भारतीय अर्थव्यवस्था
बजट 2022-23: समावेशी विकास
प्रिलिम्स के लिये:बजट 2022, समावेशी विकास, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, नदियों को आपस में जोड़ना, डिजिटल भुगतान, एमएसएमई, कौशल विकास और बजट में उल्लिखित विभिन्न योजनाएँ। मेन्स के लिये:वृद्धि एवं विकास, नियोजन, सरकारी बजट, समावेशी विकास, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, बजट 2022। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वित्त मंत्री ने संसद में केंद्रीय बजट 2022-23 पेश किया।
- इस खंड में वर्ष 2022-23 के बजट के 'समावेशी विकास' स्तंभ पर चर्चा की गई है।
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण
- कृषि:
- गेहूँ और धान की खरीद के लिये 1.63 करोड़ किसानों को 2.37 लाख करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष भुगतान।
- देश भर में रसायन मुक्त प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा। प्रारंभ में गंगा नदी से सटे 5 किलोमीटर की चौड़ाई तक के गलियारे वाले किसानों की ज़मीनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- वर्ष 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ के रूप में घोषित किया गया है, इसके लिये सरकार द्वारा सहयोग प्रदान किया जाएगा।
- तिलहन का घरेलू उत्पादन बढ़ाने हेतु व्यापक योजना लागू की जाएगी।
- किसानों को डिजिटल एवं हाई-टेक सेवाएँ देने के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मोड में एक योजना शुरू की जाएगी।
- नाबार्ड कृषि एवं ग्रामीण उद्यम से जुड़े स्टार्टअप्स को वित्तीय मदद देने के लिये ‘मिश्रित पूंजी कोष’ की सुविधा देगा।
- फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों एवं पोषक तत्त्वों के छिड़काव के लिये 'किसान ड्रोन' की सुविधा शुरू की जाएगी।
- केन-बेतवा परियोजना:
- केन-बेतवा लिंक परियोजना के क्रियान्वयन हेतु 1400 करोड़ रुपए का परिव्यय। केन-बेतवा लिंक परियोजना से किसानों की 9.08 लाख हेक्टेयर ज़मीनों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
- पाँच नदी लिंक परियोजनाओं- दमनगंगा-पिंजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार और पेन्नार-कावेरी की ‘विस्तृत परियोजना रिपोर्ट’ को अंतिम रूप दिया गया है।
- खाद्य प्रसंस्करण:
- किसानों को फलों एवं सब्जियों की उपयुक्त किस्मों को अपनाने और उचित उत्पादन एवं कटाई तकनीक का उपयोग करने हेतु केंद्र सरकार, राज्य सरकारों की भागीदारी के साथ एक व्यापक पैकेज प्रदान करेगी।
उद्योग और कौशल विकास
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs):
- उद्यम, ई-श्रम, नेशनल कॅरियर सर्विस और आत्मनिर्भर कुशल कर्मचारी नियोक्ता मानचित्रण (असीम) पोर्टलों को आपस में जोड़ा जाएगा।
- 130 लाख MSMEs को ‘इमरजेंसी क्रेडिट लिंक्ड गारंटी योजना’ (ECLGS) के तहत अतिरिक्त ऋण दिया गया।
- ECLGS को मार्च 2023 तक बढ़ाया जाएगा। ECLGS के तहत गारंटी कवर को 50,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर कुल 5 लाख करोड़ रुपए किया जाएगा।
- सूक्ष्म तथा लघु उद्यमों को ‘सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट’ (CGTMSE) के तहत 2 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त क्रेडिट दिया जाएगा।
- ‘रेज़िंग एंड एसिलेरेटिंग एमएसएमई परफोर्मेंस’ (RAMP) प्रोग्राम को 6000 करोड़ रुपए के परिव्यय से शुरू किया जाएगा।
- कौशल विकास:
- ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से नागरिकों का कौशल बढ़ाने हेतु ‘डिजिटल इकोसिस्टम फॉर स्किलिंग एंड लिवलीहुड’ (DESH-Stack e-Portal) लॉन्च किया जाएगा।
- ‘ड्रोन शक्ति’ की सुविधा और ‘ड्रोन-एज़-ए-सर्विस’ (DrAAS) हेतु स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जाएगा।
शिक्षा और स्वास्थ्य
- शिक्षा:
- ‘पीएम ई-विद्या’ के एक कक्षा एक टीवी चैनल कार्यक्रम को 200 टीवी चैनलों पर दिखाया जाएगा।
- महत्त्वपूर्ण कौशल और प्रभावी शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने हेतु वर्चुअल प्रयोगशाला तथा कौशल ई-प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी।
- डिजिटल माध्यम से पढ़ाई के लिये उच्च गुणवत्ता वाला ई-कंटेंट विकसित किया जाएगा।
- व्यक्तिगत तौर पर पढ़ाई करने के लिये विश्व स्तरीय शिक्षा हेतु ‘डिजिटल विश्वविद्यालय’ की स्थापना की जाएगी।
- स्वास्थ्य:
- राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के लिये एक ओपन मंच शुरू किया जाएगा। गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देख-रेख सेवाओं के लिये ‘राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ शुरू किया जाएगा।
- 23 टेली मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। इसका नोडल सेंटर ‘निम्हांस’ (NIMHANS) में स्थापित होगा और अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान बंगलूरू (IIITB) इसे प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करेगा।
- मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आँगनबाड़ी और पोषण 2.0 के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों को एकीकृत लाभ प्रदान किये जाएंगे।
- दो लाख आँगनवाड़ियों का सक्षम आँगनवाड़ियों के रूप में उन्नयन किया जाएगा।
बुनियादी सुविधाओं को अपग्रेड करना
- हर घर, नल से जल:
- हर घर, नल से जल के तहत वर्ष 2022-23 में 3.8 करोड़ परिवारों को शामिल करने के लिये 60,000 करोड़ रुपए आवंटित किये गए।
- सभी के लिये आवास:
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2022-23 में 80 लाख घरों को पूरा करने के लिये 48 हजार करोड़ रुपए आवंटित किये गए।
- ‘उत्तर-पूर्व क्षेत्र हेतु प्रधानमंत्री विकास पहल’ (PMDevINE):
- उत्तर-पूर्व में बुनियादी ढाँचे और सामाजिक विकास परियोजनाओं को निधि प्रदान करने हेतु नई योजना ‘पीएम-डिवाइन’ (PMDevINE) शुरू की गई है।
- इस योजना के तहत युवाओं एवं महिलाओं को आजीविका गतिविधियों में समर्थ बनाने हेतु 1500 करोड़ रुपए का शुरुआती आवंटन किया गया है।
- जीवंत ग्राम कार्यक्रम:
- विरल आबादी वाले सीमावर्ती गाँव सीमित संपर्क एवं बुनियादी ढाँचे के अभाव के कारण प्रायः ‘विकास के लाभ’ से छूट जाते हैं। उत्तरी सीमा पर ऐसे गाँवों को नए जीवंत ग्राम कार्यक्रम’ के तहत कवर किया जाएगा।
- इन गतिविधियों में ग्रामीण बुनियादी ढाँचे का निर्माण, आवास, पर्यटन केंद्र, सड़क संपर्क, विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा का प्रावधान, दूरदर्शन एवं शैक्षिक चैनलों का प्रत्यक्ष प्रसारण और आजीविका सृजन हेतु समर्थन शामिल होगा।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा:
- ‘कभी भी- कहीं भी’ डाकघर बचत: वर्ष 2022 में 1.5 लाख डाकघरों में से शत-प्रतिशत कोर बैंकिंग प्रणाली के तहत शामिल हो जाएंगे, जिससे वित्तीय समावेशन एवं नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम के माध्यम से खातों तक पहुँच एवं डाकघरों के बीच धन का ऑनलाइन हस्तांतरण भी होगा।
- डिजिटल बैंकिंग: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा देश के 75 ज़िलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ (DBU) स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- डिजिटल भुगतान: पिछले बजट में घोषित डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिये वित्तीय सहायता वर्ष 2022-23 में भी जारी रहेगी।
स्रोत: पी.आई.बी.
