इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

प्राकृतिक संसाधन लेखांकन (NRA)

  • 01 Aug 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्राकृतिक संसाधन लेखांकन (NRA), आर्थिक और पर्यावरण लेखा प्रणाली (SEEA), सतत् विकास लक्ष्य (SDG), सरकारी लेखा मानक सलाहकार बोर्ड (GASAB), CAG।

मेन्स के लिये:

प्राकृतिक संसाधन लेखांकन (NRA) - इसका महत्त्व, भारत की पहल और इसके कार्यान्वयन में चुनौतिंयाँ। 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने कहा है कि नवंबर 2022 तक प्राकृतिक संसाधन लेखांकन (NRA) पर रिपोर्ट जारी की जाएगी।

  • यह ज़िम्मेदार उपयोग की निगरानी में मदद करने के लिये लेखा प्रणाली विकसित करने का एक प्रयास है, जो स्थिरता की ओर ले जाएगा।

प्राकृतिक संसाधन लेखांकन (NRA)

  • परिचय:
    • प्राकृतिक संसाधन लेखांकन आर्थिक गतिविधियों के कारण प्राकृतिक संसाधनों की कमी और पर्यावरण क्षरण के मूल्य का आकलन करने की एक प्रक्रिया है
    • NRA की अवधारणा प्राकृतिक पर्यावरण के विभिन्न घटकों और देश की आर्थिक प्रगति के बीच घनिष्ठ अंतःक्रिया को समझने हेतु उभरी थी।
    • यह इस अवधारणा पर आधारित है कि 'किसी संसाधन का मापन उसके बेहतर प्रबंधन की ओर ले जाता है।
  • ऐतिहासिक परिदृश्य:
    • NRA के लिये पहला कदम मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (स्टॉकहोम सम्मेलन), 1970 में तब उठाया गया जब आर्थिक विकास और पर्यावरणीय गिरावट के बीच संबंधों पर पहली बार चर्चा की गई।
    • संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित ब्रंटलैंड आयोग ने वर्ष 1987 में पर्यावरण और आर्थिक गतिविधियों के बीच घनिष्ठ संबंध के विचार को व्यक्त किया, जिसके बाद पर्यावरण लेखांकन एवं वर्ष 1992 में रियो डी जनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन हुआ।

NRA को बढ़ावा देने हेतु पहल:

  • वैश्विक स्तर पर पहल:
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव का शीर्षक- "ट्रांसफॉर्मिंग अवर वर्ल्ड; द 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट" (25 सितंबर, 2016) जिसे 190 से अधिक देशों की मंज़ूरी मिली, को प्राकृतिक संसाधन खातों की तैयारी की आवश्यकता है।
      • भारत इस संकल्प का एक हस्ताक्षरकर्त्ता है।
    • संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2012 में आर्थिक और पर्यावरण लेखा प्रणाली (SEEA) को अपनाया। यह NRA के लिये नवीनतम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत ढाँचा है।
      • ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, फ्राँस और जर्मनी जैसे लगभग 30 देशों ने पर्यावरण लेखांकन को अपनाने में विभिन्न डिग्री हासिल की है।
    • यूरोपीय संघ द्वारा वित्तपोषित पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं (NCAVES) परियोजना का प्राकृतिक पूंजी लेखा और मूल्यांकन, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (UNSD), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) तथा जैवविविधता के सम्मेलन (CBD) के सचिवालय द्वारा संयुक्त रूप से लागू किया गया है।
      • भारत इस परियोजना में भाग लेने वाले पाँच देशों में से एक है,अन्य देश ब्राज़ील, चीन, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको हैं।
      • यह प्राकृतिक पूंजी के स्टॉक और प्रवाह को मापने एवं रिपोर्ट करने के लिये व्यवस्थित तरीका प्रदान करने हेतु लेखांकन ढाँचे का उपयोग करने के प्रयासों को कवर करने वाला व्यापक शब्द है।
  • भारत-विशिष्ट पहल:
    • CAG ने वर्ष 2002 में सरकारी लेखा मानक सलाहकार बोर्ड (GASAB) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य निर्णय लेने की गुणवत्ता और सार्वजनिक जवाबदेही को बढ़ाने के लिये सरकारी लेखांकन तथा वित्तीय रिपोर्टिंग के मानकों में सुधार करना था।
      • इसमें भारत सरकार में सभी लेखा सेवाओं के प्रतिनिधि, RBI, ICAI और राज्य सरकारों जैसे नियामक प्राधिकरण शामिल हैं।
    • भारत का CAG प्रधान ऑडिट संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय निकाय का भी सदस्य है, जिसे WGEA (पर्यावरण लेखा परीक्षा पर कार्य समूह) कहा जाता है, जिसने सुझाव दिया (वर्ष 2010) कि लेखा परीक्षा संस्थानों को अपने देशों को प्राकृतिक संसाधन लेखांकन को अपनाने में सहायता करनी चाहिये।

प्राकृतिक संसाधन लेखांकन का महत्त्व:

  • अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के बीच अंतर्संबंध:
    • पर्यावरणीय संसाधनों का लेखांकन गैर-नवीकरणीय क्षति की मात्रा निर्धारित करता है और वास्तविक रूप में विकास के निर्धारण में सहायता करता है।
  • नीति निर्धारण में सहायता- सुदृढ़ डेटाबेस:
    • नीति निर्माताओं को उनके निर्णयों के संभावित प्रभाव को समझने में मदद करना।
  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) का प्रबंधन:
    • NRA सतत् विकास लक्ष्यों के साथ गहन रूप से अंतर्संबंधित हैं क्योंकि 17 में से 4 लक्ष्य प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और उनके लेखांकन से संबंधित हैं।
  • जलवायु परिवर्तन का सामना:
    • जलवायु परिवर्तन की निगरानी, माप और विश्लेषण के लिये परिसंपत्ति एवं प्रवाह लेखा को एक उपयोगी ढाँचे के रूप में मान्यता दी गई है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ:
    • सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने के अलावा यह भारत को परिसंपत्ति लेखा के गठन में विशिष्ट देशों के समूह का हिस्सा बनने में सहायता प्रदान करेगा।

प्राकृतिक संसाधनों के लेखांकन से संबंधित चुनौतियाँ:

  • राज्य के अधिकारियों के उचित प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का अभाव है।
  • परिसंपत्ति लेखांकन के गठन में सीमाएँ- डेटा की आवधिकता का मानचित्रण।
  • संसाधनों के लिये डेटा संग्रह में कई एजेंसियाँ शामिल हैं; यह डेटा साझाकरण/डेटा संघर्ष के मुद्दों को जन्म दे सकता है।

स्रोत:बिज़नेस स्टैंडर्ड

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2