उत्तर प्रदेश Switch to English
लखनऊ बना शून्य अपशिष्ट वाला शहर
चर्चा में क्यों?
लखनऊ ने शहरी अपशिष्ट प्रबंधन में एक बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। शहर के शिवरी संयंत्र में 700 मीट्रिक टन ताजे अपशिष्ट की प्रोसेसिंग यूनिट शुरू की गई है। इसके साथ ही लखनऊ अब प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 2,000 मीट्रिक टन अपशिष्ट को वैज्ञानिक तरीके से प्रोसेस करता है, जिससे यह एक ‘शून्य शुद्ध अपशिष्ट शहर’ (Zero Net Waste City) बन गया है।
मुख्य बिंदु
- शिवरी में विरासती अपशिष्ट उपचार:
- वर्ष 2022 में, शिवरी साइट को 18.5 लाख मीट्रिक टन संचित विरासती अपशिष्ट के साथ एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा।
- इससे निपटने के लिये, लखनऊ नगर निगम (LMC) ने 106.18 करोड़ रुपए की सुधार परियोजना शुरू की, जिसमें स्वच्छ भारत मिशन (SBM-I) के तहत 96.53 करोड़ रुपए का वित्तपोषण किया गया।
- यह परियोजना भूमि ग्रीन एनर्जी को सौंपी गई, जिसने मार्च 2024 में कार्य शुरू किया।
- क्रियाशील चक्रीय अर्थव्यवस्था:
- अब तक 12.86 लाख मीट्रिक टन पुराने अपशिष्ट को अपशिष्ट-व्युत्पन्न ईंधन (RDF), जैव-मृदा और निर्माण-ग्रेड मलबे में संसाधित किया जा चुका है।
- RDF में प्लास्टिक, कागज़ और वस्त्र जैसे गैर-पुनर्चक्रणीय सूखा अपशिष्ट शामिल होता है, इसका उच्च कैलोरी मान होता है और इसका उपयोग अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन के लिये किया जा सकता है।
- पुनः प्राप्त की गई 25 एकड़ भूमि को अब हरित क्षेत्रों, कंपोस्टिंग पैड और नए अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढाँचे के लिये पुनः उपयोग में लाया जा रहा है।
- पाइपलाइन में अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र:
- निर्माण-स्वामित्व-संचालन अपशिष्ट-से-ऊर्जा (WTE) संयंत्र के लिये एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है।
- तब तक, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (NTPC) द्वारा समर्थित मौजूदा शिवरी सुविधा शहर के अंतरिम अपशिष्ट प्रसंस्करण समाधान के रूप में कार्य करेगी।
- स्वच्छ भारत मिशन (SBM-I):
- इसे 2 अक्तूबर, 2014 को पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
- इसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिये SBM-ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के लिये SBM-शहरी में भी विभाजित किया गया।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करके तथा स्कूलों और आँगनवाड़ी शौचालयों में अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करके भारत को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाना था।
- किसी क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त (ODF) घोषित किया जा सकता है यदि दिन के किसी भी समय वहाँ एक भी व्यक्ति खुले में शौच करते हुए न पाया जाए।
- SBM शहरी 2.0:
- इसका उद्देश्य सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधाएँ, अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्र और पुनर्चक्रण इकाइयाँ स्थापित करके "अपशिष्ट मुक्त शहर" बनाना है, जिससे शहरी क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमता में लगभग 1.06 लाख टन प्रतिदिन (TPD) की उल्लेखनीय वृद्धि होगी।


बिहार Switch to English
बिहार कैबिनेट ने प्रमुख योजनाओं को मंज़ूरी प्रदान की
चर्चा में क्यों?
युवाओं की रोज़गार क्षमता में सुधार, सांस्कृतिक संरक्षण और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में बिहार मंत्रिमंडल ने कई प्रमुख पहलों को मंज़ूरी प्रदान की।
- इन पहलों में युवा इंटर्नशिप के लिये वित्तीय सहायता, कलाकारों के लिये पेंशन योजना और पुनौरा धाम के लिये 882 करोड़ रुपए की विकास योजना शामिल है, जो इस क्षेत्र को एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र में बदल देगी।
मुख्य बिंदु
- मुख्यमंत्री प्रतिज्ञा योजना:
- 18-28 वर्ष की आयु के युवा पात्र हैं, यदि उन्होंने कौशल प्रशिक्षण पूरा कर लिया है या कक्षा 12 से स्नातकोत्तर स्तर तक की योग्यता रखते हैं।
- इंटर्नशिप के दौरान मासिक वजीफा:
- 12वीं पास के लिये 4,000 रुपए
- आईटीआई या डिप्लोमा धारकों के लिये 5,000 रुपए
- स्नातक और स्नातकोत्तर के लिये 6,000 रुपए
- अपने ज़िले से बाहर काम करने पर प्रशिक्षुओं को 2,000 रुपए प्रति माह तथा बिहार से बाहर काम करने पर 5,000 रुपए प्रति माह अतिरिक्त मिलेंगे।
- यह अतिरिक्त सहायता अधिकतम 3 माह के लिये प्रदान की जाएगी।
- सभी वित्तीय सहायता प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से जमा की जाएगी।
- यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 में 5,000 युवाओं को सहायता प्रदान करेगी।
- इसका लक्ष्य 2026-27 से आगे पाँच वर्षों में एक लाख युवाओं को लाभान्वित करना है।
- मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन योजना:
- मंत्रिमंडल ने कम से कम 10 वर्षों से शास्त्रीय, दृश्य या प्रदर्शन कला में संलग्न कलाकारों के लिये एक नई पेंशन योजना को मंज़ूरी दी।
- 50 वर्ष से अधिक आयु के पात्र कलाकारों, जिनकी वार्षिक आय 1.2 लाख रुपए से कम है, को 3,000 रुपए मासिक पेंशन मिलेगी।
- इस योजना का उद्देश्य बिहार की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है।
- पुनौरा धाम विकास:
- कैबिनेट ने सीतामढ़ी के पुनौरा धाम स्थित माँ जानकी मंदिर के समेकित विकास के लिये 882.87 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी।
- माना जाता है कि यह देवी सीता का जन्म स्थल है, इस स्थल को मिथिला की समृद्ध संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करने और प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
- बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम इस परियोजना का क्रियान्वयन करेगा।
- कारखाना/फैक्ट्री रोज़गार नियम संशोधित:
- मंत्रिमंडल ने बिहार कारखाना नियमावली, 1950 में संशोधन को भी मंज़ूरी दी।
- गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को छोड़कर महिलाएँ अब खतरनाक श्रेणी में वर्गीकृत कारखानों में काम कर सकती हैं।
- इस कदम का उद्देश्य महिलाओं के लिये औद्योगिक रोज़गार के अवसरों को व्यापक बनाना है।
मिथिला
- भौगोलिक सीमाएँ:
- मिथिला, जिसे तिरहुत या तिरभुक्ति के नाम से भी जाना जाता है, एक विशिष्ट भूवैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्र है।
- यह पूर्व में महानंदा नदी, दक्षिण में गंगा, पश्चिम में गंडकी नदी और उत्तर में हिमालय की तराई से घिरा है।
- भारत में, इसमें दरभंगा, मधुबनी, मुज़फ्फरपुर, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, वैशाली जैसे ज़िले और चंपारण, भागलपुर और मुंगेर के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- भाषा और पहचान:
- यहाँ की मूल भाषा मैथिली है, जो मैथिल लोगों द्वारा बोली जाती है।
- ऐसा माना जाता है कि मिथिला नाम पौराणिक राजा मिति से लिया गया है, जो "मृदा (मिट्टी)" का प्रतीक है।
- मिथिला की प्राचीन राजधानी जनकपुर थी, जो नेपाल के धनुसा ज़िले में स्थित थी।
- जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंध:
- दक्षिणी मिथिला में स्थित वैशाली, जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व) का जन्मस्थान है।
- ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने अपने जीवन का कुछ हिस्सा मिथिला क्षेत्र में बिताया था, जहाँ उन्होंने उपदेश दिये और विद्वानों से संवाद किया था।
- समृद्ध सांस्कृतिक विरासत:
- मिथिला संस्कृति अपनी भाषा (मैथिली), पाग (पारंपरिक टोपी/हेडगेअर), लोक नृत्य और त्योहारों और व्यंजनों के लिये प्रसिद्ध है।
- मधुबनी पेंटिंग:
- मधुबनी कला, एक जीवंत लोक चित्रकला परंपरा है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं (विशेष रूप से रामायण) के दृश्यों को दर्शाती है।
- प्रकृति, पशु और सामाजिक जीवन
- इसमें प्राकृतिक रंगों और ज्यामितीय पैटर्न का उपयोग किया गया है
- इसकी सांस्कृतिक विशिष्टता के लिये इसे GI (भौगोलिक संकेत) का दर्ज़ा प्राप्त है।
- कृषि विशेषता- मिथिला मखाना:
- मखाना, जिसे फॉक्स नट के नाम से भी जाना जाता है, मिथिला की एक प्रमुख जलीय फसल है।
- बिहार और नेपाल के आर्द्रभूमियों में, विशेषकर मिथिला क्षेत्र में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
