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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

समुद्री विवाद

  • 16 Apr 2024
  • 31 min read

प्रिलिम्स के लिये:

महासागर, समुद्र, तटवर्ती क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र, मछली पकड़ने का अधिकार, तेल और गैस अन्वेषण, प्राकृतिक संसाधन, अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक महासागर, दक्षिणी महासागर, अंटार्कटिक,  समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS), महाद्वीपीय शेल्फ, परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA),  बंगाल की खाड़ी, प्रादेशिक सागर, हाई सी, स्प्रैटली, कच्चातिवु द्वीप, पाक खाड़ी क्षेत्र, एडम ब्रिज, पाक जलडमरूमध्य सार्क, काउंटर पायरेसी ऑपरेशन, दक्षिण चीन सागर, नेविगेशन की स्वतंत्रता, एक्ट ईस्ट पॉलिसी

मेन्स के लिये:

समुद्री विवाद और उसका समाधान तंत्र।

समुद्री विवाद क्या है? 

समुद्री विवाद महासागरों, समुद्रों या तटीय क्षेत्रों में संसाधनों या अधिकारों को लेकर देशों या संस्थाओं के बीच संघर्ष या असहमति है।

  • ये विवाद समुद्री सीमाओं, विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Exclusive Economic Zones- EEZ), मछली पकड़ने के अधिकार, तेल और गैस अन्वेषण, नेविगेशन मार्गों या प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर प्रतिस्पर्द्धी दावों के कारण उत्पन्न हो सकते हैं।
  • समुद्री विवादों में अक्सर जटिल कानूनी, ऐतिहासिक, राजनीतिक और आर्थिक कारक शामिल होते हैं और यदि राजनयिक वार्ता से इनका शांतिपूर्वक हल नहीं निकाला  गया तो ये तनाव, कानूनी कार्यवाही या यहाँ तक कि सैन्य टकराव का कारण भी बन सकते हैं।

विश्व में कितने महासागर हैं?

  • पृथ्वी का विशाल महासागर, जो इसकी सतह का 71% भाग कवर करता है, इतिहास, संस्कृति, भूगोल और विज्ञान जैसे विभिन्न कारणों से अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित है।
  • मूलतः चार महासागर थे: अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर और आर्कटिक महासागर, लेकिन अब कई देश दक्षिणी (अंटार्कटिक) महासागर को पाँचवें महासागर के रूप में मान्यता देते हैं।
  • प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर सबसे प्रसिद्ध हैं।
  • दक्षिणी महासागर, अंटार्कटिक से 60 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक फैला हुआ है। 

विभिन्न राष्ट्रों के साथ भारत का क्या समुद्री विवाद है?