भारतीय अर्थव्यवस्था
बजट 2022-23
प्रिलिम्स के लिये:बजट और संवैधानिक प्रावधान, बजट में उल्लिखित पहल जैसे- पीएम गतिशक्ति, एक स्टेशन एक उत्पाद अवधारणा आदि, अमृत काल, आजादी का अमृत महोत्सव। मेन्स के लिये:बजट और संवैधानिक प्रावधान, बजट 2022 की मुख्य विशेषताएँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2022-23 पेश किया। इस बजट के साथ भारत ने आज़ादी का अमृत महोत्सव के माध्यम से आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करने को चिह्नित किया।
- इसके अलावा बजट अगले 25 वर्षों के लिये एक योजना भी निर्धारित करता है और उसी अवधि को अमृत काल के रूप में संदर्भित करता है।
बजट 2022 की मुख्य विशेषताएँ:
- विकास दर: चालू वर्ष (2021-22) में भारत की आर्थिक वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद का 9.2% होने का अनुमान है, जो सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।
- अमृत काल: भारत ने अमृत काल में प्रवेश किया है, जो भारत@100 की 25 वर्ष लंबी लीडअप योजना है। अमृत काल के दौरान सरकार का उद्देश्य निम्नलिखित लक्ष्य प्राप्त करना है:
- सूक्ष्म-आर्थिक स्तर की सभी समावेशी कल्याण नीतियों के साथ ‘मैक्रो-इकोनॉमिक लेवल ग्रोथ फोकस’ को लागू करना।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था और फिनटेक, प्रौद्योगिकी सक्षम विकास, ऊर्जा संक्रमण एवं जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देना।
- सार्वजनिक पूंजी निवेश के साथ निजी निवेश को बढ़ावा देना।
- अमृत काल का ढाँचा: चार प्राथमिकताएँ:
- पीएम गतिशक्ति
- समावेशी विकास
- उत्पादकता वृद्धि और निवेश, उदीयमान अवसर, ऊर्जा संक्रमण और जलवायु कार्रवाई
- निवेश का वित्तपोषण
- प्रोडक्टिविटी लिंक्ड इंसेंटिव: प्रोडक्टिविटी लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत 14 क्षेत्रों में 60 लाख नए रोज़गार सृजित होंगे।
- बजट में अन्य प्रमुख घोषणाएँ:
- रेलवे: स्थानीय व्यवसायों और आपूर्ति शृंखलाओं की सहायता के लिये ‘वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट’ अवधारणा।
- पर्वतमाला: यह एक राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम है, इसे पीपीपी मोड पर संपन्न किया जाना है।
- किसान ड्रोन: फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्त्वों का छिड़काव।
- MSME: उद्यम, ई-श्रम, NCS और असीम पोर्टल को आपस में जोड़ा जाएगा।
- कौशल विकास: ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से नागरिकों को कौशल प्रदान करने के साथ-साथ आजीविका हेतु डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र (DESH-Stack e-portal) शुरू किया जाएगा।
- शिक्षा: पीएम ई-विद्या के 'वन क्लास-वन टीवी चैनल' कार्यक्रम को 200 टीवी चैनलों तक विस्तारित किया जाएगा।
- स्वास्थ्य: राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के लिये एक खुला मंच शुरू किया जाएगा।
- सक्षम आँगननवाड़ी (नई पीढ़ी की आँगनवाड़ी): मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0 के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों को एकीकृत लाभ।
- पीएम-डिवाइन: यह नई योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) के तहत पूर्वोत्तर में बुनियादी ढाँचे और सामाजिक विकास परियोजनाओं को निधि देने के लिये शुरू की गई है।
- वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम: उत्तरी सीमा पर विरल आबादी, सीमित कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचे के साथ सीमावर्ती गाँवों के विकास के लिये वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम शुरू किया जाएगा।
- उदीयमान अवसर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, भू-स्थानिक प्रणालियों और ड्रोन, सेमीकंडक्टर तथा इसका इकोसिस्टम, अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, जीनोमिक्स एवं फार्मास्युटिकल्स, हरित व स्वच्छ ऊर्जा आवागमन प्रणालियों में बड़े पैमाने पर सतत् विकास में सहायता करने तथा देश के आधुनिकीकरण की अपार संभावनाएँ हैं।
- GIFT-IFSC: गिफ्ट सिटी में विश्व स्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को अनुमति दी जाएगी।
- अंतर्राष्ट्रीय न्याय के तहत विवादों के समय पर निपटारे के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित किया जाएगा।
- डिजिटल रुपया: भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा वर्ष 2022-23 से डिजिटल रुपए की शुरुआत की जाएगी।
बजट और संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, एक वर्ष के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement- AFS) कहा जाता है।
- यह एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण है (जो चालू वर्ष में 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले वर्ष के 31 मार्च को समाप्त होता है)।
- बजट में निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल किया जाता है:
- राजस्व और पूंजी प्राप्तियों का अनुमान।
- राजस्व बढ़ाने के तरीके और साधन।
- व्यय अनुमान।
- पिछले वित्तीय वर्ष की वास्तविक प्राप्तियों और व्यय का विवरण तथा उस वर्ष में किसी भी कमी या अधिशेष का कारण।
- आने वाले वर्ष की आर्थिक और वित्तीय नीति, अर्थात् कराधान प्रस्ताव तथा नई योजनाओं/परियोजनाओं की शुरुआत।
- संसद में बजट छह चरणों से गुज़रता है:
- बजट की प्रस्तुति।
- आम चर्चा।
- विभागीय समितियों द्वारा जाँच।
- अनुदान मांगों पर मतदान।
- विनियोग विधेयक पारित करना।
- वित्त विधेयक पारित करना।
- वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों का विभाग ‘बजट डिवीज़न’ तैयार करने हेतु ज़िम्मेदार केंद्रीय निकाय है।
- स्वतंत्र भारत का पहला बजट वर्ष 1947 में प्रस्तुत किया गया था।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय अर्थव्यवस्था
बजट 2022-23 के प्रमुख बिंदु: निवेश का वित्तपोषण
प्रिलिम्स के लिये:बजट 2022-23 के प्रमुख बिंदु , ग्रीन बॉण्ड, गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी)। मेन्स के लिये:बजट 2022-23, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) और इससे संबंधित मुद्दे, सार्वजनिक वित्त का मुद्दा। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2022-23 पेश किया।
- 'निवेश का वित्तपोषण' बजट में रेखांकित की गई चार प्राथमिकताओं में से एक है।
निवेश के वित्तपोषण से संबंधित बजट क्या है?
