मध्य प्रदेश Switch to English
ICAR-NIHSAD "कैटेगरी A रिंडरपेस्ट फैसिलिटी " के रूप में नामित
चर्चा में क्यों?
भारत ने वैश्विक पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है, क्योंकि विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) तथा संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने ICAR–राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD), भोपाल को कैटेगरी A रिंडरपेस्ट होल्डिंग फैसिलिटी के रूप में नामित किया है।
- भारत अब उन छह वैश्विक संस्थानों में शामिल हो गया है, जिन्हें रिंडरपेस्ट वायरस सामग्री को सुरक्षित रूप से रखने के लिये विश्वसनीय माना गया है।
मुख्य बिंदु
- NIHSAD (राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान):
- यह भारत की प्रमुख जैव सुरक्षा स्तर-3 (BSL-3) सुविधा वाली उच्च नियंत्रण प्रयोगशाला है, जो विदेशी और उभरते पशु रोगजनकों, रोग निदान तथा उच्च जोखिम वाले जीवों के जैव नियंत्रण पर अनुसंधान करती है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1984 में हाई सिक्योरिटी एनिमल डिज़ीज़ लैबोरेटरी (HSADL) के रूप में की गई थी और बाद में इसका नाम बदलकर NIHSAD कर दिया गया।
- यह वन हेल्थ फ्रेमवर्क के तहत एवियन इन्फ्लूएंज़ा, न्यूकैसल रोग और अन्य सीमापार तथा जूनोटिक रोगों के लिये एक संदर्भ प्रयोगशाला के रूप में कार्य करती है।
- यह संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।
- रिंडरपेस्ट:
- रिंडरपेस्ट, जिसे कैटल प्लेग (मवेशी प्लेग) के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 2011 में अपने वैश्विक उन्मूलन तक एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरल रोग था।
- उन्मूलन के बावजूद, रिंडरपेस्ट वायरस-युक्त पदार्थ (RVCM) अभी भी विश्व की कुछ प्रयोगशालाओं में मौजूद है, जो जैव सुरक्षा के लिये संभावित खतरा बना हुआ है।
- यह रोग संक्रमित स्राव या दूषित भोजन/पानी के संपर्क से फैलता है। इसके लक्षणों में तेज़ बुखार, मुँह में छाले, दस्त और त्वरित मृत्यु शामिल हैं।
- इससे अफ्रीका, एशिया तथा यूरोप में पशुधन की व्यापक हानि हुई, जिससे आर्थिक पतन और खाद्य असुरक्षा उत्पन्न हुई।
- इस खतरे को नियंत्रित करने के लिये, FAO और WOAH ने RVCM के भंडारण को सख्त वैश्विक निरीक्षण के अंतर्गत उच्च सुरक्षा प्रयोगशालाओं तक सीमित कर दिया है।
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH)
- WOAH, जिसे वर्ष 1924 में ऑफिस इंटरनेशनल डेस एपिज़ूटीज़ (OIE) के नाम से स्थापित किया गया था, एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में स्थित है।
- इसकी स्थापना वैश्विक रिंडरपेस्ट प्रकोप के प्रत्युत्तर में की गई थी।
- WOAH को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता उपायों (SPS) संबंधी समझौते के अंतर्गत पशु स्वास्थ्य के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारण निकाय के रूप में औपचारिक मान्यता प्राप्त है।
- वर्ल्ड असेंबली ऑफ डेलीगेट्स, WOAH का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है, जिसमें भारत सहित सभी 183 सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- प्रतिवर्ष इसकी बैठक पेरिस में होती है, जिसमें प्रत्येक देश को एक मताधिकार प्राप्त होता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
लखनऊ का यूनेस्को गैस्ट्रोनॉमी शहर के लिये नामांकन
चर्चा में क्यों?
