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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 05 Nov 2025
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मध्य प्रदेश टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव 2.0

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव 2.0 का आयोजन 13 नवंबर, 2025 को इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में किया जाएगा।

  • पहला संस्करण, टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव 1.0 (अप्रैल 2025), एक बड़ी सफलता थी, जिसमें 20,000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए और 75,000 से अधिक रोज़गार सृजित किये।

मुख्य बिंदु

  • आयोजन के बारे में:
    • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में मध्य प्रदेश की तकनीकी और औद्योगिक प्रगति के अगले चरण के लिये रोडमैप तैयार किया जाएगा।
  • उद्देश्य:
    • मध्य प्रदेश को वैश्विक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में स्थापित करना।
    • राज्य के “टेक्नोलॉजी-फर्स्ट इकोनॉमी विज़न” का अनावरण करना, जो नवाचार, कौशल और उद्यमशीलता के माध्यम से समावेशी आर्थिक विकास पर केंद्रित है।
    • इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर जैसे टियर-2 शहरों की प्रौद्योगिकी, नवाचार तथा उद्यमिता में भूमिका पर प्रकाश डालना।
    • निवेश, नवाचार और सहयोग के माध्यम से राज्य के तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में गति लाना।
    • वैश्विक निवेशकों, उद्योग जगत के नेताओं और नीति निर्माताओं को सहयोग एवं विकास बढ़ाने के लिये एक मंच प्रदान करना।
  • कार्यक्रम का विषय:
    • “टियर-2 को सशक्त बनाना, भारत को आगे बढ़ाना”
  • सत्र (Sessions):
    • MP GCC लीडरशिप कनेक्ट: इस सत्र में 30 से अधिक ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) भाग लेंगे। इसका उद्देश्य मध्य प्रदेश को GCCs के लिये पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करना है। इस दौरान राज्य की दीर्घकालिक प्रौद्योगिकी रणनीति हेतु दृष्टि-पत्र (Vision Document) भी प्रस्तुत किया जाएगा।
    • ड्रोन गोलमेज़ सम्मेलन: नीति-निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों और ड्रोन नव-प्रवर्तकों के साथ यह सत्र ड्रोन पारितंत्र के विस्तार, निर्माण के अवसरों तथा सरकारी सेवाओं और उद्योगों में ड्रोन तकनीक के उपयोग पर केंद्रित होगा।
    • नीति घोषणाएँ: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग नई डिजिटल नीतियाँ और पहलें घोषित करेगा, जिनका उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, कौशल विकास करना, निवेश आकर्षित करना तथा मध्य प्रदेश के प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी(PPP) को सशक्त करना होगा।

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क्यूएस रैंकिंग एशिया 2026 में 137 भारतीय संस्थान

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने QS रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों की रिकॉर्ड वृद्धि को रेखांकित करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।

  • क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) एक लंदन स्थित वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक संस्था है, जो व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग जारी करने के लिये जानी जाती है।

मुख्य बिंदु

  • परिचय:
    • QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग एशिया 2026 के अनुसार, यद्यपि कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय शीर्ष 50 में शामिल नहीं है, परंतु भारत ने 137 विश्वविद्यालयों की वृद्धि के साथ वर्ष 2016 की तुलना में 1,125% की वृद्धि दर्ज की है।
    • QS एशिया रैंकिंग में अब भारत के 294 विश्वविद्यालय शामिल हैं, जिससे वह चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
    • चीन ने इस वर्ष 261 विश्वविद्यालयों को जोड़ा है, जिससे उसकी कुल संख्या 395 हो गई है।
    • भारतीय संस्थान शैक्षणिक प्रतिष्ठा, अनुसंधान उत्पादकता और नियोजक प्रतिष्ठा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, हालाँकि अंतर्राष्ट्रीयकरण तथा अनुसंधान दृश्यता के मामले में अभी भी पिछड़े हुए हैं।
  • एशिया में शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता:
    • हांगकांग विश्वविद्यालय : प्रथम स्थान
    • पेकिंग विश्वविद्यालय : दूसरा स्थान
    • नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (NUS) और नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (NTU) : तीसरा स्थान (संयुक्त)
  • शीर्ष भारतीय संस्थान :
    • IIT दिल्ली: 59वाँ स्थान (2025 में 44वें से नीचे)
    • IIT बॉम्बे: 71वाँ स्थान (2025 में 48वें से नीचे)
    • IISc बेंगलुरु: 64वाँ स्थान (2025 में 62वें से नीचे)
    • IIT मद्रास: 70वाँ स्थान (2025 में 56वें से नीचे)
    • IIT कानपुर: 77वाँ स्थान (2025 में 67वें से नीचे)
    • दिल्ली विश्वविद्यालय: 95वाँ स्थान (2025 में 81वें से नीचे)
  • निजी संस्थानों की प्रगति:
    • चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने सुधार करते हुए 109वाँ स्थान प्राप्त किया (2025 में 120वें से ऊपर)।
    • BITS पिलानी, शूलिनी विश्वविद्यालय तथा ओ.पी. जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय ने भी अपने अब तक के सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग स्तर हासिल किये हैं।

