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भारतीय अर्थव्यवस्था

संयुक्त राज्य में भारतीय खाद्य पदार्थों के निर्यात की अस्वीकृति

  • 26 Oct 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत द्वारा अमेरिका को किया जाने वाले मुख्य खाद्य निर्यात, साल्मोनेला, विश्व व्यापार संगठन, स्‍वच्‍छता एवं पादप स्वच्छता (Sanitary and Phytosanitary- SPS) समझौता, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, कोडेक्स एलिमेंटेरियस Codex Alimentarius

मेन्स के लिये:

SPS समझौते के मुख्य प्रावधान, भारत में खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता मानकों में सुधार के उपाय, कृषि विपणन।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राज्य अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने हाल ही में विगत चार वर्षों में खाद्य पदार्थों के के आयात से संबंधित जानकारी जारी की है जिसके अनुसार अमेरिका ने खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता मानकों के आधार पर भारत, मैक्सिको तथा चीन जैसे देशों से खाद्य पदार्थों के निर्यात को कम किया है। 

  • यह डेटा अमेरिकी बाज़ार में भारतीय खाद्यान निर्यातकों के समक्ष आने वाली बाधाओं को उजागर करता है। अमेरिका में भारत के खाद्य पदार्थों के निर्यात की अस्वीकृति एक गंभीर मुद्दा बनी हुई है।

निर्यात अस्वीकृति से संबंधित प्रमुख पहलू: 

  • खाद्यान निर्यात में अस्वीकृति के आँकड़े: भारत, मेक्सिको तथा चीन:
    • भारत, मैक्सिको तथा चीन ने अक्तूबर 2019 एवं सितंबर 2023 के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात खाद्य शिपमेंट की अस्वीकृति में वृद्धि का अनुभव किया।
    • भारत द्वारा निर्यात खाद्यान की अस्वीकृति दर 0.15% थी, जो सभी खाद्य निर्यात शिपमेंट में से अस्वीकार किये गए शिपमेंट के प्रतिशत को दर्शाती है।
      • इसकी तुलना में चीन और मेक्सिको की अस्वीकृति दर क्रमशः 0.022% तथा 0.025% थी।
      • भारत की अस्वीकृति दर काफी अधिक है, जो कुल निर्यात के सापेक्ष अस्वीकृति की अधिक घटनाओं का संकेत देती है।
  • अस्वीकृति के पीछे प्रमुख कारक: 
    • ये उत्पाद पूर्णतः या आंशिक रूप से गंदे, सड़े हुए या विघटित पदार्थों से युक्त थे तथा भोजन के लिये अनुपयुक्त थे।
    • इन उत्पादों में साल्मोनेला (Salmonella) नामक बैक्टीरिया मौजूद था जो पेट में गंभीर संक्रमण का कारण बनता है।
    • इन उत्पादों में एक अप्रमाणित नई दवा, एक असुरक्षित खाद्य योज्य अथवा एक निषिद्ध पदार्थ का उपयोग किया गया।
    • उत्पादों की पोषण संबंधी लेबल, सामग्री की जानकारी या स्वास्थ्य दावों के संदर्भ में गलत ब्रांडिंग की गई थी।
  • भारत की अस्वीकृति में दीर्घकालिक प्रचालन: 
    • पिछले दशक में भारत के खाद्य निर्यात अस्वीकृति में गिरावट देखी गई। वर्ष 2015 में अस्वीकृत शिपमेंट्स की संख्या 1,591 थी, जो वर्ष 2023 में घटकर1,033 रह गई है।
      • इन अस्वीकृतियों के बावजूद, वित्त वर्ष 2023 में भारत का खाद्य निर्यात अमेरिका में 1.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 16% की वृद्धि को दर्शाता है। प्रमुख निर्यातों में बासमती चावल, प्राकृतिक शहद, ग्वार गम और अनाज से निर्मित उत्पाद शामिल थे।

खाद्य आयात अस्वीकृति का समर्थन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय उपाय:

  • परिचय
    • विश्व व्यापार संगठन (WTO) का सैनिटरी एंड फाइटो सैनिटरी (SPS) समझौता यह सुनिश्चित करता है कि WTO सदस्यों के बीच विपणित उत्पाद (ऐसे उत्पाद जिनका व्यापार किया जा चुका है) बीमारियाँ नहीं फैलाते हैं तथा खाद्य उत्पादों में हानिकारक पदार्थ या रोगजनक नहीं होते हैं।
    •  "SPS समझौता" 1 जनवरी 1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के साथ लागू हुआ।
      • WTO में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कुल 164 सदस्य देश हैं।
  • प्रमुख प्रावधान:
    • सदस्यों को मानव, पशु या पौधों के जीवन और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिये सैनिटरी एंड फाइटोसैनिटरी उपायों को लागू करने का अधिकार है, बशर्ते ऐसे उपाय इस समझौते के अनुरूप हों।
    • समझौते के अनुच्छेद 5(7) में दिये गए प्रावधानों को छोड़कर, उपाय वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित और वैज्ञानिक साक्ष्यों द्वारा समर्थित होने चाहिये।
    • उपायों में सदस्यों के बीच अनुचित भेदभाव नहीं होना चाहिये और सदस्यों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रच्छन्न प्रतिबंध के रूप में कार्य नहीं करना चाहिये।
    • एक WTO सदस्य को अन्य सदस्यों से समान सैनिटरी एंड फाइटोसैनिटरी उपाय स्वीकार करने होंगे, भले ही वे उसकी आवश्यकताओं से भिन्न हों।
      • निर्यातक सदस्य को यह सिद्ध करना होगा कि उसके उपाय आयातक सदस्य की सुरक्षा के आवश्यक पहलुओं को पूर्ण करते हैं।
      • अनुरोध पर निरीक्षण और परीक्षण के लिये पहुँच प्रदान की जानी चाहिये।

निरंतर खाद्य निर्यात अस्वीकृति का भारत पर प्रभाव:

  • विनियामक अनुपालन लागत में वृद्धि: इसके परिणामस्वरूप भारतीय निर्यातकों के लिये अनुपालन लागत में वृद्धि हुई है। अमेरिकी बाज़ार के कड़े मानकों को पूरा करने हेतु अनुपालन उपायों के अनुरूप निवेश करना आवश्यक हो जाता है, जिससे वित्तीय तनाव बढ़ता है।
  • व्यापार हानि और बाज़ार प्रतिष्ठा: अस्वीकृत शिपमेंट के कारण राजस्व प्रभावित होता है जो विदेशी खरीदारों के बीच विश्वास को कम करता है जिसका असर संभावित रूप से भविष्य के व्यापार अवसरों पर देखा जा सकता है।
    • निर्यात में योगदान देने वाले प्रमुख क्षेत्र असंगत रूप से प्रभावित हो सकते हैं, जिससे इन निर्यातों पर निर्भर किसानों और व्यवसाइयों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।
  • कूटनीतिक और वैश्विक छवि पर प्रभाव: इससे भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव पैदा हो  सकता है। निरंतर अस्वीकृति के कारण व्यापार बाधाओं को लेकर चर्चाओं की वजह से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं।
    • निरंतर अस्वीकृति से एक विश्वसनीय खाद्य निर्यातक के रूप में भारत की वैश्विक छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे न केवल अमेरिकी बाज़ार प्रभावित होगा बल्कि अन्य अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।

भारत द्वारा खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों में संभावित सुधार:

  • सख्त निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण: भारत को घरेलू और निर्यात बाज़ारों के लिये खाद्य उत्पादों की निगरानी, निरीक्षण एवं प्रमाणितकरण हेतु देश की शीर्ष खाद्य नियामक संस्था भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की भूमिका तथा क्षमता को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
  •  उन्नत परीक्षण प्रोटोकॉल: संदूषकों, रोगजनकों एवं मिलावट की पहचान करने हेतु खाद्य उत्पादों के लिये व्यापक परीक्षण प्रोटोकॉल विकसित करने और लागू करने की आवश्यकता है।
    •   अधिक सटीक और तीव्र परीक्षण के लिये उन्नत प्रयोगशाला उपकरणों में निवेश करना।
  • आपूर्ति शृंखला पारदर्शिता: पारदर्शी और अनुरेखणीय आपूर्ति शृंखला बनाने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करना, जिससे संदूषण के स्रोत या गुणवत्ता संबंधी मुद्दों की तेज़ी से पहचान हो सके।
  • वैश्विक मानकों का पालन: खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता प्रबंधन के लिये अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं एवं मानकों को अपनाना, जैसे जोखिम विश्लेषण तथा महत्त्वपूर्ण नियंत्रण बिंदु (HACCP), अच्छी स्वच्छता प्रथाएँ (GHP) एवं कोडेक्स एलिमेंटेरियस
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