लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी

  • 18 Nov 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी, शुद्ध सुरक्षा प्रदाता

मेन्स के लिये:

हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी का भारत के लिये महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) (प्रमुखों के सम्मेलन) के 7वें संस्करण की मेज़बानी फ्राँसीसी नौसेना द्वारा पेरिस में 15-16 नवंबर, 2021 से की जा रही है।

  • IONS का उद्घाटन संस्करण फरवरी 2008 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसमें भारतीय नौसेना दो वर्ष के लिये अध्यक्ष के रूप में चुनी गई थी। वर्तमान में IONS की अध्यक्षता फ्राँस के पास है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (IONS) एक स्वैच्छिक और समावेशी पहल है, जो समुद्री सहयोग बढ़ाने व क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राज्यों की नौसेनाओं को एक साथ लाती है।
    • यह प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध एक प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) सुनिश्चित करने का भी कार्य करती है।
    • ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (IONS) की अध्यक्षता भारत (2008-10), संयुक्त अरब अमीरात (2010-12), दक्षिण अफ्रीका (2012-14), ऑस्ट्रेलिया (2014-16), बांग्लादेश (2016-18) और इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान (2018-21) द्वारा की गई है।
      • फ्राँस ने जून 2021 में दो वर्ष के कार्यकाल के लिये अध्यक्षता ग्रहण की।

सदस्य देश:

  • IONS में 24 सदस्य राष्ट्र शामिल हैं जो हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) की सीमा पर मौजूद हैं तथा इसमें 8 पर्यवेक्षक देश शामिल हैं।
  • सदस्यों को भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर निम्नलिखित चार उप-क्षेत्रों में बाँटा गया है:
    • दक्षिण एशियाई समुद्र तट: बांग्लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, सेशेल्स, श्रीलंका और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र)।
    • पश्चिम एशियाई समुद्र तट: ईरान, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात।
    • पूर्वी अफ्रीकी समुद्र तट:  फ्रांँस (रीयूनियन), केन्या, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका और तंज़ानिया।
    • क्षिण-पूर्व एशियाई और ऑस्ट्रेलियाई समुद्र तट: ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्याँमार, सिंगापुर, थाईलैंड और  तिमोर-​लेस्ते।

भारत के लिये महत्त्व:

  • IONS इस क्षेत्र में भारत की तीन महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करता है:
    • हिंद महासागर के तटवर्ती राज्यों के साथ संबंधों को मज़बूत और गहरा करना।
    • शुद्ध सुरक्षा प्रदाता (Net Security Provider) होने की अपनी नेतृत्व क्षमता और आकांक्षाओं को पूरा करना।
    • IOR में नियम-आधारित और स्थिर समुद्री व्यवस्था के भारत के दृष्टिकोण को पूरा करना।
    •  यह भारत को मलक्का जलडमरूमध्य (Straits of Malacca) से होर्मुज़ (Hormuz) तक अपने प्रभाव क्षेत्र को मज़बूत करने में मदद करेगा।
    • IONS का उपयोग इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को प्रतिसंतुलित करने के लिये किया जा सकता है।
  • IOR से जुड़े अन्य महत्त्वपूर्ण समूह/पहल:
    • हिंद महासागर रिम एसोसिएशन: हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी।
      • इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के भीतर क्षेत्रीय सहयोग और सतत् विकास को मज़बूत करना है।
    • हिंद महासागर आयोग: हाल ही में हिंद महासागर आयोग के पर्यवेक्षक के रूप में भारत का अनुमोदन किया गया है, यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में बेहतर सागरीय-अभिशासन (Maritime Governance) की दिशा में कार्य करता है।
    • 'SAGAR' (हिंद महासागरीय क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा एवं संवृद्धि): इसे वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था।
      • सागर (Security and Growth for All in the Region- SAGAR) के माध्यम से भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक एवं सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करना चाहता है और उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता करना चाहता है।
    • 'हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र' (IFC-IOR): इसे भारत द्वारा वर्ष 2018 में समुद्री डेटा के क्षेत्रीय भंडार के रूप में स्थापित किया गया था।
    • एशिया-अफ्रीका विकास गलियारा: वर्ष 2016 में भारत और जापान द्वारा जारी संयुक्त घोषणा में एशिया-अफ्रीका विकास गलियारा (Asia Africa Growth Corridor- AAGC) का विचार उभरा था।
      • AAGC को विकास और सहयोग परियोजनाओं, गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचे तथा संस्थागत कनेक्टिविटी, क्षमता व कौशल बढ़ाने जैसे लोगों की भागीदारी के चार स्तंभों पर स्थापित किया गया है।
    • बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल): यह उप-क्षेत्रीय संगठन वर्ष 1997 में बैंकॉक घोषणा के माध्यम से अस्तित्व में आया। 
      • इसका मुख्य उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास के लिये अनुकूल वातावरण तैयार करना; सामाजिक प्रगति में तेज़ी लाना और IOR में साझा हित के मामलों पर सहयोग को बढ़ावा देना है।

स्रोत: पीआईबी

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2