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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Aug 2025
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ऑपरेशन महाकाल

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस ने ऑपरेशन महाकाल’ के माध्यम से भू-माफिया और जबरन वसूली गिरोहों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की शुरुआत की है।

मुख्य बिंदु

  • अभियान के बारे में:
    • यह अभियान 5 अगस्त 2025 को प्रारंभ किया गया, जिसका उद्देश्य अवैध भूमि कब्ज़ा गतिविधियों की पहचान करना, उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई करना तथा इन गतिविधियों को संचालित करने वाले न केवल अपराधियों, बल्कि उन्हें सहयोग देने वाले प्रभावशाली व्यक्तियों को भी चिह्नित कर सख्ती से कार्रवाई करना है।
  • ऑपरेशन के चरण: ऑपरेशन दो चरणों में संचालित किया जा रहा है: 
    • प्रथम चरण (5 सितंबर 2025 तक): इसमें भूमि कब्ज़ा और जबरन वसूली में संलिप्त संदिग्ध व्यक्तियों की सूची तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • द्वितीय चरण (15 सितंबर 2025 से प्रारंभ): इस चरण में कठोर कार्रवाई की जाएगी, जिसमें संपत्ति ज़ब्ती तथा आरोप दर्ज करने की प्रक्रिया शामिल होगी।
  • सहयोगियों के विरुद्ध कार्रवाई: 
    • भूमि माफिया का संबंध अनेक श्वेतपोश पेशेवरों से है, जिनमें सरकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि तथा पत्रकार शामिल हैं।
    • इन समूहों के बीच हुई मिलीभगत की गहराई से जाँच की जाएगी और उनके विरुद्ध भी आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।


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पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन

चर्चा में क्यों?

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का लंबी बीमारी के बाद 5 अगस्त 2025 को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

  • उन्होंने जम्मू-कश्मीर सहित पाँच राज्यों के राज्यपाल के रूप में कार्य किया और वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 के निरसन के दौरान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्य बिंदु

  • प्रारंभिक जीवन: सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के हिसावड़ा गाँव में हुआ था।  
  • राजनीतिक यात्रा:
    • वर्ष 1965 में मेरठ कॉलेज से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया।
    • विधानसभा सदस्य: वर्ष 1974 में बागपत से विधायक निर्वाचित हुए।
      • एक संक्षिप्त अंतराल के बाद वर्ष 1984 में पुनः राज्यसभा के सदस्य बने।
    • राज्यसभा: वर्ष 1980 में राज्यसभा में प्रवेश किया।
    • लोकसभा: वर्ष 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए।
    • राज्यपाल पद:
      • बिहार (2017–2018)
      • ओडिशा (2018 में अतिरिक्त प्रभार)
      • जम्मू-कश्मीर (2018–2019)
      • गोवा (2019–2020)
      • मेघालय (2020–2022)




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पिंगली वेंकैया जयंती

चर्चा में क्यों?

2 अगस्त, 2025 को प्रधानमंत्री ने पिंगली वेंकैया की 149वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और भारत के राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान को रेखांकित किया, जो राष्ट्र की एकता, विविधता तथा स्वतंत्रता का प्रतीक है।

मुख्य बिंदु 

पिंगली वेंकैया के बारे में: 

  • उनका जन्म 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के पास भटलापेनुमरु गाँव में हुआ था और 4 जुलाई,1963 को 86 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
  • उन्होंने 1899-1902 के दौरान द्वितीय बोअर युद्ध में भाग लिया।
  • वर्ष 1913 में उन्होंने आंध्र प्रदेश के बापटला में जापानी भाषा में 'जापान वेंकैया' नामक व्याख्यान दिया।
  • कंबोडिया कपास पर अनुसंधान के कारण वे ‘पट्टी वेंकय्या’ नाम से भी प्रसिद्ध थे।
  • वर्ष 2009 में उनके योगदान के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया गया।

ध्वज का विकास

  • वर्ष 1916 में पिंगली वेंकैया ने भारत के लिये एक राष्ट्रीय ध्वज शीर्षक से एक पुस्तिका प्रकाशित की, जिसमें भारत के संभावित ध्वज के लिये लगभग 30 डिज़ाइन प्रस्तुत किये गए, जो अन्य देशों के ध्वजों से प्रेरित थे।
  • राष्ट्रीय ध्वज के लिये वेंकैया के डिज़ाइन को अंततः वर्ष 1921 में विजयवाड़ा में कॉन्ग्रेस की बैठक में महात्मा गांधी द्वारा अनुमोदित किया गया था।
  • प्रारंभिक ध्वज, जिसे स्वराज ध्वज कहा जाता था, में दो लाल और हरे रंग की पट्टियाँ थीं (जो हिंदू तथा मुस्लिम धार्मिक समुदायों का प्रतिनिधित्व करती थीं)। ध्वज में एक चरखा भी था, जो स्वराज का प्रतिनिधित्व करता था।
    • महात्मा गांधी ने वेंकैया को इसमें शांति का प्रतीक दर्शाने हेतु सफेद पट्टी जोड़ने की सलाह दी।
  • ध्वज समिति (1931) ने लाल रंग को बदलकर केसरिया किया और रंगों को क्रमशः केसरिया (ऊपर), सफेद (मध्य) तथा हरा (नीचे) निर्धारित किया। सफेद पट्टी के मध्य में चरखा अंकित किया गया।
    • इन रंगों का समुदायों से नहीं, बल्कि गुणों से संबंध था, केसरिया साहस और बलिदान, सफेद सत्य और शांति तथा हरा विश्वास और शक्ति का प्रतीक था। चरखा जनकल्याण का प्रतीक था।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय ध्वज समिति ने चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को ध्वज में सम्मिलित किया।



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