  • भारत और बांग्लादेश:
    • बांग्लादेश ने 8 अक्तूबर, 2009 को भारत के साथ अपनी समुद्री सीमा को लेकर  समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) के तहत वार्ता शुरू की।
    • इस संबंध में सुनवाई 18 दिसंबर, 2013 को हेग में संपन्न हुई, जिसमें भूमि सीमा टर्मिनस के लिये स्थान, क्षेत्रीय समुद्र का परिसीमन, EEZ और 200 समुद्री मील से अधिक महाद्वीपीय शेल्फ जैसे विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • हेग में परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (Permanent Court of Arbitration- PCA) द्वारा सुनाया गया फैसला एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
    • इसके तहत संयुक्त राष्ट्र अधिकरण ने बंगाल की खाड़ी में विवादित 25,602 वर्ग किमी. क्षेत्र में से 19,467 वर्ग किमी. क्षेत्र बांग्लादेश को सोंप  दिया।
    • इसने भारत और बांग्लादेश के बीच प्रादेशिक समुद्र, EEZ और 200 नॉटिकल मील के भीतर एवं  उससे आगे महाद्वीपीय शेल्फ के बीच समुद्री सीमा रेखा को चिह्नित किया।
    • फैसले के बाद बांग्लादेश की समुद्री सीमा 118,813 वर्ग किमी. तक बढ़ा दी गई है। प्रादेशिक समुद्र अपनी आधार रेखा से समुद्र की ओर 12 नॉटिकल मील (NM) तक विस्तृत होता है। विशेष आर्थिक क्षेत्र आधार रेखा से 200 नॉटिकल मील की दूरी तक फैला होता है। 
    • इसके अतिरिक्त इस फैसले ने चटगाँव तट से 345 नॉटिकल मील तक फैले महाद्वीपीय शेल्फ में समुद्र तल के संसाधनों पर बांग्लादेश के संप्रभु अधिकारों को मान्यता दी।
  • भारत और श्रीलंका:
    • हिंद महासागर की गतिशीलता विशेष रूप से दक्षिण एशिया के लिये महत्त्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक निहितार्थ रखती है, यह ऐतिहासिक रूप से सत्ता संघर्ष को लेकर युद्धरत क्षेत्र रहा है।
    • इसकी रणनीतिक स्थिति को देखते हुए हिंद महासागर में किसी  भी प्रकार की अस्थिरता भारत की सुरक्षा के लिये खतरा पैदा करती है।
    • भारत और श्रीलंका समुद्री सीमाएँ साझा करते हैं तथा  वर्ष 1974 एवं 1976 में समुद्री समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बावजूद समुद्री मुद्दे अभी भी बने हुए हैं।
    • यह मुद्दा पाक खाड़ी क्षेत्र में एक छोटे से निर्जन द्वीप कच्चातिवु के आस-पास केंद्रित  है।
    • जबकि भारत इस द्वीप पर श्रीलंकाई संप्रभुता को स्वीकार करता है, हालाँकि मछली पकड़ने के उद्देश्य से भारतीय मछुआरों को प्रतिबंधित क्षेत्र में पहुँच की अनुमति देने हेतु कुछ व्यवस्थाएँ की गई थीं।
    • वर्ष 1974 और 1976 के समझौते स्पष्ट रूप से भारतीय मछुआरों को भारतीय समुद्री क्षेत्र से परे मछली पकड़ने से प्रतिबंधित नहीं करते हैं, हालाँकि मछली पकड़ने से संबंधित क्षेत्र के अपने हिस्से पर श्रीलंका के संप्रभु अधिकार निर्विवाद हैं।
    • यह मुद्दा अत्यधिक संवेदनशील है क्योंकि इसका सीधा असर बड़ी संख्या में मछुआरों की आजीविका पर पड़ता है।