- मिथिला मखाना को GI टैग भी मिला है, जो इसके आर्थिक और सांस्कृतिक महत्त्व को दर्शाता है।


हरियाणा Switch to English
‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान हरियाणा में हुआ और सशक्त
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने लिंगानुपात में सुधार के लिये 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान तीव्र कर दिया है।
- आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, चल रहे प्रयासों के कारण, हरियाणा का लिंगानुपात 2024 की इसी अवधि के दौरान 904 से बढ़कर 906 (1 जनवरी से 30 जून, 2025 तक) हो गया है।
मुख्य बिंदु
- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान (BBBP):
- BBBP एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे गिरते बाल लिंग अनुपात (Child Sex Ratio- CSR) का समाधान करने, लिंग-पक्षपाती लिंग-चयनात्मक उन्मूलन को रोकने और बालिकाओं की जीवन रक्षा, सुरक्षा और शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिये शुरू किया गया है।
- मुख्य उद्देश्य:
- जन्म के समय लिंग अनुपात (SRB) में प्रतिवर्ष दो अंकों का सुधार करना।
- 95% या उससे अधिक की सतत् संस्थागत प्रसव दर प्राप्त करना।
- प्रथम तिमाही में प्रसवपूर्व देखभाल (antenatal care) पंजीकरण और माध्यमिक शिक्षा नामांकन के प्रतिशत में प्रतिवर्ष 1% की वृद्धि करना।
- माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर पर लड़कियों की स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाना।
- सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM) के संबंध में जागरूकता बढ़ाना।
- लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के प्रयास:
- BBBP के तहत लिंग-चयनात्मक गर्भपात के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें शामिल डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द करना भी शामिल है।
- आर्थिक रूप से कमज़ोर क्षेत्रों में जन्म पंजीकरण शिविर आयोजित किये जाएँगे और सभी अपंजीकृत बच्चों को इस प्रणाली में लाने के लिये जागरूकता अभियान शुरू किये जाएँगे।
- लिंग निर्धारण में संलिप्त संदिग्ध इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) केंद्रों पर निगरानी बढ़ाई जाएगी।


छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ ने वन-क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 लॉन्च किया
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने रायपुर में “वन-क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम 2.0” लॉन्च किया, इसे राज्य को सेमीकंडक्टर, AI, फार्मा, रक्षा और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे उभरते उद्योगों का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम बताया।
मुख्य बिंदु
- वन-क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम 2.0:
- यह ऑनलाइन आवेदन, विभागीय मंज़ूरी और सब्सिडी प्रसंस्करण को एकीकृत करता है।
- यह प्रणाली उद्योग स्थापित करने के लिये पारदर्शी और वास्तविक समय पर अनुमोदन सुनिश्चित करती है।
- नई औद्योगिक नीति:
- छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति में रोज़गार सृजन और आर्थिक समृद्धि को प्राथमिकता दी गई है।
- 11 कंपनियों द्वारा प्रस्तुत 1.23 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों से 20,000 से अधिक युवा लाभान्वित होंगे।
- एक सरकारी बयान के अनुसार, छत्तीसगढ़ को 5.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।
- वित्त वर्ष 2025 में भारत के कुल निवेश प्रवाह में राज्य का योगदान 3.71% होगा , जो इसके बढ़ते औद्योगिक आकर्षण को दर्शाता है।
- छत्तीसगढ़ राज्य लॉजिस्टिक्स नीति 2025:
- मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य लॉजिस्टिक्स नीति 2025 को मंज़ूरी देने की भी घोषणा की, जिसका उद्देश्य राज्य को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स हब बनाना है।
- यह नीति वैश्विक और घरेलू लॉजिस्टिक्स कंपनियों को आकर्षित करेगी, निर्यात बुनियादी ढाँचे में सुधार करेगी और उद्योगों और किसानों के लिये किफायती भंडारण सुनिश्चित करेगी।
- महत्त्व:
- उन्नत औद्योगिक विकास: वन-क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 निवेशकों को आकर्षित करना जारी रखेगा और औद्योगिक स्थापना प्रक्रिया में तेजी लाएगा, जिससे छत्तीसगढ़ की प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थिति मजबूत होगी।
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उभरते क्षेत्रों में निवेश: प्रमुख क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने पर केंद्रित प्रयास राज्य को भविष्योन्मुख अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद करेंगे।