- सार्वजनिक पूंजी निवेश (Public Capital Investment):
- पूंजीगत व्यय के लिये परिव्यय में 35.4% की वृद्धि की गई है। चालू वर्ष की तुलना में इसे वर्ष 2022-23 में 7.50 लाख करोड़ कर दिया गया है। जो वर्ष 2022-23 में परिव्यय जीडीपी का 2.9% होगा।
- सरकार का ‘प्रभावी पूंजीगत व्यय’ वर्ष 2022-23 में अनुमानत: 10.68 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है, जो कि जीडीपी का लगभग 4.1 प्रतिशत होगा।
- पूंजीगत व्यय वह वित्त है जो सरकार द्वारा मशीनरी, उपकरण, भवन, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा आदि के विकास पर खर्च किया जाता है। इसमें सरकार द्वारा भूमि और निवेश जैसी अचल संपत्तियों के अधिग्रहण पर होने वाला खर्च भी शामिल है जो भविष्य में लाभ या लाभांश देता है।
- ग्रीन बॉण्ड: वर्ष 2022-23 में सरकार द्वारा ली जाने वाली समग्र बाज़ार उधारियों के सिलसिले में हरित अवसंरचना के लिये संसाधन जुटाने हेतु सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड जारी किये जाएंगे।
- GIFT-IFSC:
- गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में विश्व स्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को घरेलू नियमों से मुक्त वित्तीय प्रबंधन, फिनटेक, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में पाठ्यक्रम (अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण- IFSCA को छोड़कर) पेश करने की अनुमति होगी।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायशास्त्र के तहत विवादों के समय पर निपटारे हेतु गिफ्ट सिटी में एक अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित किया जाएगा।
- गिफ्ट सिटी में देश में टिकाऊ और जलवायु वित्त के लिये वैश्विक पूंजी की सेवाओं की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- आधारभूत संरचना की स्थिति: सघन चार्जिंग अवसंरचना और ग्रिड-स्केल बैटरी सिस्टम सहित डेटा केंद्रों एवं ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को बुनियादी ढाँचे की सामंजस्यपूर्ण सूची में शामिल किया जाएगा।
- उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी निवेश: सरकार उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये एक विशेष पैनल बनाएगी।
- उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी ने पिछले वर्ष सबसे बड़े स्टार्टअप एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र में से एक को सुविधाजनक बनाने हेतु 5.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है।
- उदीयमान क्षेत्रों के लिये मिश्रित वित्त: महत्त्वपूर्ण उदीयमान क्षेत्रों जैसे- क्लाइमेट एक्शन, डीप-टेक, डिजिटल इकॉनमी, फार्मा और एग्री-टेक को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार मिश्रित वित्त हेतु विषयगत फंड को बढ़ावा देगी, जिसमें सरकारी हिस्सेदारी 20% तक सीमित होगी तथा फंड निजी फंड प्रबंधकों द्वारा प्रबंधित किया जाएगा।
- सरकार समर्थित कोष राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढाँचा कोष (NIIF) तथा सिडबी ने एक गुणक प्रभाव पैदा करते हुए बड़े पैमाने पर पूंजी प्रदान किया है।
- डिजिटल रुपया: सरकार वर्ष 2022-23 से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये जाने वाले ब्लॉकचेन जैसी अन्य तकनीकों का उपयोग करते हुए डिजिटल रुपया पेश करेगी।
- राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु पूंजी निवेश योजना:
- सरकार ने ‘राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये पूंजी निवेश योजना’ के परिव्यय को 10,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर चालू वर्ष के संशोधित अनुमान में इसे 15,000 करोड़ रुपए कर दिया है।
- इसके अलावा वर्ष 2022-23 के लिये अर्थव्यवस्था में सभी निवेशों को प्रेरित करने के उद्देश्य से राज्यों की मदद के लिये 1 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
- ये 50 वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण राज्यों को दी जाने वाली सामान्य उधारी से अधिक हैं।
- इस आवंटन का उपयोग पीएम गतिशक्ति से संबंधित और राज्यों के अन्य उत्पादक पूंजी निवेश के लिये किया जाएगा। इसमें निम्नलिखित घटक भी शामिल होंगे:
- राज्यों सहित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के प्राथमिक क्षेत्रों हेतु पूरक वित्तपोषण।
- डिजिटल भुगतान और ऑप्टिक फाइबर केबल (ओएफसी) नेटवर्क के पूरा होने सहित अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण।
- बिल्डिंग बायलॉज़, टाउन प्लानिंग स्कीम, ट्रांज़िट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट और ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स से संबंधित सुधार।
- वर्ष 2022-23 में 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, राज्यों को जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) के 4% के राजकोषीय घाटे की अनुमति दी जाएगी, जिसमें से 0.5% बिजली क्षेत्र के सुधारों से जुड़ा होगा।
स्रोत: पी.आई.बी.