    • सेतु समुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट: प्रगति में बाधक एक और समुद्री चुनौती सेतु समुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट को लागू करने में देरी है। इस परियोजना का उद्देश्य विभिन्न आकार के जहाज़ों को समायोजित करने के लिये एडम ब्रिज, पाक खाड़ी के खंडों और पाक जलडमरूमध्य के माध्यम से ड्रेजिंग (Dredging) एवं खुदाई करके एक नौगम्य जहाज़ चैनल का निर्माण करना है।
      • यह परियोजना भारत सरकार द्वारा वर्ष 2004 में शुरू की गई थी जिसे वर्ष 2014 में पुनर्जीवित किया गया था।
    • वर्ष 2010 में SAARC की वार्ता में समुद्री सुरक्षा और समुद्री डकैती से संबंधित मुद्दों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था। भारत तथा श्रीलंका दोनों के लिये आसपास के समुद्री वातावरण का राष्ट्रीय हित में महत्त्वपूर्ण योगदानरहा है।
    • सार्क के बीच समुद्री सहयोग की धीमी प्रगति को देखते हुए भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री मुद्दों को दोनों देशों द्वारा द्विपक्षीय आधार पर हल किया जाना चाहिये।
    • दोनों देशों को समुद्री सुरक्षा, समुद्री डकैती जैसे मुद्दों को लेकर  नौसैनिक सहयोग जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ऐसे मुद्दों को हल करने हेतु एक तंत्र स्थापित करना चाहिये।
  • भारत और चीन: 
    • चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है जिससे भारत की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
    • चीन का तर्क है कि क्षेत्र में उसकी गतिविधियाँ व्यावसायिक हितों और विदेशों में रह रहे उसके नागरिकों  की रक्षा पर केंद्रित हैं।
    • चीन ने पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती विरोधी अभियानों का समर्थन करने के लिये बड़ी संख्या में नौसैनिक बलों को तैनात किया है और भारत के पड़ोसी देशों में निवेश करने के साथ ही वह उन्हें हथियार की आपूर्ति करता है।
    • चीन का मुख्य उद्देश्य बंदरगाहों की सुरक्षा सुनिश्चित  करने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ आर्थिक और निवेश परियोजनाओं पर कब्ज़ा करना है जहाँ उसके सैन्य बल नौसैनिक सुविधाएँ स्थापित कर सकें।
    • भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और क्षेत्रीय विकास के लिये तथा  साथ ही क्षेत्र में चीन की बढ़ती भागीदारी  को कम करने हेतु हिंद महासागर क्षेत्र के समुद्री राज्यों के साथ राजनयिक, सुरक्षा और आर्थिक संबंध मज़बूत किये  हैं।
    • भारत ने अपनी नौसेना, सैन्य अड्डे, आधुनिक बेड़े और उपकरण निर्माण एवंसुरक्षा संबंधों के विस्तार के लियेअरबों डॉलर का निवेश किया है।
    • इसने दक्षिण चीन सागर में अपने जहाज़ तैनात किये हैं और अपनी एक्ट ईस्ट नीति के हिस्से के रूप में नेविगेशन की स्वतंत्रता तथा क्षेत्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है।

विश्व के अन्य प्रमुख समुद्री विवाद क्या हैं?

  • दक्षिण चीन सागर में प्रमुख विवाद:
    • दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों के अंतर्गत कई संप्रभु राज्यों, अर्थात् ब्रुनेई, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, रिपब्लिक ऑफ चाइना (ताइवान), मलेशिया, फिलीपींस और वियतनाम के बीच द्वीप और समुद्री दोनों परदावे शामिल हैं।
    • स्प्रैटली और पारासेल दोनों द्वीपों के साथ-साथ टोंकिन की खाड़ी में समुद्री सीमाओं को लेकर भी विवाद है।
    • इंडोनेशियाई नतुना द्वीप समूह के निकट एक अन्य विवाद इसके जल को लेकर है।
    • दोनों द्वीप समूहों के आस-पास मछली पकड़ने के क्षेत्रों का अधिग्रहण करना विभिन्न देशों के हित में है। 
      • दक्षिण चीन सागर के विभिन्न हिस्सों के समुद्र तल में संदिग्ध कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के संभावित दोहन को लेकर विवाद।
    • दावेदार राज्य मछली पकड़ने, दक्षिण चीन सागर के विभिन्न हिस्सों के समुद्र तल में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की खोज एवं संभावित दोहन तथा महत्त्वपूर्ण शिपिंग लेन के रणनीतिक नियंत्रण के अधिकार को बनाए रखने या प्राप्त करने में रुचि रखते हैं। 
    • महत्त्वपूर्ण शिपिंग लेन का रणनीतिक नियंत्रण।
    • शांगरी-ला डायलॉग दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों सहित एशिया-प्रशांत क्षेत्र के आसपास के सुरक्षा मुद्दों पर "ट्रैक वन" एक्सचेंज फोरम के रूप में कार्य करता है।
    • एशिया-प्रशांत में सुरक्षा सहयोग परिषद एशिया-प्रशांत के सुरक्षा मुद्दों पर "ट्रैक टू" डायलॉग/संवाद है।
  • इज़रायल और लेबनान:
    • वर्ष 1948 में इज़रायल के निर्माण के बाद से लेबनान और इज़रायल आधिकारिक तौर पर युद्धरत हैं और दोनों देश भूमध्य सागर के लगभग 860 वर्ग किलोमीटर (330 वर्ग मील) पर दावा करते हैं।
    • इस क्षेत्र में अपतटीय गैस क्षेत्रों पर इज़रायल और लेबनान के प्रतिस्पर्द्धी दावों के बीच दशकों से  तनाव बना है, जिसमें करिश गैस क्षेत्र और काना (Qana), एक संभावित गैस क्षेत्र का हिस्सा शामिल है।
      • इज़रायल द्वारा विकसित किये जा रहे करीश गैस क्षेत्र (Karish Gas Field) पर  ईरान द्वारा समर्थित लेबनान के शक्तिशाली राजनीतिक और उग्रवादी समूह हिज़्बुल्लाह (Hezbollah) का खतरा बना हुआ है।
    • दोनों देशों ने वर्ष 2011 में भूमध्य सागर में ओवरलैपिंग सीमाओं की घोषणा की।
    • चूँकि दोनों देश तकनीकी रूप से युद्ध की स्थिति में थे, इसलिये संयुक्त राष्ट्र को मध्यस्थता करने के लिये कहा गया।
      • एक दशक पहले इज़रायल द्वारा अपने तट पर दो गैस क्षेत्रों की खोज किये जाने के बाद इस मुद्दे को महत्त्व मिला, जो इसे ऊर्जा निर्यातक में परिवर्तित करने  में मदद कर सकता है।
  • ग्रीस और तुर्की:
    • ग्रीस और तुर्की के बीच वर्ष 1973 से एजियन सागर को लेकर विवाद चल रहा है।
    • एजियन सागर समुद्री विवाद में तीन मुख्य मुद्दे शामिल हैं: प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई, द्वीपों की उपस्थिति और दो राज्यों के बीच महाद्वीपीय शेल्फ का परिसीमन।
    • वर्ष 1936 से ग्रीस ने 6 नॉटिकल मील क्षेत्रीय समुद्र का दावा किया है। तुर्की एजियन सागर में 6-NM प्रादेशिक समुद्र का भी दावा करता है। हालाँकि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय 1982 (UNCLOS) राज्यों को अपने क्षेत्रीय समुद्र को तट से 12 NM तक बढ़ाने की अनुमति देता है।
    • ग्रीस ने कन्वेंशन को अपनाया है, जबकि तुर्किये ने इसे नहीं अपनाया है और अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाया है।
    • इस विवाद में क्षेत्रीय दावों के साथ ही हवाई क्षेत्र के दावे, महाद्वीपीय शेल्फ का उपयोग और पर्यटन शामिल हैं।
    • कूटनीतिक कारणों के वज़ह से  विवाद और बढ़ गया है।
  • लॉज़ेन की संधि:
    • वर्ष 1923 में हस्ताक्षरित लॉज़ेन की संधि के तहत तेल-समृद्ध अरब भूमि पर तुर्की के ओटोमन-युग के दावों को छोड़ने के बदले में पूर्वी अनातोलिया आधुनिक तुर्की का हिस्सा बन गया। 
  • रूस और नॉर्वे:
