दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


शासन व्यवस्था

आंगनवाड़ी सेवाओं का कार्यान्वयन

  • 08 Aug 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

आंगनवाड़ी, एकीकृत बाल विकास सेवा योजना

मेन्स के लिये

महामारी के दौरान में खाद्य सुरक्षा से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

‘राइट टू फूड कैंपेन’ द्वारा महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को दिये गए ज्ञापन में आग्रह किया गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को पके हुए भोजन का प्रावधान फिर से शुरू करना चाहिये और आंगनवाड़ी सेवाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिये।

प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि 
    • गौरतलब है कि 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन के बाद, 8 करोड़ से अधिक लाभार्थियों, जिसमें छह वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ आदि शामिल हैं, के लिये लगभग 14 लाख आंगनवाड़ियों में पका हुआ भोजन और घर पर राशन लेने का प्रावधान बंद हो गया था। 
    • मार्च, 2020 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्य सरकारों को याद दिलाया था कि यदि वे आंगनवाड़ियों में कार्यान्वित एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (Integrated Child Development Services-ICDS) के तहत अनिवार्य भोजन अथवा खाद्यान्न की होम डिलीवरी करने में असमर्थ हैं तो उन्हें प्रत्येक लाभार्थी को मिलने वाले खाद्य सुरक्षा भत्ते का विस्तार करना होगा।

  • समस्या
    • ‘राइट टू फूड कैंपेन’ के अनुसार, न केवल बच्चों के विकास के स्तर पर नज़र रखने और कुपोषितों की सहायता करने संबंधी महत्त्वपूर्ण गतिविधियाँ रोक दी गईं, बल्कि घर-घर तक भोजन पहुँचाने जैसे बुनियादी और मूल प्रावधान भी कई स्थानों पर सही ढंग से लागू नहीं किये गए।
    • इस असाधारण समय में उक्त प्रावधानों को बंद करने से कुपोषण के प्रति संवेदनशील बच्चों को एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (ICDS) के तहत मिलने वाले पोषक खाद्य पदार्थों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
    • ‘राइट टू फूड कैंपेन’ ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में कहा है कि ‘हमें देश भर से रिपोर्ट मिली है कि एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) के माध्यम से प्रदान किये जाने वाले पोषक खाद्य पदार्थ, जिसे होम डिलीवरी के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान जारी रखा जाना था, अधिकांश स्थानों पर वितरित नहीं किया जा रहा है।
    • जून 2020 में संकलित ‘पोषण COVID-19 मॉनिटरिंग रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत में 14 सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में से 10 ने कुपोषित बच्चों का सामुदायिक प्रबंधन (Community Management) नहीं किया था और 8 राज्य छह वर्ष तक के बच्चों के विकास मापदंडों को मापने में असमर्थ रहे हैं। 

आंगनवाड़ी 

  • आंगनवाड़ी राज्यों अथवा केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो भारत में ग्रामीण बच्चों और मातृ देखभाल केंद्र के रूप में कार्य करती है।
  • एक कार्यक्रम के तौर पर इसकी शुरुआत भारत सरकार द्वारा वर्ष 1975 में बाल कुपोषण की समस्या से निपटने के लिये की गई थी।
  • सुझाव
    • ‘राइट टू फूड कैंपेन’ ने आंगनवाड़ियों के माध्यम से बच्चों को दिये जाने वाले खाद्य पैकेज में बदलाव की भी मांग की है, साथ ही इनसे कुपोषण और भूख के प्रति संवेदनशील बच्चों की सुरक्षा के लिये महामारी के दौरान पके हुए भोजन और सूखे राशन जैसे- अनाज, दाल, तेल और अंडे सहित एक व्यापक पैकेज प्रदान करने की सिफारिश की है।
    • इसके साथ ही आशा (ASHAs) और आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं जैसे फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं के लिये कोरोना वायरस (COVID-19) संबंधी सुरक्षा उपकरणों की भी मांग की है।
    • इसके अलावा बीते माह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिसेफ (UNICEF), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के शीर्ष अधिकारियों ने इस समस्या से निपटने के लिये पोषण तक पहुँच सुनिश्चित करने, मातृ और बाल पोषण में निवेश को बढ़ाने और कुपोषण की जल्द पहचान सुनिश्चित करने के प्रयासों में तेज़ी लाने पर ज़ोर दिया था।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow