राजस्थान Switch to English
राजस्थान में 435 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने राजस्थान के बीकानेर ज़िले में 435 मेगावाट की गोरबिया सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन किया, जो भारत की नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
मुख्य बिंदु
परियोजना के बारे में:
- यह परियोजना 1,250 एकड़ में फैली है और इससे प्रतिवर्ष 755 गीगावाट घंटा (GWh) स्वच्छ बिजली का उत्पादन होगा। इससे प्रत्येक वर्ष 705,000 टन CO₂ उत्सर्जन को रोका जा सकेगा तथा लगभग 1,28,000 परिवारों की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।
- इस परियोजना में मॉड्यूल दक्षता बनाए रखने के लिये 1,300 से अधिक रोबोटिक सफाई इकाइयाँ शामिल हैं।
- राजस्थान की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता अब उसकी कुल विद्युत क्षमता का 70% है, जिसमें सौर ऊर्जा से 29.5 गीगावाट और पवन ऊर्जा से 5.2 गीगावाट शामिल है, जिससे यह राज्य भारत में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बन गया है।
- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार (जून 2025 तक), राजस्थान (31,967 मेगावाट), गुजरात (21,451 मेगावाट) और महाराष्ट्र (12,575 मेगावाट) स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता के मामले में अग्रणी राज्य हैं।
- गुजरात (13,816 मेगावाट), तमिलनाडु (11,830 मेगावाट), कर्नाटक (7,714 मेगावाट), महाराष्ट्र (5,307 मेगावाट) और राजस्थान (5,208 मेगावाट) पवन ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी राज्य हैं।
- राजस्थान की एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति 2024, जिसका लक्ष्य 2030 तक 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है।
- भारत द्वारा वर्ष 2030 की समय-सीमा से पाँच वर्ष पहले ही अपनी कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने के साथ, गोरबिया परियोजना, स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता, जलवायु लक्ष्यों और आर्थिक विकास के प्रति देश की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
नोट:
- मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के इंजीनियरों ने सौर पैनलों से धूल हटाने के लिये इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रतिकर्षण का उपयोग करते हुए एक जलरहित, संपर्क रहित सफाई विधि विकसित की है।
- एक साधारण इलेक्ट्रोड सौर पैनल की सतह के ऊपर से गुजरता है, जो धूल के कणों को विद्युत आवेश प्रदान करता है, जो पैनल पर उपस्थित आवेश द्वारा प्रतिकर्षित होते हैं, जिससे वे अलग हो जाते हैं और वस्तुतः सतह से हट जाते हैं।
भारत की ऊर्जा क्षमता
भारत का जलवायु लक्ष्य
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड के स्कूलों में गीता श्लोकों का पाठ
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में प्रतिदिन प्रार्थना सभा के दौरान भगवद्गीता का एक श्लोक अनिवार्य रूप से पढ़े जाने का निर्देश दिया है। इसका उद्देश्य आधुनिक शिक्षा के साथ पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली को समाहित कर विद्यार्थियों में चरित्र निर्माण से संबंधित गुणों का विकास करना है।
मुख्य बिंदु
- माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी निर्देश में शिक्षकों को पाठ के लिये "सप्ताह का एक श्लोक" चुनने का निर्देश दिया गया है।
- मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, व्यवहार विज्ञान और नैतिक दर्शन पर आधारित भगवद् गीता की शिक्षाओं को मानवीय मूल्यों, नेतृत्व, भावनात्मक संतुलन तथा वैज्ञानिक सोच में उनके योगदान को धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से समझाया जाएगा।
- यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जो शिक्षा पाठ्यक्रम में भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को शामिल करने को प्रोत्साहित करती है।
भगवद् गीता
- भगवद् गीता, ऋषि वेदव्यास द्वारा रचित 700 श्लोकों वाला दार्शनिक संवाद है, जो महाभारत के भीष्म पर्व में अंतर्निहित है।
- इसमें अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के मध्य हुआ संवाद है, जिसमें धर्म (कर्त्तव्य), कर्म (कार्य), भक्ति तथा ज्ञान के विषयों पर शिक्षाएँ दी गई हैं।
