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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने और भारत में स्मार्टफोन की विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भरता को कम करने में BharOS के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)

    01 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • BharOS को संक्षेप में समझाते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने और विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भरता कम करने में इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    भारत के स्मार्टफोन में स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने और विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से BharOS को एक मुक्त और ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) के रूप में विकसित किया गया है। यह एंड्रॉइड ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट (AOSP) पर आधारित है लेकिन इसमें डिफ़ॉल्ट गूगल ऐप या सेवाएँ नहीं हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को उन एप्लिकेशन को चुनने का विकल्प मिलता है जिन पर वे भरोसा करते हैं और परिचित हैं।

    मुख्य भाग:

    • स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने और विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भरता कम करने में BharOS का महत्त्व:
      • स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना: भारत में स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में BharOS एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
        • मुक्त और ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम प्रदान करके सरकार देश के अंदर बनाई गई प्रौद्योगिकी के विकास और उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है।
        • यह न केवल आत्मनिर्भर तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में सहायक है बल्कि यह स्थानीय व्यवसायों और उद्यमियों का समर्थन करके अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देने में सहायक है।
      • राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना: BharOS राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है क्योंकि इससे भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन होने के साथ विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता में कमी आएगी।
      • घरेलू नवाचार को प्रोत्साहन देना: विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम का विकल्प प्रदान करके BharOS, प्रौद्योगिकी क्षेत्र में घरेलू नवाचार और निवेश को प्रोत्साहित कर रहा है, जिससे नई नौकरियों के सृजन के साथ आर्थिक विकास होगा।
      • डेटा सुरक्षा में सुधार करना: स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करके भारत, संवेदनशील डेटा को बेहतर ढंग से नियंत्रित और संरक्षित कर सकता है क्योंकि स्वदेशी तकनीकों का उपयोग करने से जुड़े सुरक्षा जोखिम कम होते हैं।
      • लागत प्रभावी समाधान: BharOS विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम की तुलना में लागत प्रभावी समाधान है जो इसे उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिये सुलभ बनाता है (विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में)।
      • ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर को प्रोत्साहित करना: BharOS से ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा जिससे सॉफ़्टवेयर विकास में अधिक पारदर्शिता और सहयोग के साथ अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय तकनीक प्राप्त होगी।
      • विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भरता में कमी: BharOS के विकास से विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर भारत की निर्भरता में कमी आएगी।
        • यह विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर भारत की निर्भरता को कम करने के साथ देश की रणनीतिक स्वतंत्रता और सुरक्षा को बढ़ाने एवं विदेशी कंपनियों तथा प्रौद्योगिकियों पर भारत की निर्भरता को कम करेगा।
        • इससे न केवल एक अधिक सुरक्षित प्रौद्योगिकी अवसंरचना बनाने में मदद मिलेगी बल्कि देश के डेटा और गोपनीयता की भी रक्षा होगी।
      • उपयोगकर्ताओं के लिये विकल्प में वृद्धि: BharOS से उपयोगकर्ताओं को यह चुनने की स्वतंत्रता है कि वे अपने स्मार्टफ़ोन पर कौन से ऐप और सेवाओं का उपयोग करेंगे।
        • Android के विपरीत, BharOS में डिफ़ॉल्ट गूगल ऐप्स और सेवाओं को शामिल नहीं किया गया है।
        • इससे अवांछित डेटा संग्रह या गोपनीयता के उल्लंघन होने के जोखिम में कमीं आती है।
    • अपने संभावित लाभों के बावजूद, BharOS के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं जैसे:
      • पूर्व स्थापित ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ प्रतिस्पर्धा: BharOS अच्छी तरह से स्थापित ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे Android, IOS, Windows और Linux के साथ प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति में है क्योंकि इनके पास पहले से ही व्यापक उपयोगकर्ता आधार और अच्छी तरह से स्थापित प्रणाली है। इससे BharOS के लिये बाज़ार में हिस्सेदारी बढ़ाना मुश्किल है।
      • तकनीकी चुनौतियाँ: ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास एक जटिल कार्य है जिसके लिये महत्त्वपूर्ण तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधनों की आवश्यकता होती है।
        • ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम को विकसित करना चुनौतीपूर्ण कार्य है जो भारत सरकार और नागरिकों की विशिष्ट जरूरतों और आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ सुरक्षित, स्थिर और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल हो।
      • उपलब्ध एप्लिकेशन की कमी: BharOS के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह है कि इस ऑपरेटिंग सिस्टम में उपलब्ध एप्लिकेशन की कमी है। यह इसकी उपयोगिता को सीमित कर सकता है और इसे संभावित उपयोगकर्ताओं के लिये कम आकर्षक बना सकता है।
      • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: विशेष रूप से बढ़ते साइबर हमलों और सुरक्षा खतरों के आलोक में BharOS को अपने उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करनी चाहिये। इसके लिये महत्त्वपूर्ण संसाधनों और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है और यह ऑपरेटिंग सिस्टम के लिये एक बड़ी चुनौती है।

    निष्कर्ष:

    • BharOS, स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने और भारत के स्मार्टफोन की विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • उपयोगकर्ता की पसंद और डेटा तथा गोपनीयता की सुरक्षा एक आत्मनिर्भर और सुरक्षित प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण कारक है। इस परियोजना में सरकार का समर्थन, भारतीय तकनीकी उद्योग एवं अर्थव्यवस्था की वृद्धि तथा विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

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