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स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 May 2024
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मध्य प्रदेश Switch to English

अप्रैल GST संग्रह में मध्य प्रदेश शीर्ष पर

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश ने वर्ष 2023 की इसी अवधि की तुलना में अप्रैल 2024 वित्तीय वर्ष में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह में 30% की वृद्धि हासिल करके भारत के राज्यों में शीर्ष स्थान हासिल किया है।

मुख्य बिंदु:

  • अप्रैल में देश में GST राजस्व संग्रह में 11% की बढ़ोतरी देखी गई।
  • वित्त वर्ष के शुरुआती महीने में कुल GST संग्रह 2.10 लाख करोड़ रुपए तक पहुँचने के साथ देश ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
  • राज्य में कुल पंजीकृत GST भुगतानकर्त्ताओं की संख्या 5 लाख से अधिक हो गई है।

वस्तु एवं सेवा कर (GST) 

  • GST एक मूल्य वर्द्धित कर प्रणाली है जो भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। इसका भुगतान उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन इसे सामान और सेवाएँ बेचने वाले व्यवसायों द्वारा सरकार को भेजा जाता है।
  • GST की विशेषताएँ:
    • आपूर्ति पक्ष पर लागू: GST वस्तुओं के निर्माण या वस्तुओं की बिक्री या सेवाओं के प्रावधान पर पुरानी अवधारणा के विपरीत वस्तुओं या सेवाओं की 'आपूर्ति' पर लागू होता है।
    • गंतव्य आधारित कराधान: GST मूल-आधारित कराधान के वर्तमान सिद्धांत के विपरीत गंतव्य-आधारित उपभोग कराधान के सिद्धांत पर आधारित है।
    • ड्युअल GST: यह ड्युअल GST है जिसमें केंद्र और राज्य एक साथ समान आधार पर कर लगाते हैं। केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले GST को केंद्रीय GST (CGST) कहा जाता है और राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले GST को राज्य GST (SGST) कहा जाता है।
      • वस्तुओं या सेवाओं के आयात को अंतर-राज्य आपूर्ति के रूप में माना जाएगा और लागू सीमा शुल्क के अलावा एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) के अधीन होगा।
    • GST दरें पारस्परिक रूप से तय की जाएंगी: CGST, SGST और IGST केंद्र एवं राज्यों द्वारा पारस्परिक रूप से सहमत दरों पर लगाए जाते हैं। दरें GST परिषद की सिफारिश पर अधिसूचित की जाती हैं।
    • एकाधिक दरें: प्रारंभ में GST चार दरों पर लगाया गया था- 5%, 12%, 16% और 28%। इन कई स्लैबों के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं की अनुसूची या सूची GST परिषद द्वारा तैयार की जाती है।

राजस्थान Switch to English

इन्वेस्टर्स समिट 2024

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार दिसंबर 2024 में तीन दिवसीय इन्वेस्टर्स समिट की मेज़बानी करने की योजना बना रही है। राज्य सरकार औद्योगीकरण को गति देने के लिये सालाना इन शिखर सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रही है।

मुख्य बिंदु:

  • राज्य में व्यापार क्षेत्र का मानना है कि ऐसी घटनाओं की नियमित घटना संभावित रूप से उद्योग विभाग की अन्य ज़िम्मेदारियों से ध्यान, प्रयास और धन को दूर कर सकती है, क्योंकि इन आयोजनों के आयोजन में पूरे वर्ष की व्यापक योजना तथा तैयारी शामिल होती है।
  • नीति निर्माण से लेकर कार्यान्वयन, बुनियादी ढाँचे के विकास, प्रशासन एवं निगरानी, विवाद समाधान और अन्य ज़िम्मेदारियों तक उद्योग-अनुकूल वातावरण प्रदान करने का कार्य कठोर है।
  • क्षेत्र में अन्य राज्यों से निवेश आकर्षित करने के लिये एक आकर्षक औद्योगिक नीति विकसित करने पर ज़ोर दिया जाना चाहिये।

राजस्थान Switch to English

ग्रेट इंडियन ट्रेवल बाज़ार

चर्चा में क्यों?

