जैव विविधता और पर्यावरण
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024
प्रिलिम्स के लिये:बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, कंपोस्टेबल प्लास्टिक, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, माइक्रोप्लास्टिक्स मेन्स के लिये:प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 और इसका महत्त्व, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 के माध्यम से प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधन किया।
- नियमों में किये गए ये परिवर्तन भारत में प्लास्टिक, विशेष रूप से माइक्रोप्लास्टिक्स को लक्षित कर और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के संबंध में सख्त मानदंड निर्धारित करके, प्रदूषण की रोकथाम करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रयास का संकेत देते हैं।
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 से सबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक:
- संशोधन के बाद बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया गया है जो मृदा और भराव क्षेत्र (landfill) जैसे विशिष्ट वातावरणों में जैविक प्रक्रियाओं द्वारा बिना कोई माइक्रोप्लास्टिक छोड़े पूर्ण रूप से नष्ट होने में सक्षम है।
- माइक्रोप्लास्टिक्स का तत्पार्य जल में अविलेय (Insoluble) किसी भी ठोस प्लास्टिक कण से है, जिसका आयाम 1 माइक्रोन और 1,000 माइक्रोन (1 माइक्रोन एक मिलीमीटर का एक हज़ारवाँ हिस्सा है) के बीच है।
- हाल के वर्षों में ये नदियों और महासागरों को प्रभावित करने वाले प्रदूषण के एक प्रमुख स्रोत के रूप में देखे गए हैं।
- माइक्रोप्लास्टिक्स का तत्पार्य जल में अविलेय (Insoluble) किसी भी ठोस प्लास्टिक कण से है, जिसका आयाम 1 माइक्रोन और 1,000 माइक्रोन (1 माइक्रोन एक मिलीमीटर का एक हज़ारवाँ हिस्सा है) के बीच है।
- संशोधन के बाद बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया गया है जो मृदा और भराव क्षेत्र (landfill) जैसे विशिष्ट वातावरणों में जैविक प्रक्रियाओं द्वारा बिना कोई माइक्रोप्लास्टिक छोड़े पूर्ण रूप से नष्ट होने में सक्षम है।
- माइक्रोप्लास्टिक्स परीक्षण:
- अद्यतन नियमों के तहत प्लास्टिक में माइक्रोप्लास्टिक्स की अनुपस्थिति प्रामाणित करने वाले रासायनिक परीक्षण अथवा इन्हें समाप्त करने के लिये माइक्रोप्लास्टिक्स की न्यूनतम मात्रा के संबंध में जानकारी निर्दिष्ट नहीं की गई है।
- "आयातक" की विस्तारित परिभाषा:
- इस परिभाषा में अब प्लास्टिक से संबंधित विभिन्न सामग्रियों जैसे पैकेजिंग, कैरी बैग, चादरें, कच्चे माल और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये प्लास्टिक विनिर्माण में उपयोग की जाने वाली मध्यवर्ती सामग्री का आयात शामिल है।
- इससे पूर्व "आयातक" का तात्पर्य प्लास्टिक पैकेजिंग, प्लास्टिक पैकेजिंग वाले उत्पाद, कैरी बैग, बहुस्तरीय पैकेजिंग, प्लास्टिक शीट अथवा संबद्ध वस्तुओं का आयात करने वाले व्यक्ति से था।
- इस परिभाषा में अब प्लास्टिक से संबंधित विभिन्न सामग्रियों जैसे पैकेजिंग, कैरी बैग, चादरें, कच्चे माल और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये प्लास्टिक विनिर्माण में उपयोग की जाने वाली मध्यवर्ती सामग्री का आयात शामिल है।
- "विनिर्माता" की समावेशी परिभाषा:
- विनिर्माता की परिभाषा में अब प्लास्टिक के कच्चे माल, कंपोस्टेबल प्लास्टिक और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के उत्पादन में सहलग्न लोगों को शामिल किया गया है जो इस पद के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं की एक विस्तृत शृंखला को दर्शाता है।
- "उत्पादक" का विस्तारित दायरा:
- इस दायरे में प्लास्टिक पैकेजिंग के विनिर्माण के अतिरिक्त, प्लास्टिक पैकेजिंग में उपयोग की जाने वाली मध्यवर्ती सामग्रियों का उत्पादन और ब्रांड मालिकों के लिये अनुबंध विनिर्माण भी शामिल किया गया है।
- प्रमाणन आवश्यकता:
- विनिर्माताओं को कंपोस्टेबल अथवा बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक से कैरी बैग और वस्तुओं का उत्पादन करने की अनुमति है तथा उन्हें अपने उत्पादों के विपणन अथवा बिक्री से पूर्व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रमाण-पत्र प्राप्त करना होगा।
नोट:
- माइक्रोप्लास्टिक की दो श्रेणियाँ हैं: प्राथमिक और द्वितीयक।
- प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक्स छोटे कण होते हैं जिन्हें व्यावसायिक उपयोग के लिये डिज़ाइन किया जाता है और कपड़ों तथा अन्य वस्त्रों के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। उदाहरणार्थ व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों, प्लास्टिक छर्रों और प्लास्टिक फाइबर में पाए जाने वाले माइक्रोबीड्स।
- द्वितीयक माइक्रोप्लास्टिक सूर्य के विकिरण और समुद्र की लहरों जैसे पर्यावरणीय कारकों के संपर्क के कारण पानी की बोतलों जैसे बड़े प्लास्टिक सामग्रियों के विखंडन से उत्पन्न होते हैं।
- माइक्रोप्लास्टिक्स विभिन्न रसायनों, एंटीबायोटिक-रोधी बैक्टीरिया और रोगजनकों के वाहक के रूप में कार्य करते हैं जिससे उनके जल उपचार प्रक्रिया के संपर्क में आने से जलीय जीवन तथा मानव स्वास्थ्य के लिये जोखिम उत्पन्न होता हैं।
बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और कंपोस्टेबल प्लास्टिक क्या हैं?
बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक |
कम्पोस्टेबल प्लास्टिक |
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परिभाषा |
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पर्यावरणीय लाभ |
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संभावित नुकसान |
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भारत में हाल के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम क्या हैं?
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016:
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016, प्लास्टिक अपशिष्ट के उत्पादन को कम करने, प्लास्टिक अपशिष्ट को फैलने से रोकने और अन्य उपायों के बीच स्रोत पर अपशिष्ट का अलग भंडारण सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाने पर ज़ोर देता है।
- PWM नियम, 2016 में निर्माता, आयातक और ब्रांड मालिक पर विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी डाली गई है तथा EPR उपभोक्ता-पूर्व एवं उपभोक्ता-पश्चात् प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट दोनों पर लागू होगा।
- प्लास्टिक कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई 40 माइक्रोन से बढ़ाकर 50 माइक्रोन कर दी गई और प्लास्टिक शीट के लिये न्यूनतम मोटाई 50 माइक्रोन निर्धारित की गई।
- प्रयोज्यता के क्षेत्राधिकार को नगरपालिका क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तारित करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में नियमों के क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी ग्राम पंचायत को दी गई है।
- व्यक्तिगत और थोक जनरेटरों के लिये स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण की शुरुआत।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2018:
- मल्टी-लेयर प्लास्टिक (पैकेजिंग के लिये प्रयुक्त या उपयोग की जाने वाली सामग्री और प्लास्टिक की कम-से-कम एक परत) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना अब उन MLP पर लागू होता है जो "गैर-पुनर्चक्रण योग्य या गैर-ऊर्जा पुनर्प्राप्ति योग्य या बिना किसी वैकल्पिक उपयोग के हैं।"
- प्लास्टिक के उत्पादक/आयातक/ब्रांड मालिक के पंजीकरण के लिये एक केंद्रीय पंजीकरण प्रणाली निर्धारित की गई।
- निर्माता/आयातक/ब्रांड मालिक के पंजीकरण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा केंद्रीकृत पंजीकरण प्रणाली विकसित की जाएगी।
- नियमों का उद्देश्य उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों के लिये पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है, साथ ही गैर-पुनर्चक्रण योग्य बहुस्तरीय प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से हटाने हेतु एक तंत्र भी प्रदान करना है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021:
- वर्ष 2022 तक एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की पहचान पर प्रतिबंध लगाया गया है जिनकी उपयोगिता कम है और अपशिष्ट फैलाने की संभावना अधिक है।
- 1 जुलाई, 2022 से पॉलीस्टाइनिन और विस्तारित पॉलीस्टाइनिन सहित कुछ एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री तथा उपयोग पर प्रतिबंध।
- एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को चरणबद्ध तरीके से बंद करने से कवर नहीं होने वाले प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट को विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी के माध्यम से पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ तरीके से एकत्र तथा प्रबंधित किया जाएगा।
- यह ज़िम्मेदारी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 के माध्यम से कानूनी रूप से लागू की गई है।
- 30 सितंबर, 2021 से प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 दिसंबर, 2022 से 120 माइक्रोन तक बढ़ाना।
- वर्ष 2022 तक एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की पहचान पर प्रतिबंध लगाया गया है जिनकी उपयोगिता कम है और अपशिष्ट फैलाने की संभावना अधिक है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022:
- प्लास्टिक पैकेजिंग के लिये EPR पर दिशा-निर्देश पेश किये गए। ये दिशा-निर्देश EPR, प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट के पुनर्चक्रण, कठोर प्लास्टिक पैकेजिंग के पुन: प्रयोग एवं पुनर्नवीनीकृत प्लास्टिक सामग्री के प्रयोग के लिये अनिवार्य लक्ष्य निर्धारित करते हैं।
- प्रदूषणकर्त्ता भुगतान सिद्धांत के आधार पर, EPR लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहने वालों पर पर्यावरणीय मुआवज़ा लगाया जाएगा।
- इसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना, उसमें सुधार करना और प्रदूषण को रोकना, नियंत्रित करना तथा इसे कम करना है।
- यह सिद्धांत पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये प्रदूषकों को ज़िम्मेदार मानता है, भले ही उनका इरादा कुछ भी हो।
- ये दिशा-निर्देश प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट की चक्रीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिये एक फ्रेमवर्क प्रदान करते हैं।
प्लास्टिक अपशिष्ट पर अंकुश लगाने के लिये अन्य कौन-सी पहल की गई हैं?