शासन व्यवस्था
केरल लोकायुक्त की शक्तियों में कमी
प्रिलिम्स के लिये:लोकायुक्त, लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013। मेन्स के लिये:लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग, लोकपाल की कार्यप्रणाली से संबंधित मुद्दे तथा समाधान, भ्रष्टाचार विरोधी उपाय। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केरल सरकार ने एक अध्यादेश द्वारा केरल लोकायुक्त अधिनियम, 1999 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया, जिसकी विपक्ष द्वारा आलोचना की गई है।
- प्रस्तावित अध्यादेश में भ्रष्टाचार विरोधी प्रहरी की शक्तियों को सीमित करने की परिकल्पना प्रस्तुत की गई है।
प्रमुख बिंदु
प्रस्तावित परिवर्तन:
- केरल कैबिनेट ने राज्यपाल से सिफारिश की है कि वह अध्यादेश जारी करे।
- इस प्रस्ताव में लोकायुक्त को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद सरकार को उसके निर्णय को स्वीकार या अस्वीकार करने की शक्ति देने की मांग की गई ।
- इस अध्यादेश से अर्द्ध-न्यायिक संस्था एक दंतविहीन सलाहकार निकाय (Toothless Advisory Body) में परिवर्तित हो जाएगी जिसके आदेश सरकार पर बाध्यकारी नहीं होंगे।
लोकपाल और लोकायुक्त की अवधारणा:
- लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 ने संघ (केंद्र) के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की।
- ये संस्थाएँ बिना किसी संवैधानिक दर्जे वाले वैधानिक निकाय हैं।
- ओम्बड्समैन या लोकपाल का कार्य कुछ निश्चित श्रेणी के सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करना है।
- लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 लोकपाल की स्थापना का प्रावधान करता है। लोकपाल संस्था का चेयरपर्सन या तो भारत का पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश या असंदिग्ध सत्यनिष्ठा व प्रकांड योग्यता का प्रख्यात व्यक्ति होना चाहिये।
- आठ अधिकतम सदस्यों में से आधे न्यायिक सदस्य तथा कम-से -कम 50 प्रतिशत सदस्य अनु. जाति/अनु. जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक और महिला श्रेणी से होने चाहिये।
- लोकपाल की नियुक्ति वर्ष 2019 में की गई थी और इसने मार्च 2020 से कार्य करना शुरू कर दिया था। वर्तमान लोकायुक्त सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष हैं।
- लोकपाल के पास किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करने का अधिकार है जिसमें प्रधानमंत्री, मंत्री, संसद सदस्य, समूह ए, बी, सी. और डी. अधिकारी तथा केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल हैं।
- इसके क्षेत्राधिकार में वह व्यक्ति भी शामिल है जो ऐसे किसी निकाय/समिति का प्रभारी (निदेशक/प्रबंधक/सचिव) है या रहा है जो केंद्रीय कानून द्वारा स्थापित हो या किसी अन्य संस्था का प्रभारी जो केंद्रीय सरकार द्वारा वित्तपोषित/नियंत्रित हो।
- इसमें किसी ऐसे समाज या ट्रस्ट या निकाय को भी शामिल किया गया है जो 10 लाख रुपए से अधिक का विदेशी योगदान प्राप्त करता है।
भारत में लोकपाल (Ombudsman) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है?
- लोकपाल यानी Ombudsman संस्था की आधिकारिक शुरुआत वर्ष 1809 में स्वीडन में हुई।
- 20वीं शताब्दी में एक संस्था के रूप में ओम्बड्समैन का विकास हुआ और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसके विकास में तेज़ी आई।
- गुयाना प्रथम विकासशील देश था, जिसने वर्ष 1966 में ओम्बड्समैन का विचार अपनाया। इसके बाद मॉरीशस, सिंगापुर, मलेशिया के साथ-साथ भारत ने भी इसे अपनाया।
- भारत में संवैधानिक ओम्बड्समैन का विचार सर्वप्रथम वर्ष 1960 के दशक की शुरुआत में कानून मंत्री अशोक कुमार सेन ने संसद में प्रस्तुत किया था।
- लोकपाल और लोकायुक्त शब्द डॉ. एल. एम. सिंघवी द्वारा गढ़े गए थे।
- वर्ष 1966 में प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग ने सांसदों सहित सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ शिकायतों के निवारण हेतु केंद्रीय और राज्य स्तर पर दो स्वतंत्र प्राधिकरणों की स्थापना की सिफारिश की।
- वर्ष 1968 में लोकपाल विधेयक लोकसभा में पारित हुआ, लेकिन लोकसभा के भंग होने के साथ ही यह व्यपगत हो गया और तब से यह कई बार लोकसभा में व्यपगत हो चुका है।
- वर्ष 2002 में ‘एम.एन. वेंकटचलैया’ की अध्यक्षता में संविधान के कामकाज की समीक्षा हेतु गठित आयोग ने लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति की सिफारिश की; यह भी सिफारिश की कि प्रधानमंत्री को प्राधिकरण के दायरे से बाहर रखा जाए।
- वर्ष 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने सिफारिश की कि लोकपाल का कार्यालय जल्द-से-जल्द स्थापित किया जाना चाहिये।
- इसके लिये वर्ष 2011 में सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में सामाजिक आंदोलन ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन मूवमेंट’ ने तत्कालीन केंद्र सरकार पर दबाव डाला और परिणामस्वरूप लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक, 2013 पारित हुआ।
राज्यों में लोकायुक्त किस प्रकार कार्य करता है?
- लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 63 में कहा गया है कि ‘प्रत्येक राज्य में लोकायुक्त नामक एक निकाय स्थापित किया जाएगा, यद्यपि अब तक ऐसा कोई निकाय राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून द्वारा स्थापित, गठित या नियुक्त नहीं किया गया है।’
- इस निकाय को अधिनियम के लागू होने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर गठित किया जाएगा और यह मुख्य तौर पर सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों का निपटान करेगा।
- हालाँकि यह कानून मात्र एक फ्रेमवर्क है, इसकी विशिष्टताओं को तय करने के लिये राज्यों पर छोड़ दिया गया है।
- यह देखते हुए कि राज्यों को अपने स्वयं के कानून बनाने की स्वायत्तता है, लोकायुक्त की शक्तियाँ विभिन्न पहलुओं पर अलग-अलग होती हैं, जैसे- कार्यकाल और अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिये मंज़ूरी की आवश्यकता।
- जब वर्ष 2013 में यह अधिनियम पारित किया गया था, तब पहले से ही मध्य प्रदेश और कर्नाटक सहित कुछ राज्यों में लोकायुक्त काम कर रहे थे एवं अत्यधिक सक्रिय थे।
- अधिनियम और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अधिकांश राज्यों ने अब एक लोकायुक्त की स्थापना की है।
आगे की राह
- भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई केवल हमारी राजनीतिक, कानूनी, प्रशासनिक और न्यायिक प्रणालियों में व्यापक सुधार के माध्यम से की जा सकती है।
- एक प्रभावी लोकपाल संस्था की स्थापना ऐसा ही एक उपाय है।
- इसी तरह लोकपाल की तर्ज पर राज्यों में सभी राज्य सरकार के कर्मचारियों, स्थानीय निकायों और राज्य निगमों के दायरे में लोकायुक्तों की स्थापना की जानी चाहिये।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय विरासत और संस्कृति