- गीता में वैदिक, बौद्ध, जैन और चार्वाक दर्शन सहित विभिन्न भारतीय दार्शनिक विचारधाराओं का समन्वय किया गया है तथा यह कर्मयोग का आधार भी प्रदान करती है।
झारखंड Switch to English
झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश के बाद न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने राँची के राजभवन में आयोजित एक समारोह में झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ ली।
- न्यायमूर्ति चौहान को राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने शपथ दिलाई (अनुच्छेद 219 के अनुसार)।
मुख्य बिंदु
भारत में उच्च न्यायालय
- स्थिति:
- भारत की न्यायिक प्रणाली में उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय से नीचे तथा अधीनस्थ न्यायालयों से ऊपर कार्य करता है।
- उच्च न्यायालय राज्य का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है (भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं)।
- स्थापना:
- वर्ष 1862 में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में उच्च न्यायालय स्थापित किये गये।
वर्ष 1866 में इलाहाबाद में चौथा उच्च न्यायालय स्थापित किया गया। - समय के साथ, ब्रिटिश भारत में प्रत्येक प्रांत का अपना उच्च न्यायालय हो गया।
- स्वतंत्रता के बाद: वर्ष 1950 के बाद, किसी प्रांत का मौजूदा उच्च न्यायालय उसी राज्य का उच्च न्यायालय बन गया।
- वर्ष 1862 में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में उच्च न्यायालय स्थापित किये गये।
- संवैधानिक प्रावधान:
- प्रत्येक राज्य के लिये उच्च न्यायालय: भारत का संविधान प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय का प्रावधान करता है (अनुच्छेद 214)।
- अनुच्छेद 231 में प्रावधान है कि संसद कानून द्वारा दो या अधिक राज्यों के लिये अथवा दो या अधिक राज्यों और एक संघ राज्य क्षेत्र के लिये एक उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकती है।
- क्षेत्राधिकार: प्रादेशिक क्षेत्राधिकार राज्य के क्षेत्राधिकार के साथ सह-समाप्त होता है (या एक उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार संबंधित राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के क्षेत्राधिकार के साथ सह-समाप्त होता है)।
- अनुच्छेद 214 से 231: ये उच्च न्यायालयों के संगठन, स्वतंत्रता, अधिकार क्षेत्र, शक्तियों और प्रक्रियाओं से संबंधित हैं।
- अनुच्छेद 214 से 231: ये उच्च न्यायालयों के संगठन, स्वतंत्रता, अधिकार क्षेत्र, शक्तियों और प्रक्रियाओं से संबंधित हैं।
- न्यायाधीशों की संरचना और नियुक्ति
- प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित अन्य न्यायाधीश होते हैं।
- राष्ट्रपति, उच्च न्यायालय के कार्यभार के आधार पर उसके सदस्यों की संख्या तय करते हैं।
- उच्च न्यायालय (HC) के न्यायाधीश की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श के बाद की जाती है।
- अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श किया जाता है।
- दो या अधिक राज्यों के लिये एक ही उच्च न्यायालय के मामले में, राष्ट्रपति द्वारा संबंधित सभी राज्यों के राज्यपालों से परामर्श किया जाता है।
- प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित अन्य न्यायाधीश होते हैं।
- न्यायाधीशों की योग्यताएँ:
- वह भारत का नागरिक होना चाहिये।
- उसे भारत के क्षेत्र में दस वर्षों तक न्यायिक पद पर कार्य करना चाहिये, या
- उसे दस वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय (या लगातार उच्च न्यायालयों) में अधिवक्ता होना चाहिये।
- न्यूनतम आयु:
- संविधान में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिये न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं की गई है।
- न्यायाधीशों का कार्यकाल:
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक अपने पद पर रह सकते हैं।
झारखंड के बारे में
- राज्य का निर्माण:
- झारखंड, जिसका अर्थ है "वनों की भूमि", 15 नवंबर 2000 को बिहार के दक्षिणी भाग से छोटा नागपुर और संथाल परगना के बिहार डिवीज़नों को अलग करके बनाया गया था।
- राज्य की सीमाएँ:
- झारखंड उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़, दक्षिण में ओडिशा तथा पूर्व में पश्चिम बंगाल राज्यों के साथ सीमा साझा करता है।
- राजधानी और शहर:
- औद्योगिक शहर राँची झारखंड की राजधानी है (दुमका इसकी उपराजधानी है), जबकि जमशेदपुर राज्य का सबसे बड़ा शहर है।