- स्वच्छ भारत मिशन
- इंडिया प्लास्टिक पैक्ट
- प्रोजेक्ट REPLAN
- अन-प्लास्टिक कलेक्टिव
- GoLitter पार्टनरशिप प्रोजेक्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- CPCB का गठन वर्ष 1974 में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था।
- CPCB को वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत शक्तियाँ और कार्य भी सौंपे गए थे।
- यह एक फील्ड फॉर्मेशन के रूप में कार्य करता है और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ प्रदान करता है।
- इसके प्रमुख कार्यों में जलस्रोतों और कुओं की सफाई को बढ़ावा देना, वायु की गुणवत्ता में सुधार करना तथा जल एवं वायु प्रदूषण को रोकना, नियंत्रित करना या कम करना शामिल है।
और पढ़ें: एकल-उपयोग प्लास्टिक के विरुद्ध भारत की लड़ाई, एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध, वर्ष 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसमें एक महत्त्वपूर्ण विशेषता के रूप में 'विस्तारित उत्पादक दायित्व' आरंभ किया गया था? (2019) (a) जैव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हस्तन) नियम, 1998 उत्तर: (c) Q.2 राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है ? (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. पर्यावरण में निर्मुक्त हो जाने वाली 'सूक्ष्ममणिकाओं (माइक्रोबीड्स)' के विषय में अत्यधिक चिंता क्यों है? (2019) (a) ये समुद्री पारितंत्रों के लिये हानिकारक मानी जाती हैं। उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018) |
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
ऑर्डर ऑफ द ड्रक ग्यालपो
प्रिलिम्स के लिये:ऑर्डर ऑफ द ड्रक ग्यालपो, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, स्टार लेबलिंग कार्यक्रम, आत्मनिर्भरता। मेन्स के लिये:ऑर्डर ऑफ द ड्रक ग्यालपो, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत को शामिल और/या इसके हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री को भूटान की अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा के दौरान भूटान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो' सम्मानित किया गया।
- वह यह सम्मान पाने वाले पहले विदेशी सरकार प्रमुख हैं।
- भारत व भूटान ने ऊर्जा, व्यापार, डिजिटल कनेक्टिविटी, अंतरिक्ष तथा कृषि के क्षेत्र में कई समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया और समझौतों पर हस्ताक्षर किये एवं दोनों देशों के बीच रेल संपर्क की स्थापना पर समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया।
'ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो' पुरस्कार क्या है?
- परिचय:
- ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो भूटान का सबसे सम्मानित नागरिक सम्मान है, जो उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने सेवा, अखंडता और नेतृत्व के मूल्यों को अपनाते हुए समाज में असाधारण योगदान का प्रदर्शन किया है।
- इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के प्राप्तकर्त्ताओं का चयन उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों और समाज पर सकारात्मक प्रभाव के आधार पर सावधानीपूर्वक किया जाता है।
- उनके योगदान का मूल्यांकन भूटानी मूल्यों के अनुरूप किया जाता है, जिसमें समग्र विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और क्षेत्रीय सद्भाव पर ज़ोर दिया जाता है।
- भारतीय प्रधानमंत्री का सम्मान:
- यह सम्मान पाने वाले पहले विदेशी शासनाध्यक्ष के रूप में भारतीय प्रधानमंत्री का चयन दोनों देशों के बीच मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों को रेखांकित करता है।
- यह पुरस्कार उनके नेतृत्व को रेखांकित करता है, जो प्रगति के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की विशेषता है, जो आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की भूटान की राष्ट्रीय दृष्टि के साथ निकटता से मेल खाता है।
- भारतीय प्रधानमंत्री भारत की प्राचीन सभ्यता को प्रौद्योगिकी और नवाचार के एक गतिशील केंद्र में परिवर्तित करते हुए, नियति के प्रतीक के रूप में उभरे हैं।
- पर्यावरण की सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भारत की प्रगति को वास्तव में सर्वांगीण बनाती है।
भारत और भूटान द्वारा हस्ताक्षरित प्रमुख समझौते क्या हैं?
- रेल संपर्क की स्थापना:
- भारत और भूटान के बीच रेल संपर्क की स्थापना पर एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया गया, जिसमें कोकराझार-गेलेफू रेल लिंक तथा बनारहाट-समत्से रेल लिंक शामिल हैं।
- पेट्रोलियम, ऑयल, ल्यूब्रिकेंट्स (POL):
- भारत से भूटान तक POL और संबंधित उत्पादों की सामान्य आपूर्ति के लिये एक समझौता किया गया जिसका उद्देश्य सहमत प्रवेश/निकास बिंदुओं के माध्यम से संबंधित उत्पादों की आपूर्ति की सुविधा प्रदान करना है।
- भूटान खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण (BFDA) की मान्यता:
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा BFDA द्वारा उपयोग किये जाने वाले आधिकारिक नियंत्रण की मान्यता के लिये एक समझौता किया गया, जिससे व्यवसाय करने में सुगमता को बढ़ावा मिलेगा तथा अनुपालन लागत में कमी आएगी।
- ऊर्जा दक्षता एवं ऊर्जा संरक्षण में सहयोग:
- इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य स्टार लेबलिंग कार्यक्रम को बढ़ावा देने और ऊर्जा ऑडिटर्स के प्रशिक्षण को संस्थागत बनाने जैसे विभिन्न उपायों के माध्यम से भूटान को घरेलू क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने में सहायता करना है।
- फार्माकोपिया, सतर्कता और औषधीय उत्पादों का परीक्षण:
- इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य औषधियों के विनियमन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना और सूचनाओं का आदान-प्रदान करना है। यह समझौता भूटान द्वारा भारतीय फार्माकोपिया को स्वीकार करने और किफायती मूल्य पर जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति का अवसर देगा।
- अंतरिक्ष सहयोग के संबंध में संयुक्त कार्य योजना (JPOA):
- यह संयुक्त कार्य योजना विनिमय कार्यक्रमों और प्रशिक्षण के माध्यम से अंतरिक्ष सहयोग को और विकसित करने के लिये एक सुदृढ़ रोडमैप प्रदान करती है।
- डिजिटल कनेक्टिविटी:
- यह समझौता ज्ञापन भारत के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) और भूटान के ड्रुक रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क के बीच समकक्ष व्यवस्था अथवा पियरिंग अरेंजमेंट के नवीनीकरण के लिये है।
- यह समझौता ज्ञापन भारत और भूटान के बीच डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा तथा भूटान के विद्वानों एवं अनुसंधान संस्थानों को लाभान्वित करेगा।
वर्तमान की क्षेत्रीय चुनौतियों के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री की भूटान यात्रा के क्या निहितार्थ हैं?
