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उत्तर प्रदेश

पिंगली वेंकैया जयंती

  • 06 Aug 2025
  • 17 min read

चर्चा में क्यों?

2 अगस्त, 2025 को प्रधानमंत्री ने पिंगली वेंकैया की 149वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और भारत के राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान को रेखांकित किया, जो राष्ट्र की एकता, विविधता तथा स्वतंत्रता का प्रतीक है।

मुख्य बिंदु 

पिंगली वेंकैया के बारे में: 

  • उनका जन्म 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के पास भटलापेनुमरु गाँव में हुआ था और 4 जुलाई,1963 को 86 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
  • उन्होंने 1899-1902 के दौरान द्वितीय बोअर युद्ध में भाग लिया।
  • वर्ष 1913 में उन्होंने आंध्र प्रदेश के बापटला में जापानी भाषा में 'जापान वेंकैया' नामक व्याख्यान दिया।
  • कंबोडिया कपास पर अनुसंधान के कारण वे ‘पट्टी वेंकय्या’ नाम से भी प्रसिद्ध थे।
  • वर्ष 2009 में उनके योगदान के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया गया।

ध्वज का विकास

  • वर्ष 1916 में पिंगली वेंकैया ने भारत के लिये एक राष्ट्रीय ध्वज शीर्षक से एक पुस्तिका प्रकाशित की, जिसमें भारत के संभावित ध्वज के लिये लगभग 30 डिज़ाइन प्रस्तुत किये गए, जो अन्य देशों के ध्वजों से प्रेरित थे।
  • राष्ट्रीय ध्वज के लिये वेंकैया के डिज़ाइन को अंततः वर्ष 1921 में विजयवाड़ा में कॉन्ग्रेस की बैठक में महात्मा गांधी द्वारा अनुमोदित किया गया था।
  • प्रारंभिक ध्वज, जिसे स्वराज ध्वज कहा जाता था, में दो लाल और हरे रंग की पट्टियाँ थीं (जो हिंदू तथा मुस्लिम धार्मिक समुदायों का प्रतिनिधित्व करती थीं)। ध्वज में एक चरखा भी था, जो स्वराज का प्रतिनिधित्व करता था।
    • महात्मा गांधी ने वेंकैया को इसमें शांति का प्रतीक दर्शाने हेतु सफेद पट्टी जोड़ने की सलाह दी।
  • ध्वज समिति (1931) ने लाल रंग को बदलकर केसरिया किया और रंगों को क्रमशः केसरिया (ऊपर), सफेद (मध्य) तथा हरा (नीचे) निर्धारित किया। सफेद पट्टी के मध्य में चरखा अंकित किया गया।
    • इन रंगों का समुदायों से नहीं, बल्कि गुणों से संबंध था, केसरिया साहस और बलिदान, सफेद सत्य और शांति तथा हरा विश्वास और शक्ति का प्रतीक था। चरखा जनकल्याण का प्रतीक था।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय ध्वज समिति ने चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को ध्वज में सम्मिलित किया।


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