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शासन व्यवस्था

प्रमुख प्रशासनिक सुधार

  • 06 Aug 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मिशन कर्मयोगी, सुशासन सूचकांक 2019, ई-गवर्नेंस 

मेन्स के लिये:

शासन व्यवस्था और प्रमुख प्रशासनिक सुधार, ई-गवर्नेंस एवं इसका महत्त्व तथा सरकार द्वारा किये गए प्रयास  

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में शुरू किये गए प्रमुख प्रशासनिक सुधारों के बारे में जानकारी दी तथा  शासन को और अधिक सुलभ बनाने में इन सुधारों के महत्त्व पर ज़ोर दिया।

  • इन सुधारों का उद्देश्य अधिक दक्षता, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन, जवाबदेही को प्रोत्साहित करना तथा विवेक के दायरे को कम करना है। सरकार अधिकतम "न्यूनतम सरकार - अधिकतम शासन" का अनुसरण करती है।

प्रमुख बिंदु:

  • मिशन कर्मयोगी:
    • यह राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम (National Programme for Civil Services Capacity Building- NPCSCB) है। यह कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण के लिये व्यक्तिगत, संस्थागत और प्रक्रिया स्तरों पर क्षमता निर्माण तंत्र में व्यापक सुधार है।
    • इसका उद्देश्य भारतीय सिविल सेवकों को और भी अधिक रचनात्मक, सृजनात्मक, विचारशील, नवाचारी, अधिक क्रियाशील, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी समर्थ बनाते हुए भविष्य के लिये तैयार करना है जो न्यू इंडिया की दृष्टि से जुड़ा हुआ है।
    • क्षमता निर्माण iGOT-कर्मयोगी डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से तैयार की गई सामग्री होगी।
  • लेटरल एंट्री:
    • लेटरल एंट्री का अर्थ है जब निजी क्षेत्र के कर्मियों का चयन सरकारी प्रशासनिक पद पर किया जाता है, भले ही उनका चयन नौकरशाही व्यवस्था में न हो या उनका हिस्सा न हो।
    • यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि समकालीन समय में प्रशासनिक मामलों के शीर्ष पर अत्यधिक कुशल और प्रेरित व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, जिसके बिना सार्वजनिक सेवा वितरण तंत्र सुचारू रूप से कार्य नहीं करता है।
    • लेटरल एंट्री सरकारी क्षेत्र में मितव्ययिता, दक्षता और प्रभावशीलता के मूल्यों को बढ़ाने में मदद करती है। यह सरकारी क्षेत्र के भीतर प्रदर्शन की संस्कृति के निर्माण में मदद करेगा।
  • ई-समीक्षा:
    • यह महत्त्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों/परियोजनाओं के कार्यान्वयन के संबंध में शीर्ष स्तर पर सरकार द्वारा लिये गए निर्णयों के आधार पर निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई के लिये एक वास्तविक समय ऑनलाइन प्रणाली है।
    • यह नौकरशाही में कामचोरी पर लगाम लगाने हेतु एक डिजिटल मॉनीटर है।
      • इसके अलावा सरकार समय से पहले सेवानिवृत्ति द्वारा अक्षम और संदिग्ध ईमानदारी वाले अधिकारियों को बाहर निकालने के लिये गहन समीक्षा कर रही है।
  • ई-ऑफिस:
    • मंत्रालयों/विभागों को कागज रहित कार्यालय में बदलने और कुशल निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिये ई-ऑफिस मिशन मोड परियोजना (MMP) को मज़बूत किया गया है।
  • सिटीज़न चार्टर:
    • सरकार ने सभी मंत्रालयों/विभागों के लिये सिटीज़न चार्टर अनिवार्य कर दिया है जिन्हें नियमित आधार पर अपडेट करने के साथ ही समीक्षा भी की जाती है।
      • यह एक लिखित दस्तावेज़ है जो नागरिकों/ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित करने के लिये सेवा प्रदाता के प्रयासों के बारे में बताता है।
  • सुशासन सूचकांक 2019:
    • यह राज्य सरकार और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) द्वारा किये गए विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से शासन की स्थिति और प्रभाव का आकलन करता है।
    • सुशासन सूचकांक का उद्देश्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शासन की स्थिति की तुलना करने के लिये मात्रात्मक डेटा प्रदान करना है, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शासन में सुधार के लिये उपयुक्त रणनीति तैयार करने व लागू करने तथा परिणाम उन्मुख दृष्टिकोण एवं प्रशासन में बदलाव के लिये सक्षम बनाना है।
    • इसे कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया है।
  • ई-गवर्नेंस पर राष्ट्रीय सम्मेलन:
    • यह सरकार को ई-गवर्नेंस पहल से संबंधित अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिये उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों, बुद्धिजीवियों के साथ जुड़ने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
    • 2020 में इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के साथ प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा मुंबई में ई-गवर्नेंस पर 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
  • केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS):
    • यह लोक शिकायत निदेशालय (DPG) तथा प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) के सहयोग से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ) द्वारा विकसित एक ऑनलाइन वेब-सक्षम प्रणाली है।
    • CPGRAMS किसी भी भौगोलिक स्थान से ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा प्रदान करता है। यह नागरिक को संबंधित विभागों के साथ की जा रही शिकायत को ऑनलाइन ट्रैक करने में सक्षम बनाता है और डीएआरपीजी को शिकायत की निगरानी करने में भी सक्षम बनाता है।
  • राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन: इसका उद्देश्य ई-गवर्नेंस सेवा वितरण की दक्षता पर राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों का आकलन करना है।
  • 2014 में और उसके बाद 2020 में 'लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार' योजना का व्यापक पुनर्गठन।

प्रशासनिक सुधार आयोग

  • प्रशासनिक सुधार आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा लोक प्रशासन प्रणाली की समीक्षा करने और इसे सुधारने के लिये सिफारिशें देने हेतु की गई है।
  • पहले प्रशासनिक सुधार आयोग (1966) का नेतृत्व शुरू में मोरारजी देसाई ने किया था और बाद में के. हनुमंतैया ने किया था। 2005 में गठित दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की अध्यक्षता वीरप्पा मोइली ने की थी।

आगे की राह:

  • सार्वजनिक मामलों का प्रबंधन करने वाली राज्य संस्था के सामने आने वाली नई चुनौतियों के लिये सुधार एक स्पष्ट प्रतिक्रिया है; इस तरह की कवायद के मूल में बदले हुए परिदृश्य में प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाने का प्रयास है।
  • चूँकि सिविल सेवक राजनीतिक अधिकारियों (Political Executives) के प्रति जवाबदेह होते हैं और इसके परिणामस्वरूप सिविल सेवाओं का राजनीतिकरण होता है, इसलिये नागरिक चार्टर, सामाजिक लेखापरीक्षा तथा सिविल सेवकों के बीच परिणाम अभिविन्यास को प्रोत्साहित करने जैसे बाहरी जवाबदेही तंत्र पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • सिविल सेवकों को नीति निर्माण में राजनीतिक अधिकारियों को निष्पक्ष, तर्कसंगत और सराहनीय सुझाव देना चाहिये। इसके लिये एक निष्पक्ष सिविल सेवा बोर्ड की आवश्यकता है जो पदोन्नति, स्थानांतरण, पोस्टिंग और निलंबन से संबंधित सभी पहलुओं को देख सके।

स्रोत: पी.आई.बी

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