- द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करना:
- यह यात्रा, विशेषकर क्षेत्रीय अनिश्चितता और चुनौतियों के दौर में, भूटान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
- यह यात्रा दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता की पुष्टि करता है और बाह्य दबावों के सामुख परस्पर सहयोग पर ज़ोर देता है।
- भूटान की पंचवर्षीय योजना के लिये भारत की सहायता, 5,000 करोड़ रुपए में दोगुना वृद्धि कर इसे 10,000 करोड़ रुपए करने की घोषणा इस संबंध में महत्त्वपूर्ण थी।
- चीनी प्रभाव को संतुलित करना:
- भूटान के साथ चीन की बढ़ती भागीदारी के संदर्भ में भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा संबद्ध क्षेत्र में भारत की उपस्थिति और प्रभाव को सशक्त करने का कार्य करती है।
- भूटान के विकास और सुरक्षा हितों के लिये समर्थन प्रदर्शित करके, भारत का लक्ष्य भूटान में अपना प्रभाव बढ़ाने के चीन के किसी भी प्रयास को संतुलित करना है।
- रणनीतिक सहयोग बढ़ाना:
- इस यात्रा में सीमा सुरक्षा और आतंकवाद जैसी आम क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिये रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग सहित रणनीतिक सहयोग पर वार्ता शामिल थी।
- इन क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने से क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में योगदान मिल सकता है।
- आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देना:
- इस यात्रा में भारत और भूटान के बीच आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें व्यापार, निवेश और बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देने की पहल शामिल हो सकती है, जो दोनों देशों की आर्थिक वृद्धि एवं विकास के लिये आवश्यक है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को दूर करना:
- दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए, भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा ने क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को दूर किया है, जिसमें सीमा पार आतंकवाद और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिये पड़ोसी देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता शामिल है।
आगे की राह
- दोनों देशों को अपने संबंधों की अटूट प्रकृति पर बल देना जारी रखना चाहिये और विशेष रूप से बाह्य चुनौतियों के सामने एकजुट होकर प्रदर्शन करना चाहिये। क्षेत्रीय परिवर्तनों और अनिश्चितताओं के बीच उनके संबंधों की स्थायित्व को बनाए रखने के लिये यह एकजुटता महत्त्वपूर्ण है।
- भारत को भूटान के हितों के लिये अपने समर्थन की पुष्टि करनी चाहिये विशेषकर चीन के साथ सीमा वार्ता के संदर्भ में। भारत को भूटान के साथ खड़े होने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वार्ता के दौरान उसकी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रहे।
- भारत-भूटान के राजनयिक एवं सुरक्षा प्रतिष्ठानों के बीच संचार और समन्वय बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है। इसमें खुफिया जानकारी साझा करना, संयुक्त मूल्यांकन करना और आम चुनौतियों, विशेषकर क्षेत्रीय सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिये एकीकृत रणनीति तैयार करना शामिल है।
और पढ़ें: भारत-भूटान संबंध, भूटान का गेलेफू गैम्बिट
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:Q. दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबंधन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (2016) |
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
सिकल सेल रोग
प्रिलिम्स के लिये:जैव प्रौद्योगिकी, सिकल सेल रोग, आनुवंशिक विकार, जनजातीय समुदाय मेन्स के लिये:सिकल सेल रोग (SCD) के उपचार एवं पहुँच से संबंधित जनजातीय समुदायों के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ और सरकारी पहल |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
ज़िला स्वास्थ्य संस्थानों में सिकल सेल रोग के उपचार के लिये आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता के दौरान, SCD के उपचार के प्रबंधन में हाशिये पर रहने वाले स्वदेशी जनजातीय समुदायों के लोगों के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में चिंता बढ़ रही है।
सिकल-सेल विकार क्या है?
