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SEBI ने जेन स्ट्रीट पर लगाया प्रतिबंध

  • 08 Jul 2025
  • 4 min read

स्रोत: द हिंदू

अमेरिका स्थित जेन स्ट्रीट, जो एक प्रमुख स्वामित्व आधारित ट्रेडिंग फर्म है, को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह कार्रवाई ऐसी भ्रामक व्यापारिक प्रथाओं में शामिल होने के कारण की गई है, जिन्होंने बाज़ार की अखंडता को प्रभावित किया और बड़े पैमाने पर अवैध लाभ अर्जित किया।

  • भ्रामक व्यापार (Manipulative Trading): जेन स्ट्रीट ने डेरिवेटिव (फ्यूचर्स) खंड में व्यापार का निष्पादन बाज़ार के रुझान से लाभ कमाने के लिये नहीं बल्कि कीमतों में हेरफेर करने के लिये किया।
    • उन्होंने ‘मार्किंग द क्लोज़’ रणनीति का उपयोग किया, जिसमें उन्होंने कीमतें बढ़ाने के लिये  बड़े पैमाने पर खरीद ऑर्डर लगाए, बाद में लाभ को अधिकतम करने के लिये उन्हें बेच दिया गया। इसके लिये उन्होंने पुश-पुल (Push-Pull) रणनीति अपनाई।
    • इस इंट्रा-डे (एक दिन के भीतर) हेरफेर ने छोटे निवेशकों को भ्रमित किया और बाज़ार में कृत्रिम अस्थिरता उत्पन्न की।
    • जेन स्ट्रीट ने भारत स्थित अपनी शाखा JSI इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड का उपयोग स्थानीय नियमों से बचने के लिये किया, क्योंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को कुछ नकद बाज़ार गतिविधियों, जैसे इंट्रा-डे ट्रेडिंग (एक ही दिन में प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री) करने से प्रतिबंधित किया गया है।
      • घरेलू इकाई का उपयोग करने से समूह को ऐसे व्यापार करने की अनुमति मिल गई, जो अन्यथा FPI मानदंडों के तहत प्रतिबंधित होते।
  • SEBI की नियामक कार्रवाई: SEBI ने जेन स्ट्रीट पर 4,843 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है और उसे भारतीय प्रतिभूति बाज़ार तक पहुँच से प्रतिबंधित कर दिया है।
  • स्वामित्व व्यापार पर प्रभाव: इस मामले ने कड़े अनुपालन और बाज़ार सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को उजागर किया है।
  • SEBI: SEBI भारत के प्रतिभूति बाज़ार का एक सांविधिक नियामक (Statutory regulator) है, जो वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। इसकी स्थापना SEBI अधिनियम, 1992 के तहत की गई थी। इसका उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना, उचित व्यापारिक व्यवहार को बढ़ावा देना और प्रतिभूति बाज़ार का नियमन करना है।
    • इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है, जबकि इसके क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में हैं। SEBI की स्थापना वर्ष 1988 में एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में की गई थी और वर्ष 1992 में इसे सांविधिक शक्तियाँ प्रदान की गईं।
    • SEBI एक अर्द्ध-विधायी और अर्द्ध-न्यायिक निकाय है, जिसे नियम बनाने, जाँच करने तथा दंड देने के अधिकार प्राप्त हैं।
    • यह अंदरूनी व्यापार पर रोक लगाकर और बाज़ार संस्थाओं का निरीक्षण करके जारीकर्त्ताओं को नियंत्रित करता है।

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