राजस्थान का पर्यटन विभाग राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये 5 से 7 मई, 2024 तक जयपुर में 13वें ग्रेट इंडियन ट्रैवल बाज़ार (GITB) की मेज़बानी करेगा।

मुख्य बिंदु:

  • विभाग केंद्र के पर्यटन मंत्रालय और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (The Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry- FICCI) के साथ संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
  • राज्य में राजस्थान की कला, पर्यटन और इतिहास पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया जाएगा।
  • आयोजन के पहले दिन 'वेड इन इंडिया एक्सपो' होगा जिसका उद्देश्य देश-विदेश के पर्यटकों को राजस्थान में शादी करने के लिये प्रोत्साहित करना है।
  • आयोजन के दूसरे और तीसरे दिन विदेशी टूर ऑपरेटरों के साथ बिज़नेस-टू-बिज़नेस बैठकें आयोजित की जाएंगी। उन्हें पूरे राजस्थान का भ्रमण भी कराया जाएगा।
  • ऑल वेडिंग इंडस्ट्रीज़ फेडरेशन राजस्थान के महासचिव के मुताबिक, राजस्थान में प्रत्येक वर्ष 15 से 20 लाख शादियाँ होती हैं।
  • यदि पर्यटन उद्योग और राज्य सरकार मिलकर प्रयास करें तो राजस्थान को डेस्टिनेशन वेडिंग स्पॉट के रूप में बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे डेस्टिनेशन वेडिंग में 5-10% की बढ़ोतरी हो सकती है।
  • इससे लाखों लोगों को रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे। सरकार को भी राजस्व मिलेगा और होटल व पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों को अच्छा कारोबार मिलेगा।

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI)

  • FICCI वर्ष 1927 में स्थापित एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन है।
  • यह भारत का सबसे बड़ा व सबसे पुराना शीर्ष व्यापारिक संगठन है, जिसका इतिहास भारत के स्वतंत्रता संग्राम, इसके औद्योगीकरण और सबसे तेज़ी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में इसके उद्भव से जुड़ा हुआ है।


हरियाणा Switch to English

चक्रव्यूह: द एस्केप रूम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (HSNCB) ने 'चक्रव्यूह: द एस्केप रूम' नामक एक अग्रणी परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य किशोरों को मादक पदार्थों की लत से दूर रखना है।

मुख्य बिंदु:

  • चक्रव्यूह, जिसका अर्थ है भूलभुलैया, एक "एंटी-ड्रग एस्केप रूम" अर्थात् नशीली दवाओं से बचाव का अनुभव है जिसे गहन और इंटरैक्टिव अधिगम वाले वातावरण के माध्यम से वास्तविक जीवन की चुनौतियों का अनुकरण करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • इसका पहला कार्यात्मक स्मार्ट क्लासरूम DAV पब्लिक स्कूल, अंबाला में लॉन्च किया गया है और इस परियोजना को राज्य भर के अन्य सरकारी व निजी स्कूलों में दोहराया जाएगा।
  • इसे नियंत्रित वातावरण में यथार्थवादी परिदृश्यों का अनुकरण करने के लिये डिज़ाइन किया गया है जहाँ प्रतिभागियों को स्थितियों से निपटने हेतु अपनी बुद्धि और नैतिक निर्णय का उपयोग करना चाहिये।
    • युवाओं का ध्यान और रुचि आकृष्ट करने वाले आकर्षक एवं लुभावने परिदृश्य बनाने के लिये यह सेटअप संवर्द्धित वास्तविकता (Augmented Reality- AR) तथा आभासी वास्तविकता (Virtual Reality- VR) जैसी आधुनिक तकनीकों से लैस है।
    • गतिविधि में चुनौतियों के एक समूह को हल करना शामिल है, जिनमें से प्रत्येक एक अलग जीवन परिदृश्य का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें ड्रग्स/नशीली दवाएँ लेने की इच्छा भी शामिल है।
  • एस्केप रूम प्रतिभागियों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के परिणामों और बेहतर निर्णयात्मक कौशल के महत्त्व के बारे में शिक्षित करता है। यह उन्हें उन परिदृश्यों में तल्लीन कर देता है जिनमें वास्तविक जीवन की स्थितियों को दर्शाते हुए त्वरित सोच और प्रभावी संचार की आवश्यकता होती है। यह पहल चुनौतियों के माध्यम से प्रगति के लिये सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता के द्वारा टीम वर्क और सहकर्मी समर्थन तंत्र को बढ़ाती है।
  • HSNCB इस अनुभव को डिजिटल बनाने पर भी कार्य कर रहा है ताकि गेमिंग में रुचि रखने वाले बच्चे भी इस गेम को ऑनलाइन खेल सकें और मादक द्रव्यों के सेवन के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकें।