- परिचय:
- सिकल सेल रोग एक वंशानुगत हीमोग्लोबिन विकार है जो आनुवंशिक उत्परिवर्तन द्वारा विशेषता है जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC) अपने सामान्य गोल आकार के बजाय सिकल या अर्द्धचंद्राकार आकार धारण कर लेती हैं।
- RBC में इस असामान्यता के परिणामस्वरूप कठोरता बढ़ जाती है, जिससे पूरे शरीर में प्रभावी ढंग से इनके प्रसारित होने की क्षमता क्षीण हो जाती है। परिणामस्वरूप, SCD वाले व्यक्तियों को प्रायः एनीमिया, अंग क्षति, आवर्ती और गंभीर दर्द एवं लघु जीवनकाल जैसी जटिलताओं का अनुभव होता है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, हाशिये पर रहने वाली आदिवासी आबादी SCD के प्रति सबसे अधिक सुभेद्य है।
- विलंबित विकास और यौवन।
- क्रोनिक एनीमिया जिसके कारण थकान, कमज़ोरी और पीलापन होता है।
- दर्द प्रकरण (जिसे सिकल सेल जोखिम भी कहा जाता है) हड्डियों, छाती, पीठ, हाथ और पैरों में अचानक और तीव्र दर्द का कारण बनता है।
- लक्षण: सिकल सेल रोग के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हैं-
- उपचार प्रक्रियाएँ:
- रुधिर आधान: ये एनीमिया से राहत दिलाने और दर्द संकट के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
- हाइड्रॉक्सीयूरिया: यह दवा दर्द प्रकरण की आवृत्ति को कम करने और बीमारी की कुछ दीर्घकालिक जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकती है।
- जीन थेरेपी: इसका उपचार अस्थि मज्जा या स्टेम सेल प्रत्यारोपण द्वारा क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट जैसी विधियों से भी किया जा सकता है।
भारत में सिकल सेल रोग (SCD) की वर्तमान स्थिति क्या है?
- SCD जन्मों की संख्या के मामले में भारत नाइजीरिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के बाद विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।
- स्थानीय अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में प्रत्येक वर्ष अनुमानित 15,000 से 25,000 SCD वाले शिशु पैदा होते हैं।
- इनमें से अधिकांश जन्म आदिवासी समुदायों में होते हैं, जो स्वास्थ्य देखभाल पहुँच और जागरूकता में भौगोलिक एवं सामाजिक आर्थिक असमानताओं को उजागर करते हैं।
SCD के उपचार और पहुँच से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- सीमित जागरूकता: जनता और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच SCD के बारे में समझ की कमी है, जिसके कारण निदान में विलंब होता है तथा उपचार अपर्याप्त होता है।
- अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचा: कई ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में SCD के प्रबंधन के लिये विशेष स्वास्थ्य सुविधाओं तथा प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों की कमी है।
- उच्च उपचार लागत: दवाओं, नियमित जाँच और संभावित अस्पताल में भर्ती होने की लागत के कारण SCD का दीर्घकालिक प्रबंधन कई परिवारों के लिये वित्तीय रूप से बोझिल हो सकता है।
- उदाहरण के लिये, CRISPR जैसे उपचारों की लागत 2-3 मिलियन डॉलर है और अस्थि मज्जा दाताओं को ढूँढना मुश्किल है।
- दवाओं तक सीमित पहुँच: SCD उपचार के लिये आवश्यक दवाओं, जैसे हाइड्रोक्सीयूरिया और दर्द निवारक दवाओं की असंगत उपलब्धता, कुछ क्षेत्रों में चिंता का विषय है।
- अपर्याप्त स्क्रीनिंग कार्यक्रम: व्यवस्थित नवजात जाँच और शीघ्र पता लगाने की पहल के अभाव के परिणामस्वरूप शीघ्र हस्तक्षेप तथा आनुवंशिक परामर्श के अवसर चूक जाते हैं।
- भौगोलिक और सामाजिक आर्थिक बाधाएँ: भौगोलिक अलगाव, परिवहन की कमी तथा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण ग्रामीण, दूरदराज एवं आदिवासी समुदायों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- वर्तिकाग्र और भेदभाव स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में और बाधा डालते हैं।
SCD के संबंध में सरकारी पहल क्या हैं?
- राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन:
- इसका उद्देश्य सभी सिकल सेल रोग रोगियों के लिये देखभाल बढ़ाना और स्क्रीनिंग तथा जागरूकता अभियानों को शामिल करते हुए एक एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से रोग की व्यापकता को कम करना है।
- वर्ष 2047 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में सिकल सेल रोग के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य।
- सिकल सेल एनीमिया मिशन के तहत, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) SCD के लिये जीन-संपादन उपचार विकसित कर रहा है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2013:
- यह भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसमें सिकल सेल एनीमिया जैसी वंशानुगत विसंगतियों पर विशेष ध्यान देने के साथ रोग की रोकथाम और प्रबंधन के प्रावधान शामिल हैं।
- NHM के भीतर समर्पित कार्यक्रम जागरूकता बढ़ाने, शीघ्र पता लगाने की सुविधा और सिकल सेल एनीमिया का समय पर उपचार सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- NHM अपनी "आवश्यक दवाओं की सूची" में SCD के इलाज के लिये हाइड्रोक्सीयूरिया जैसी दवाओं की सुविधा प्रदान करता है।
