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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    समुद्री सुरक्षा भारतीय सुरक्षा रणनीति में कुछ हद तक एक उपेक्षित विषय रहा है। इससे संबंधित चुनौतियाँ कौन-सी हैं? भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति के महत्त्वपूर्ण अवयवों पर चर्चा करें।

    18 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा- 

    • भारतीय संदर्भ में समुद्र तथा समुद्री मार्गों के महत्त्व को संक्षिप्त में बताएँ।
    • भारत की समुद्री सुरक्षा के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को विवरण दें।
    • भारतीय समुद्री सुरक्षा रणनीति से संबंधित अवयवों का उल्लेख करें।
    • निष्कर्ष लिखें।

    भारत का विशाल प्रायद्वीप और इसके चारों ओर फैली हुई द्वीपीय श्रृंखला की सामरिक अवस्थिति के कारण ये क्षेत्र समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 90%(मात्रा में) तथा 70% (मूल्य के आधार पर) समुद्री मार्ग से संचालित होता है। अतः भारत की सुरक्षा रणनीति में समुद्री सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण अवयव है।

    भारतीय समुद्री सुरक्षा के समक्ष चुनौतियाँ-

    • संगठित अपराध- समुद्री रास्तों से की जाने वाली हथियारों, नशीले पदार्थों और मानवों की तस्करी संगठित अपराध के रूप में एक बड़ी सामुद्रिक सुरक्षा चुनौती है।
    • समुद्री लूट- अरब सागर के क्षेत्र में सोमालियाई लुटेरों से भारतीय व्यापारिक जहाज़ों को सदैव खतरा बना रहता है।
    • समुद्री मार्ग से आतंकवाद का दंश भी भारत झेल चुका है। 26/11 का मुंबई हमला, भारतीय समुद्री सुरक्षा पर बड़े प्रश्न-चिह्न पहले ही खड़े कर चुका है।
    • स्वतंत्र नौवहन में बाधा- चीन द्वारा भारतीय सीमा के समीप विकसित किये जा रहे बंदरगाहों ने तनाव की स्थिति उत्पन्न कर दी है, जिसके कारण भविष्य में भारत के लिये स्वतंत्र नौवहन चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
    • सुनामी तथा चक्रवातों जैसी प्राकृतिक आपदाएँ और तेल रिसाव जैसी मानव जनित आपदाएँ भी समुद्री सुरक्षा के लिये चुनौती है।

    भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति से जुड़े पाँच प्रमुख अवयव निम्नलिखित हैं-

    • अवरोध की रणनीति- यह भारतीय सुरक्षा की मूलभूत रणनीति है। संभावित संघर्षों को टालना (अवरोध करना) भारतीय सुरक्षा बलों का प्रमुख उद्देश्य है।
    • संघर्ष की रणनीति- भारत के विरुद्ध संघर्ष के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों के संसाधनों में वृद्धि इसका उद्देश्य है।
    • अनुकूल समुद्री माहौल के लिये रणनीति- इस रणनीति के अंतर्गत शांतिकाल के दौरान भारतीय नौसेना द्वारा की जाने वाली कार्यवाहियाँ शामिल हैं। इसका लक्ष्य मित्र देशों के समुद्री सुरक्षा बलों के मध्य आपसी सहयोग और अंतर्संचालन द्वारा सुरक्षापूर्ण तथा स्थायित्व वाला माहौल तैयार करना है।
    • तटीय एवं अपतटीय सुरक्षा की रणनीति- इसके अंतर्गत तटीय समुदायों की भागीदारी के माध्यम से सुरक्षा बलों की संचालनीय क्षमता बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाता है।
    • समुद्री सुरक्षा बलों के क्षमता विकास की रणनीति- इसके अंतर्गत तकनीकी उन्नयन के माध्यम से युद्धक क्षमता के विकास पर ध्यान दिया जाता है।

    भारत के वैश्विक उत्थान के लिये समुद्री सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। भारत महासागरीय संसाधनों का लाभ अपने आर्थिक विकास के लिये तभी उठ सकता है, जब उसकी समुद्री सुरक्षा उच्चस्तरीय हो।

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