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प्रश्न :
प्रश्न . भारत की पड़ोस नीति किस प्रकार क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के उद्देश्यों के साथ रणनीतिक और सुरक्षा चिंताओं को संतुलित करने का प्रयास करती है। समालोचनात्मक रूप से परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
20 May, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत की पड़ोस नीति और क्षेत्रीय स्थिरता एवं एकीकरण के इसके दोहरे लक्ष्यों का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- परीक्षण कीजिये कि भारत आर्थिक एकीकरण के प्रयासों तथा संबंधित चुनौतियों के साथ रणनीतिक/सुरक्षा चिंताओं को किस प्रकार संतुलित करता है।
- उपर्युक्त निष्कर्ष लिखिये।
परिचय: भारत की 'पड़ोस पहले' नीति का उद्देश्य एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर दक्षिण एशियाई क्षेत्र को बढ़ावा देना है। यह नीति रणनीतिक-सुरक्षा अनिवार्यताओं को सुनिश्चित करने और कनेक्टिविटी, सहयोग और बहुपक्षीय सहभागिता के माध्यम से क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के बीच जटिल अंतरसंबंध को दर्शाती है।
मुख्य भाग:
सामरिक एवं सुरक्षा संबंधी चिंताएं:
- सीमा एवं प्रादेशिक सुरक्षा: भारत, चीन (वास्तविक नियंत्रण रेखा) और पाकिस्तान (नियंत्रण रेखा) के साथ विवादास्पद सीमा साझा करता है, जिसके कारण कई संघर्ष हुए हैं, विशेष रूप से वर्ष 1962 का भारत-चीन युद्ध और पाकिस्तान के साथ तनाव बना हुआ है।
- भारत की नीति में शांति बनाए रखना तथा आतंकवाद, सीमा पार से घुसपैठ और बाहरी प्रभाव, विशेषकर पाकिस्तान से उत्पन्न खतरों का मुकाबला करना प्राथमिकता है।
- बाह्य प्रभाव का प्रबंधन: बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) जैसी परियोजनाओं के माध्यम से दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती उपस्थिति भारत के सामरिक हितों के लिये चुनौती है।
- भारत अन्य पड़ोसियों के साथ संबंधों को मज़बूत करके इसका मुकाबला कर रहा है, चाबहार बंदरगाह (ईरान) और कलादान मल्टीमॉडल परियोजना (म्याँमार) जैसी वैकल्पिक संपर्क परियोजनाएँ प्रदान कर रहा है।
- क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना: भारत नेपाल और बांग्लादेश जैसे निकटतम पड़ोसियों में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये लोकतांत्रिक संस्थाओं और विकास परियोजनाओं का समर्थन करता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा को मज़बूत करता है।
क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के उद्देश्य और प्रयास:
- कनेक्टिविटी बढ़ाना: भारत बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) नेटवर्क और भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी पहलों के माध्यम से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है।
- इन परियोजनाओं का उद्देश्य वस्तु और लोगों की आवाजाही को आसान बनाना, व्यापार लागत को कम करना तथा बाज़ारों को एकीकृत करना है।
- बहुपक्षीय रूपरेखा: भारत आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये सार्क, बिम्सटेक और IORA जैसे क्षेत्रीय संगठनों के साथ जुड़ता है, हालाँकि सार्क की प्रभावशीलता भारत-पाक तनावों से सीमित है। बिम्सटेक दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ने वाले एक अधिक व्यावहारिक मंच के रूप में कार्य करता है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: वैश्विक स्तर पर सबसे कम अंतर-क्षेत्रीय व्यापार (~ 5%) होने के बावजूद, भारत तरजीही व्यापार समझौतों पर कार्य कर रहा है तथा दक्षिण एशिया के भीतर व्यापार को उदार बनाने का लक्ष्य रखता है।
- ITEC और वैक्सीन मैत्री जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से विकास सहायता आर्थिक सद्भावना और क्षमता निर्माण को बढ़ाती है।
- लोगों के बीच आदान-प्रदान: भारत क्षेत्रीय संबंधों को गहरा करने के लिये सांस्कृतिक, शैक्षिक और तकनीकी आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, जिससे आर्थिक एकीकरण एवं स्थिरता को समर्थन मिलता है।
चुनौतियाँ
आगे की राह
सुरक्षा और आर्थिक संतुलन
संतुलित सीमा नियंत्रण लागू करना जो व्यापार और संपर्क को अत्यधिक बाधित किये बिना सुरक्षा सुनिश्चित करे।
क्षेत्रीय संघर्ष
भारत-पाक तनाव के बावजूद क्षेत्रीय एकता बनाने के लिये अन्य पड़ोसियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करना।
चीन का बढ़ता प्रभाव
बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव के साथ संबंधों को गहरा करना; चाबहार और BBIN जैसी वैकल्पिक संपर्क परियोजनाओं में निवेश करना।
क्षेत्रीय वास्तुकला
द्विपक्षीय और लघुपक्षीय कूटनीति का लाभ उठाते हुए सार्क, बिम्सटेक, IORA के माध्यम से व्यावहारिक बहुपक्षवाद का अभ्यास करना।
निष्कर्ष:
भारत की पड़ोस नीति एक जटिल संतुलनकारी कार्य है, जो क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण की आकांक्षाओं के साथ अपनी सामरिक-सुरक्षा अनिवार्यताओं को सुसंगत बनाने का प्रयास करती है। विवादों को सुलझाने, संपर्क बढ़ाने और आर्थिक संबंधों को गहरा करने के लिये निरंतर प्रयास शांतिपूर्ण एवं आर्थिक रूप से जीवंत पड़ोस के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
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