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बिहार जैव ईंधन उत्पादन संवर्द्धन (संशोधन) नीति, 2025
चर्चा में क्यों?
बिहार सरकार ने निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये अपनी जैव ईंधन उत्पादन संवर्द्धन नीति 2023 को संशोधित करते हुए बिहार जैव ईंधन उत्पादन संवर्द्धन (संशोधन) नीति, 2025 प्रस्तुत की है।
- संशोधित नीति का उद्देश्य जैव ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि करना तथा नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में राज्य की प्रगति में तेज़ी लाना है।
मुख्य बिंदु
- बिहार जैव ईंधन उत्पादन संवर्द्धन नीति, 2023 के बारे में:
- बिहार सरकार ने अपनी पिछली इथेनॉल उत्पादन संवर्द्धन नीति, 2021 को विस्तार देते हुए बिहार जैव ईंधन उत्पादन संवर्द्धन नीति, 2023 का शुभारंभ किया, ताकि इथेनॉल से आगे बढ़कर संपीड़ित जैव-गैस (CBG)/जैव-CNG इकाइयों को भी सम्मिलित किया जा सके।
- यह नीति कृषि अवशेषों, पशुओं के गोबर तथा अपशिष्ट का उपयोग करते हुए जैव ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देती है, जिसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना, रोज़गार सृजन करना तथा राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 के साथ संरेखण स्थापित करना है।
- उद्देश्य:
- इस नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 के तहत सभी अनुमत फीडस्टॉक्स से 100% ईंधन-ग्रेड इथेनॉल और CBG/बायो-CNG का उत्पादन संभव बनाना है तथा बिहार में इन जैव ईंधनों हेतु ग्रीनफील्ड स्टैंडअलोन इकाइयों को बढ़ावा देना है।
- कवरेज:
- नीति में वे इकाइयाँ शामिल हैं जो:
- 100% ईंधन-ग्रेड इथेनॉल (एकल या दोहरी फीड) का उत्पादन करती हैं।
- संपीड़ित जैव-गैस (CBG)/जैव-CNG का उत्पादन करती हैं।
- नीति में वे इकाइयाँ शामिल हैं जो:
- प्रोत्साहन:
- यह नीति संयंत्र और मशीनरी लागत का 15% या 5 करोड़ रुपए (जो भी कम हो) की पूंजी सब्सिडी प्रदान करती है।
- SC, ST, EBC, महिलाएँ, विकलांग, युद्ध विधवाएँ, एसिड अटैक पीड़ित तथा तीसरे लिंग के उद्यमियों के लिये यह सब्सिडी 15.75% या 5.25 करोड़ रुपए (जो भी कम हो) निर्धारित की गई है।
- बिहार जैव ईंधन उत्पादन संवर्द्धन (संशोधन) नीति, 2025 में प्रमुख परिवर्तन
- भूमि पट्टा: अब BIADA-प्रबंधित औद्योगिक भूमि का 25% हिस्सा CBG इकाइयों को पट्टे पर दिया जा सकता है। यह पट्टा 75,000 रुपए प्रति एकड़ वार्षिक दर पर 30 वर्षों के लिये होगा।
- तिथि विस्तार: CBG इकाइयों हेतु चरण-1 मंज़ूरी की अंतिम तिथि एकल खिड़की मंज़ूरी पोर्टल के माध्यम से 31 मार्च, 2027 तक बढ़ाई गई है।
- CBG परियोजनाओं हेतु वित्तीय स्वीकृति की समय-सीमा 31 मार्च, 2028 तक बढ़ा दी गई है। यह विस्तार निजी निवेशकों तथा तेल विपणन कंपनियों (OMCs) पर लागू होगा।


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आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM)
चर्चा में क्यों?
बिहार, स्कैन-एंड-शेयर QR कोड सुविधा का उपयोग करके 92% ऑनलाइन ओपीडी पंजीकरण दर हासिल करके आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के तहत भारत में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य बन गया है।
- वर्ष 2021 से ABDM के तहत हुए 11.38 करोड़ ओपीडी पंजीकरण में से अकेले बिहार में 2.94 करोड़ पंजीकरण किये गये हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश (2.25 करोड़) और आंध्र प्रदेश (1.70 करोड़) का स्थान है।
मुख्य बिंदु
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के बारे में:
- लॉन्च: इसे भारत सरकार द्वारा वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था।
- उद्देश्य: एक मज़बूत डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना, जो स्वास्थ्य डाटा के सुरक्षित, कुशल तथा समावेशी आदान-प्रदान को सुनिश्चित करता है, साथ ही देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच, समानता तथा समग्र गुणवत्ता में सुधार करता है।
- बजट आवंटन: इसे 2021-22 से 2025-26 तक 1,600 करोड़ रुपए के पाँच वर्षीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
- ABDM के प्रमुख घटक:
- ABHA नंबर (आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता):
- ABHA ऐप उपयोगकर्त्ताओं को ABHA पता बनाने, अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को लिंक करने तथा व्यक्तिगत स्वास्थ्य डाटा साझा करने के लिये सहमति को नियंत्रित करने की अनुमति देता है।
- ABHA मोबाइल ऐप (व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड – PHR):
- यह ABHA पते बनाने और स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ने की सुविधा प्रदान करता है।
- यह उपयोगकर्त्ताओं को डाटा साझा करने के लिये अपनी सहमति प्रबंधित करने की अनुमति देता है।
- हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (HPR):
- यह सत्यापित स्वास्थ्य पेशेवरों का एक राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
- इससे योग्य सेवा प्रदाताओं तक आसान पहुँच संभव हो जाती है।
- स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (HFR):
- यह सार्वजनिक तथा निजी स्वास्थ्य सुविधाओं का एक व्यापक डाटाबेस है।
- यह सेवा समन्वय तथा प्रणाली एकीकरण में सुधार करता है।
- ABHA नंबर (आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता):
- डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ:
- मरीज़ों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में संगृहीत किया जाता है, जिससे भौतिक दस्तावेज़ों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और कागज़ी कार्यवाही कम हो जाती है।
- नुस्खों, नैदानिक परिणामों तथा उपचार के इतिहास तक वास्तविक समय पर पहुँच, रोगी की सहमति से भविष्य की यात्राओं के दौरान अस्पताल की प्रक्रियाओं में तेज़ी तथा देखभाल की निरंतरता सुनिश्चित करती है।