विश्व विरासत नामांकन 2022-2023
प्रिलिम्स के लिये:विश्व धरोहर स्थल, होयसल वास्तुकला, नागर एवं द्रविड़ वास्तुकला। मेन्स के लिये:भारतीय विरासत एवं संस्कृति। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने वर्ष 2022-2023 के लिये ‘विश्व धरोहर स्थल’ के रूप में विचार करने हेतु होयसल मंदिरों के पवित्र स्मारकों को नामित किया है।
- 12वीं-13वीं शताब्दी में निर्मित होयसल मंदिर कर्नाटक में बेलूर, हलेबीडु और सोमनाथपुर के तीन घटकों द्वारा चिह्नित हैं। ये तीनों होयसल मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षित स्मारक हैं।
- ‘होयसला के पवित्र स्मारक’ 15 अप्रैल, 2014 से यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल हैं और भारत की समृद्ध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत के साक्षी हैं।
- इससे पहले यूनेस्को के विश्व धरोहर केंद्र (WHC) ने अपनी वेबसाइट पर भारत के ‘यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों’ के हिंदी विवरण प्रकाशित करने पर सहमति व्यक्त की थी।
बेलूर, हलेबीडु और सोमनाथपुरा मंदिरों की विशेषताएँ:
- चेन्नाकेशव मंदिर, बेलूर:
- यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जिन्हें ‘चेन्नाकेशव’ के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है- ‘सुंदर’ (चेन्ना) एवं ‘विष्णु’ (केशव)।
- मंदिर के बाहरी हिस्से में बड़े पैमाने पर तराशे गए पत्थर विष्णु के जीवन एवं उनके पुनर्जन्म तथा महाकाव्यों- रामायण और महाभारत के दृश्यों का वर्णन करते हैं।
- हालाँकि यहाँ शिव से जुड़े कुछ मंदिर भी मौजूद हैं।
- होयसलेश्वर मंदिर, हलेबिड (Hoysaleshwara Temple):
- हलेबिड में होयसलेश्वर मंदिर वर्तमान में मौजूद होयसलों का सबसे अनुकरणीय स्थापत्य है।
- इसका निर्माण होयसल राजा विष्णुवर्धन होयसलेश्वर के शासनकाल के दौरान 1121 ई. में किया गया था।
- शिव को समर्पित यह मंदिर दोरासमुद्र के धनी नागरिकों तथा व्यापारियों द्वारा प्रायोजित व निर्मित किया गया था।
- यह मंदिर 240 से अधिक दीवार में संलग्न मूर्तियों के लिये सबसे प्रसिद्ध है।
- हलेबिड में एक दीवार वाला परिसर है जिसमें होयसल काल के तीन जैन मंदिर भी है।
- केशव मंदिर, सोमनाथपुरा (Keshava Temple, Somanathapura):
- सोमनाथपुरा में केशव मंदिर एक और शानदार (शायद आखिरी) होयसल स्मारक है।
- यहाँ जनार्दन, केशव और वेणुगोपाल के इन तीन रूपों में भगवान कृष्ण को समर्पित एक सुंदर त्रिकूट मंदिर है।
- दुर्भाग्य से यहाँ मुख्य केशव मूर्ति गायब है तथा जनार्दन एवं वेणुगोपाल की मूर्तियाँ क्षतिग्रस्त हैं।
होयसल वास्तुकला की विशेषताएँ क्या हैं?
- होयसल वास्तुकला 11वीं एवं 14वीं शताब्दी के बीच होयसल साम्राज्य के अंतर्गत विकसित एक वास्तुकला शैली है जो ज़्यादातर दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र में केंद्रित है।
- होयसल मंदिर, हाइब्रिड या बेसर शैली के अंतर्गत आते हैं क्योंकि उनकी अनूठी शैली न तो पूरी तरह से द्रविड़ है और न ही नागर।
- होयसल मंदिरों में एक बुनियादी द्रविड़ियन आकृति है, लेकिन मध्य भारत में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली भूमिजा मोड ( Bhumija mode), उत्तरी और पश्चिमी भारत की नागर परंपराओं और कल्याणी चालुक्यों द्वारा समर्थित कर्नाटक द्रविड़ मोड के मज़बूत प्रभाव दिखाई देते हैं।
- इसलिये होयसल के वास्तुविदों ने अन्य मंदिर प्रकारों में विद्यमान बनावट पर विचार किया तथा उनके चयन और यथोचित संशोधन करने के बाद इन विधाओं को अपने स्वयं के विशेष नवाचारों के साथ मिश्रित किया।
- इसकी परिणति एक पूर्णरूपेण अभिनव 'होयसल मंदिर' ('Hoysala Temple) शैली के अभ्युदय के रूप में हुई।
- होयसल मंदिरों में खंभे वाले हॉल के साथ एक साधारण आंतरिक कक्ष की बजाय एक केंद्रीय स्तंभ वाले हॉल के चारों ओर समूह में कई मंदिर शामिल होते हैं और यह संपूर्ण संरचना एक जटिल डिज़ाइन वाले तारे के आकार में होती है।
- चूँकि ये मंदिर शैलखटी (Steatite) चट्टानों से निर्मित हैं जो अपेक्षाकृत एक नरम पत्थर होता है जिससे कलाकार मूर्तियों को जटिल रूप देने में सक्षम होते थे। इसे विशेष रूप से देवताओं के आभूषणों में देखा जा सकता है जो मंदिर की दीवारों को सुशोभित करते हैं।
विश्व धरोहर स्थल:
- विश्व धरोहर स्थल के बारे में:
- यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) द्वारा सूचीबद्ध विशेष सांस्कृतिक या भौतिक महत्त्व के स्थलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में जाना जाता है।
- विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत 1972 के संरक्षण के संबंध में कन्वेंशन के तहत स्थलों को "उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य" (Outstanding Universal Value) के रूप में नामित किया जाता है।
- विश्व विरासत केंद्र इस कन्वेंशन के सञ्चालन हेतु सचिवालय के रूप में कार्य करता है।
- यह पूरे विश्व में उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों के प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण को बढ़ावा देता है।
- इसमें तीन प्रकार के स्थल शामिल हैं: सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित।
- सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) स्थलों में ऐतिहासिक इमारत, शहर स्थल, महत्त्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थल, स्मारकीय मूर्तिकला और पेंटिंग कार्य शामिल किये जाते हैं जैसे- धौलावीरा: एक हड़प्पा शहर।
- प्राकृतिक विरासत स्थल उन प्राकृतिक क्षेत्रों तक सीमित हैं जिनमें उत्कृष्ट पारिस्थितिक और विकासवादी प्रक्रियाएँ, अद्वितीय प्राकृतिक घटनाएँ, दुर्लभ या लुप्तप्राय प्रजातियों के आवास आदि हैं। उदाहरण: ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र।
- मिश्रित विरासत स्थलों में प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्त्व दोनों के तत्त्व होते हैं। उदाहरण: खांगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान।
- भारत में विश्व धरोहर स्थलों की संख्या: भारत में कुल मिलाकर 40 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें 32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और एक मिश्रित स्थल शामिल है। एक हड़प्पाकालीन शहर धोलावीरा हाल ही में जोड़ा गया है।
- नामांकन प्रक्रिया: यूनेस्को के परिचालन दिशा-निर्देश, 2019 के अनुसार, अंतिम नामांकन डोज़ियर के लिये विचार किये जाने से पहले किसी भी स्मारक/स्थल को एक वर्ष हेतु अस्थायी सूची में रखना अनिवार्य है।
- एक बार नामांकन हो जाने के बाद इसे वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर (WHC) को भेजा जाता है, जो इसकी तकनीकी जाँच करता है।
- एक बार सबमिशन हो जाने के बाद यूनेस्को मार्च की शुरुआत में फिर से संपर्क करेगा। उसके बाद सितंबर/अक्तूबर 2022 में साइट का मूल्यांकन होगा और जुलाई/अगस्त 2023 में डोज़ियर पर विचार किया जाएगा।
स्रोत: पी.आई.बी.
शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क के लिये मसौदा
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020। मेन्स के लिये:शिक्षा से संबंधित पहल। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने विभिन्न स्तरों पर छात्रों का आकलन करने के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के एक भाग के रूप में राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (NHEQF) के लिये एक मसौदा जारी किया है।
- NEP, 2020 का उद्देश्य "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना (India a global knowledge superpower)" है।
- भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली के आकार, संस्थानों और अध्ययन कार्यक्रमों की विविधता को देखते हुए देश को सभी स्तरों पर उच्च शिक्षा योग्यता की पारदर्शिता एवं तुलनीयता की सुविधा हेतु राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तुलनीय एवं स्वीकार्य योग्यता ढाँचे को विकसित करने की दिशा में बढ़ने की ज़रूरत है।
राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क मसौदा:
- NHEQF का उद्देश्य एक समान पाठ्यक्रम या राष्ट्रीय सामान्य पाठ्यक्रम को बढ़ावा देना नहीं है। इसका उद्देश्य सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (Higher Education Institutions) को बेंचमार्किंग के एक सामान्य स्तर पर लाना/उन्नत करना है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
- मसौदा ढांँचे में सीखने के स्तर "डिस्क्रीप्टर " या पैरामीटर की रूपरेखा दी गई है, जिसके आधार पर छात्रों का हर स्तर पर मूल्यांकन किया जा सकता है।
- इन मापदंडों में सामान्य सीखने के परिणाम, संवैधानिक और नैतिक मूल्य, रोज़गार हेतु तैयार कौशल, उद्यमशीलता की मानसिकता तथा दूसरों के मध्य ज्ञान और कौशल का अनुप्रयोग शामिल है।
- NHEQF ने मापदंडों को 5 से 10 के स्तर/लेबल में विभाजित किया है।
- स्तर 1 से 4 स्कूली शिक्षा को कवर करता है।
- NHEQF स्तर 5, अध्ययन के स्नातक कार्यक्रम के पहले वर्ष (पहले दो सेमेस्टर) के लिये उपयुक्त सीखने के परिणामों से संबंधित है, जबकि स्तर 10 अध्ययन के डॉक्टरेट स्तर के कार्यक्रम हेतु उपयुक्त सीखने के परिणामों पर केंद्रित है।
- NHEQF में इस बात की परिकल्पना की गई है कि अध्ययन के एक कार्यक्रम के पूरा होने पर छात्रों को प्राप्त अपेक्षित स्नातक प्रोफाइल/विशेषताओं को प्रदर्शित करना चाहिये।
- यह चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम स्नातकोत्तर डिग्री और डॉक्टरेट डिग्री के विभिन्न स्तरों को पूरा करने के लिये आवश्यक क्रेडिट संख्या भी तय करता है।
- NEP 2020 स्नातक स्तर पर एकाधिक प्रवेश और निकास की अनुमति देता है। इसका प्रभावी अर्थ यह है कि छात्र एक प्रमाण पत्र के साथ स्नातक कार्यक्रम का एक वर्ष पूरा करने के बाद, डिप्लोमा के साथ दो वर्ष के बाद, स्नातक की डिग्री के साथ तीन वर्ष के बाद बाहर निकलने का विकल्प रखते हैं, या चार साल पूरे कर सकते हैं और सम्मान/शोध डिग्री प्राप्त कर सकते हैं।
- क्रेडिट एक इकाई है जिसके द्वारा शोध कार्य को मापा जाता है।
भारत में राष्ट्रीय योग्यता फ्रेमवर्क की पृष्ठभूमि:
- भारत ने सामान्य शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण (VET) दोनों के लिये NQF की आवश्यकता को पहचाना।
- श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने राष्ट्रीय व्यावसायिक योग्यता फ्रेमवर्क (NVQF) विकसित किया और मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एनईपी 2020 की सिफारिशों के बाद शिक्षा मंत्रालय के रूप में नाम परिवर्तित) ने व्यावसायिक शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (NVEQF) विकसित किया।
- वर्ष 2013 में अधिसूचित राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF) को विकसित करते समय इन दो रूपरेखाओं पर विचार किया गया और उनका उपयोग किया गया।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)
- यह 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया, जिसके पश्चात् शिक्षा मंत्रालय के तहत यूजीसी अधिनियम, 1956 द्वारा भारत सरकार का एक वैधानिक संगठन बन गया।
- UGC के जनादेश में शामिल हैं:
- विश्वविद्यालय शिक्षा को बढ़ावा देना एवं समन्वय स्थापित करना।
- विश्वविद्यालयों में शिक्षण, परीक्षा एवं अनुसंधान के मानकों का निर्धारण।
- शिक्षा के न्यूनतम मानकों पर नियम बनाना।
- कॉलेजिएट और विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में विकास की निगरानी करना; विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान वितरित करना।
- केंद्र एवं राज्य सरकारों और उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करना।
- विश्वविद्यालय में सुधार हेतु आवश्यक उपायों पर केंद्र एवं राज्य सरकारों को सलाह देना।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय अर्थव्यवस्था
बजट 2022-23: पीएम गतिशक्ति
प्रिलिम्स के लिये:बजट से संबंधित संवैधानिक प्रावधान, पीएम गतिशक्ति, इसकी विशेषताएँ और घटक। मेन्स के लिये:पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान और संबंधित चिंताएँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2022-23 पेश किया।
- बजट 2022-23 का यह खंड 'पीएम गतिशक्ति' से जुड़े प्रस्तावों से संबंधित है।
क्या है पीएम गतिशक्ति?