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लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे का विकास: लॉजिस्टिक्स नीति राज्य की निर्यात क्षमताओं को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी, जिससे छत्तीसगढ़ भारत के लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्त्वपूर्ण राज्य बन जाएगा।
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रोज़गार सृजन और आर्थिक समृद्धि: बड़े निवेश और बढ़ते औद्योगिक आधार के साथ, राज्य हज़ारों रोज़गार अवसरों का सृजन करेगा, जिससे इसके निवासियों के लिये आर्थिक समृद्धि आएगी।
हरित हाइड्रोजन
- हाइड्रोजन एक प्रमुख औद्योगिक ईंधन है, जिसका उपयोग अमोनिया (एक प्रमुख उर्वरक), इस्पात, रिफाइनरियों और विद्युत उत्पादन सहित विभिन्न प्रकार के कार्यों में किया जाता है।
- हालाँकि, अब निर्मित सभी हाइड्रोजन को तथाकथित ब्लैक या ब्राउन हाइड्रोजन कहा जाता है, क्योंकि वे कोयले से उत्पादित होते हैं।
- हाइड्रोजन ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है । लेकिन शुद्ध, या मौलिक हाइड्रोजन, बहुत दुर्लभ है।
- यह लगभग हमेशा ही ऑक्सीजन के साथ मिलकर जल बनाने वाले यौगिकों में मौजूद रहता है।
- लेकिन जब विद्युत धारा को पानी से गुजारा जाता है, तो यह इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से इसे मौलिक ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित कर देता है।
- और यदि इस प्रक्रिया के लिये उपयोग की जाने वाली बिजली पवन या सौर जैसे नवीकरणीय स्रोत से प्राप्त होती है तो इस प्रकार उत्पादित हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
- हाइड्रोजन से जुड़े रंग हाइड्रोजन अणु को उत्पन्न करने के लिये प्रयुक्त विद्युत के स्रोत को इंगित करते हैं।
- उदाहरण के लिये, यदि कोयले का उपयोग किया जाता है, तो इसे ब्राउन हाइड्रोजन कहा जाता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
ऑपरेशन कन्विक्शन
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश ने सख्त ज़ीरो टॉलरेंस नीति के माध्यम से अपनी कानून और व्यवस्था की स्थिति में परिवर्तन देखा है, जिसमें ऑपरेशन कन्विक्शन भी शामिल है, जो त्वरित दोषसिद्धि सुनिश्चित करने और गंभीर अपराधों से निपटने पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु
- ऑपरेशन कन्विक्शन और प्रभाव:
- जुलाई 2023 में लॉन्च किया गया ऑपरेशन कन्विक्शन फास्ट-ट्रैक अभियोजन पर ध्यान केंद्रित करके त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण रणनीति के रूप में उभरा है, जिससे सज़ा दरों में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है।
- बच्चों के विरुद्ध अपराधों में, कई लोगों को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के अंतर्गत मृत्युदंड दिया गया तथा 600 से अधिक को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई।
- शीर्ष अपराधियों और कुख्यात माफियाओं से संबंधित मामलों में महत्त्वपूर्ण सज़ाएँ प्राप्त हुई हैं, जो संगठित अपराध पर ध्यान केंद्रित करने को रेखांकित करता है।
- जुलाई 2023 में लॉन्च किया गया ऑपरेशन कन्विक्शन फास्ट-ट्रैक अभियोजन पर ध्यान केंद्रित करके त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण रणनीति के रूप में उभरा है, जिससे सज़ा दरों में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है।
- POCSO अधिनियम, 2012:
- परिचय:
- POCSO अधिनियम बच्चों के यौन शोषण और दुर्व्यवहार से निपटने के लिये बनाया गया था, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को बच्चा माना गया है।
- इसे भारत द्वारा बाल अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (1992) के अनुसमर्थन के परिणामस्वरूप अधिनियमित किया गया था।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- यह अधिनियम लैंगिक भेदभाव रहित है, जो लड़के और लड़कियों दोनों को यौन शोषण से बचाता है। इसमें विशेष न्यायालयों द्वारा अंतरिम मुआवज़ा और तत्काल ज़रूरतों के लिये बाल कल्याण समिति (CWC) के माध्यम से तत्काल राहत का प्रावधान है।
- कानूनी कार्यवाही के दौरान बच्चे की सहायता के लिये एक सहायक व्यक्ति नियुक्त किया जाता है। धारा 23 मीडिया में पीड़ित की पहचान के प्रकटीकरण पर रोक लगाकर गोपनीयता सुनिश्चित करती है।
- संगठित अपराध:
- संगठित अपराध को एक साथ काम करने वाले समूहों या नेटवर्क द्वारा की जाने वाली अवैध गतिविधियों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें अक्सर वित्तीय या भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिये हिंसा, भ्रष्टाचार या संबंधित कार्य शामिल होते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध (TOC) तब होता है जब गतिविधियाँ या समूह कई देशों में संचालित होते हैं।
- संगठित अपराध के विभिन्न रूपों में शामिल हैं:
- मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी, मानव तस्करी, अवैध आग्नेयास्त्रों की तस्करी, प्राकृतिक संसाधनों की तस्करी, धोखाधड़ी वाली दवाएँ, साइबर अपराध और पहचान की चोरी (Identity Theft)।

