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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 11 Dec 2021
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IISWC और स्पर्श हिमालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC) तथा स्पर्श हिमालय ने हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र, लोगों और संसाधनों को बढ़ावा देने के लिये अंतर-संगठनात्मक सहयोगात्मक कार्यकलापों को निष्पादित करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी के निदेशक एम. मधु ने बताया कि समझौता ज्ञापन का उद्देश्य सहयोग को प्रोत्साहित करना और सुविधाजनक बनाना तथा पारस्परिक रूप से रुचि रखने वाले सामान्य कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है, जो हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र और संबंधित बौद्धिक जीवन एवं सांस्कृतिक विकास के हितों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। 
  • इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सहयोगात्मक कार्यक्रम और संवर्धित आउटरीच एवं तकनीकी परिणामों और सफलता की कहानियों के बारे में जागरूकता का लक्ष्य रखा जाएगा।
  • सहयोग के संभावित क्षेत्रों में ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अनुसंधान, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, अनुभव साझा करना और ज्ञान प्रबंधन एवं प्राकृतिक संसाधन आधारित सतत् आजीविका संवर्धन शामिल हैं।
  • दोनों संगठन हिमालय के कल्याण पर काम कर रहे अनुसंधान और विकास संगठनों के तकनीकी योगदान एवं सफलता की कहानियों पर जनवरी 2022 में एक राष्ट्रीय सम्मेलन के लिये एक संयुक्त योजना विकसित कर रहे हैं।

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गंगा नौवहन चैनल को स्थिर करने हेतु IIT और IWAI के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की ने वाराणसी से साहिबगंज तक गंगा नदी के एक खंड के साथ 17 स्थानों पर नौवहन चैनल के स्थिरीकरण के लिये भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। यह जल शक्ति मंत्रालय द्वारा प्रायोजित संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा गंगा के एक पूर्व रूपात्मक अध्ययन का अनुसरण करता है।

प्रमुख बिंदु 

  • इस परियोजना के तहत आईआईटी रुड़की राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (NW-1) पर नेविगेशन की क्षमता बढ़ाने के लिये पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों के साथ नेविगेशन चैनल के विकास हेतु गंगा नदी के किनारे 17 स्थानों पर चैनल स्थिरीकरण का (नदी प्रशिक्षण) कार्य करेगा। 
  • यह कार्य IAWI की चल रही जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) का एक हिस्सा है, जो विश्व बैंक द्वारा प्रायोजित है। 
  • जेएमवीपी सड़कों और रेलवे जैसे अन्य सतह परिवहन साधनों के साथ एकीकरण के अवसरों के निर्माण एवं सुधार की परिकल्पना करता है, ताकि विभिन्न अच्छी तरह से सुसज्जित टर्मिनलों और घाटों के माध्यम से जलमार्गों को जोड़कर रसद श्रृंखला की समग्र दक्षता में सुधार किया जा सके।
  • इस अवसर पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत के. चतुर्वेदी ने कहा कि यह सहयोग राष्ट्र के जलमार्गों की उन्नति सुनिश्चित करेगा और विशेष रूप से पूरे गंगा बेल्ट में रहने वाले किसानों एवं लोगों को लाभान्वित करेगा।
  • यह छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास को बढ़ावा देगा, रोज़गार के अवसर पैदा करेगा और कार्गो के परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा। इस प्रकार छोटे जेटीस (Jetties) के माध्यम से रसद में सुधार होगा, जिससे क्षेत्र का समग्र विकास होगा।

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वित्तीय वर्ष का दूसरा अनुपूरक बजट पेश

चर्चा में क्यों?

10 दिसंबर, 2021 को संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत ने राज्य विधानसभा में चालू वित्त वर्ष के लिये 1,353.7908 करोड़ रुपए का दूसरा अनुपूरक बजट पेश किया। 

प्रमुख बिंदु 

  • अनुपूरक बजट में राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के लिये 668.36 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जबकि महिला अधिकारिता एवं बाल विकास विभाग की नंदा गौरा योजना के लिये 80 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 
  • इसी प्रकार राज्य क्षेत्र के अंतर्गत कार्यों के लिये लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) हेतु 100 करोड़ रुपए रखे गए हैं। पीडब्ल्यूडी के तहत पुलों की मरम्मत और रखरखाव के लिये 50 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है।
  • गौरतलब है कि मंत्री ने इस वित्तीय वर्ष में सरकार का दूसरा अनुपूरक बजट पेश किया है। इससे पूर्व अगस्त 2021 में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन ने 5,780.80 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट पारित किया था।
  • तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये इस साल 4 मार्च को भारदीसैंण में 57,400.32 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था।

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