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शासन व्यवस्था

16वें वित्त आयोग के लिये संदर्भ की शर्तें

  • 02 Dec 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सोलहवाँ वित्त आयोग, भारत की समेकित निधि, सहायता अनुदान, पंचायतें और नगर पालिकाएँ, सकल राज्य घरेलू उत्पाद, केंद्र प्रायोजित योजनाएँ, धन हस्तांतरण हेतु मानदंड।

मेन्स के लिये:

16वें वित्त आयोग के लिये संदर्भ की प्रमुख शर्तें, 15वें वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें।  

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोलहवें वित्त आयोग के लिये संदर्भ की शर्तों (ToR) को हरी झंडी दे दी है।

  • इस आयोग के पास 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली आगामी 5 वर्ष की अवधि के लिये केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व वितरण के फार्मूले की सिफारिश करने की महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है।

16वें वित्त आयोग के लिये संदर्भ की प्रमुख शर्तें क्या हैं?

  • कर आय का विभाजन: संविधान के अध्याय I, भाग XII के तहत केंद्र सरकार और राज्यों के बीच करों के वितरण की सिफारिश करना।
    • इसमें कर आय से राज्यों के बीच शेयरों का आवंटन शामिल है।
  • सहायता अनुदान के सिद्धांत: भारत की संचित निधि से राज्यों को सहायता अनुदान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों की स्थापना करना।
    • इसमें विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत उस अनुच्छेद के खंड (1) के प्रावधानों में उल्लिखित उद्देश्यों से अलग उद्देश्यों के लिये राज्यों को सहायता अनुदान के रूप में प्रदान की जाने वाली राशि का निर्धारण शामिल है।
  • स्थानीय निकायों के लिये राज्य निधि को बढ़ाना: राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के उपायों की पहचान करना। 
    • इसका उद्देश्य राज्य के अपने वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर, राज्य के भीतर पंचायतों और नगर पालिकाओं के लिये उपलब्ध संसाधनों को पूरक बनाना है
  • आपदा प्रबंधन वित्तपोषण का मूल्यांकन: आयोग आपदा प्रबंधन पहल से संबंधित वर्तमान वित्तपोषण संरचनाओं की समीक्षा कर सकता है। 
    • इसमें आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत बनाए गए फंड की जाँच करना और सुधार या बदलाव के लिये उपयुक्त सिफारिशें प्रस्तुत करना शामिल है।

वित्त आयोग क्या है?

  • परिचय: 
    • भारत में वित्त आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है।
      • इसका प्राथमिक कार्य केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण की सिफारिश करना है
    • पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर, 2017 को किया गया था। इसने अपनी अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से 1 अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली छह वर्षों की अवधि को कवर करते हुए सिफारिशें कीं।
      • पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2025-26 तक मान्य हैं।

हस्तांतरण हेतु मानदंड: 

मानदंड 

14वाँ वित्त आयोग  (2015-20)

15वाँ वित्त आयोग (2020-21)

15वाँ वित्त आयोग (2021-26)

आय दूरी

50.0

45.0

45.0

क्षेत्र 

15.0

15.0

15.0

जनसंख्या (1971)

17.5

-

-

जनसंख्या (2011)#

10.0

15.0

15.0

जनसांख्यिकी प्रदर्शन

-

12.5

12.5

वनाच्छादन

7.5

-

-

वन एवं पारिस्थितिकी

-

10.0

10.0

कर एवं राजकोषीय प्रयास*

-

2.5

2.5

कुल

100

100

100

नोट : 'जनसंख्या (1971)' पर केवल 14वें वित्त आयोग के लिये विचार किया गया था, जबकि 'जनसंख्या (2011)' और 'कर और राजकोषीय प्रयास' 15वें वित्त आयोग द्वारा पेश किये गए थे। आँकड़े निर्दिष्ट अवधि के दौरान प्रत्येक मानदंड के लिये प्रतिशत में वेटेज दर्शाते हैं।

15वें वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें: 

  • केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी: आयोग ने वर्ष 2021-26 की अवधि के लिये केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 41% बनाए रखने का प्रस्ताव रखा, जो 14वें वित्त आयोग द्वारा वर्ष 2015-20 के दौरान आवंटित 42% से थोड़ी कमी प्रदर्शित हुई है। 
    • इस 1% समायोजन का उद्देश्य केंद्रीय संसाधनों से जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के नवगठित केंद्रशासित प्रदेशों को समायोजित करना है।
  • राजकोषीय घाटा एवं ऋण स्तर: आयोग ने सिफारिश की कि केंद्र का लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक अपने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4% तक सीमित करना है।
    • राज्यों के लिये वर्ष 2021-26 की अवधि के भीतर विभिन्न वर्षों के लिये सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के प्रतिशत के रूप में विशिष्ट राजकोषीय घाटे की सीमा की सलाह दी।
    • प्रारंभिक चार वर्षों (2021-25) में स्वीकृत उधार सीमा का पूरी तरह से उपयोग नहीं करने वाले राज्य बाद के वर्षों में शेष राशि का उपयोग कर सकते हैं।
  • अन्य अनुशंसाएँ: 
    • रक्षा और आंतरिक सुरक्षा निधि: रिपोर्ट में रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिये एक आधुनिकीकरण निधि (MFDIS) स्थापित करने का सुझाव दिया गया है, जो गैर-व्यपगत और मुख्य रूप से भारत के समेकित निधि और अन्य स्रोतों के माध्यम से वित्त पोषित है।
    • केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS): सिफारिशों में वार्षिक CSS आवंटन, तीसरे पक्ष के मूल्यांकन, पारदर्शी फंडिंग पैटर्न तथा अनावश्यक योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने हेतु स्थिर वित्तीय आवंटन के लिये सीमा निर्धारित करना शामिल है।

निष्कर्ष: 

अब ToR को मंज़ूरी मिलने के साथ आयोग के लिये अपने जनादेश को शुरू करने के लिये मंच तैयार हो गया है, जो भारत की संघीय संरचना को रेखांकित करने वाले वित्तीय ढाँचे में निर्णायक योगदान देगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2023) 

  1. जनांकिकीय निष्पादन 
  2. वन और पारिस्थितिकी 
  3. शासन सुधार 
  4. स्थिर सरकार 
  5. कर एवं राजकोषीय प्रयास

समस्तर कर-अवक्रमण के लिये पंद्रहवें वित्त आयोग ने उपर्युक्त में से कितने को जनसंख्या क्षेत्रफल और आय के अंतर के अलावा निकष के रूप में प्रयुक्त किया?  

(a) केवल दो
(b) केवल तीन 
(c) केवल चार
(d) पाँचों 

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. तेरहवें वित्त आयोग की अनुशंसाओं की विवेचना कीजिये जो स्थानीय शासन की वित्त-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये पिछले आयोगों से भिन्न हैं। (2013)

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