    • मछली पकड़ने के अधिकार को लेकर पहली बार विरोध की शुरुआत 1970 के दशक में हुई थी, लेकिन अब  इसका विस्तार संभावित तेल और गैस संसाधनों तक हो गया है। माना जाता है कि रूसी और नॉर्वेजियन दोनों क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण पेट्रोलियम भंडार हैं।
    • यह विवाद दोनों देशों के बीच बैरेंट्स सागर में उनकी समुद्री सीमा को लेकर है, जो शिपिंग, तेल और मत्स्य पालन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • यूरोपीय संघ और नॉर्वे:
    • यह विवाद मछली पकड़ने के अधिकार को लेकर है। नॉर्वे का दावा है कि यूरोपीय संघ ने स्वतंत्र रूप से मछली पकड़ने के लाइसेंस जारी किये हैं और स्वालबार्ड के आसपास के जल में सदस्य राज्यों के लिये मछली पकड़ने का कोटा निर्धारित किया है, जो बिना पूर्व परामर्श के नॉर्वे तथा यूरोपीय संघ के बीच सहमत कोटा से अधिक है। इस कार्रवाई को 200 मील के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर संसाधनों के प्रबंधन के नॉर्वे के अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा जाता है, जैसा कि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) में उल्लिखित है।
  • UK और स्पेन: 
    • जिब्राल्टर को लेकर ब्रिटेन और स्पेन के बीच विवाद है तथा स्पेन के निवासियों ने किसी भी साझा संप्रभुता व्यवस्था को अस्वीकार करने के लिये मतदान किया।
    • ब्रिटेन जिब्राल्टर (Gibraltar) के आसपास के क्षेत्रीय जल में तीन मील की सीमा का दावा करता है, जबकि स्पेन जिब्राल्टर के बंदरगाहों को छोड़कर सभी समुद्री क्षेत्रों पर अधिकार का दावा करता है। स्पेन का यह भी दावा है कि हवाई क्षेत्र पर ब्रिटेन ने अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया है।
    • स्पेन पूरे जिब्राल्टर क्षेत्र पर ब्रिटेन की संप्रभुता का विरोध करता है।  स्पेन इस क्षेत्र के स्पेन के साथ ऐतिहासिक संबंधों की ओर इशारा करता है, क्योंकि जिब्राल्टर वर्ष 1492 से लेकर वर्ष 1713 में यूट्रेक्ट की संधि तक कैस्टिले साम्राज्य और बाद में स्पेन का हिस्सा था।
    • यूट्रेक्ट की संधि 1713 में ब्रिटेन और फ्राँस के बीच हस्ताक्षरित एक शांति समझौता था।
    • यह संधियों की एक शृंखला का हिस्सा था जिसने स्पेनिश उत्तराधिकार के युद्ध को समाप्त कर दिया, जो कि वर्ष 1701-1714 तक चला।
      • इस युद्ध में फ्राँस, ग्रेट ब्रिटेन, डच गणराज्य और ऑस्ट्रिया सहित कई यूरोपीय देश शामिल थे। 
      • फ्राँस हडसन की बे कंपनी को हुए नुकसान की भरपाई करने पर सहमत है।
      • फ्राँस ने हडसन खाड़ी पर ब्रिटिश दावे को मान्यता दी और मुख्य भूमि अकाडिया को ब्रिटेन को सौंप दिया।
      • ब्रिटेन ने जिब्राल्टर और मिनोर्का, स्पेनिश अमेरिका में मूल्यवान व्यापारिक रियायतें और वेस्टइंडीज़ में सेंट किट्स द्वीप का अधिग्रहण किया।
  • कनाडा और डेनमार्क:
    • कनाडा और डेनमार्क के बीच वर्ष 1973 से हंस द्वीप (Hans Island) पर समुद्री विवाद चल रहा है, जब दोनों देशों ने नारेस जलडमरूमध्य (Nares Strait) के माध्यम से एक सीमा स्थापित करने का प्रयास किया था।
    • यह द्वीप निर्जन है और इसमें कोई खनिज संसाधन नहीं हैं। 
    • यह विवाद, जिसे "व्हिस्की युद्ध (Whiskey War)" या "शराब युद्ध (Liquor Wars)" के नाम से भी जाना जाता है, एक रक्तहीन युद्ध था जो कभी भी प्रत्यक्ष संघर्ष या हिंसा में तब्दील नहीं हुआ।
  • UK और अर्जेंटीना:
    • अर्जेंटीना का दावा है कि फाॅकलैंड द्वीप समूह को वर्ष 1833 में अवैध रूप से उससे ले लिया गया था और वर्ष 1982 में ब्रिटिश सेना ने उस पर आक्रमण किया, जिससे फाॅकलैंड युद्ध (Falklands War) शुरू हुआ।
    • वर्ष 1982 में शत्रुता समाप्त होने के बावजूद विवाद अनसुलझा रहा, जिससे नए सिरे से द्विपक्षीय वार्ता की मांग उठी।
    • अर्जेंटीना भारत के माध्यम से राजनयिक माध्यमों का अनुसरण कर रहा है, इस्लास माल्विनास (Islas Malvinas), जिसे फाॅकलैंड द्वीप (Falkland Islands) समूह के रूप में भी जाना जाता है, से संबंधित क्षेत्रीय विवाद को संबोधित करने के लिये यूनाइटेड किंगडम के साथ बातचीत का समर्थन कर रहा है।
    • यह पहल UK और अर्जेंटीना के बीच संघर्ष की 40वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करती  है, जिसकी परिणति द्वीप समूह पर ब्रिटिश शासन की बहाली के रूप में हुई।

