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डेली न्यूज़

कृषि

पशु रोग मुक्त क्षेत्र

  • 29 Mar 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पशु रोग मुक्त क्षेत्र, पशुपालन, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE), राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम, खुरपका-मुँहपका रोग (FMD) और ब्रुसेलोसिस, राष्ट्रीय पशुधन मिशन पशुपालन अवसंरचना विकास कोष, किसान उत्पादक संगठन (FPO), कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण।

मेन्स के लिये:

पशुपालन का अर्थशास्त्र, किसानों की आय बढ़ाना।

चर्चा में क्यों?

मूल्यवर्द्धित मांस उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार ने हितधारकों से देश में क्षेत्र-विशिष्ट ‘पशु रोग मुक्त क्षेत्रों’ के निर्माण की दिशा में काम करने का आह्वान किया है।

पशु रोग मुक्त क्षेत्र क्या है?

  • ‘पशु रोग-मुक्त क्षेत्र’ का अर्थ एक ऐसे स्पष्ट रूप से परिभाषित हिस्से से है, जहाँ किसी विशिष्ट बीमारी के संबंध में एक विशिष्ट स्वास्थ्य स्थिति वाली पशु जनसंख्या मौजूद होती है और जहाँ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के उद्देश्य हेतु आवश्यक निगरानी, नियंत्रण एवं जैव सुरक्षा उपायों को लागू किया जाता है।

‘पशु रोग मुक्त क्षेत्र’ बनाने की आवश्यकता:

  • पशुपालन का महत्त्व: पशु हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिये जीवन समर्थन प्रणाली हैं, वे कठिन समय में जीविका प्रदान करते हैं और पोषण, विशेष रूप से ग्रामीण लोगों के लिये प्रोटीन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
    • पशुपालन मिश्रित कृषि पद्धतियों के अंतर्गत आता है।
    • मिश्रित खेती एक ऐसी कृषि प्रणाली है, जिसमें एक किसान विभिन्न कृषि पद्धतियों को एक साथ अपनाता है, जैसे कि नकदी फसलें उगाना और पशुपालन।
    • इसका उद्देश्य ऐसे विभिन्न स्रोतों के माध्यम से आय में वृद्धि करना और वर्ष भर भूमि एवं श्रम की मांग को पूरा करना है।
  • कृषि निर्यात: जैविक शहद और मछली उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल करते हुए भारत गोजातीय (Bovine) मांस का सबसे बड़ा निर्यातक है।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना: विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के अनुसार, ज़ोनिंग पशु रोगों के प्रगतिशील नियंत्रण एवं उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये गारंटी प्रदान करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण जोखिम प्रबंधन रणनीति है।

सरकार द्वारा की गई संबंधित पहलें:

आगे की राह

  • सिक्किम मॉडल: जैविक राज्य के रूप में घोषित सिक्किम के जैविक मॉडल का सभी राज्यों में अनुकरण किया जाना चाहिये।
  • पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार: क्षेत्रीय स्तर पर कार्यान्वयन और प्रभावशीलता पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण: बाहरी बाज़ारों से लाभ उठाने, रोग मुक्त क्षेत्रों की द्विपक्षीय मान्यता में वृद्धि करने जैसे द्विपक्षीय पशु चिकित्सा समझौते या मुक्त व्यापार समझौते, व्यापारिक साझेदार देशों द्वारा लागू किये जाने वाले स्पष्ट क्षेत्रों और प्रक्रियाओं को स्थापित करते हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी मिश्रित खेती की प्रमुख विशषेता है? (2012)

(a) नकदी और खाद्य दोनों फसलों की साथ-साथ खेती
(b) दो या दो से अधिक फसलों को एक ही खेत में उगाना
(c) पशुपालन और फसल-उत्पादन कार्य एक साथ करना
(d) उपर्युक्त मे से कोई नही

उत्तर: (c)

स्रोत: पी.आई.बी.

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