- अन्य प्रमुख शहरों और औद्योगिक केंद्रों में धनबाद, बोकारो तथा हज़ारीबाग शामिल हैं।
- राज्य में खनिज:
- झारखंड भारत के खनिज संसाधनों का लगभग 40% हिस्सा रखता है। यह भारत में कोयला, अभ्रक, कायनाइट और ताँबा के उत्पादन में प्रथम स्थान पर है।
- यह राज्य कूकिंग कोयले, यूरेनियम और पाइराइट का एकमात्र उत्पादक है।
- राज्य की विशिष्टताएँ:
- यह राज्य अपने झरनों, पहाड़ियों और पवित्र स्थलों के लिये जाना जाता है। बैद्यनाथ धाम, पारसनाथ तथा रजरप्पा प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
झारखंड Switch to English
झारखंड में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के दौरान झारखंड में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) की प्रगति पर प्रकाश डाला।
मुख्य बिंदु
- जून 2025 तक, झारखंड में 51 EMRS कार्यरत हैं, जिनमें 2024-25 शैक्षणिक वर्ष के लिये 7550 छात्र नामांकित हैं।
- व्यय विभाग ने जनवरी 2023 में EMRS के लिये देश भर में 38,480 शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों के सृजन को मंजूरी दी।
- झारखंड को कुल 91 EMRS आवंटित किये गये हैं, जिनमें से 68 EMRS योजना के तहत और 23 भारत के संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत आवंटित किये गये हैं।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 275(1) अनुसूचित जनजातियों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक वर्ष भारत की संचित निधि से अनुदान सहायता की गारंटी देता है।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS)
- EMRS पूरे भारत में भारतीय आदिवासियों (ST–अनुसूचित जनजातियों) के लिये आदर्श आवासीय विद्यालय बनाने की एक योजना है। इसकी शुरुआत वर्ष 1997-98 में हुई थी। इसका नोडल मंत्रालय जनजातीय कार्य मंत्रालय है।
- इन विद्यालयों का विकास दूरस्थ एवं जनजातीय बहुल क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (ST) के विद्यार्थियों को कक्षा 6 से 12 तक निःशुल्क, गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा प्रदान करने के लिये किया जा रहा है, जिसमें शैक्षणिक के साथ-साथ समग्र विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- EMR स्कूल सामान्यतः CBSE पाठ्यक्रम का पालन करते हैं।
- इस योजना का उद्देश्य जवाहर नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों की तरह स्कूलों का निर्माण करना है, जिसमें स्थानीय कला और संस्कृति के संरक्षण के लिये अत्याधुनिक सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, साथ ही खेल तथा कौशल विकास में प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।
- EMRS योजना को वित्त वर्ष 2018-19 में नया रूप दिया गया था।
- संसद के 2023 के बजट सत्र के दौरान, वित्त मंत्री ने घोषणा की कि EMRS में कर्मचारियों की भर्ती की ज़िम्मेदारी राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा सोसायटी (NESTS) को हस्तांतरित की गई।
- NESTS को अब देश भर में 400 से अधिक एकलव्य स्कूलों में 38,000 पदों पर स्टाफ की नियुक्ति का कार्य सौंपा गया है।
- भर्ती के केंद्रीकरण का उद्देश्य EMRS प्रणाली में शिक्षकों की गंभीर कमी को दूर करना तथा राज्यों में भर्ती नियमों को मानकीकृत करना था।
नोट
- राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा सोसायटी (NESTS), जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) के तहत स्थापित एक स्वायत्त संगठन है।
- इसका उद्देश्य एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) के शिक्षकों और छात्रों के लिये प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करना है।
जनजातीय शिक्षा के लिये अन्य पहल:
- जनजातीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र
- पात्र अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति
- पात्र अनुसूचित जनजाति के छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति
- अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिये राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना
- उच्च शिक्षा के लिये राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना (उच्चतम श्रेणी): जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा चिह्नित किसी भी संस्थान में डिग्री और स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययन हेतु