- स्टेम सेल अनुसंधान 2017 के लिये राष्ट्रीय दिशा-निर्देश:
- यह SCD के लिये अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (BMT) को छोड़कर, स्टेम सेल थेरेपी के व्यावसायीकरण को नैदानिक परीक्षणों तक सीमित करता है।
- स्टेम कोशिकाओं पर जीन संपादन की अनुमति केवल इन-विट्रो अध्ययन के लिए है।
- जीन थेरेपी उत्पाद विकास और नैदानिक परीक्षणों के लिये राष्ट्रीय दिशा-निर्देश 2019: यह वंशानुगत आनुवंशिक विकारों हेतु जीन थेरेपी के विकास और नैदानिक परीक्षणों के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- भारत ने सिकल सेल एनीमिया उपचार के लिए CRISPR तकनीक विकसित करने के लिये पाँच वर्ष की परियोजना को भी मंज़ूरी दे दी है।
- मध्य प्रदेश का राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन:
- इसका उद्देश्य बीमारी की जाँच और प्रबंधन में चुनौतियों का समाधान करना है।
- दिव्यांगजन अधिकार (RPwDs) अधिनियम, 2016:
- SCD को 21 दिव्यांगों में शामिल किया गया है जो बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्तियों और उच्च समर्थन आवश्यकताओं वाले लोगों के लिये उच्च शिक्षा में आरक्षण (न्यूनतम 5%), सरकारी नौकरियों (न्यूनतम 4%) तथा भूमि आवंटन (न्यूनतम 5%) जैसे लाभ प्रदान करता है।
- यह 6 से 18 वर्ष के बीच बेंचमार्क दिव्यांगता वाले प्रत्येक बच्चे के लिये निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान करता है।
नोट:
- हाल ही में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिये डिज़ाइन की गई दो जीन थेरेपी को मंज़ूरी दी।
- उपचार हेतु स्वीकृत जीन थेरेपी में Lyfgenia और Casgevy शामिल हैं।
- 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिये दोनों उपचारों को मंज़ूरी प्रदान की गई।
- यूनाइटेड किंगडम ने भी Casgevy के उपयोग को मंज़ूरी प्रदान की यह विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने वाली पहली CRISPR-आधारित थेरेपी है।
- Lyfgenia CRISPR पर आधारित नहीं है और रक्त स्टेम कोशिकाओं को बदलने के लिये वायरल वेक्टर पर निर्भर करता है।
- दोनों उपचारों में रोगी के रक्त स्टेम कोशिकाओं को एकत्र करना, उन्हें संशोधित करना और अस्थि मज्जा में क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये कीमोथेरेपी की हाई डोज़ दी जाती है।
- उसके पश्चात् संशोधित कोशिकाओं को हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण के माध्यम से रोगी में संचरित की जाती है।
आगे की राह
- शीघ्र जाँच और स्क्रीनिंग:
- आनुवंशिक परामर्श और परीक्षण कार्यक्रमों को सुदृढ़ कर उन्हें विस्तारित करने की आवश्यकता है।
- तत्काल आवश्यकताओं के लिये हाइड्रोक्सीयूरिया जैसे मूलभूत उपचार को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
- प्रभावित परिवारों को आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिये प्रारंभिक अवस्था में वाहकों की पहचान करना।
- ज़मीनी स्तर से इस समस्या का समाधान करने के लिये नैदानिक परीक्षणों तक समान पहुँच सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
- सार्वजनिक शिक्षा और जागरूकता:
- निरंतर जारी रहने वाली जन जागरूकता पहलों का कार्यान्वन करना।
- समुदायों को रोग की वंशानुगत प्रकृति और आनुवंशिक परीक्षण के महत्त्व के संबंध में शिक्षित करना।
- नियामक चर्चाओं में जनता की भागीदारी आवश्यक है।
- अनुसंधान और विकास:
- संबद्ध विषय पर जारी अनुसंधान के लिये संसाधन आवंटित करना।
- अधिक प्रभावी उपचार विकल्प और संभावित इलाज विकसित करने के लिये SCD के आनुवंशिक तथा आणविक पहलुओं के संबंध में गहन अंतर्दृष्टि प्राप्त करने की आवश्यकता है।
- बेहतर दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों के लिये व्यापक स्वास्थ्य देखभाल पहुँच महत्त्वपूर्ण है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत की जा रही व्यवस्थाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं? (a) केवल एक उत्तर: C मेन्स:प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध और विकास-संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021) |
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
गूगल डीपमाइंड का SIMA और अल्फाजियोमेट्री
प्रिलिम्स के लिये:स्केलेबल इंस्ट्रक्टेबल मल्टीवर्ल्ड एजेंट, AI गेमिंग एजेंट, OpenAI का ChatGPT और गूगल का जेमिनी, जेनरेटिव AI मेन्स के लिये:स्केलेबल इंस्ट्रक्टेबल मल्टीवर्ल्ड एजेंट, जेनेरेटिव AI के अनुप्रयोग, जेनेरेटिव AI से संबंधित मुद्दे |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में Google DeepMind ने प्रिडिक्टिव AI मॉडल पर आधारित विभिन्न कृत्रिम बुद्धिमत्ता उत्पाद प्रस्तुत किये जिनमें SIMA (स्केलेबल इंस्ट्रक्टेबल मल्टीवर्ल्ड एजेंट) और अल्फाजियोमेट्री शामिल हैं।
- OpenAI के ChatGPT और गूगल के जेमिनी ने विभिन्न क्षेत्रों का ध्यान आकर्षित किया जिससे तेल तथा गैस के साथ-साथ फार्मास्युटिकल उद्योगों सहित कंपनियों एवं शोधकर्त्ताओं ने तेज़ी से तेल अन्वेषण व औषधि खोज जैसे अनुप्रयोगों के लिये जेनरेटिव AI अथवा प्रिडिक्टिव AI की ओर रुख किया।
प्रिडिक्टिव AI क्या है?