वैश्विक समुद्री विवाद समाधान तंत्र क्या है?

  • समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) वर्ष 1982 का एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो समुद्री गतिविधियों के लिये कानूनी ढाँचा स्थापित करता है।
  • इसे समुद्र का कानून भी कहा जाता है। यह समुद्री क्षेत्रों को पाँच मुख्य क्षेत्रों में विभाजित करता है, अर्थात् आंतरिक जल, प्रादेशिक सागर, सन्निहित क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और हाई सी।
  • यह एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है जो समुद्री क्षेत्रों में राज्य के अधिकार क्षेत्र को लेकर एक रूपरेखा निर्धारित करता है। यह विभिन्न समुद्री क्षेत्रों को एक अलग कानूनी दर्जा प्रदान करता है।
  • यह तटीय राज्यों और महासागरों को नेविगेट करने वालों द्वारा अपतटीय शासन की नींव के रूप में कार्य करता है।
  • यह न केवल तटीय राज्यों के अपतटीय क्षेत्रों को कवर करता है, बल्कि यह पाँच संकेंद्रित क्षेत्रों के भीतर राज्यों के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों के लिये विशिष्ट मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।

समुद्री विवादों हेतु भारत की पहल क्या है?

  • भारत की तटीय सुरक्षा त्रिस्तरीय संरचना द्वारा नियंत्रित होती है:
    • भारतीय नौसेना अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) पर गश्त करती है, जबकि भारतीय तटरक्षक बल (ICG) को 200 समुद्री मील (यानी विशेष आर्थिक क्षेत्र) तक गश्त और निगरानी करना अनिवार्य है।
    • इसके साथ ही राज्य तटीय/समुद्री पुलिस (SCP/SMP) उथले तटीय क्षेत्रों में गश्त करती है।
      • SCP का क्षेत्राधिकार तट से 12 समुद्री मील तक है और ICG एवं भारतीय नौसेना का क्षेत्रीय जल (SMP के साथ) सहित पूरे समुद्री क्षेत्र (200 समुद्री मील तक) पर अधिकार क्षेत्र है।
  • सभी के लिये सुरक्षा और विकास (SAGAR/सागर) नीति:
    • भारत की सागर नीति एक एकीकृत क्षेत्रीय ढाँचा प्रदान करती है, जिसका अनावरण भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा मार्च 2015 में मॉरीशस की यात्रा के दौरान किया गया था। सागर के स्तंभ हैं:
      • हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका।
      • भारत IOR में मित्र देशों की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं और आर्थिक लचीलेपन को बढ़ाना जारी रखेगा।
      • IOR के भविष्य पर अधिक एकीकृत और सहयोगात्मक फोकस, जो इस क्षेत्र के सभी देशों के सतत् विकास की संभावनाओं को बढ़ाएगा।
      • IOR में शांति, स्थिरता और समृद्धि की प्राथमिक ज़िम्मेदारी उन लोगों की होगी जो "इस क्षेत्र में रहते हैं"।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करना:
    • भारत ने UNCLOS 1982 के अनुसार सभी देशों के अधिकारों का सम्मान करने की अपनी प्रतिबद्धता को बार-बार दोहराया है।
  • डेटा साझा करना:
    • वाणिज्यिक नौवहन के खतरों पर डेटा साझा करना समुद्री सुरक्षा बढ़ाने का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
    • इस संदर्भ में भारत ने वर्ष 2018 में गुरुग्राम में हिंद महासागर क्षेत्र के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संलयन केंद्र (International Fusion Centre- IFC) की स्थापना की।
      • IFC को संयुक्त रूप से भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल द्वारा प्रशासित किया जाता है।
      • IFC सुरक्षा और सुरक्षा मुद्दों पर समुद्री डोमेन जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से कार्य करता है।
  • एंटी पायरेसी ऑपरेशन:
    • वर्ष 2007 से सोमालिया के तट से शुरू होने वाले समुद्री डकैती से पश्चिमी हिंद महासागर में शिपिंग के बढ़ते खतरे का सामना करते हुए, भारतीय नौसेना ने सोमालिया के तट पर समुद्री डकैती पर UNSC मेंडेटेड 60-देश संपर्क समूह (UNSC Mandated 60-country Contact Group) के हिस्से के रूप में भाग लिया।
  • अन्य संबंधित सरकारी नीतियाँ:

निष्कर्ष

समुद्री विवाद जटिल और बहुआयामी संघर्ष हैं जो समुद्री क्षेत्रों में संसाधनों और अधिकारों को लेकर देशों के बीच उत्पन्न होते हैं। इन विवादों, जिनके महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय निहितार्थ हो सकते हैं, को राष्ट्रों के बीच स्थिरता और सहयोग सुनिश्चित करने के लिये सावधानीपूर्वक नेविगेशन तथा समाधान तंत्र की आवश्यकता होती है। दक्षिण चीन सागर से लेकर भारत और श्रीलंका के आसपास के जल तक शांति, सुरक्षा और सतत् विकास को बढ़ावा देने हेतु इन विवादों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही  राजनयिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) के साथ समुद्री गतिविधियों और विवाद समाधान के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करना, भारत का उद्देश्य  क्षेत्र में सभी हेतु सुरक्षा और विकास (SAGAR) की नीति तथा समुद्री डकैती विरोधी अभियानों जैसी पहलों के साथ  समुद्री विवादों को संबोधित करने एवं राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. 'ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (Trans-Pacific Partnership)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. यह चीन और रूस को छोड़कर प्रशांत महासागर तटीय सभी देशों के मध्य एक समझौता है।
  2. यह केवल तटवर्ती सुरक्षा के प्रयोजन से किया गया सामरिक गठबंधन है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


प्रश्न. क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिंद महासागर रिम संघ [इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (IOR-ARC)]' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. इसकी स्थापना अत्यंत हाल ही में समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (आयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप की गई है।
  2. यह एक ऐसी मैत्री है जो  केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न. दक्षिण चीन सागर के मामले में समुद्री भू-भागीय विवाद और बढ़ता तनाव समस्त क्षेत्र में नौपरिवहन और ऊपरी उड़ान की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिये समुद्री सुरक्षा की आवश्यकता की अभिपुष्टि करते हैं। इस संदर्भ में भारत तथा चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (2014)

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