मादक पदार्थों की लत (Drug Addiction)

  • यह किसी दवा, विशेष रूप से नशीली दवाओं के आदी होने की स्थिति को संदर्भित करता है।
  • ये आम तौर पर अवैध दवाएँ हैं जो किसी व्यक्ति के मनोदशा और व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग (Drug Abuse) से तात्पर्य मस्तिष्क पर तात्कालिक सुखद प्रभाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से कुछ रसायनों के प्रयोग से है।
  • विश्व भर में 190 मिलियन से अधिक नशीली दवाओं के उपयोगकर्त्ता हैं और यह समस्या विशेषकर 30 वर्ष से कम उम्र के युवा वयस्कों में खतरनाक दर से बढ़ रही है।
  • नशीली दवाओं की लत से निपटने हेतु सरकारी पहल:
    • इसके तहत नवंबर, 2016 में नार्को-समन्वय केंद्र (Narco-Coordination Centre- NCORD) का गठन किया गया और "नारकोटिक्स नियंत्रण के लिये राज्यों को वित्तीय सहायता" की योजना को पुनर्जीवित किया गया।
    • नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को एक नया सॉफ्टवेयर यानी ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली (Seizure Information Management System- SIMS) विकसित करने के लिये धन उपलब्ध कराया गया है जो नशीली दवाओं के अपराधों और संलग्न अपराधियों का एक पूरा ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करेगा।
    • सरकार ने नशीली दवाओं के अवैध व्यापार से निपटने, नशे की लत के शिकार लोगों को बचाने और नशीली दवाओं के दुरुपयोग व दुष्परिणाम के प्रति जनता को शिक्षित करने के संबंध में होने वाले व्यय के निर्वहन के लिये "नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कोष" नामक एक कोष का गठन किया है।
    • सरकार AIIMS के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की मदद से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के रुझान का आकलन करने के लिये एक राष्ट्रीय ड्रग दुरुपयोग सर्वेक्षण भी आयोजित कर रही है।
    • भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में, विशेषकर नशीली दवाओं का इंजेक्शन लेने वाले लोगों में HIV के बढ़ते प्रसार से निपटने की दिशा में वर्ष 2016 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 'प्रोजेक्ट सनराइज़' शुरू किया गया था।
    • स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, (NDPS) 1985: यह किसी व्यक्ति को किसी भी नशीले पदार्थ या मन:प्रभावी पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और/या उपभोग करने से प्रतिबंधित करता है।
      • NDPS अधिनियम को तब से तीन बार वर्ष 1988, वर्ष 2001 और वर्ष 2014 में संशोधित किया गया है।
      • यह अधिनियम पूरे भारत में व्याप्त है और यह भारत के बाहर रह रहे सभी भारतीय नागरिकों एवं भारत में पंजीकृत जहाज़ों व विमानों में यात्रा कर रहे सभी व्यक्तियों पर भी लागू होता है।
    • सरकार ने 'नशा मुक्त भारत' या ड्रग-मुक्त भारत अभियान शुरू करने की भी घोषणा की है जो सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों पर केंद्रित है।


बिहार Switch to English

बिहार के एक गाँव ने वोट देने से इनकार किया

चर्चा में क्यों?

पिछले दो चुनावों से, सुपौल के खोखनाहा गाँव के निवासियों ने कोसी नदी से जनित दुखों को कम करने के लिये सरकारी पहल की कमी के कारण सभी राजनीतिक दलों के खिलाफ आक्रोश में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों और वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों का बहिष्कार किया।