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अमूल विश्व की शीर्ष सहकारी समितियों में प्रथम

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ICA वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 रिपोर्ट के अनुसार अमूल तथा इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) को वैश्विक स्तर पर शीर्ष दस सहकारी संस्थाओं में क्रमशः पहला और दूसरा स्थान प्राप्त करने पर बधाई दी है।

  • इस उपलब्धि को दोहा, कतर में आयोजित ICA CM50 सम्मेलन के दौरान औपचारिक रूप से मान्यता दी गई।

मुख्य बिंदु

  • अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) ने यूरोपीय सहकारी एवं सामाजिक उद्यम अनुसंधान संस्थान (Euricse) के सहयोग से, संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में विश्व सहकारी मॉनिटर (WCM) 2025 का संस्करण जारी किया।
  • WCM का यह 13वाँ संस्करण वैश्विक सहकारी क्षेत्र का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करता है, जो विश्व में सतत्, समावेशी और लचीली अर्थव्यवस्थाओं में सहकारी समितियों के योगदान को दर्शाता है।
  • वर्ष 2025 की रिपोर्ट में शीर्ष 300 सहकारी समितियाँ शामिल हैं, जिनका वर्ष 2023 में संयुक्त कारोबार 2.79 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर रहा तथा कृषि, वित्त, स्वास्थ्य, ऊर्जा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में उनके आर्थिक प्रभाव को उजागर किया गया है।
  • प्रति व्यक्ति GDP के अनुपात में कारोबार के आधार पर भारत की अमूल और IFFCO ने वैश्विक सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सहकारी संस्थाओं की मज़बूती को दर्शाता है।
    • यह रैंकिंग आर्थिक सशक्तीकरण और विकास को गति देने में भारत के सहकारी क्षेत्र की क्षमता तथा नेतृत्व को भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है।

अमूल (गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड)

  • अमूल की स्थापना वर्ष 1946 में कैरा ज़िला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड, आनंद (गुजरात) के रूप में की गई थी। इसे त्रिभुवनदास पटेल ने मोरारजी देसाई और सरदार वल्लभ भाई पटेल के सहयोग से प्रारंभ किया था।
  • वर्ष 1950 में इस सहकारी संस्था ने “अमूल” ब्रांड की शुरुआत की, जो आज भारत की सबसे बड़ी खाद्य उत्पाद विपणन संस्था बन चुकी है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 में अमूल का वार्षिक कारोबार 7.3 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।

IFFCO (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव लिमिटेड)

  • इसकी स्थापना वर्ष 1967 में हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। 
  • यह भारतीय किसानों के लिये उर्वरकों का उत्पादन और विपणन करती है।
  • विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्थाओं में से एक IFFCO के पास 35,000 सदस्य सहकारी समितियाँ हैं, जो पूरे भारत में 5 करोड़ से अधिक किसानों तक अपनी सेवाएँ पहुँचाती हैं।