- प्रिडिक्टिव AI मॉडल एक प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली है जिसे पूर्व के डेटा, पैटर्न और रुझानों के आधार पर भविष्य के परिणामों का पूर्वानुमान अथवा भविष्यवाणी करने के लिये अभिकल्पित किया गया है।
- ये मॉडल बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करने और भविष्य की घटनाओं अथवा व्यवहारों के संबंध में सूचित पूर्वानुमान करने के लिये उन्नत एल्गोरिदम, सांख्यिकीय तकनीकों तथा मशीन लर्निंग का उपयोग करते हैं।
SIMA क्या है?
- परिचय:
- SIMA एक AI एजेंट है जो OpenAI के ChatGPT अथवा Google जेमिनी जैसे AI मॉडल से भिन्न है।
- AI मॉडल को विशाल डेटा सेट पर प्रशिक्षित किया जाता है और वे स्वयं से संचालन करने में अक्षम होते हैं।
- जबकि एक AI एजेंट डेटा संसाधित कर सकता है और स्वयं कार्रवाई कर सकता है।
- यह गेमिंग में सहायता करने वाला AI है जो इसे गेमिंग अनुभव को बेहतर बनाने के लिये एक मूल्यवान परिसंपत्ति बनाता है।
- SIMA को एक जेनरेलिस्ट AI एजेंट की संज्ञा दी जा सकती है जो विभिन्न प्रकार के कार्य करने में सक्षम है।
- यह एक आभासी मित्र की भूमिका निभाता है जो सभी प्रकार के आभासी परिवेश में निर्देशों को समझ सकता है और उनका अनुपालन कर सकता है। यह प्रदत्त कार्यों को पूरा कर सकता है अथवा उसे सौंपी गई चुनौतियों का समाधान कर सकता है।
- SIMA एक AI एजेंट है जो OpenAI के ChatGPT अथवा Google जेमिनी जैसे AI मॉडल से भिन्न है।
- कार्यप्रणाली:
- SIMA मनुष्य के सभी प्रकार के आदेशों को समझने में सक्षम है क्योंकि इसे मानव भाषा को समझने हेतु प्रशिक्षित किया गया है। इसलिये जब उसे आभासी परिवेश में महल का निर्माण करने अथवा खज़ाना ढूँढने का आदेश दिया जाता है तो वह उसके अनुरूप कार्य करता है।
- इस AI एजेंट की एक विशिष्ट विशेषता यह है कि यह सीखने और अनुकूलन करने में सक्षम है। SIMA उपयोगकर्त्ता के साथ अपनी वार्ता के माध्यम से ऐसा करता है।
- प्रशिक्षण:
- Google DeepMind ने टियरडाउन और नो मैन्स स्काई सहित नौ अलग-अलग वीडियो गेम पर एक AI एजेंट SIMA को प्रशिक्षित/ट्रेन करने के लिये आठ गेम स्टूडियो के साथ सहयोग किया।
- SIMA ने नेविगेशन, मेन्यू उपयोग, संसाधन खनन और अंतरिक्ष यान उड़ान जैसे विभिन्न कौशल सीखें।
- इसने चार अनुसंधान वातावरणों में SIMA का परीक्षण भी किया, जिनमें से एक कंस्ट्रक्शन लैब इन यूनिटी था।
अल्फाजियोमेट्री क्या है?
- परिचय:
- DeepMind की अल्फाजियोमेट्री एक विशेष AI सिस्टम है जिसे जटिल ज्यामिति समस्याओं से निपटने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- OpenAI के ChatGPT या गूगल के जेमिनी जैसे सामान्य-उद्देश्य वाले AI मॉडल के विपरीत, अल्फाजियोमेट्री को विशेष रूप से ज्यामितीय तर्क कार्यों के लिये तैयार किया गया है।
- यह बीजगणितीय और ज्यामितीय तर्क में विशेषीकृत प्रतीकात्मक कटौती इंजन के साथ उन्नत तंत्रिका भाषा मॉडलिंग तकनीकों को जोड़ती है।
- तंत्रिका भाषा मॉडल तंत्रिका नेटवर्क आर्किटेक्चर का उपयोग करके बनाए जाते हैं, जो मानव मस्तिष्क की संरचना और कार्य से प्रेरित कंप्यूटेशनल मॉडल हैं।
- प्रतीकात्मक कटौती तार्किक तर्क की एक विधि है जो परिसर से निष्कर्ष निकालने के लिये प्रतीकों और तार्किक नियमों पर काम करती है। प्रतीकात्मक कटौती में बयानों को चर और तार्किक ऑपरेटरों जैसे प्रतीकों का उपयोग करके दर्शाया जाता है तथा पूर्वनिर्धारित अनुमान नियमों के अनुसार इन प्रतीकों में हेर-फेर करने हेतु तार्किक नियम लागू किये जाते हैं।
- कार्यरत:
- यह सहज ज्ञान युक्त विचार निर्माण और सटीक तर्क के लिये प्रतीकात्मक कटौती दोनों तंत्रिका भाषा मॉडल का लाभ उठाता है।
- जब ज्यामिति की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तो अल्फाजियोमेट्री सबसे पहले संभावित ज्यामितीय संरचनाओं का सुझाव देने के लिये अपने भाषा मॉडल का उपयोग करती है जो समस्या को हल करने में सहायता कर सकती है।
- ये सुझाव प्रतीकात्मक कटौती इंजन को सूचित करने में मदद करते हैं, जो फिर आगे की कटौती करता है और व्यवस्थित रूप से समाधान तक पहुँचता है।
- अल्फाजियोमेट्री के प्रदर्शन का मूल्यांकन अंतर्राष्ट्रीय गणितीय ओलंपियाड (IMO) से संकलित ज्यामिति समस्याओं के एक बेंचमार्किंग सेट का उपयोग करके किया गया था।
- इसने प्रभावशाली परिणाम प्रदर्शित किये प्रतिस्पर्द्धा की समय-सीमा के भीतर समस्याओं के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से को हल किया, ज्यामिति में पिछले AI सिस्टम को पीछे छोड़ दिया और IMO में मानव स्वर्ण पदक विजेताओं के प्रदर्शन स्तर के करीब पहुँच गया।
पूर्वानुमानित AI मॉडल कैसे लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं?
