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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 22 Sep 2025
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भारत का पहला फ्रेट विलेज

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री ने वाराणसी में कई प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की आधारशिला रखी, जिनमें एक जहाज मरम्मत सुविधा और भारत का पहला फ्रेट विलेज भी शामिल हैं। ये परियोजनाएँ 'समुद्र से समृद्धि' पहल के तहत विकसित की जा रही हैं, जिसका उद्देश्य जल परिवहन को बढ़ावा देना तथा रोज़गार सृजन करना है। 

  • उन्होंने 'मेक इन इंडिया' के दृष्टिकोण के अनुरूप अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और रोज़गार सृजन में जलमार्गों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। 

मुख्य बिंदु 

  • भारत का पहला फ्रेट विलेज: 
    • चंदौली ज़िले के मिल्कीपुर में 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में विकसित यह फ्रेट विलेज एक आधुनिक लॉजिस्टिक्स केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यह विभिन्न परिवहन साधनों को जोड़कर सुगम और सुलभ माल परिवहन सुनिश्चित करेगा।  
    • यह परियोजना हल्दिया, पटना, कोलकाता और काशी को पर्यावरण अनुकूल मालवाहकों से जोड़ेगी, जिससे सड़क तथा रेल परिवहन की तुलना में लागत में लगभग 50% की बचत होगी। 
  • भारत की पहली ड्राई-डॉक सुविधा: 
    • वाराणसी के रामनगर में गंगा नदी के किनारे स्थित यह ड्राई-डॉक भारत की पहली ऐसी सुविधा है, जो एक साथ चार जहाजों की मरम्मत करने में सक्षम होगी।  
    • इससे मरम्मत का समय और खर्च दोनों कम होंगे, क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा पूर्वांचल के युवाओं के लिये स्थायी रोज़गार के अवसर सृजित होंगे। 

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उत्तर प्रदेश राजस्व अधिशेष वाला राज्य बना

चर्चा में क्यों? 

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा राज्यों की वित्तीय स्थिति पर किये गए दशकीय अध्ययन के अनुसार 16 राज्य राजस्व अधिशेष की स्थिति में हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे अग्रणी है। 

मुख्य बिंदु 

  • राजस्व अधिशेष वाले राज्य: 
    • CAG रिपोर्ट के अनुसार 16 राज्यों में वित्तीय वर्ष 2022-23 में राजस्व अधिशेष दर्ज किया गया, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर माने जाने वाले राज्यों के लिये एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है। 
    • उत्तर प्रदेश इस मामले में अग्रणी है, जिसके पास 37,000 करोड़ रुपये का अधिशेष है, जो पहले बीमारू राज्य के रूप में जाना जाता था। 
      • बीमारू (BIMARU) शब्द बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश का संक्षिप्त रूप है, जो उन राज्यों का समूह है, जो ऐतिहासिक रूप से आर्थिक और सामाजिक संकेतकों में पिछड़े रहे हैं। 
  • राजस्व घाटे वाले राज्य:  
    • इसके विपरीत वित्तीय वर्ष 2022-23 में कम-से-कम 12 राज्य राजस्व घाटे में पाए गए, जो गंभीर राजकोषीय संकट को दर्शाता है। 
    • आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्यों में सबसे अधिक घाटा दर्ज किया गया, जो केंद्रीय अनुदान पर बढ़ती निर्भरता की ओर संकेत करता है। 
  • केंद्रीय अनुदान पर निर्भर राज्य:  
    • कुछ राज्य केंद्रीय वित्तीय सहायता पर अत्यधिक निर्भर हैं, जिसमें पश्चिम बंगाल को वित्तीय वर्ष 2022-23 में 16% का सबसे बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ। 
    • ये अनुदान उनकी राजस्व प्राप्तियों और व्यय के बीच के अंतर को पाटने में मदद करते हैं। 
  • स्वयं के स्रोतों से राजस्व:  
    • कुछ राज्यों ने कर और गैर-कर दोनों तरीकों से अपने राजस्व सृजन को सफलतापूर्वक बढ़ाया है। 
    • इसमें हरियाणा सबसे आगे है, जिसकी 80% से अधिक आय उसके स्वयं के स्रोतों से आती है, इसके बाद तेलंगाना और महाराष्ट्र का स्थान है, जिनकी आय क्रमशः 70% तथा 60% से अधिक है। 
  • राज्यों का अपना कर राजस्व (SOTR):  
    • CAG रिपोर्ट में कुछ राज्यों की SOTR पर निर्भरता पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें छह राज्य- हरियाणा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु अपने राजस्व का 60% से अधिक SOTR से प्राप्त करते हैं। 
    • दूसरी ओर, कुछ पूर्वोत्तर राज्य और छोटे क्षेत्र जैसे अरुणाचल, मणिपुर, नागालैंड तथा सिक्किम बहुत कम SOTR की रिपोर्ट करते हैं, जहाँ उनके स्वयं के कर राजस्व का योगदान 20% से भी कम है। 

UP Emerges as Leading Revenue Surplus State


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