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को आगे बढ़ाने में सहकारी संस्थाओं की भूमिका को मान्यता देता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. 97वें संविधान संशोधन से भारत में सहकारिताओं को कैसे समर्थन मिला है?
इस संशोधन ने सहकारिताओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया है। इसने अनुच्छेद 19(1)(c) में सहकारी संस्थाएँ बनाने का अधिकार जोड़ा और राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतो (DPSP) के अंतर्गत अनुच्छेद 43B जोड़ा, जो राज्य को सहकारिता को बढ़ावा देने का निर्देश देता है। इससे सहकारिता आंदोलन को वैधानिक मान्यता और संस्थागत समर्थन मिला है।
2. राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
इस नीति का उद्देश्य 2 लाख M-PACS की स्थापना करना, DIDF और PMMSY जैसी योजनाओं का उपयोग बढ़ाना, सहकारी शिक्षा को सशक्त बनाना तथा वर्ष 2025 से 2045 तक सहकारी क्षेत्र के विकास के लिये मार्गदर्शन प्रदान करना है।
3. वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष क्यों घोषित किया गया है?
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2025 को सहकारिताओं की भूमिका को रेखांकित करने के लिये नामित किया है, ताकि सतत् विकास, आर्थिक समावेशन और संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में उनके योगदान को उजागर किया जा सके। इस वर्ष की थीम है — “सहकारिताएँ एक बेहतर विश्व का निर्माण करती हैं” (Cooperatives Build a Better World)।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. भारत में ‘शहरी सहकारी बैंकों’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
- राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थानीय मंडलों द्वारा उनका पर्यवेक्षण एवं विनियमन किया जाता है।
- वे इक्विटी शेयर और अधिमान शेयर जारी कर सकते हैं।
- उन्हें वर्ष 1966 में एक संशोधन द्वारा बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के कार्य-क्षेत्र में लाया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर:(b)
प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किस की कृषि तथा सहबद्ध गतिविधियों में ऋण के वितरण में सबसे अधिक हिस्सेदारी है? (2011)
(a) वाणिज्यिक बैंकों की
(b) सहकारी बैंकों की
(c) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की
(d) सूक्ष्म-वित्त (माइक्रोफाइनेंस) संस्थाओं की
उत्तर: (a)
