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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न . भारतीय सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ में जॉन रॉल्स के सामाजिक न्याय के सिद्धांत की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    29 May, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जॉन रॉल्स के सामाजिक न्याय के सिद्धांत का परिचय दीजिये।
    • भारतीय संदर्भ में रॉल्स के न्याय के सिद्धांतों पर चर्चा कीजिये, उन्हें संवैधानिक प्रावधानों और कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ें।
    • उपर्युक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    अमेरिकी दार्शनिक जॉन रॉल्स का सामाजिक न्याय सिद्धांत दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है: सभी के लिये समान मौलिक स्वतंत्रताएँ- प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और बुनियादी स्वतंत्रताएँ प्राप्त होनी चाहिये तथा अंतर का सिद्धांत- सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ केवल तभी उचित हैं जब वे समाज के सबसे कम लाभान्वित वर्ग के हित में हों। रॉल्स ने "मूल स्थिति" (original position) और "अज्ञानता का पर्दा" (veil of ignorance) की अवधारणा न्यायपूर्ण संस्थाओं के निर्माण में निष्पक्षता की तलाश करती है। भारत के विविध और स्तरीकृत समाज को देखते हुए, रॉल्स के ढाँचे में सामाजिक-राजनीतिक असमानताओं को संबोधित करने तथा समावेशी नीतियों को आकार देने के लिये महत्त्वपूर्ण प्रासंगिकता है।

    मुख्य भाग:

    भारत में रॉल्स के सिद्धांत की प्रासंगिकता

    • सकारात्मक कार्रवाई के लिये मानक औचित्य: सभी के लिये समान बुनियादी स्वतंत्रता और अंतर सिद्धांत रॉल्स के सिद्धांत के दो केंद्रीय सिद्धांत हैं, जो असमानताओं को केवल तभी अनुमति देते हैं जब वे कम-से-कम सुविधा प्राप्त लोगों को लाभ पहुँचाते हैं। यह सकारात्मक कार्रवाई के लिये एक मज़बूत दार्शनिक आधार प्रदान करता है।
      • उदाहरण के लिये, भारत की आरक्षण नीति, जो हाशिये पर पड़े समूहों के लिये शिक्षा और रोज़गार तक पहुँच में सुधार लाने के लिये बनाई गई है, समानता को बढ़ावा देने और वंचित समुदायों के उत्थान के द्वारा रॉल्स के सिद्धांत के अनुरूप है।
    • अज्ञानता का पर्दा: रॉल्स का तर्क है कि सामाजिक व्यवस्था "अज्ञानता के परदे" के पीछे की जानी चाहिये, जिससे निर्णयकर्त्ताओं को उनकी स्वयं की सामाजिक स्थिति से अनभिज्ञ रखकर निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
      • इससे ऐसी नीतियों को प्रोत्साहन मिलता है जो किसी विशेष समूह के पक्ष में अनुचित रूप से पक्षपात न करें, बल्कि सभी के कल्याण को ध्यान में रखकर बनाई जाएँ।
    • संसाधनों का पुनर्वितरण: रॉल्स धन और अवसरों के पुनर्वितरण का समर्थन करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि असमानताएँ समाज में सबसे कम सुविधा प्राप्त लोगों की स्थिति में सुधार लाने में सहायक हों।
      • भारत की मनरेगा योजना ग्रामीण परिवारों को 100 दिन का मज़दूरी रोज़गार की गारंटी देकर इस सिद्धांत को मूर्त रूप देती है, जिससे गरीबी कम होती है और संरचनात्मक आर्थिक असमानताएँ दूर होती हैं।
    • सामाजिक सहयोग: रॉल्स सामाजिक सहयोग को न्यायपूर्ण समाज के लिये आवश्यक मानते हैं। व्यक्तियों और समुदायों के सामूहिक प्रयास ऐसी व्यवस्था बनाने में मदद करते हैं जो पारस्परिक लाभ एवं सामाजिक उत्थान का समर्थन करती है।
      • भारत में, विशेष रूप से महिलाओं के बीच व्यापक स्वयं सहायता समूह आंदोलन, आर्थिक सशक्तीकरण और सामाजिक न्याय के उद्देश्य से सामाजिक सहयोग की एक व्यावहारिक अभिव्यक्ति है।
    • भेदभाव का उन्मूलन: रॉल्स मौलिक मानव अधिकारों की रक्षा और सामाजिक न्याय के आधार के रूप में प्रणालीगत भेदभाव को समाप्त करने पर ज़ोर देते हैं।
      • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का उद्देश्य हाशिये पर पड़े समूहों के विरुद्ध भेदभाव और हिंसा को रोकना है तथा इस प्रकार रॉल्सियन आदर्शों के अनुरूप सम्मान एवं समानता को बढ़ावा देना है।

    निष्कर्ष:

    भारत की विविध सामाजिक वास्तविकताओं द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, रॉल्सियन न्याय एक निष्पक्ष समाज के लिये एक मार्गदर्शक ढाँचा बना हुआ है। समान बुनियादी स्वतंत्रता, अवसर की निष्पक्ष समानता और सबसे कम सुविधा प्राप्त लोगों को प्राथमिकता देने पर इसका ज़ोर सामाजिक न्याय के लिये भारत की संवैधानिक प्रतिबद्धता के साथ प्रतिध्वनित होता है।

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