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प्रधानमंत्री एफएमई योजना में बिहार प्रथम
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (PMFME) योजना में बिहार ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे में:
- PMFME योजना का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा निजी सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र की औपचारिकता को बढ़ावा देना है।
- PMFME योजना 10,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये लागू है।
- केंद्रित क्षेत्र:
- यह योजना इनपुट की खरीद, सामान्य सेवाओं और उत्पादों के विपणन के संबंध में पैमाने का लाभ उठाने के लिये एक ज़िला एक उत्पाद (One District One Product- ODOP) दृष्टिकोण अपनाती है।
- अन्य फोकस क्षेत्रों में वेस्ट टू वेल्थ उत्पाद, लघु वन उत्पाद और आकांक्षी ज़िले शामिल हैं।
- PMFME योजना के तहत उपलब्ध सहायता:
- व्यक्तिगत/समूह श्रेणी सूक्ष्म उद्यमों को सहायता:
- पात्र परियोजना लागत का 35% क्रेडिट-लिंक्ड पूंजी सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा, जिसमें अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए प्रति यूनिट है।
- सीड कैपिटल के लिये स्वयं सहायता समूहों (SHG) को सहायता:
- कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद के लिये खाद्य प्रसंस्करण में लगे SHG के प्रति सदस्य को 40,000 रुपए तक की सीड कैपिटल के साथ अधिकतम 4 लाख रुपए प्रति SHG की सहायता।
- सामान्य अवसंरचना के लिये समर्थन:
- FPO, SHG, सहकारी समितियों एवं सामान्य बुनियादी ढाँचे की स्थापना के लिये किसी भी सरकारी एजेंसी का समर्थन करने हेतु अधिकतम 3 करोड़ रुपए के साथ 35% की क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी।
- क्षमता निर्माण:
- इस योजना में उद्यमिता विकास कौशल (Entrepreneurship Development Skilling) (EDP+) के लिये प्रशिक्षण की परिकल्पना की गई है, जो खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं उत्पाद विशिष्ट कौशल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये संशोधित कार्यक्रम है।
- व्यक्तिगत/समूह श्रेणी सूक्ष्म उद्यमों को सहायता:
- FSSAI एवं अन्य वैधानिक आवश्यकताओं के अनुपालन हेतु सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को सहायता प्रदान करने के लिये ज़िला संसाधन व्यक्तियों (District Resource Persons-DRPs) को नियुक्त किया गया है।