- ज्वालामुखीय राख की निगरानी:
- मॉस्को स्थित यांडेक्स जैसी कंपनियाँ ज्वालामुखीय राख फैलाव की वास्तविक समय की निगरानी के लिये इंटरैक्टिव मानचित्र विकसित करने हेतु उन्नत गणितीय मॉडल और तंत्रिका नेटवर्क का उपयोग कर रही हैं।
- यह अधिकारियों और समुदायों को सार्वजनिक सुरक्षा तथा बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा करते हुए, दुर्घटना पर तेज़ी से प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाता है।
- तेल एवं गैस अन्वेषण:
- प्रमुख तेल और गैस कंपनियाँ अपस्ट्रीम (अन्वेषण) तथा मिडस्ट्रीम (पाइपलाइन और लॉजिस्टिक्स) संचालन दोनों के लिये AI रणनीतियों में निवेश कर रही हैं।
- AI एल्गोरिदम का उपयोग पिछले सर्वेक्षणों और अन्वेषणों का विश्लेषण करने, डेटा में पैटर्न तथा सहसंबंधों की पहचान करने, संभावित भंडार की भविष्यवाणी करने, निष्कर्षण विधियों को अनुकूलित करने एवं लागत कम करने के लिये किया जाता है।
- उदाहरण के लिये शेल और सऊदी अरामको उपसतह इमेजिंग को बेहतर बनाने, ड्रिलिंग योजनाओं का विश्लेषण करने तथा परिष्कृत उत्पादों हेतु सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिये जेनरेटिव AI टूल का लाभ उठा रहे हैं।
- औषधि अनुसंधान:
- रासायनिक यौगिकों के गुणों और विशिष्ट रोगों को लक्षित करने में उनकी संभावित प्रभावशीलता का आकलन करने के लिये पूर्वानुमानित मॉडल विकसित करने हेतु दवा खोज में डीप न्यूरल नेटवर्क का उपयोग किया जा रहा है।
- मर्क जैसी फार्मास्युटिकल कंपनियाँ दवा खोज प्रक्रियाओं को बढ़ाने के लिये मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग कर रही हैं, जिससे यौगिक मूल्यांकन हेतु नए मॉडल का विकास हो रहा है।
- यूरोपीय संघ (EU) के MELLODDY प्रोजेक्ट जैसी सहयोगात्मक पहल का उद्देश्य संघीय शिक्षा के माध्यम से पूर्वानुमानित मॉडल में सुधार करना, बेहतर शोध परिणामों के लिये संसाधनों को एकत्रित करते हुए डेटा गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
जेनरेटिव AI के लिये भारत की पहल क्या हैं?
- जेनेरेटिव AI रिपोर्ट लॉन्च करना: भारत सरकार के राष्ट्रीय AI पोर्टल, INDIAai ने कई अध्ययन किये और प्रभाव की जाँच करने के लिये जेनेरेटिव AI, AI नीति, AI गवर्नेंस तथा एथिक्स व शिक्षा जगत में कुछ सबसे प्रमुख समर्थनों के साथ तीन गोलमेज़ चर्चाओं की मेज़बानी की। नैतिक और नियामक प्रश्न तथा यह भारत के लिये अवसर लाता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक साझेदारी में शामिल होना: वर्ष 2020 में, भारत GPAI बनाने के लिये 15 अन्य देशों के साथ शामिल हुआ। इस गठबंधन का उद्देश्य उभरती प्रौद्योगिकियों के ज़िम्मेदार उपयोग हेतु फ्रेमवर्क स्थापित करना है।
- देश के भीतर एक AI पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना: भारत सरकार अनुसंधान और विकास में निवेश, स्टार्टअप तथा इनोवेशन हब का समर्थन करने, AI नीतियों एवं रणनीतियों को बनाने व AI शिक्षा एवं कौशल को बढ़ावा देकर देश के भीतर एक AI पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिये समर्पित है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिये राष्ट्रीय रणनीति:
- सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुसंधान और अपनाने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के उद्देश्य से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये राष्ट्रीय रणनीति प्रकाशित की है।
- अंतःविषय साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन:
- इस मिशन के तहत, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (TIH) की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, तकनीशियनों तथा टेक्नोक्रेट के सृजन के लिये अत्याधुनिक प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण प्रदान करना है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च, एनालिटिक्स और नॉलेज एसिमिलेशन प्लेटफॉर्म:
- यह एक क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म है, जिसका लक्ष्य AI के मामले में भारत को उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी बनाना और शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, शहरीकरण एवं गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में बदलाव लाना है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिये राष्ट्रीय रणनीति:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नQ1. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) Q2. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं ? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) |