- परिचय:
- अक्तूबर 2021 में शुरू की गई मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिये ‘पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की समन्वित योजना एवं निष्पादन के उद्देश्य से शुरू की गई एक पहल है। इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है।
- ‘गतिशक्ति’ एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो एकीकृत नियोजन एवं कार्यान्वयन हेतु रेलवे और रोडवेज़ सहित 16 मंत्रालयों की विकास परियोजनाओं को एक साथ लाता है।
- लॉन्च होने पर ‘गतिशक्ति योजना’ ने वर्ष 2019 में घोषित 110 लाख करोड़ रुपए की ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ को अपने साथ शामिल कर लिया।
- बजट 2022-23 हेतु फोकस क्षेत्र:
- इसके दायरे में आर्थिक परिवर्तन के सात इंजन (सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन, जलमार्ग और रसद अवसंरचना) शामिल होंगे।
- इसमें गतिशक्ति मास्टर प्लान के अनुसार, राज्य सरकारों द्वारा विकसित बुनियादी ढाँचा भी शामिल होगा।
- मास्टर प्लान की विशेषता विश्वस्तरीय आधुनिक अवसंरचना और लोगों एवं वस्तुओं दोनों के आवागमन के विभिन्न माध्यमों तथा परियोजनाओं की अवस्थिति के बीच लॉजिस्टिक समन्वय स्थापित करना होगा।
‘पीएम गतिशक्ति’ हेतु प्रमुख प्रस्ताव:
- सड़क परिवहन:
- वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2022-23 में एक्सप्रेस मार्ग के लिये पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान का प्रतिपादन किया जाएगा ताकि लोगों और वस्तुओं का अधिक तेज़ी से आवागमन हो सके।
- वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में 25,000 किलोमीटर का विस्तार किया जाएगा।
- वस्तु और लोगों का निर्बाध बहु-आयामी आवागमन:
- सभी माध्यमों के ऑपरेटरों को डेटा एक्सचेंज, एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) के लिये अभिकल्पित ‘इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक इंटरफेस प्लेटफॉर्म’ (यूएलआईपी) पर लाया जाएगा।
- इससे सभी हितधारकों को रियल टाइम सूचना उपलब्ध होगी और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा में सुधार होगा।
- यात्रियों की निर्बाध यात्रा हेतु समान को लाने एवं ले जाने के लिये ‘खुले स्रोत की सुविधा’ भी दी जाएगी।
- सभी माध्यमों के ऑपरेटरों को डेटा एक्सचेंज, एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) के लिये अभिकल्पित ‘इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक इंटरफेस प्लेटफॉर्म’ (यूएलआईपी) पर लाया जाएगा।
- मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क:
- वर्ष 2022-23 में पीपीपी पद्धति में चार स्थानों पर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क को आरंभ करने के लिये अनुबंध किया जाएगा।
- रेलवे:
- रेलवे पार्सलों की निर्बाध आवाज़ाही की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये डाक और रेलवे को जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभाने के साथ-साथ छोटे किसानों तथा लघु एवं मध्यम उद्यमों हेतु नए उत्पाद और कार्यकुशल लॉजिस्टिक सेवाएँ विकसित करेगा
- स्थानीय कारोबार तथा आपूर्ति शृंखला में वृद्धि करने के लिये ‘वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट’ की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया जाएगा।
- आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में 2,000 किलोमीटर के नेटवर्क को कवच के अंतर्गत लाया जाएगा जो कि सुरक्षा और क्षमता संवर्द्धन के लिये विश्व स्तर की स्वदेशी प्रौद्योगिकी है।
- अगले तीन वर्षों के दौरान 400 नई पीढ़ी की वंदे भारत रेलगाड़ियों का विकास और विनिर्माण किया जाएगा जो कि ऊर्जा क्षमता और यात्रियों के सुखद अनुभव की दृष्टि से बेहतर होंगी।
- अगले तीन वर्षों के दौरान मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के लिये 100 PM गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किये जाएंगे।
- रेलवे संपर्क सहित सार्वजनिक शहरी परिवहन:
- बड़े पैमाने पर यथोचित प्रकार के मेट्रो सिस्टम के निर्माण के लिये वित्तपोषण और इनके तीव्र कियान्वयन के नए तरीकों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- बड़े पैमाने पर शहरी परिवहन और रेलवे स्टेशनों के बीच मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता के आधार पर सुगम बनाया जाएगा।
- पर्वतमाला: राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम:
- दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में परंपरागत सड़कों के विकल्प के रूप में पीपीपी मोड के अंतर्गत एक राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम चलाया जाएगा।
- इसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा यात्रियों के लिये कनेक्टिविटी और सुविधा में सुधार करना है।
- इसमें सघन आबादी वाले ऐसे शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा जहाँ परंपरागत सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था संभव नहीं है।
- दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में परंपरागत सड़कों के विकल्प के रूप में पीपीपी मोड के अंतर्गत एक राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम चलाया जाएगा।
- अवसंरचना परियोजना के लिये क्षमता निर्माण:
- क्षमता निर्माण आयोग की तकनीकी सहायता से केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और उनकी इन्फ्रा एजेंसियों की कार्य क्षमता में सुधार किया जाएगा।
- इससे पीएम गतिशक्ति अवसंरचना परियोजनाओं के नियोजन, डिज़ाइन, फाइनेंसिंग और क्रियान्वयन प्रबंधन क्षमता में वृद्धि हो सकेगी।
स्रोत: पी.आई.बी.
भारतीय अर्थव्यवस्था
बजट 2022-23: उत्पादकता वृद्धि और निवेश, उदीयमान अवसर, ऊर्जा संक्रमण और जलवायु कार्रवाई
प्रिलिम्स के लिये:बजट से संबंधित संवैधानिक प्रावधान, विभिन्न सरकारी हस्तक्षेप जैसे C-PACE, AVGC आदि। मेन्स के लिये:ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (EODB) और ईज़ ऑफ लिविंग, एनर्जी ट्रांज़िशन एंड क्लाइमेट एक्शन के लिये प्रस्ताव। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2022-23 पेश किया।
- प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है 'उत्पादकता बढ़ाना एवं निवेश, उदीयमान अवसर, ऊर्जा के स्वरूप में बदलाव और जलवायु कार्रवाई'।
- इसका उद्देश्य जीवन और व्यवसाय में सुगमता (Ease Of Living and Doing Business) सुनिश्चित करना तथा अमृत काल के दौरान ऊर्जा संक्रमण एवं जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण को प्राप्त करना है।
बजट किस तरह से जीवन और व्यवसाय सुगमता को बढ़ावा देता है?
