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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    जब प्रत्येक क्षेत्र नागरिक समाज की निगरानी के तले है तो यह और भी ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि गैर-सरकारी संगठनों की जवाबदेही स्थापित की जाए। चर्चा करें और यह भी बताएँ कि गैर-सरकारी संगठनों को किस प्रकार जवाबदेह बनाया जा सकता है?

    13 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :
    • नागरिक समाज की परिभाषा लिखें।
    • नागरिक समाजों द्वारा RTI के कानूनों का उपयोग कर सरकार की जवाबदेही को सुनिश्चित करने का उल्लेख करें।
    • नागरिक समाज (एनजीओ) को जवाबदेह क्यों होना चाहिये?
    • इस जवाबदेही को तय करने के उपाय।
    • निष्कर्ष।

    नागरिक समाज, सरकार द्वारा समर्थित संरचनाओं और बाज़ार के वाणिज्यिक संस्थानों से बिल्कुल अलग स्वैच्छिक नागरिक, सामाजिक संगठनों और संस्थाओं की समग्रता से बना है। वर्तमान में सूचना के अधिकार अधिनियम का उपयोग करते हुए नागरिक समाज संगठनों ने प्रत्येक क्षेत्र यथा-सरकारी नीतियों, योजनाओं व अन्य का अवलोकन कर विभिन्न संस्थाओं के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। परंतु कई मामलों में एनजीओ (ग्रीनपीस) के संबंध में पाई गई वित्तीय अनियमितताओं ने एनजीओ के उत्तरदायित्वों के विषय में प्रश्न उठाया है।

    एनजीओ का उत्तरदायित्व महत्त्वपूर्ण क्यों?

    • नागरिक समाज संगठनों द्वारा राजनैतिक प्रतिष्ठानों और कार्यपालिका से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग के फलस्वरूप नैतिकता की दृष्टि से यह महत्त्वपूर्ण है कि नागरिक समाज संगठन अपनी संरचना व कार्यप्रणाली में पारदर्शिता को स्थापित करें।
    • हाल ही में विभिन्न एनजीओ पर उठने वाले वित्तीय अनियमितता, सार्वजनिक संसाधनों और उनके उपयोग के संभावित दुरुपयोग जैसे आक्षेपों के जवाब हेतु उत्तरदायित्व सुनिश्चितीकरण आवश्यक है।
    • जब सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी के फलस्वरूप एनजीओ में वित्तपोषण करे तो ऐसे एनजीओ की सार्वजनिक जवाबदेही महत्त्वपूर्ण है।
    • एनजीओ के उत्तरदायित्वों को सुनिश्चित करने हेतु कई कदम उठाए जा सकते हैं।

    महत्त्वपूर्ण कदमः

    • पारदर्शिताः एनजीओ को अपने वित्तीय आदान-प्रदान के विषय में पूरी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिये। साथ ही नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के द्वारा प्रस्तावित सुझाव जिसके अंतर्गत सभी पीपीपी व एनजीओ जिनके द्वारा सरकारी कार्यक्रमों का क्रियान्वयन हो रहा है, को आरटीआई अधिनियम की सीमा में लाना महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • प्रदर्शनः एनजीओ के द्वारा किये गए कार्यों का सार्वजनिक लेखा परीक्षण करना महत्त्वपूर्ण है। इससे एनजीओ के वास्तविक प्रदर्शन का आकलन हो सकेगा। इसके लिये एक नियामक संस्था का गठन किया जा सकता है जो विभिन्न एनजीओ पर प्रभावी नियंत्रण कर इनके कार्यों के आकलन को सार्वजनिक कर सके।
    • वैधताः पारदर्शिता व प्रदर्शन के सुनिश्चित होने पर वैधता को स्वतः प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही कैग की भूमिका को बढ़ाकर वैधता को सुनिश्चित किया जा सकता है।

    निष्कर्षः निःसन्देह नागरिक समाज संगठनों ने लोकतंत्र को प्रभावी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। लोकतंत्र को अधिक प्रभावी बनाने के लिये सरकार व अन्य संगठनों के साथ-साथ एनजीओ इत्यादि में पारदर्शिता प्रदर्शन व वैधता का सुनिश्चितीकरण अत्यन्त आवश्यक है। यह प्रयास ही संविधान में वर्णित सामाजिक-आर्थिक व राजनैतिक न्याय के आदर्श को प्राप्त करने में अहम कड़ी है।

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