इस वजह से खोखनाहा गाँव वर्ष 2024 के भी चुनाव में वोट देने से इनकार कर रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • कुछ वर्ष पूर्व कोसी नदी के करण गाँव को भारी नुकसान पहुँचा था और एक वर्ष पूर्व इसने गाँव तथा चार अन्य क्षेत्रों को सुपौल से अलग कर दिया था।
  • ये गाँव अब कोसी की दो धाराओं के बीच एक द्वीप पर स्थित हैं। मानचित्र पर केवल 5 किलोमीटर दूर होने के बावजूद, बुनियादी आवश्यकताओं के लिये सुपौल जाने में पूरा दिन लग जाता है।
  • कोसी बेल्ट के खोखनाहा और आस-पास के गाँवों के निवासी सरकार द्वारा उपेक्षित महसूस करते हैं।
  • वे बार-बार आने वाली बाढ़ को सहन करते हैं, जो उचित मुआवज़े या नदी को नियंत्रित करने के उपायों के बिना उनके जीवन और आजीविका की तबाही का कारण बनती है। इन क्षेत्रों में बिजली और स्वास्थ्य सेवा जैसी आवश्यक सेवाओं का भी अभाव है।

कोसी नदी

  • कोसी एक सीमा-पार नदी है जो तिब्बत, नेपाल और भारत से होकर बहती है।
  • इसका स्रोत तिब्बत में है जिहाँ विश्व की सबसे ऊँची भूमि शामिल है, फिर यह नदी गंगा के मैदानी इलाकों में उतरने से पूर्व नेपाल के एक बड़े हिस्से में प्रवाहित होती है।
  • इसकी तीन प्रमुख सहायक नदियाँ, सुनकोशी, अरुण और तमूर हिमालय की तलहटी से होकर गुज़रने वाली 10 किमी. गहरी घाटी के ठीक ऊपर एक बिंदु पर मिलती हैं।
  • यह नदी भारत के उत्तरी बिहार में प्रवेश करती है, जहाँ यह कटिहार ज़िले के कुरसेला के निकट गंगा में मिलने से पूर्व सहायक नदियों में बदल जाती है।
  • भारत में ब्रह्मपुत्र के बाद कोसी सबसे अधिक मात्रा में गाद और रेत लाती है।
  • इसे "बिहार का शोक" भी कहा जाता है क्योंकि वार्षिक बाढ़ से लगभग 21,000 वर्ग किमी. का क्षेत्र कुप्रभावित होता है। जिससे उपजाऊ कृषि भूमि की कमी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो रही है।


झारखंड Switch to English

झारखंड में भीषण गर्मी

चर्चा में क्यों?

पूर्वी सिंहभूम ज़िले के बहरागोड़ा में अधिकतम तापमान 47.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज होने के साथ झारखंड के कुछ हिस्सों में भीषण लू चल रही है।

मुख्य बिंदु:

  • मौसम विभाग ने झारखंड के 11 ज़िलों में भीषण गर्मी के लिये 'ऑरेंज अलर्ट' जारी किया है।
    • ये हैं- साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड़, दुमका, जामताड़ा, देवघर, धनबाद, बोकारो, सरायकेला-खरसावाँ, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम।
  • राँची मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, तापमान 47 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुँचने का एक कारण खनन गतिविधियाँ और प्रदूषण भी हो सकता है।
हीटवेव/लू (Heat Waves)
  • परिचय:
    • हीटवेव अत्यधिक गर्म मौसम की दीर्घावधि है जो मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
    • भारत, एक उष्णकटिबंधीय देश होने के नाते, विशेष रूप से लू के प्रति संवेदनशील है, जो हाल के वर्षों में नियमित और तीव्र हो गया है।
  • भारत में लू की घोषणा के लिये IMD मानदंड:
    • जब तक किसी क्षेत्र का अधिकतम तापमान मैदानी क्षेत्रों के लिये कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों के लिये कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस तक नहीं पहुँच जाता, तब तक हीटवेव/लू पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
    • यदि किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से कम या उसके बराबर है, तो सामान्य तापमान से 5°C से 6°C की वृद्धि को हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
      • इसके अलावा, सामान्य तापमान से 7 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक की वृद्धि को गंभीर हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
    • यदि किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से अधिक है, तो सामान्य तापमान से 4°C से 5°C की वृद्धि को हीट वेव की स्थिति माना जाता है। इसके अलावा, 6°C या इससे अधिक की वृद्धि को गंभीर हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
      • इसके अतिरिक्त, यदि सामान्य अधिकतम तापमान के बावजूद वास्तविक अधिकतम तापमान 45°C या अधिक रहता है, तो हीटवेव/लू घोषित की जाती है।


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