- जीवन और व्यवसाय सुगमता का अगला चरण:
- हाल के वर्षों में 25,000 से अधिक अनुपालन कम किये गए थे तथा 1486 केंद्रीय कानूनों को निरस्त कर दिया गया था, जो 'न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन' एवं ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (EODB) का परिणाम था।
- अमृत काल के लिये व्यवसाय सुगमता 2.0 (EODB 2.0) और जीवन सुगमता (ईज़ ऑफ लिविंग) का अगला चरण शुरू किया जाएगा।
- EODB 2.0 में मैनुअल प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण, केंद्रीय और राज्य स्तरीय प्रणालियों का एकीकरण, सभी नागरिक-केंद्रित सेवाओं के लिये एकल-बिंदु पहुँच तथा मानकीकरण एवं अतिव्यापी अनुपालन आवश्यकताओं को हटाने की आवश्यकता होगी।
- सरकार 'विश्वास आधारित शासन' के विचार का पालन करेगी।
- ग्रीन क्लियरेंस/हरित मंज़ूरी: सभी प्रकार के ‘ग्रीन क्लियरेंस’ के लिये सिंगल विंडो पोर्टल- ‘परिवेश’ (PARIVESH) जिसे 2018 में लॉन्च किया गया, का विस्तार किया गया है।
- ई-पासपोर्ट: एम्बेडेड चिप और फ्यूचरिस्टिक तकनीक वाले ई-पासपोर्ट शुरू किये जाएंगे।
- शहरी विकास: शहरी क्षेत्र की नीतियों, क्षमता निर्माण, योजना, कार्यान्वयन और शासन पर सिफारिशें करने हेतु प्रतिष्ठित शहरी योजनाकारों, शहरी अर्थशास्त्रियों एवं संस्थानों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।
- शहरी नियोजन:
- भवन संबंधी उप-नियमों का आधुनिकीकरण, टाउन प्लानिंग स्कीम (TPS) और ‘ट्रांज़िट ओरिएंटेड डेवलपमेंट’ (TOD) लागू किया जाएगा।
- शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने हेतु बैटरी स्वैपिंग नीति लाई जाएगी।
- भूमि अभिलेख प्रबंधन:
- भूमि अभिलेखों के आईटी आधारित प्रबंधन हेतु विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या।
- अनुसूची VIII की किसी भी भाषा में भूमि अभिलेखों के ‘लिप्यंतरण’ (Transliteration ) की सुविधा भी शुरू की जाएगी।
- राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) के साथ 'एक राष्ट्र एक पंजीकरण सॉफ्टवेयर' को पंजीकरण के लिये एक समान प्रक्रिया एवं विलेखों तथा दस्तावेज़ों के 'कहीं भी पंजीकरण' के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।
- सीमा पार दिवाला समाधान की सुविधा हेतु दिवाला और दिवालियापन संहिता में संशोधन।
- त्वरित कॉर्पोरेट निकासी: कंपनियों के स्वैच्छिक समापन की अवधि को वर्तमान में आवश्यक 2 वर्ष से कम करके 6 माह करने और प्रक्रिया में तीव्रता लाने हेतु ‘सेंटर फॉर प्रोसेसिंग एक्सेलरेटेड कॉर्पोरेट एग्ज़िट’ (C-PACE) का गठन किया जाएगा।
- सरकारी खरीद: पारदर्शिता बढ़ाने और भुगतान में देरी को कम करने के लिये सभी केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा खरीद में उपयोग हेतु पूरी तरह से पेपरलेस, एंड-टू-एंड ऑनलाइन ई-बिल सिस्टम शुरू किया जाएगा।
- एवीजीसी प्रमोशन टास्क फोर्स: इस क्षेत्र की क्षमता का उपयोग करने के लिये एक एनिमेशन, विज़ुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक (एवीजीसी) प्रमोशन टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।
- दूरसंचार क्षेत्र: उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के हिस्से के रूप में 5G के लिये मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु एक विनिर्माण योजना शुरू की जाएगी।
- निर्यात प्रोत्साहन: विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम को एक नए कानून से बदल दिया जाएगा जो राज्यों को 'उद्यम और सेवा केंद्रों के विकास' में भागीदार बनने में सक्षम करेगा।
- रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता:
- वर्ष 2022-23 में कुल पूंजी खरीद बजट का 68 फीसदी घरेलू उद्योग के लिये रखा जाएगा, जो 2021-22 में 58 फीसदी था।
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25% रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट के साथ उद्योग, स्टार्टअप और शिक्षाविदों के लिये खोला जाएगा।
- परीक्षण और प्रमाणन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये स्वतंत्र नोडल ‘अम्ब्रेला निकाय’ की स्थापना की जाएगी।
- उदीयमान अवसर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, भू-स्थानिक प्रणालियों और ड्रोन, सेमीकंडक्टर तथा इसका इकोसिस्टम, अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, जीनोमिक्स एवं फार्मास्युटिकल्स, हरित व स्वच्छ ऊर्जा आवागमन प्रणालियों में बड़े पैमाने पर सतत् विकास में सहायता करने और देश के आधुनिकीकरण की अपार संभावनाएँ हैं।
बजट ऊर्जा संक्रमण और जलवायु कार्रवाई को कैसे बढ़ावा देता है?
- सौर क्षमता:
- वर्ष 2030 तक संस्थापित सौर क्षमता के 280 GW के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य हेतु घरेलू उत्पादन को सुविधा प्रदान कर सौर पीवी मॉड्यूलों के लिये पॉलीसिलिकॉन से पूर्णत: समेकित उत्पादन इकाइयों को प्राथमिकता के साथ उच्च प्रभावी मॉड्यूलों के उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन हेतु 19,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन किया जाएगा।
- सर्कुलर इकाॅनमी:
- सर्कुलर इकाॅनमी (Circular Economy) ट्रांज़िशन से उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ नए व्यवसायों और नौकरियों के लिये अधिक अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है।
- दस क्षेत्रों जैसे- इलेक्ट्रॉनिक कचरा, वाहन, प्रयुक्त तेल अपशिष्ट तथा ज़हरीले और खतरनाक औद्योगिक अपशिष्ट हेतु कार्य योजना तैयार है।
- कार्बन तटस्थ अर्थव्यवस्था की दिशा में संक्रमण
- 5 से 7 प्रतिशत बायोमास पेलेट्स (Biomass Pellets) को थर्मल पावर प्लांटों में जलाया जाएगा जिससे प्रतिवर्ष 38 एमएमटी कार्बन डाईऑक्साइड की बचत होगी।
- इससे किसानों को अतिरिक्त आय होगी और स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे तथा खेतों में पराली को जलाने को भी रोका जा सकेगा।
- कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) और उद्योग के लिये आवश्यक रसायनों में कोयले के रूपांतरण हेतु चार पायलट परियोजनाएंँ स्थापित की जाएंगी।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उन किसानों को वित्तीय सहायता देना जो कृषि वानिकी (Agro-Forestry) को अपनाना चाहते हैं।
- 5 से 7 प्रतिशत बायोमास पेलेट्स (Biomass Pellets) को थर्मल पावर प्लांटों में जलाया जाएगा जिससे प्रतिवर्ष 38 एमएमटी कार्बन डाईऑक्साइड की बचत होगी।