उत्तर प्रदेश Switch to English
NFSA के तहत ज़िलेवार कोटा समाप्त किया
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के अंतर्गत लाभार्थी आवंटन के लिये ज़िलेवार कोटा प्रणाली को समाप्त करने का निर्णय लिया है, ताकि पात्र परिवारों, विशेषकर पिछड़े और वंचित ज़िलों में रहने वालों को अधिक न्यायसंगत ढंग से शामिल किया जा सके।
मुख्य बिंदु
- राज्य में वर्तमान स्थिति:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत प्रत्येक राज्य के लिये अन्न आवंटन केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित जनसंख्या कवरेज के आधार पर किया जाता है, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में 64.46% तथा शहरी क्षेत्रों में 78.54% तय किया गया है।
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नीति परिवर्तन:
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ज़िलेवार कोटा हटाना:
- उत्तर प्रदेश में पारंपरिक रूप से प्रति ज़िले लाभार्थियों को आवंटित करने की एक अतिरिक्त ज़िलेवार सीमा का पालन किया जाता रहा है।
- इसके परिणामस्वरूप असमान वितरण हुआ, जो गाज़ियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जैसे अपेक्षाकृत समृद्ध ज़िलों के पक्ष में रहा तथा गरीब ज़िलों में प्रायः सभी पात्र परिवारों को समायोजित करने में असमर्थता रही।
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- राज्यव्यापी आवंटन की शुरूआत:
- नई प्रणाली लाभ आवंटित करने के लिये राज्यव्यापी जनसंख्या डेटा और पात्रता मानदंडों का उपयोग करेगी।
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इससे यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है कि वितरण मनमाने प्रशासनिक सीमाओं से बाधित होने के बजाए अधिनियम में निर्धारित पात्रता मानदंडों के साथ अधिक निकटता से संरेखित हो।
लाभार्थी कवरेज पर प्रभाव:
- नई प्रणाली लाभ आवंटित करने के लिये राज्यव्यापी जनसंख्या डेटा और पात्रता मानदंडों का उपयोग करेगी।
- पुनर्वितरण प्रक्रिया के भाग के रूप में, सीतापुर, बाराबंकी और ललितपुर ज़िलों में से प्रत्येक में 5,000 नए लाभार्थियों को जोड़ा गया है।
- ये वृद्धि गाज़ियाबाद और गौतम बुद्ध नगर से लाभार्थियों की संख्या को पुनः आवंटित करके की गई।
- बुंदेलखंड क्षेत्र में NFSA कवरेज को 90% तक बढ़ाया गया है।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई योग्य ज़िलों में कवरेज को 85% तक बढ़ाया गया है।
- प्रशासनिक प्रदर्शन:
- एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (IGRS) पोर्टल की अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग जन शिकायतों के समाधान में चौथे स्थान पर है।
- इसका स्थान खादी एवं ग्रामोद्योग, सहकारिता विभाग तथा आबकारी विभाग से ठीक पीछे था।
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निचले चार स्थानों में शामिल विभागों में उद्योग एवं अवसंरचना विकास, आवास एवं शहरी नियोजन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन तथा महिला कल्याण शामिल हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013
- NFSA के बारे में:
- इसे भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 5 जुलाई 2013 को अधिनियमित किया गया था।
- इसने कल्याण-आधारित दृष्टिकोण से अधिकार-आधारित दृष्टिकोण की ओर बदलाव को चिह्नित किया, जिससे जनसंख्या के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से को सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार प्राप्त हुआ।
- उद्देश्य:
- इस अधिनियम का उद्देश्य लोगों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिये वहनीय मूल्य पर पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना है।
- यह राशन कार्ड के प्रयोजनों के लिये परिवार की सबसे बड़ी महिला (18 वर्ष या उससे अधिक आयु) को परिवार का मुखिया नामित करके महिला सशक्तीकरण को भी बढ़ावा देता है।
- कवरेज और अधिकार:
- NFSA कानूनी तौर पर ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% को रियायती दरों पर खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है।
- इसमें पूरे भारत में लगभग 81.34 करोड़ व्यक्ति शामिल हैं।
- लाभार्थियों की श्रेणियाँ:
- अंत्योदय अन्न योजना के तहत आने वाले परिवार, जिन्हें सबसे गरीब माना जाता है, प्रति परिवार प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न पाने के हकदार हैं।
- प्राथमिकता वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार है।
- खाद्यान्न की कीमतें:
- अधिनियम में खाद्यान्नों के लिये सब्सिडीयुक्त मूल्य निर्दिष्ट किये गए हैं:
- चावल 3 रुपए और गेहूँ 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराया जाता है।
- मोटा अनाज 1 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराया जाता है।
- ये कीमतें शुरू में कार्यान्वयन की तारीख से तीन वर्षों के लिये निर्धारित की गई थीं, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर इन्हें बढ़ाया जाता रहा है
- NFSA के अंतर्गत जिम्मेदारियाँ:
- केंद्र सरकार:
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को खाद्यान्न आवंटित करने की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार की है।
- यह निर्धारित डिपो तक खाद्यान्न के परिवहन का प्रबंधन करती है तथा आगे वितरण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- केंद्र सरकार:
- इसके पास धारा 39 के अंतर्गत अधिनियम के कार्यान्वयन के लिये नियम बनाने की शक्ति भी है।
- राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र सरकारें:
- राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र सरकारें पात्र परिवारों की पहचान करने, राशन कार्ड जारी करने और उचित मूल्य की दुकानों (FPS) के माध्यम से खाद्यान्न वितरित करने के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- उन्हें FPS नेटवर्क की निगरानी भी करनी होगी, लाइसेंस जारी करना होगा और शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करनी होगी।
- अतिरिक्त प्रावधान:
- पात्र खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति न होने की स्थिति में, लाभार्थी खाद्य सुरक्षा भत्ते के हकदार होते हैं, जो राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाना चाहिये।
- टाइड ओवर आबंटन का प्रावधान उन राज्यों की रक्षा के लिये किया गया है, जिनका NFSA के तहत आबंटन उनके पूर्व लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के आबंटन से कम है।
- केंद्र सरकार ने अधिनियम के अंतर्गत कई नियम अधिसूचित किये हैं, जिनमें शामिल हैं:
- खाद्य सुरक्षा भत्ता नियम, 2015
- खाद्य सब्सिडी का नकद हस्तांतरण नियम, 2015
- राज्य सरकारों को सहायता नियम, 2015