अपनी संस्कृति, व्यंजन परंपरा और विरासत के लिये प्रसिद्ध लखनऊ को आधिकारिक तौर पर "गैस्ट्रोनॉमी के शहर" श्रेणी के तहत यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (UCCN) में नामांकन हेतु प्रस्तुत किया गया है।
- वर्तमान में, हैदराबाद भारत का एकमात्र शहर है जिसे UCCN के तहत "गैस्ट्रोनॉमी का शहर" का दर्जा प्राप्त है।
मुख्य बिंदु
- यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (UCCN):
- इसकी स्थापना वर्ष 2004 में उन शहरों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिये की गई थी, जिन्होंने रचनात्मकता को सतत् शहरी विकास के लिये एक रणनीतिक कारक के रूप में पहचाना है।
- सतत् विकास लक्ष्य (SDG)–11 का उद्देश्य शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, टिकाऊ और सक्षम बनाना है।
- नेटवर्क में सात रचनात्मक क्षेत्र शिल्प एवं लोक कला, मीडिया कला, फिल्म, डिज़ाइन, गैस्ट्रोनॉमी, साहित्य और संगीत शामिल हैं।
- गैस्ट्रोनॉमी क्षेत्र में सदस्य शहरों में अल्बा (इटली), अरेक्विपा (पेरू), बर्गेन (नॉर्वे), बेलेम (ब्राज़ील) और बेंडिगो (ऑस्ट्रेलिया) शामिल हैं।
- UCCN में भारतीय शहर (2023 तक):


हरियाणा Switch to English
प्रत्यक्ष स्टांप ड्यूटी लाभ
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) की वित्तीय क्षमता को सुदृढ़ करने के लिये कुल स्टांप शुल्क राजस्व का 1% भाग आवंटित करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु
- स्टांप ड्यूटी के बारे में:
- स्टांप शुल्क भारत में राज्य सरकारों द्वारा संपत्ति के लेन-देन पर लगाया जाने वाला कर है, जो भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 द्वारा शासित होता है।
- स्टांप शुल्क की दरें राज्य के अनुसार अलग-अलग होती हैं और यह कानूनी दस्तावेज़ो तथा संपत्ति स्वामित्व के पंजीकरण प्रक्रिया का एक अनिवार्य भाग है।
- पंचायती राज संस्था (PRI):
- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया, जिससे पूरे देश में एक समान त्रिस्तरीय संरचना लागू हुई।
- इसने नियमित चुनाव, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिये सीटों का आरक्षण अनिवार्य कर दिया तथा ज़मीनी स्तर पर शासन को मज़बूत करने के लिये धन, कार्यों और पदाधिकारियों के विकेंद्रीकरण को बढ़ावा दिया।
- अधिकांश राज्यों में पंचायतों की त्रिस्तरीय संरचना अपनाई जाती है— ग्रामसभा (गाँव या छोटे गाँवों का समूह), पंचायत समिति (खंड परिषद) तथा ज़िला परिषद (ज़िला स्तर पर)।
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 243G राज्य विधानसभाओं को पंचायतों को स्व-सरकारी संस्थानों के रूप में कार्य करने का अधिकार और शक्तियाँ प्रदान करने की शक्ति प्रदान करता है।
- पंचायतों के वित्तीय सशक्तिकरण के लिये संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 243H राज्य विधानसभाओं को पंचायतों को कर, शुल्क तथा टोल लगाने, एकत्र करने और उपयोग करने की अनुमति देने का अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 280(3)(bb) के अनुसार, केंद्रीय वित्त आयोग को राज्य वित्त आयोग की सलाह के आधार पर पंचायतों के लिये पूरक निधि आवंटन की सिफारिश करनी होती है।
- अनुच्छेद 243-I के तहत पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने तथा कर वितरण, संसाधन सुधार और अन्य संबंधित वित्तीय मामलों पर सुझाव देने के लिये प्रत्येक 5 वर्ष में एक राज्य वित्त आयोग का गठन अनिवार्य है।
- पंचायती राज मंत्रालय, पंचायती राज तथा पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित सभी मामलों को देखता है। इसकी स्थापना मई 2004 में की गई थी।
- PRIs की वित्तीय स्वायत्तता को सुदृढ़ करने की दिशा में प्रयास:
- राज्य सरकार के इस निर्णय का उद्देश्य ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और ज़िला परिषदों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना है, जिससे उन्हें स्थानीय विकास कार्यों की योजना बनाने और क्रियान्वयन में अधिक स्वायत्तता मिल सके।
- इस योजना के तहत सरकार पंचायती राज संस्थाओं को 572 करोड़ रुपए हस्तांतरित करने की योजना बना रही है।
- राजस्व वितरण संरचना:
- सरकार कुल स्टांप ड्यूटी राजस्व का 1% पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित करेगी, जो निम्नानुसार वितरित किया जाएगा:
- 0.5% ग्राम पंचायतों को
- 0.25% पंचायत समितियों को
- 0.25% ज़िला परिषदों को
- सरकार कुल स्टांप ड्यूटी राजस्व का 1% पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित करेगी, जो निम्नानुसार वितरित किया जाएगा:
- पंचायतों को सशक्त बनाने के लिये पूर्व में उठाए गए कदम:
- सरकार पहले ही अंतर-ज़िला परिषदों की स्थापना कर चुकी है तथा पंचायतों को प्रत्यक्ष रूप से निधियों के हस्तांतरण की व्यवस्था लागू कर चुकी है।
- इन उपायों के माध्यम से PRIs को विभागीय कार्यों को स्वतंत्र रूप से संचालित करने की क्षमता प्राप्त होती है, जिससे स्थानीय शासन व्यवस्था और अधिक प्रभावी बनती है।

