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भारत का पहला राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय

  • 08 Jul 2025
  • 4 min read

स्रोत: द हिंदू

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने गुजरात के आणंद में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया, जो भारत का पहला राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय है। यह पहल सरकार की ‘सहकार से समृद्धि’ (सहकारिता के माध्यम से समृद्धि) की दृष्टि के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाना है।

त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (TSU)

  • परिचय: त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (TSU) का नाम त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल के नाम पर रखा गया है, जो भारत के सहकारी इतिहास के एक प्रमुख व्यक्तित्व और अमूल के संस्थापक थे। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ मिलकर वर्ष 1946 से गुजरात में सहकारी आंदोलन को दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • विश्वविद्यालय को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत किया जाएगा।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाना है, जिसके तहत सहकारी प्रबंधन, लेखांकन, वित्त, विपणन, सहकारी कानून और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में डिग्री, डिप्लोमा तथा पीएचडी पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाएगी, ताकि एक प्रशिक्षित एवं कुशल कार्यबल तैयार किया जा सके।
    • इसका लक्ष्य 5 वर्षों में 20 लाख से अधिक पेशेवरों को प्रशिक्षित करना है, जिसमें डेयरी, मत्स्यपालन और कृषि ऋण सहकारी समितियों जैसे प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा।
    • एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास (R&D) परिषद की स्थापना की जाएगी, जिसका उद्देश्य नवाचार को प्रोत्साहित करना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और ग्रामीण सहकारी संस्थानों में श्रेष्ठ प्रथाओं को बढ़ावा देना होगा।

भारत में सहकारी क्षेत्र:

  • यह क्षेत्र ऐसे सदस्य-स्वामित्व वाले संगठनों को शामिल करता है, जो आपसी सहायता और संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण के माध्यम से सामाजिक तथा आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये  मिलकर कार्य करते हैं। यह ग्रामीण विकास और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • 97वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 के तहत अनुच्छेद 19(1)(c) में संशोधन कर सहकारी समितियाँ बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार बना दिया गया।
  • यह क्षेत्र मुख्य रूप से सहकारी समितियाँ अधिनियम, 1912 और बहु-राज्य सहकारी समितियाँ (MSCS) अधिनियम, 2002 द्वारा संचालित होता है।
    • MSCS (संशोधन) अधिनियम, 2023 का उद्देश्य बहु-राज्य सहकारी समितियों में सुशासन, उत्तरदायित्व और पारदर्शिता को मज़बूत करना है।

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