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गुरु नानक देव जयंती

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर अपनी शुभकामनाएँ प्रकट कीं और सभी नागरिकों से बेहतर समाज के निर्माण हेतु गुरु नानक देव की सत्य, न्याय, करुणा और मानव समानता की शिक्षाओं को अपनाने का आग्रह किया।

मुख्य बिंदु

  • गुरु नानक (1469-1539) का जन्म 1469 में पाकिस्तान के लाहौर के पास तलवंडी गाँव में हुआ था। वे दस सिख गुरुओं में प्रथम थे।
  • प्रारंभिक जीवन: गुरु नानक ने लोदी प्रशासन में सुल्तानपुर में क्लर्क के रूप में कार्य किया।
  • लगभग 30 वर्ष की आयु में, गुरु नानक ने काली बीन नदी के पास आध्यात्मिक अनुभूति और ईश्वर के साथ प्रत्यक्ष साक्षात्कार का अनुभव किया। इसके पश्चात उन्होंने उद्घोष किया,
  • “न तो हिंदू है और न ही मुस्लिम।”
  • दर्शन: वे भक्ति आंदोलन के निर्गुण दर्शन के समर्थक थे और कबीर दास से प्रभावित थे। उन्होंने नाम जपना जैसी आध्यात्मिक प्रथाओं पर ज़ोर दिया अर्थात् ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने के लिये ईश्वर के नाम का जाप करना।
  • शिक्षाएं और यात्राएँ: गुरु नानक ने अपने मुस्लिम साथी मरदाना के साथ भारत और मध्य पूर्व में व्यापक यात्रा कर अपना संदेश फैलाया। उनके द्वारा रचित भजनों को वर्ष 1604 में पाँचवें सिख गुरु अर्जन देव ने आदि ग्रंथ में शामिल किया।
  • सामुदायिक स्थापना और विरासत: उन्होंने करतारपुर में बसकर पहला सिख समुदाय स्थापित किया, जहाँ शिष्य एक साथ रहते और पूजा करते थे। उन्होंने समुदाय का नेतृत्व करने के लिये गुरु अंगद (भाई लहना) को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।

सिख गुरु और उनके प्रमुख योगदान

गुरु

अवधि

प्रमुख योगदान

गुरु नानक देव

1469-1539

सिख धर्म के संस्थापक; गुरु का लंगर शुरू किया; बाबर के समकालीन; 550 वीं जयंती करतारपुर कॉरिडोर के साथ मनाई गई।

गुरु अंगद

1504-1552

गुरु मुखी लिपि का आविष्कार; गुरु का लंगर को लोकप्रिय बनाया।

गुरु अमरदास

1479-1574

आनंद कारज विवाह की शुरुआत की; सती प्रथा और पर्दा प्रथा का उन्मूलन; अकबर के समकालीन।

गुरु रामदास

1534-1581

वर्ष 1577 में अमृतसर की स्थापना की, स्वर्ण मंदिर का निर्माण शुरू किया।

गुरु अर्जुनदेव

1563-1606

वर्ष 1604 में आदि ग्रंथ की रचना की गई; स्वर्ण मंदिर का निर्माण पूरा किया गया; जहाँगीर द्वारा इसका निर्माण कराया गया।

गुरु हरगोबिंद

1594-1644

सिखों को एक सैन्य समुदाय में परिवर्तित किया; अकाल तख्त की स्थापना की; जहाँगीर और शाहजहाँ के खिलाफ युद्ध छेड़े।

गुरु हरराय

1630-1661

औरंगज़ेब के साथ शांति को बढ़ावा दिया; मिशनरी कार्य पर ध्यान केंद्रित किया।

गुरु हरकृष्ण

1656-1664

सबसे युवा गुरु; इस्लाम विरोधी ईशनिंदा के लिये औरंगज़ेब द्वारा बुलाया गया।

गुरु तेग बहादुर

1621-1675

आनंदपुर साहिब की स्थापना की, वर्ष 1675 में मुगल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश पर सिर कटवा दिया गया।

गुरु गोबिंद सिंह

1666-1708

वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की; पाहुल (बपतिस्मा समारोह) की शुरुआत की; गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु पद सौंपने वाले अंतिम गुरु।


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